धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-३५ April 6, 2015 / April 11, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment देवराज इन्द्र का आदेश पाते ही समस्त घातक बादल वृन्दावन के उपर प्रकट हुए। वहां निरन्तर बिजली की चमक, बादलों की गर्जना तथा प्रबल झंझा के साथ अनवरत वर्षा होने लगी। मोटे-मोटे स्तंभों के समान अविराम वर्षा करते हुए बादलों ने धीरे-धीरे वृन्दावन के संपूर्ण क्षेत्र को जलमग्न कर दिया। वर्षा के साथ तीव्र गति […] Read more » Featured Krishna बिपिन किशोर सिन्हा यशोदानंदन यशोदानंदन-३५
धर्म-अध्यात्म काशी शास्त्रार्थ और इसके दो शीर्ष विद्वानों का सौहार्द्र April 6, 2015 / April 7, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महर्षि दयानन्द का मंगलवार 16 नवम्बर, 1869 को काशी के आनन्दबाग में अपरान्ह 3 बजे से सायं 7 बजे तक लगभग पांच हजार दर्शकों की उपस्थिति में विद्यानगरी काशी के शीर्षस्थ 30 पण्डितों से अकेले मूर्तिपूजा पर शास्त्रार्थ हुआ था। इस शास्त्रार्थ में सनातन धर्म वा पौराणिक मत के दो शीर्ष पण्डित स्वामी विशुद्धानन्द तथा […] Read more » Featured काशी काशी शास्त्रार्थ काशी शास्त्रार्थ और इसके दो शीर्ष विद्वानों का सौहार्द्र मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-३३ April 4, 2015 / April 7, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment पृथ्वी पर हेमन्त ऋतु का आगमन हो चुका था। कास के श्वेत पुष्पों से धरा आच्छादित थी। प्रभात होते ही हरसिंगार के श्वेत-पीले पुष्प धरती पर गिर जाते थे। ऐसा प्रतीत होता था कि वृन्दावन की धरती पर श्वेत-पीले गलीचे बीछ गए हों। ग्रीष्म की तेज धूप और शिशिर की लगातार वृष्टि के बाद हेमन्त […] Read more » यशोदानंदन विपिन किशोर सिन्हा
धर्म-अध्यात्म हनुमान जी के प्रेरणादायक जीवन के अनुरूप स्वयं का जीवन बनायें April 4, 2015 / April 7, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment हनुमान जयन्ती के आज के दिन हनुमान जी के जीवन पर दृष्टिपात कर तथा उसमें अपने जीवन को उन्नत व सफलता प्रदान करने वाली घटनाओं को जानकर उनको आचरण में लाने की आवश्यकता है। वेदज्ञ बालब्रह्मचारी हनुमान जी राजा सुग्रीव के मंत्री थे। राजा सुग्रीव महाबलि राजा बाली के छोटे भाई थे। दोनों में मतभेद […] Read more » 4 अप्रैल को हनुमान जयन्ती Featured hanuman hanuman jayanti मनमोहन कुमार आर्य हनुमान जी हनुमान जी के प्रेरणादायक जीवन के अनुरूप स्वयं का जीवन बनायें
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-३२ April 3, 2015 / April 4, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment राधा का गोरा मुखमंडल लज्जासे आरक्त हो उठा। मन में असमंजस के भाव उठ रहे थे – एक अपरिचित छोरे को अपना परिचय दें, या न दें। परन्तु वह भी समझ नहीं पा रही थी। उस अपरिचित छोरे का मुखमंडल और मधुर स्वर चिर परिचित जैसा क्यों लग रहा था? एक बार पुनः वह मुड़ी। […] Read more » Featured Krishna radha यशोदानंदन विपिन किशोर सिंहा
धर्म-अध्यात्म ईश्वरीय ज्ञान वेद के पुनरूद्धारक, रक्षक व प्रचारक महर्षि दयानन्द April 3, 2015 / April 4, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment भारत का इतिहास संसार में सबसे प्राचीन है। भारत के पास महाभारत नामक इतिहास ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में वर्णित महाभारत युद्ध की काल गणना करने पर यह पांच सहस्र वर्षों से कुछ अधिक पूर्व हुआ सिद्ध होता है। महाभारत से पुराना ग्रन्थ वाल्मिीकि रामायण व इसमें वर्णित इतिहास है जिसकी गणना लाखों व […] Read more » Featured ईश्वरीय ज्ञान महर्षि दयानन्द वेद
धर्म-अध्यात्म अहिंसक धर्म के उद्घोषक भगवान महावीर April 1, 2015 / April 4, 2015 by मृत्युंजय दीक्षित | Leave a Comment भगवान महावीर का प्रादुर्भाव छठी शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था । जैन धर्मग्रन्थों के अनुसार भगवान महावीर 24 वें तीर्थंकर हैं, किन्तु जैन धर्म का सर्वाधिक विस्तार भगवान महावीर के समय में ही हुआ। महावीर का जन्म वज्जि राज्य संघ के अन्तर्गत ज्ञातृक गण में हुआ था। ज्ञातृक वर्ग के राजा सिद्धार्थ के वे […] Read more » Featured अहिंसक धर्म अहिंसक धर्म के उद्घोषक भगवान महावीर भगवान महावीर महावीर जयंती मृत्युंजय दीक्षित
धर्म-अध्यात्म भगवान महावीर जैन धर्म के संस्थापक नहीं April 1, 2015 / April 4, 2015 by प्रोफेसर महावीर सरन जैन | Leave a Comment बहुत से इतिहासकारों एवं विद्वानों ने भगवान महावीर को जैन धर्म का संस्थापक माना है। भगवान महावीर जैन धर्म के प्रवर्तक नहीं हैं। वे प्रवर्तमान काल के चौबीसवें तीर्थंकर हैं। जैन धर्म की भगवान महावीर के पूर्व जो परम्परा प्राप्त है, उसके वाचक निगंठ धम्म (निर्ग्रन्थ धर्म), आर्हत् धर्म एवं श्रमण परम्परा आदि रहे […] Read more » Featured जैन धर्म जैन धर्म के संस्थापक भगवान महावीर भगवान महावीर जैन धर्म के संस्थापक नहीं
चिंतन धर्म-अध्यात्म क्या वेद अपौरूषेय हो सकते हैं March 31, 2015 / April 4, 2015 by मनमोहन आर्य | 4 Comments on क्या वेद अपौरूषेय हो सकते हैं क्या वेद अपौरूषेय है? यदि हैं तो वेदों में ईश्वर ने स्वयं ही दिये ज्ञान में आदि ऋषियों व भावी मानव पीढि़यों से अपनी प्रशंसा क्यों कराई है? अपनी प्रशंसा करना व कराना मानवीय दोष माना जाता है। ईश्वर तो सबसे बड़ा व महान होने के कारण यदि ऐसा करता है तो यह उचित प्रतीत […] Read more » Featured अपनी प्रशंसा करना व कराना मानवीय दोष माना जाता है ईश्वर तो सबसे बड़ा व महान होने के कारण यदि ऐसा करता है तो यह उचित प्रतीत नहीं होता ईश्वर ने स्वयं ही दिये ज्ञान में आदि ऋषियों व भावी मानव पीढि़यों से अपनी प्रशंसा क्यों कराई क्या वेद अपौरूषेय है क्या वेद अपौरूषेय हो सकते हैं मनमोहन कुमार आर्य
जन-जागरण धर्म-अध्यात्म प्रवक्ता न्यूज़ वेदों का ज्ञान अपौरूषेय अर्थात् ईश्वर प्रदत्त हैः आचार्य धनंजय March 30, 2015 / April 4, 2015 by मनमोहन आर्य | 5 Comments on वेदों का ज्ञान अपौरूषेय अर्थात् ईश्वर प्रदत्त हैः आचार्य धनंजय आर्यसमाज सुभाषनगर के वार्षिकोत्सव का आज सोत्साह समापन हुआ। आयोजन में पं. धर्मसिंह ने अपनी भजन मण्डली सहित प्रभावशाली भजन प्रस्तुत किये जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया। प्रातःकाल डा. आचार्य धनंजय आर्य के ब्रह्मत्व में बृहद यज्ञ सम्पन्न हुआ जिसमें वेदपाठ और मंत्रोच्चार आर्यसमाज के पुरोहित श्री अमरनाथ एवं श्रीमद्दयानन्द आर्ष गुरूकुल, पौंधा, देहरादून के […] Read more » Featured मनमोहन कुमार आर्य वेदों का ज्ञान अपौरूषेय अर्थात् ईश्वर प्रदत्त है
खान-पान जन-जागरण धर्म-अध्यात्म समाज माता के दूध का ऋण, सत्य धर्म की खोज व उसका पालन March 26, 2015 / March 26, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment अपार ब्रह्माण्ड का एक छोटा सा ग्रह यह पृथिवी लोक सर्वत्र मुनष्यों एवं अन्य प्राणियों से भरा हुआ है। मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जिसे परमात्मा ने बुद्धि तत्व दिया है जो ज्ञान का वाहक है। ईश्वर निष्पक्ष एवं सबका हितैषी है। इसी कारण उसने हिन्दू, मुसलमान व ईसाई आदि मतों के लोगों में किंचित […] Read more »
धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार आतंक के संदर्भ में राम की प्रासंगिकता March 26, 2015 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment दुनिया में बढ़ रहे आतंकवाद को लेकर अब जरूरी हो गया है कि इनके समूल विनाश के लिए भगवान राम जैसी सांगठनिक शक्ति और दृढंता दिखाई जाए। आतंक के संदर्भ में राम की प्रासंगिकता आज ज्यादा ही बढ़ गयी है. आतंकवादियों की मंशा दहशत के जरिए दुनिया को इस्लाम धर्म के बहाने एक रूप में […] Read more » आतंक के संदर्भ में राम की प्रासंगिकता प्रमोद भार्गव रामनवमी