धर्म-अध्यात्म वैदिक ग्रंथों में प्रातःभ्रमण February 9, 2016 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” यह एक सर्वसिद्ध बात है कि आदि काल से ही प्रकृति और मानव में जन्मजातसाहचर्य रहा है और मानव प्रकृति की शस्य-श्यामल-गोद में जन्म लेता,पलता और उसी के विस्तृत प्रांगण में क्रीड़ा कर अंतर्लीन हो जाता है। मानव शरीर का निर्माण भी पाँच प्राकृतिक तत्त्वों – पृथ्वी (मिट्टी),जल,अग्नि,आकाश और वायु से हुआ है। […] Read more » Featured importance of morning walk as per vaidik granth morning walk
धर्म-अध्यात्म स्वर्ग व मोक्ष का यथार्थ स्वरूप February 8, 2016 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on स्वर्ग व मोक्ष का यथार्थ स्वरूप मनमोहन कुमार आर्य प्रायः सभी मतों के अनुयायी व विद्वान किसी न किसी रूप में स्वर्ग की चर्चा करते हैं और मानते हैं कि इस पृथिवी से अन्यत्र किसी स्थान विशेष पर ‘स्वर्ग’ है जहां ईश्वर की कृपा से मनुष्य जीवन में अच्छे व श्रेष्ठ काम करने वाले मनुष्य जाकर सुखपूर्वक निवास करते हैं। इस […] Read more » Featured स्वर्ग व मोक्ष का यथार्थ स्वरूप
धर्म-अध्यात्म सत्याचरण से अमृतमय मोक्ष की प्राप्ति मनुष्य जीवन का लक्ष्य February 6, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment हमारी जीवात्माओं को मनुष्य जीवन ईश्वर की देन है। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान होने के साथ सर्वज्ञ भी है। उससे दान में मिली मानव जीवन रूपी सर्वोत्तम वस्तु का सदुपयोग कर हम उसकी कृपा व सहाय को प्राप्त कर सकते हैं और इसके विपरीत मानव शरीर का सदुपयोग न करने के कारण हमें नियन्ता ईश्वर […] Read more » Featured अमृतमय मोक्ष सत्याचरण से अमृतमय मोक्ष की प्राप्ति मनुष्य जीवन का लक्ष्य
धर्म-अध्यात्म विविधा रामकथा का विश्वजनित प्रभाव February 5, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधे श्याम द्विवेदी ’नवीन’ रामकथा श्रीराम की कहानी है जो आज से हजारों साल पहले त्रेता युग में भगवान विष्णु के अवतार के रूप में प्रकट हुआ है। संस्कृत भाषा में आदि कवि बाल्मीकि ने इसे मूल रूप से लिखा है। यह कथा ना केवल भारतीय भाषा में अपितु विश्व के हर प्रमुख भाषाओं […] Read more » Featured रामकथा रामकथा का विश्वजनित प्रभाव
धर्म-अध्यात्म मनुष्य मरने से क्यों डरता है? February 5, 2016 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on मनुष्य मरने से क्यों डरता है? मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य मरने से डरता क्यों है? यह प्रश्न इस लिए विचारणीय है कि हम सभी इस दुःख से यदा-कदा त्रस्त होते रहते हैं। कई बार मनुष्य को कोई रोग हो जाता है तो उसके मन में भय उत्पन्न होता है कि हो न हो, मैं जीवित रहूंगा या मर जाउगां? जब तक […] Read more » मनुष्य मरने से क्यों डरता है?
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द ने वेदों का प्रचार और खण्डन-मण्डन क्यों किया? February 4, 2016 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द ने अपने वैदिक एवं यौगिक ज्ञान व तदनुरूप कार्यों से विश्व के धार्मिक व सामाजिक जगत में अपना सर्वोपरि स्थान बनाया है। उन्होंने सप्रमाण यह सिद्ध किया है कि ज्ञान-विज्ञान का स्रोत ईश्वर व वेद हैं। आर्यसमाज के दस नियमों में से उन्होंने पहला ही नियम बनाया कि सब सत्य […] Read more » Maharshi Dayanand
धर्म-अध्यात्म मनुष्य की चहुंमुखी उन्नति का आधार अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि February 2, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य के जीवन के दो यथार्थ हैं पहला कि उसका जन्म हुआ है और दूसरा कि उसकी मृत्यु अवश्य होगी। मनुष्य को जन्म कौन देता है? इसका सरल उत्तर यह है कि माता-पिता मनुष्य को जन्म देते हैं। यह उत्तर सत्य है परन्तु अपूर्ण भी है। माता-पिता तभी जन्म देते हैं जबकि […] Read more » अविद्या का नाश विद्या की वृद्धि
धर्म-अध्यात्म धर्म के अनुशासन बिना विज्ञान मानव जीवन के लिए अहितकारी February 2, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आजकल विज्ञान की उन्नति ने सबको आश्चर्यान्वित कर रखा है। दिन प्रतिदिन नये नये बहुपयोगी उत्पाद हमारे ज्ञान व दृष्टि में आते रहते हैं। बहुत कम लोग जानते होंगे कि उनकी अनेक समस्ययाओं का कारण भी विज्ञान व इसका दुरुपयोग ही है। इसका सबसे मुख्य उदाहरण तो वायु, जल और पर्यावरण प्रदुषण […] Read more » धर्म के अनुशासन बिना विज्ञान मानव जीवन के लिए अहितकारी
धर्म-अध्यात्म वेद सार्वभौमिक मानव धर्म के अधिकारिक प्रतिनिधि व आदिस्रोत February 1, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार के सभी मनुष्यों वा स्त्री-पुरुषों पर ध्यान केन्द्रित करें तो यह सभी एक बहुत ही बुद्धिमान व सर्वव्यापी कलाकार की रचनायें अनुभव होती हैं। संसार भर में सभी मनुष्य की दो आंखे, दो कान, नाक, मुंह, गला, शिर, वक्ष, उदर, कटि व पैर प्रायः एक समान ही हैं। सभी मनुष्यों का […] Read more » वेद सार्वभौमिक मानव धर्म के अधिकारिक प्रतिनिधि व आदिस्रोत
धर्म-अध्यात्म जीवात्मा वा मनुष्य की मृत्यु और परलोक February 1, 2016 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on जीवात्मा वा मनुष्य की मृत्यु और परलोक मनमोहन कुमार आर्य महाभारत के एक अंग भगवद्-गीता के दूसरे अध्याय में जन्म व मृत्यु विषयक वैदिक सिद्धान्त को बहुत सरल व स्पष्ट रूप से प्रतिपादित किया गया है। गीता के इस अध्याय में कुछ प्रसिद्ध श्लोकों में से 3 श्लोक प्रस्तुत हैं। यह तीन श्लोक गीता के दूसरे अध्याय में क्रमांक 22, 23 […] Read more » ‘जीवात्मा वा मनुष्य की मृत्यु और परलोक’
धर्म-अध्यात्म स्वामी दयानन्द प्राचीन ऋषियों की परम्परा वाले सच्चे ऋषि,संसार के सर्वोच्च गुरु एवं अपूर्व वेद-धर्म प्रचारक हैं February 1, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हमारे लेख के शीर्षक से आर्यसमाज के अनुयायी तो प्रायः सभी सहमत होंगे परन्तु इतर बन्धु इस तथ्य को स्वीकार करने में संकोच कर सकते हैं। अतः अपने ऐसे बन्धुओं से हम प्रश्न करते हैं कि वह महर्षि दयानन्द से अधिक प्रतिभावान व योग्य ऋषि का नाम बतायें? दूसरा प्रश्न यह है […] Read more » स्वामी दयानन्द
धर्म-अध्यात्म मनुष्य और अनेक प्राणी योनियों में जीवात्माओं के जन्म का कारण January 27, 2016 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on मनुष्य और अनेक प्राणी योनियों में जीवात्माओं के जन्म का कारण मनमोहन कुमार आर्य यदि हम अतीत की बातें छोड़कर वर्तमान संसार में विद्यमान मनुष्यादि अनेक प्राणी योनियों में जीवात्माओं के जन्म पर विचार करें तो हम देखते हैं कि सभी प्राणियों में जन्म व मृत्यु का सिद्धान्त काम कर रहा है। हमसे पहले व बाद में जन्में अनेक मनुष्य और अन्य प्राणियों को हमने समय […] Read more » Featured जीवात्माओं के जन्म का कारण मनुष्य और अनेक प्राणी योनियों में जीवात्माओं के जन्म का कारण