धर्म-अध्यात्म क्या अज्ञान, अन्धविश्वास, अन्धी श्रद्धा व आस्था का खण्डन अनुचित है? August 16, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on क्या अज्ञान, अन्धविश्वास, अन्धी श्रद्धा व आस्था का खण्डन अनुचित है? सभी मनुष्यों का धर्म एक है या अनेक? वर्तमान में सभी समय में प्रचलित अनेक मत व धर्मों में लोग किसी एक को मानते हैं। प्रश्न का उत्तर देने के लिए हमें धर्म व मत को जानना होगा। यथार्थ धर्म को जान लेने के बाद स्वयं उत्तर मिल जायेगा। धर्म मनुष्य जीवन में श्रेष्ठ […] Read more » अन्धविश्वास अन्धी श्रद्धा व आस्था का खण्डन अनुचित है?
धर्म-अध्यात्म ईश्वर की कृपा व वेदाध्ययन से ही नास्तिकता की समाप्ति सम्भव August 15, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ‘खुदा के बन्दो को देखकर खुदा से मुनकिर हुई है दुनिया, कि जिसके ऐसे बन्दे हैं वो कोई अच्छा खुदा नहीं।।‘ आजकल संसार में सभी मतों के शिक्षित व धनिक मनुष्यों का आचरण प्रायः श्रेष्ठ मानवीय गुणों के विपरीत पाया जाता है जो मनुष्यों को नास्तिक बनाने में सहायक होता। इसका एक कारण ऐसे […] Read more » नास्तिकता की समाप्ति
धर्म-अध्यात्म विविधा क्या फलित हो पाया है आजादी का सपना? August 15, 2015 / August 15, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग पन्द्रह अगस्त हमारे राष्ट्र का गौरवशाली दिन है, इसी दिन स्वतंत्रता के बुनियादी पत्थर पर नव-निर्माण का सुनहला भविष्य लिखा गया था। इस लिखावट का हार्द था कि हमारा भारत एक ऐसा राष्ट्र होगा जहां न शोषक होगा, न कोई शोषित, न मालिक होगा, न कोई मजदूर, न अमीर होगा, न कोई गरीब। […] Read more » आजादी का सपना?
धर्म-अध्यात्म कलयुग के यह स्वयंभू भगवान August 14, 2015 by निर्मल रानी | 2 Comments on कलयुग के यह स्वयंभू भगवान निर्मल रानी भारतवर्ष को पूरे विश्व में विभिन्न प्रकार के धर्मों,आस्थाओं,नाना प्रकार के विश्वास तथा अध्यात्मवाद के लिए जाना जाता है। इस देश की धरती ने जितने महान संत,फ़क़ीर तथा अध्यात्मिक गुरू पैदा किए उतने संभवत: किसी अन्य देश में नहीं हुए। यही वजह है कि भारतवर्ष को राम-रहीम,बुद्ध और नानक की धरती के रूप […] Read more » कलयुग के यह स्वयंभू भगवान
धर्म-अध्यात्म मनुष्य का परम कर्तव्य ईश्वर के स्वरूप का यथार्थ ज्ञान व उसकी उपासना August 14, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment प्रत्येक व्यक्ति के मन में इस सृष्टि को देखकर इसके बनाने वाले कर्त्ता का ध्यान आता है परन्तु वह ज्ञान की अल्पता में निर्णय नहीं कर पाता कि इसका बनाने वाला वस्तुतः कौन है? सृष्टि को देखकर शिक्षित व विवेकवान मनुष्य की बुद्धि कहती है कि वह एक महान, चेतन, सर्वव्यापक, निराकार, सूक्ष्मातिसूक्ष्म, अदृश्य, […] Read more » ईश्वर के स्वरूप का यथार्थ ज्ञान मनुष्य का परम कर्तव्य
धर्म-अध्यात्म श्रद्धा की हो काँवड़ August 12, 2015 by विमलेश बंसल 'आर्या' | 1 Comment on श्रद्धा की हो काँवड़ विमलेश बंसल क्या आप जानते हो श्रावण मास में काँवड़ का क्या महत्व है? यह कांवड़ गंगोत्तरी से जल लाकर महादेव पर चढ़ाई जाती है आइये जानें – वर्षा ऋतु के 4 महीने चातुर्मास्य कहलाते हैं श्रावण मास मैं घनघोर बारिश के चलते आवाजाही ठप्प रहती है चारों और तालाब और गड्ढे पानी से […] Read more » काँवड़
धर्म-अध्यात्म मोक्ष मार्ग का प्रथम सोपान है स्वाध्याय August 7, 2015 / August 7, 2015 by कृष्ण कान्त वैदिक शास्त्री | 1 Comment on मोक्ष मार्ग का प्रथम सोपान है स्वाध्याय कृष्ण कान्त वैदिक शास्त्री सु$आङ् अधिपूर्वक इड्-अध्ययने धातु से स्वाध्याय शब्द बनता है। स्वाध्याय शब्द में सु, आ और अधि तीन उपसर्ग हैं। ‘सु’ का अर्थ है उत्तम रीति से ‘आ’ का अर्थ है आद्योपान्त और ‘अधि’ का अर्थ है अधिकृत रूप से। किसी ग्रन्थ का आरम्भ से अन्त तक अधिकारपूर्वक सर्वतः प्रवेश स्वाध्याय कहलाता […] Read more »
धर्म-अध्यात्म अविद्या दूर करने का एकमात्र उपाय वैदिक साहित्य का स्वाध्याय August 7, 2015 by मनमोहन आर्य | 3 Comments on अविद्या दूर करने का एकमात्र उपाय वैदिक साहित्य का स्वाध्याय मनुष्य की आत्मा के अल्पज्ञ होने के कारण इसके साथ अविद्या अनादि काल से जुड़ी हुई है। इसका एक कारण जीवात्मा का एकदेशी, ससीम, राग-द्वेष व जन्म-मरणधर्मा आदि होना भी है। ईश्वर सर्वव्यापक, निराकार, सर्वान्तर्यामी एवं सर्वज्ञ है। सर्वज्ञ का तात्पर्य है कि वह जानने योग्य सब कुछ जानता है। वह जीवों के कर्मों की […] Read more » अविद्या वैदिक साहित्य का स्वाध्याय
धर्म-अध्यात्म ‘महर्षि दयानंद एवं गुरुकुल शिक्षा प्रणाली’ August 6, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महर्षि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) ने प्रज्ञाचक्षु दण्डी गुरू स्वामी विरजानन्द सरस्वती, मथुरा से वैदिक आर्ष व्याकरण एवं वैदिक शास्त्रों का अध्ययन कर देश व संसार से अविद्या हटाने के लिए ईश्वरीय ज्ञान वेदों का प्रचार किया। उनके वेद प्रचार आन्दोलन का देश और समाज पर ही नहीं अपितु विश्व पर व्यापक प्रभाव पड़ा। वह […] Read more » ‘महर्षि दयानंद .गुरुकुल शिक्षा प्रणाली’
धर्म-अध्यात्म झारखण्ड के रामगढ़ का टूटी झरना शिवमंदिर August 6, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | 1 Comment on झारखण्ड के रामगढ़ का टूटी झरना शिवमंदिर शिव की शक्ति और गंगा की भक्ति की अनूठी तस्वीर प्रस्तुत करता झारखण्ड के रामगढ़ का टूटी झरना शिवमंदिर -अशोक “प्रवृद्ध” भारतीय पौराणिक इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण कथा गंगावतरण, जिसके द्वारा भारतवर्ष की धरती पवित्र हुई, में इक्ष्वाकु वंशीय दिलीप के पुत्र भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने गंगा की धारा […] Read more » झारखण्ड के रामगढ़ का टूटी झरना शिवमंदिर
धर्म-अध्यात्म विविधा दक्षिण भारत के संत (14) सन्त कुलशेखर अलवार August 6, 2015 by बी एन गोयल | Leave a Comment बी एन गोयल “हे भगवन मैं कब आप के दिव्य दर्शन कर सकूँगा। हे प्रभु राम, मैं अशांत हूँ । मुझे कब आप का अनुग्रह मिलेगा। मेरा मन भटकता रहता है। मैं कब इसे आप के चरण कमलों में लगा सकूँगा। मेरे मन में कब आप के प्रति निष्ठा जागेगी । मुझे कब आप […] Read more » दक्षिण भारत के संत सन्त कुलशेखर अलवार
धर्म-अध्यात्म जप व ध्यान से जीवात्मा के भीतर ही ईश्वर का प्रत्यक्ष होता है। August 5, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on जप व ध्यान से जीवात्मा के भीतर ही ईश्वर का प्रत्यक्ष होता है। ईश्वर को जानना व प्राप्त करना दो अलग-अलग बातें हैं। वेदों व वैदिक सहित्य में ईश्वर का ज्ञान व उसकी प्राप्ति के साधन बताये गये हैं। पहले ईश्वर के स्वरूप को जान लेते हैं और उसके बाद उपासना आदि साधनों पर चर्चा करेंगे। वेदों का स्वाध्याय साधारण अशिक्षित व अल्पशिक्षित मनुष्यों के लिए कुछ […] Read more » ईश्वर का प्रत्यक्ष होता है। जप व ध्यान से जीवात्मा के भीतर