धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार अन्नकूट पर्व के दिन गौपूजा का है विशेष महत्व October 21, 2025 / October 21, 2025 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment गोवर्धन पूजा / अन्नकूट पर्व (22 अक्तूबर) पर विशेष– योगेश कुमार गोयलहिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल प्रतिपदा को अर्थात् दीवाली के अगले दिन ‘अन्नकूट पर्व’ मनाया जाता है, जिसे ‘गोवर्धन पूजा’ के नाम से भी जाना जाता है। पांचदिवसीय दीवाली पर्व की शुरूआत धनतेरस से होती है और चौथे दिन कार्तिक माह […] Read more » गौपूजा
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार भाई-बहन को समर्पित अनूठा, ऐतिहासिक एवं संवेदनात्मक त्यौहार October 21, 2025 / October 21, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment भाई दूज- 23 अक्टूूबर, 2025-ललित गर्ग-भ्रातृ द्वितीया (भाई दूज) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। यह दीपावली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को […] Read more » भाई दूज
धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार दीपावली : सभ्यता की स्मृति में जलता हुआ ज्ञानदीप October 19, 2025 / October 19, 2025 by उमेश कुमार साहू | Leave a Comment उमेश कुमार साहू भारत की संस्कृति में पर्व केवल तिथियाँ नहीं होते, वे जीवन के सूत्र हैं, जो समय की धारा में मनुष्य की चेतना को प्रकाशित करते हैं। इन्हीं में दीपावली, वह अनोखा पर्व है जो प्रकाश से अधिक ‘अर्थ’ का उत्सव है। यह केवल दीप जलाने का नहीं, ‘अंधकार से संवाद’ करने का […] Read more » दीपावली
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार लक्ष्मी संग गणेश-सरस्वती पूजन का अर्थ October 19, 2025 / October 19, 2025 by डा. विनोद बब्बर | Leave a Comment डा. विनोद बब्बर प्रकाश पर्व है पर न जाने कब से लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती की पूजा का प्रचलन है। हम सभी ने हजारों बार उस चित्र को देखा होगा जिसके बीच में लक्ष्मी है तो एक ओर गणेश जी तो दूसरी ओर सरस्वती। क्या कभी यह सोचने का समय मिला कि आखिर प्रकाश पर्व पर […] Read more » Meaning of worshipping Ganesha-Saraswati along with Lakshmi
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार समृद्ध राष्ट्र की कहानी कहते भारत के लक्ष्मी मंदिर October 19, 2025 / October 19, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment भारत के विभिन्न कोनों में फैले ये मंदिर, दक्षिण से उत्तर तक, द्रविड़, नागर और चालुक्य शैलियों का प्रदर्शन करते हैं। इनकी स्थापना प्राचीन काल से चली आ रही है, जहां राजाओं, संतों और भक्तों ने इन्हें समृद्ध किया। दिवाली और नवरात्रि जैसे त्योहारों पर ये मंदिर भक्तों से पट जाते हैं, जहां प्रार्थना और उत्सव एक साथ फलते-फूलते हैं। Read more » अष्टलक्ष्मी गजलक्ष्मी पद्मावती भारत के लक्ष्मी मंदिर महालक्ष्मी
धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार भगवान धन्वंतरि की महिमा और आयुर्वेद का अमृत पर्व धनतेरस October 17, 2025 / October 17, 2025 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment धनतेरस (18 अक्तूबर) पर विशेषधनतेरस: अमृत कलश से आरंभ होता दीपोत्सव Read more » भगवान धन्वंतरि
धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार धनतेरस: समृद्धि का नहीं, संवेदना का उत्सव October 17, 2025 / October 17, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment (आभूषणों से ज़्यादा मन का सौंदर्य जरूरी, मन की गरीबी है सबसे बड़ी दरिद्रता।) धनतेरस का अर्थ केवल ‘धन’ नहीं बल्कि ‘ध्यान’ भी है — ध्यान उस पर जो हमारे जीवन को सार्थक बनाता है। यह त्योहार हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि समृद्धि का असली अर्थ क्या है। अगर घर में प्रेम […] Read more » Dhanteras: A celebration of compassion धनतेरस
धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार भारत में पहली दीपावली कब और कैसे मनाई गई ? October 17, 2025 / October 17, 2025 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव वरिष्ठ पत्रकार दीपोत्सव पर्व प्रथम बार कब,कैसे और कंहा प्रारम्भ हुआ ? इसका उल्लेख किसी पुराण या शास्त्र में अधिकारिता के साथ अभिव्यक्त नहीं किया गया है, किन्तु प्रथम दीपावली दैत्यराज हिरण्याक्ष के अत्याचार, रक्तपात, लूटमार आदि से पीड़ित प्रजा को शूकररूपधारी विष्णु के वराह अवतार द्वारा दिलाई […] Read more » When and how was the first Diwali celebrated in India भारत में पहली दीपावली कब
धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार वर्त-त्यौहार रूप चतुर्दशी : आंतरिक सुंदरता और सकारात्मक ऊर्जा का महापर्व October 17, 2025 / October 17, 2025 by उमेश कुमार साहू | Leave a Comment दीपोत्सव विशेष : रूप चतुर्दशी 2025 ( दीपावली से एक दिन पहले ) उमेश कुमार साहू दीपावली से ठीक एक दिन पहले आने वाला रूप चतुर्दशी या नरक चतुर्दशी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का उत्सव भी है। इस दिन को छोटी दिवाली और काली चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। जहाँ दीपावली धन और समृद्धि का […] Read more » दीपावली से एक दिन पहले दीपोत्सव विशेष : रूप चतुर्दशी 2025
धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार यहाँ दिवाली क्यों नहीं मनाई जाती ? October 17, 2025 / October 17, 2025 by चंद्र मोहन | Leave a Comment चंद्र मोहन दिल्ली से 30-35 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश, ग्रेटर नॉएडा का एक गांव है बिसरख जलालपुर जहाँ के लोग दिवाली नहीं मनाते क्योंकि वे खुद को रावण के वंशज मानते हैं. उनका मानना है कि उनका गांव रावण के पिता ‘विश्रवा’ से आया है और रावण का जन्म यहीं हुआ था, इसलिए वे उसकी हार का जश्न नहीं मना सकते. इसके बजाय वे दशहरा जैसे त्योहारों में रावण की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं और उसकी आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए पूजा-अर्चना में शामिल होते हैं. वंशावली का दावा – गांव के लोगों का मानना है कि यह स्थान रावण के पिता विश्रवा से जुड़ा है, और रावण का जन्म भी यहीं हुआ था. रावण के प्रति सम्मान: क्योंकि वे रावण को अपना पूर्वज मानते हैं, वे उसके पुतले जलाने का विरोध करते हैं और इसके बजाय उसके पतन का जश्न मनाने के बजाय उसके लिए प्रार्थना करते हैं. परंपरागत उत्सवों से दूरी – इस वजह से वे दीवाली और दशहरा जैसे त्योहारों के दौरान परंपरागत उत्सवों में भाग नहीं लेते हैं. अनहोनी का डर – कुछ ग्रामीणों का यह भी मानना है कि अगर कोई त्योहार मनाने की कोशिश करता है तो अनहोनी हो सकती है जैसे कि लोग बीमार पड़ जाते हैं. गांव के बुजुर्ग बताते है कि बिसरख गांव का जिक्र शिवपुराण में भी किया गया है. कहा जाता है कि त्रेता युग में इस गांव में ऋषि विश्रवा का जन्म हुआ था. इसी गांव में उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की थी. उन्हीं के घर रावण का जन्म हुआ था. अब तक इस गांव में 25 शिवलिंग मिल चुके हैं. एक शिवलिंग की गहराई इतनी है कि खुदाई के बाद भी उसका कहीं छोर नहीं मिला है. ये सभी अष्टभुजा के हैं. गांव के लोगों का कहना है कि रावण को पापी रूप में प्रचारित किया जाता है जबकि वह बहुत तेजस्वी, बुद्विमान, शिवभक्त, प्रकाण्ड पण्डित और क्षत्रिय गुणों से युक्त थे. जब देशभर में जहां दशहरा असत्य पर सत्य की और बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, वहीं रावण के पैतृक गांव बिसरख में इस दिन उदासी का माहौल रहता है. दशहरे के त्योहार को लेकर यहां के लोगों में कोई खास उत्साह नहीं है. इस गांव में शिव मंदिर तो है, लेकिन भगवान राम का कोई मंदिर नहीं है. गांव बिसरख में न रामलीला होती है और न ही रावण दहन किया जाता है. यह परंपरा सालों से चली आ रही है. मान्यता यह भी है कि जो यहां कुछ मांगता है, उसकी मुराद पूरी हो जाती है. इसलिए साल भर देश के कोने-कोने से यहां आने-जाने वालों का तांता लगा रहता है. रावण के मंदिर को देखने के लिए लोगो यहां आते रहते है. बिसरख गांव के मध्य स्थित इस शिव मंदिर को गांव वाले रावण का मंदिर के नाम से जाना जाता है. नोएडा के शासकीय गजट में रावण के पैतृक गांव बिसरख के साक्ष्य मौजूद नजर आते हैं. गजट के अनुसार बिसरख रावण का पैतृक गांव है और लंका का सम्राट बनने से पहले रावण का जीवन यहीं गुजरा था. इस गांव का नाम पहले विश्वेशरा था, जो रावण के पिता विश्वेशरा के नाम पर पड़ा है. कालांतर में इसे बिसरख कहा जाने लगा. बिसरख गांव में दशहरे की अलग परंपरा है, जो अन्य गांवों और शहरों से भिन्न है. यहां रावण की पूजा और सम्मान किया जाता है, न कि उनकी निंदा। गांव के लोग इस अनोखी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए रावण की महानता और उनके विद्वता को याद करते हैं, साथ ही उनकी आत्मा की शांति के लिए यज्ञ करते हैं. भारत में कई स्थानों पर दीपावली का त्योहार नहीं मनाया जाता है. इन स्थानों पर दिवाली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा भी नहीं होती है और लोग पटाखे भी नहीं जलाते हैं. आपको यह जानकर हैरानी हो रही होगी लेकिन यह बिल्कुल सच है. आइए जानते हैं कि आखिर भारत के इन जगहों पर रोशनी का त्योहार दिवाली क्यों नहीं मनाई जाती है, इसकी क्या मान्यता रही है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जब 14 वर्ष बाद भगवान श्री राम वनवास से लौटकर अयोध्या वापस आए थे, तो लोगों ने घी के दीपक जलाए थे.तभी से ही दिवाली मनाई जाती है. हिंदू धर्म में दीपावली के त्योहार का बेहद खास महत्व है. इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा होती है.इसके साथ ही लोग अपने घर और मंदिरों में दीपक जलाते हैं.भारत के अलावा दुनिया के अलग-अलग देशों में भी दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. भारत के केरल राज्य में दिवाली का त्योहार नहीं मनाया जाता है. राज्य के सिर्फ कोच्चि शहर में धूमधाम से दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. आपके मन में सवाल खड़ा हो रहा होगा कि आखिर इस राज्य में दिवाली क्यों नहीं मनाई जाती है? यहां पर दिवाली नहीं मनाए जाने के पीछे की कुछ वजह हैं. मान्यता है कि केरल के राजा महाबली की दिवाली के दिन मौत हुई थी.इसके कारण तब से यहां पर दिवाली का त्योहार नहीं मनाया जाता है. केरल में दिवाली न मनाने की पीछे दूसरी वजह यह भी है कि हिंदू धर्म के लोग बहुत कम हैं. यह भी बताया जाता है कि राज्य में इस समय बारिश होती है जिसकी वजह से पटाखे और दीये नहीं जलते. तमिलनाडु राज्य में भी कुछ जगहों पर दिवाली नहीं मनाई जाती है. वहां पर लोग नरक चतुदर्शी का त्योहार धूमधाम से मनाते हैं. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर राक्षस का वध किया था. भारत के कुछ स्थानों पर राम और रावण दोनों की पूजा एक साथ की जाती है जैसे कि इंदौर (मध्य प्रदेश) का एक मंदिर जहाँ राम के साथ रावण की भी पूजा होती है क्योंकि उन्हें ज्ञानी माना जाता है, और मंदसौर (मध्य प्रदेश) जहाँ रावण को दामाद के रूप में पूजा जाता है. कुछ जगहों पर रावण को पूजा जाता है क्योंकि उन्हें विद्वान और भगवान शिव का भक्त माना जाता है, जैसे कि कानपुर (उत्तर प्रदेश) में दशहरा के दिन पूजा जाने वाला मंदिर, या आंध्र प्रदेश के काकिनाडा में जहाँ मछुआरे शिव और रावण दोनों की पूजा करते हैं. मुख्य स्थान जहाँ राम और रावण दोनों की पूजा होती है. मंदसौर, मध्य प्रदेश – यहाँ रावण को उनकी पत्नी मंदोदरी के मायके के कारण पूजा जाता है. इंदौर, मध्य प्रदेश – एक विशेष मंदिर में राम के साथ रावण, मेघनाद, कुंभकर्ण और अन्य पात्रों की भी पूजा होती है क्योंकि उन्हें ज्ञानी माना जाता है. कानपुर, उत्तर प्रदेश: यहाँ एक ऐसा मंदिर है जो केवल दशहरा पर खुलता है, जहाँ रावण की पूजा की जाती है. काकीनाडा, आंध्र प्रदेश: यहाँ के मछुआरे समाज के लोग शिव के साथ रावण की भी पूजा करते हैं. अन्य स्थानों पर जहाँ पर रावण की पूजा होती है. बिसरख, उत्तर प्रदेश – इसे रावण का जन्मस्थान माना जाता है और यहाँ रावण के सम्मान में मंदिर है. गढ़चिरौली, महाराष्ट्र: यहाँ गोंड जनजाति के लोग रावण और मेघनाद को श्रद्धांजलि देते हैं. जोधपुर, राजस्थान – यहाँ रावण के वंशज पूजा-अर्चना करते हैं. चंद्र मोहन Read more » यहाँ दिवाली क्यों नहीं मनाई जाती
कला-संस्कृति पर्व - त्यौहार गुरु जीवनरूपी अंधेरों को मिटाकर उजाला करते हैं July 10, 2025 / July 10, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment गुरु पूर्णिमा- 10 जुलाई 2025-ललित गर्ग-भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान सर्वाेच्च है-ईश्वर से भी ऊंचा। गुरु न केवल ज्ञानदाता हैं, वे जीवन के वास्तुकार, जीवन-निर्माता एवं संस्कारदाता हैं। वे शिष्य को केवल अक्षरों का ज्ञान नहीं देते, बल्कि आत्मा के स्वरूप से उसका परिचय कराते हुए उसका जीवन-निर्माण करते हैं। वे न केवल अंधकार […] Read more » Guru poornima गुरु पूर्णिमा- गुरु पूर्णिमा- 10 जुलाई
पर्व - त्यौहार लेख भारत के स्वराज्य की हुंकार : हिन्दू साम्राज्य दिवस June 9, 2025 / June 9, 2025 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | Leave a Comment – लोकेन्द्र सिंह छत्रपति शिवाजी महाराज भारत की स्वतंत्रता के महान नायक हैं, जिन्होंने ‘स्वराज्य’ के लिए संगठित होना, लड़ना और जीतना सिखाया। मुगलों के लंबे शासन और अत्याचारों के कारण भारत का मूल समाज आत्मदैन्य की स्थिति में चला गया था। विशाल भारत के किसी न किसी भू-भाग पर मुगलों के शोषणकारी शासन से मुक्ति के लिए संघर्ष तो […] Read more » The roar of India's independence: हिन्दू साम्राज्य दिवस