चिंतन धर्म-अध्यात्म क्या वेद अपौरूषेय हो सकते हैं March 31, 2015 / April 4, 2015 by मनमोहन आर्य | 4 Comments on क्या वेद अपौरूषेय हो सकते हैं क्या वेद अपौरूषेय है? यदि हैं तो वेदों में ईश्वर ने स्वयं ही दिये ज्ञान में आदि ऋषियों व भावी मानव पीढि़यों से अपनी प्रशंसा क्यों कराई है? अपनी प्रशंसा करना व कराना मानवीय दोष माना जाता है। ईश्वर तो सबसे बड़ा व महान होने के कारण यदि ऐसा करता है तो यह उचित प्रतीत […] Read more » Featured अपनी प्रशंसा करना व कराना मानवीय दोष माना जाता है ईश्वर तो सबसे बड़ा व महान होने के कारण यदि ऐसा करता है तो यह उचित प्रतीत नहीं होता ईश्वर ने स्वयं ही दिये ज्ञान में आदि ऋषियों व भावी मानव पीढि़यों से अपनी प्रशंसा क्यों कराई क्या वेद अपौरूषेय है क्या वेद अपौरूषेय हो सकते हैं मनमोहन कुमार आर्य
जन-जागरण धर्म-अध्यात्म प्रवक्ता न्यूज़ वेदों का ज्ञान अपौरूषेय अर्थात् ईश्वर प्रदत्त हैः आचार्य धनंजय March 30, 2015 / April 4, 2015 by मनमोहन आर्य | 5 Comments on वेदों का ज्ञान अपौरूषेय अर्थात् ईश्वर प्रदत्त हैः आचार्य धनंजय आर्यसमाज सुभाषनगर के वार्षिकोत्सव का आज सोत्साह समापन हुआ। आयोजन में पं. धर्मसिंह ने अपनी भजन मण्डली सहित प्रभावशाली भजन प्रस्तुत किये जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया। प्रातःकाल डा. आचार्य धनंजय आर्य के ब्रह्मत्व में बृहद यज्ञ सम्पन्न हुआ जिसमें वेदपाठ और मंत्रोच्चार आर्यसमाज के पुरोहित श्री अमरनाथ एवं श्रीमद्दयानन्द आर्ष गुरूकुल, पौंधा, देहरादून के […] Read more » Featured मनमोहन कुमार आर्य वेदों का ज्ञान अपौरूषेय अर्थात् ईश्वर प्रदत्त है
खान-पान जन-जागरण धर्म-अध्यात्म समाज माता के दूध का ऋण, सत्य धर्म की खोज व उसका पालन March 26, 2015 / March 26, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment अपार ब्रह्माण्ड का एक छोटा सा ग्रह यह पृथिवी लोक सर्वत्र मुनष्यों एवं अन्य प्राणियों से भरा हुआ है। मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जिसे परमात्मा ने बुद्धि तत्व दिया है जो ज्ञान का वाहक है। ईश्वर निष्पक्ष एवं सबका हितैषी है। इसी कारण उसने हिन्दू, मुसलमान व ईसाई आदि मतों के लोगों में किंचित […] Read more »
धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार आतंक के संदर्भ में राम की प्रासंगिकता March 26, 2015 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment दुनिया में बढ़ रहे आतंकवाद को लेकर अब जरूरी हो गया है कि इनके समूल विनाश के लिए भगवान राम जैसी सांगठनिक शक्ति और दृढंता दिखाई जाए। आतंक के संदर्भ में राम की प्रासंगिकता आज ज्यादा ही बढ़ गयी है. आतंकवादियों की मंशा दहशत के जरिए दुनिया को इस्लाम धर्म के बहाने एक रूप में […] Read more » आतंक के संदर्भ में राम की प्रासंगिकता प्रमोद भार्गव रामनवमी
धर्म-अध्यात्म जरूरत है महावीर के अहिंसा दर्शन March 25, 2015 by ललित गर्ग | 1 Comment on जरूरत है महावीर के अहिंसा दर्शन महावीर अब हमारे बीच नहीं है पर महावीर की वाणी हमारे पास सुरक्षित है। महावीर की मुक्ति हो गई है पर उनके विचारों की कभी मुक्ति नहीं हो सकती। आज कठिनाई यह हो रही है कि महावीर का भक्त उनकी पूजा करना चाहता है पर उनके विचारों का अनुगमन करना नहीं चाहता। उन विचारों के […] Read more » अहिंसा दर्शन जरूरत है महावीर के अहिंसा दर्शन महावीर
धर्म-अध्यात्म ईश्वर का नाम ‘सच्चिदानन्द’ क्यों व कैसे March 25, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ईश्वर के अनेक नामों में से एक नाम ‘सच्चिदानन्द’ भी है। प्रायः हम सुनते हैं कि जयघोष करते हुए धार्मिक आयोजनों में कहा जाता कि ‘श्री सच्चिदानन्द भगवान की जय हो’। यह सच्चिदानन्द नाम ईश्वर का क्यों व किसने रखा है? इसका तात्पर्य व अर्थ क्या है? इसी पर विचार करने के लिए कुछ पंक्तियां […] Read more » ईश्वर ईश्वर का नाम ‘सच्चिदानन्द’ क्यों व कैसे मनमोहन कुमार आर्य सच्चिदानन्द
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज की स्थापना से संसार में नए युग का शुभारम्भ March 25, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment यह संसार विगत लगभग 2 अरब वर्षों से अस्तित्व में है। इस अवधि में नाना महत्वपूर्ण ऐतिहासक घटनायें घटी हैं परन्तु उनमें से कुछ थोड़ी सी घटनाओं के दिन व तिथियां ही ज्ञात हैं। आज से 140 वर्ष पूर्व चैत्र शुक्ल पंचमी तदनुसार 10 अप्रैल, 1875 को महर्षि दयानन्द सरस्वती ने मुम्बई के गिरगांव मोहल्ले […] Read more » आर्यसमाज आर्यसमाज की स्थापना आर्यसमाज की स्थापना से संसार में नए युग का शुभारम्भ
जन-जागरण धर्म-अध्यात्म साहित्य आर्य समाज के उर्दू साहित्य का संरक्षण व उसका हिन्दी अनुवाद March 24, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महाभारत काल के बाद लगभग 5000 वर्ष का समय भारत के धार्मिक एवं सामाजिक जगत के लिए ह्रास व पतन का था। ऐसे समय में महर्षि दयानन्द ने 10 अप्रैल, 1875 को मुम्बई में आर्य समाज की स्थापना की। महर्षि दयानन्द वेदों के पारदर्शी विद्वान थे और महाभारत काल के बाद वा विगत 5,000 वर्षों […] Read more » आर्य समाज आर्य समाज के उर्दू साहित्य का संरक्षण व उसका हिन्दी अनुवाद उर्दू साहित्य
कविता धर्म-अध्यात्म नूतन नवल उमंग March 24, 2015 by हिमकर श्याम | 4 Comments on नूतन नवल उमंग [नव संवत्सर, सरहुल और रामनवमी पर दोहे] नव संवत्, नव चेतना, नूतन नवल उमंग। साल पुराना ले गया, हर दुख अपने संग।। चैत शुक्ल की प्रतिपदा, वासन्तिक नवरात। संवत्सर आया नया, बदलेंगे हालात।। जीवन में उत्कर्ष हो, जन-जन में हो हर्ष। शुभ मंगल सबका करे, भारतीय नव वर्ष।। ढाक-साल सब खिल […] Read more » चैत शुक्ल की प्रतिपदा नव संवत्सर नूतन नवल उमंग रामनवमी वासन्तिक नवरात
जन-जागरण धर्म-अध्यात्म समाज विश्व जल दिवस का भारतीय संयोग March 23, 2015 by अरुण तिवारी | 1 Comment on विश्व जल दिवस का भारतीय संयोग कितना सुखद संयोग है! 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस के बहाने हम सब की अपनी एक नन्ही घरेलु ङिया की चिन्ता; देशी माह के हिसाब से चैत्री अमावस्या यानी गोदान का दिन। 21 मार्च को चैत्र मासके शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी मौसमी परिवर्तन पर संयमित जीवन शैली का आग्रह करते नव दिन और […] Read more » जल दिवस विश्व जल दिवस विश्व जल दिवस का भारतीय संयोग
चिंतन संस्कृत भाषा का महत्व व इसके प्रचार पर विचार March 23, 2015 / March 23, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment संस्कृत भाषा संसार की प्राचीनतम एवं प्रथम भाषा है। इस भाषा में ही सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर ने वेदों का ज्ञान दिया था। हमने एक लेख में यह विचार किया था कि क्या ईश्वर के अपने निज प्रयोग की भी क्या कोई भाषा है? इसके समाधान में हमारा निष्कर्ष यह था कि ईश्वर भी […] Read more » "भारतीय संस्कृति -एक परिचय " प्रथम भाषा प्राचीनतम प्राचीनतम एवं प्रथम भाषा संस्कृत संस्कृत भाषा संस्कृत भाषा का महत्व संस्कृत भाषा का महत्व व इसके प्रचार पर विचार
धर्म-अध्यात्म छोटी आयु में बड़े धार्मिक काम करने वाले गुरूदत्त विद्यार्थी March 23, 2015 / March 23, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महर्षि दयानन्द के जीवनकाल 1825-1883 में देश भर के अनेक लोग उनके सम्पर्क में आये जिनमें से कई व्यक्तियों को उनका शिष्य कहा जा सकता है परन्तु सभी शिष्यों में पं. गुरूदत्त विद्यार्थी उनके अनुपम व अन्यतम शिष्य थे। आपके पिता लाला रामकृष्ण जी फारसी भाषा के असाधारण विद्वान थे तथा राजकीय सेवा में अध्यापक […] Read more » गुरूदत्त विद्यार्थी छोटी आयु में बड़े धार्मिक काम करने वाले गुरूदत्त विद्यार्थी महर्षि दयानन्द