कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म नवरात्र में माँ को लगाएं नौ दिन अलग अलग भोग September 24, 2025 / September 24, 2025 by डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी | Leave a Comment नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी 1 – प्रथम नवरात्रि पर मां को गाय का शुद्ध घी या फिर घर पर बनी श्वेत (सफेद) मिठाई अर्पित की जाती है। लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। 2 – दूसरे नवरात्रि के दिन मां को गुड़ वाले शक्कर का भोग लगाएं और भोग लगाने के बाद इसे घर में सभी सदस्यों को दें। इससे उम्र में वृद्धि होती है। 3 – तृतीय नवरात्रि के दिन दूध या दूध से बनी मिठाई या खीर का भोग मां को लगाएं एवं इसे ब्राह्मण को दान करें। इससे दुखों से मुक्ति होकर परम आनंद की प्राप्ति होती है। 4 – चतुर्थ नवरात्र पर मां भगवती को मालपुए का भोग लगाएं और ब्राह्मण को दान दें।इससे बुद्धि का विकास होने के साथ निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है। 5 – नवरात्रि के पांचवें दिन मां को केले का नैवेद्य अर्पित कर के बटुक ब्राम्हणों को दान करने से शरीर स्वस्थ रहता है। 6 – नवरात्रि के छठे दिन मां को शुद्ध शहद का भोग लगाएं और प्रसाद रूप में ग्रहण करने से आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है। 7 – सप्तमी पर मां को गुड़ का नैवेद्य अर्पित करने और इसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं अचानक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है। 8 – अष्टमी व नवमी पर मां को नारियल का भोग लगाएं और नारियल का दान करें। इससे संतान संबंधी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी Read more » Offer different offerings to Mother Goddess for nine days during Navratri नवरात्र में माँ को लगाएं नौ दिन अलग अलग भोग
कला-संस्कृति खेत-खलिहान कृषि मेँ नवाचार – किसान और खेती हेतु नयी क्रांति का प्रसार September 23, 2025 / September 23, 2025 by चंद्र मोहन | Leave a Comment चंद्रमोहन परम्परागत तरीके से अलग से कुछ नया सोचना और उस पर अमल करना. लीक से हट कर नयी पद्धति को अपना कर आकर्षक परिणाम का मिल जाना नवाचार का पहला कदम है. किसी भी काम मेँ चाहे वह खेती – बाड़ी ही क्यों ना हो, नवाचार की अपनी एक खास भूमिका रहती है. इसी […] Read more » कृषि मेँ नवाचार
कला-संस्कृति नवरात्रि का गूढ़ संदेश : आध्यात्मिक जागरण की नौ रातें September 22, 2025 / September 22, 2025 by उमेश कुमार साहू | Leave a Comment उमेश कुमार साहू नवरात्रि केवल उत्सव, व्रत या आराधना का नाम नहीं है. यह जीवन की वह तपोभूमि है, जहाँ मनुष्य अपने भीतर छिपी दिव्यता से साक्षात्कार करता है। नौ रातों का यह पर्व हमें बाहरी शोरगुल और सांसारिक मोहजाल से उठाकर आत्मा की यात्रा पर ले जाता है, जहाँ शांति, संतुलन और अनंत शक्ति का प्रकाश […] Read more » The Deep Message of Navratri: Nine Nights of Spiritual Awakening नवरात्रि का गूढ़ संदेश
कला-संस्कृति कर्ण की आराध्य देवी दशभुजी दुर्गा September 22, 2025 / September 22, 2025 by कुमार कृष्णन | Leave a Comment कुमार कृष्णन महादानी, महातेजस्वी एवं महारथी कर्ण महाभारतकालीन भारत के महानायकों में अपने शौर्य, और पराक्रमी राजा के रूप में परिगणित होते हैं। तत्कालीन अंगदेश् के राजा के रूप में उनका अधिकांश समय मुंगेर में व्यतीत हुआ है। अपनी दानशीलता के लिए इतिहास के अमर व्यक्तित्व राजा कर्ण की अधिष्ठात्री देवी दशभुजी दुर्गा के नाम से आज […] Read more » Dashbhuja Durga the presiding deity of King Karna कर्ण की आराध्य देवी दशभुजी दुर्गा राजा कर्ण की अधिष्ठात्री देवी दशभुजी दुर्गा
कला-संस्कृति माताजी की घट स्थापना के शुभ मुहूर्त्त September 20, 2025 / September 20, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment आश्विन शरद नवरात्रि दिनांक 22 सितम्बर सोमवार से प्रारंभ होगा। इस बार नवरात्रि 10 दिनों की रहेगी। दुर्गाष्टमी 30 सितम्बर को रहेगी। दुर्गा नवमी 1 अक्टूबर की रहेगी। इस बार मां दुर्गा का आगमन सोमवार के दिन हो रहा है, इसलिए इस बार उनका वाहन हाथी होगा। मान्यता है कि हाथी पर आगमन होने से […] Read more » माताजी की घट स्थापना के शुभ मुहूर्त्त
कला-संस्कृति ऋतु परिवर्तन और नवरात्र की वैज्ञानिकता September 19, 2025 / September 19, 2025 by डा. विनोद बब्बर | Leave a Comment डा. विनोद बब्बर नवरात्र ‘शक्ति-जागरण‘ पर्व है। पुराणों में शक्ति उपासना के अनेक प्रसंग हैं। भगवान राम ने रावण को पराजित करने से पूर्व शक्ति की उपासना थी तो श्रीकृष्ण ने योगमाया (देवी कात्यायनि) का आश्रय लेकर ही विभिन्न लीलाएं की। नवरात्र भारतीय गृहस्थ के लिए शक्ति-पूजन, शक्ति-संवर्द्धन और शक्ति-संचय के दिन हैं। नवरात्र में […] Read more » The scientific basis of seasonal changes and Navratri ऋतु परिवर्तन और नवरात्र की वैज्ञानिकता
कला-संस्कृति आतिशबाजी रहित उत्सवों की परम्परा का सूत्रपात हो September 17, 2025 / September 17, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग –पर्यावरण संकट हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। बढ़ता प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों की लगातार हो रही क्षति ने जीवन को असहज और असुरक्षित बना दिया है। यह संकट किसी दूर के भविष्य की चिंता नहीं है, बल्कि हमारे रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित कर रहा है। […] Read more » Let the tradition of fireworks-free celebrations begin. आतिशबाजी रहित उत्सवों की परम्परा
कला-संस्कृति लेख दाह-क्रिया एवं श्राद्ध कर्म का विज्ञान September 17, 2025 / September 17, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव जीवन का अंतिम संस्कार अन्त्येष्टि संस्कार है। इसी के साथ जीवन का समापन हो जाता है। तत्पश्चात भी अपने वंश के सदस्य की स्मृति और पूर्वजन्म की सनातन हिंदू धर्म से जुड़ी मान्यताओं के चलते मृत्यु के बाद भी कुछ परंपराओं के निर्वहन की निरंतरता बनी रहती है। इसमें श्राद्ध क्रिया की निरंतरता […] Read more » The science of cremation and Shraddha rituals श्राद्ध कर्म का विज्ञान
कला-संस्कृति हमारे धर्मग्रंथ आधुनिक परिप्रेक्ष्य में September 15, 2025 / September 15, 2025 by शिवानंद मिश्रा | Leave a Comment शिवानन्द मिश्रा हमारे सारे धर्मग्रंथ राक्षसों के वध से भरे पड़े हैं। राक्षस भी कठिन और जटिल वरदानों से सुरक्षित थे। किसी को वरदान प्राप्त था कि न दिन में मरेगा-न रात में, न आदमी से मरेगा-न जानवर से, न घर में मरेगा-न बाहर, न आकाश में मरेगा- न धरती पर। किसी को वरदान था कि वे भगवान भोलेनाथ और विष्णु के संयोग से उत्पन्न पुत्र से ही मरेगा तो किसी को वरदान था कि उसके खून की जितनी बूंदे जमीन पर गिरेगी,उसकी उतनी प्रतिलिपि पैदा हो जाएगी। कोई अपने नाभि में अमृत कलश छुपाए बैठा था लेकिन सभी राक्षसों का वध हुआ। सभी राक्षसों का वध अलग अलग देवताओं ने अलग अलग कालखंड एवं अलग अलग प्रदेशों में किया लेकिन सभी वध में एक चीज कॉमन रही कि किसी भी राक्षस का वध उसका स्पेशल स्टेटस हटाकर अर्थात उसके वरदान को रिजेक्ट कर के नहीं किया गया। तुम इतना उत्पात मचा रहे हो इसीलिए, हम तुम्हारा वरदान कैंसिल कर रहे हैं। देवताओं को उन राक्षसों को निपटाने के लिए उसी वरदान में से रास्ता निकालना पड़ा कि इस वरदान के मौजूद रहते हम इसे कैसे निपटा सकते हैं। अंततः कोशिश करने पर वो रास्ता निकला भी तथा सभी राक्षस निपटाए भी गए। अर्थात् परिस्थिति कभी भी अनुकूल होती नहीं है बल्कि पुरुषार्थ से अनुकूल बनाई जाती है। किसी भी एक राक्षस के बारे में सिर्फ कल्पना कर के देखें कि अगर उसके संदर्भ में अनुकूल परिस्थिति का इंतजार किया जाता तो क्या वो अनुकूल परिस्थिति कभी आती ?? उदाहरण के लिए रावण को ही लीजिए. रावण के बारे में भी ये तर्क दिया जा सकता था कि कैसे मारेंगे भला ? उसे तो अनेकों तीर मारे और उसके सर को काट भी दिए लेकिन उसका सर फिर जुड़ जाता है तो इसमें हम क्या करें ? इसके बाद इस नाकामयाबी का सारा ठीकरा रावण को ऐसा वरदान देने वाले ब्रह्मा पर फोड़ दिया जाता कि उन्होंने ही रावण को ऐसा वरदान दे रखा है कि अब उसे मारना असंभव हो चुका है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भगवान राम ने उन वरदानों के मौजूद रहते ही रावण का वध किया। यही “सिस्टम” है। पुरातन काल में हम जिसे वरदान कहते हैं ,आधुनिक काल में हम उसे संविधान द्वारा प्रदत्त स्पेशल स्टेटस कह सकते हैं। आज भी हमें राक्षसों को इन वरदानों ( स्पेशल स्टेटस) के मौजूद रहते ही निपटाना होगा। इसके लिए हमें इन्हीं स्पेशल स्टेटस में से लूपहोल खोजकर रास्ता निकालना होगा। ये नहीं लगता कि इनके स्पेशल स्टेटस को हटाया जाएगा। हर युग में एक चीज अवश्य हुआ है राक्षसों का विनाश एवं धर्म की स्थापना। अभी उसी की तैयारी हो रही है। निषादराज, वानर राज सुग्रीव, वीर हनुमान , जामवंत आदि को गले लगाया जा रहा है, माता शबरी को उचित सम्मान दिया जा रहा है। सोचने वाली बात है कि जो रावण पंचवटी में लक्ष्मण के तीर से खींची हुई एक रेखा तक को पार नहीं कर पाया था,भला उसे पंचवटी से ही एक तीर मारकर निपटा देना क्या मुश्किल था। जिस महाभारत को श्रीकृष्ण सुदर्शन चक्र के प्रयोग से महज 5 मिनट में निपटा सकते थे, भला उसके लिए 18 दिन तक युद्ध लड़ने की क्या जरूरत थी लेकिन रणनीति में हर चीज का एक महत्व होता है और जिसके काफी दूरगामी परिणाम होते हैं। इसीलिए कभी भी उतावला नहीं होना चाहिए। भ्रष्ट, विदेशों में धन अर्जित करने वाला, अनैतिक धन अर्जित करने वाला, विदेशी भूमि पर अपने राष्ट्र की बदनामी, देश में उपद्रव, , तुष्टिकरण करने वाला आदि का विनाश तो निश्चित है तथा यही उनकी नियति है!! धर्मग्रंथ सिर्फ पुण्य कमाने के उद्देश्य से पढ़ने के लिए नहीं होते बल्कि, हमें ये बताने के लिए लिपिबद्ध है कि आगामी वंशज ये जान सकें कि अगर भविष्य में फिर कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न होगी तो उससे कैसे निपटा जाएगा। शिवानन्द मिश्रा Read more » Our scriptures in modern perspective हमारे धर्मग्रंथ आधुनिक परिप्रेक्ष्य में
कला-संस्कृति श्राद्ध में कौओं का महत्व – पितरों तक भोजन पहुँचाना September 15, 2025 / September 15, 2025 by चंद्र मोहन | Leave a Comment चंद्र मोहन प्यासा कौआ की कहानी हम बचपन से सुनते आ रहे हैँ. कई कहावतें भी कौओं से सम्बंधित काफी प्रसिद्ध और प्रचलित है. जैसे जैसे समय बीतता गया, कौआ भी सयाना और अकलमंद होने लगा. अब तो कौआ पानी की टोंटी पर बैठ, चोंच से टोंटी भी खोल कर पानी पीने लगा. सयाना कौआ […] Read more » श्राद्ध में कौओं का महत्व
कला-संस्कृति पितर : हमारे जीवन के अदृश्य सहायक September 9, 2025 / September 9, 2025 by उमेश कुमार साहू | Leave a Comment पितृपक्ष 2025 उमेश कुमार साहू भारतीय संस्कृति की सबसे अद्वितीय परंपरा है – पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता। पितृपक्ष वह पावन काल है जब हम अपने पितरों को नमन करते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन की दिशा को सार्थक बनाने का संकल्प लेते हैं। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर, पारिवारिक एकता और […] Read more » पितर
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म श्रद्धा से जुड़ती है आत्मा – पितृ पक्ष का संदेश ! September 8, 2025 / September 8, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment हमारी भारतीय संस्कृति दुनिया की सबसे प्राचीन और समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं में से एक मानी जाती है। इसमें धर्म, दर्शन, जीवन मूल्य, सामाजिक संरचना, पारिवारिक संबंध और प्रकृति के प्रति श्रद्धा का विशेष स्थान है। भारतीय समाज में परिवार और पूर्वजों के प्रति आदर और कृतज्ञता को बहुत महत्व दिया जाता है। इन्हीं मूल्यों का […] Read more » – पितृ पक्ष का संदेश श्रद्धा से जुड़ती है आत्मा