धर्म-अध्यात्म “सुपात्रों को दान देने से ही दानकर्ता को जन्म-जन्मान्तर में अच्छे परिणाम मिलते हैं” December 4, 2018 / December 4, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हमारे शास्त्रों में दान की महिमा बताई गई है। मनुष्यों को अपना भविष्य सुधारने के लिये सुपात्रों को अवश्य दान करना चाहिये। यज्ञ के तीन अंग कहे जा सकते हैं। पहला देवपूजा, दूसरा संगतिकरण और तीसरा दान। यज्ञ में जड़ व चेतन दोनों प्रकार के देवताओं का यजन, पूजा, सत्कार व संगतिकरण […] Read more » अज्ञानता अन्धविश्वास असमानता ओषधियों कुरीतियां घृत यज्ञकुण्ड समिधा
धर्म-अध्यात्म “परमात्मा अवतार अर्थात् कभी जन्म नहीं लेताः पं. विद्यापति शास्त्री” December 4, 2018 / December 4, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आर्यसमाज धामावाला देहरादून का दिनांक 2-12-2018 का रविवारीय साप्ताहिक सत्संग सोल्लास सम्पन्न हुआ। प्रातः आर्यसमाज की यज्ञशाला में विद्वान पुरोहित पं. विद्यापति शास्त्री जी ने यज्ञ सम्पन्न कराया। यज्ञ के पश्चात का कार्यक्रम आर्यसमाज के भव्य सभागार में हुआ। सत्संग के आरम्भ में पं. विद्यापति शास्त्री जी ने पं. सत्यपाल पथिक रचित […] Read more » “परमात्मा अवतार अर्थात् कभी जन्म नहीं लेताः पं. विद्यापति शास्त्री” ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म “ब्रह्मसमाज की अवैदिक व अव्यवहारिक मान्यतायें और आर्यसमाज” December 3, 2018 / December 3, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, महर्षि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना सन् 1875 में मुम्बई में की थी। उन्होंने सन् 1863 से वेद व वैदिक मान्यताओं का प्रचार आरम्भ कर दिया था। वह वेद विरुद्ध मान्यताओं व सिद्धान्तों का खण्डन करते थे। उनका उद्देश्य असत्य को छोड़ना व छुड़ाना तथा सत्य को स्वीकार करना व कराना था। […] Read more » ‘ईसा’ ‘नानक’ और ‘चैतन्य’ ‘मुहम्मद’ ‘मूसा’ आर्यसमाज ऋषि दयानन्द प्राणीमात्र महर्षि दयानन्द राजा राममोहन राय सर्वजनहितकारी
धर्म-अध्यात्म “दूसरों की उन्नति में ही हमारी व देश समाज की उन्नति सम्भव है” December 3, 2018 by अभिलेख यादव | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, परमात्मा ने यह संसार जीवात्माओं के कर्म फल भोग और अपवर्ग अर्थात् मोक्ष प्राप्ति के लिये बनाया है। मनुष्य तथा सभी पशु-पक्षी आदि योनियों में सबका आत्मा एक जैसा है। सबको समान रूप से सुख व दुःख की अनुभूति होती है। सब जीवात्मायें अपने पूर्व जन्मों के कर्मानुसार भिन्न-भिन्न योनियों को प्राप्त […] Read more » अवतारवाद उपनिषद फलित ज्योतिष मनुस्मृति महाभारत मूर्तिपूजा मृतक श्राद्ध रामायण वेदानुकूल दर्शन
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द ने अवैदिक मतों की समीक्षा व खण्डन क्यों किया?” November 30, 2018 / November 30, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आर्यसमाज के संस्थापक ऋषि दयानन्द ने योगेश्वर श्री कृष्ण की जन्म भूमि मथुरा में स्वामी विरजानन्द सरस्वती जी से विद्या प्राप्त की थी। विद्या पूरी होने पर गुरु दक्षिणा के अवसर पर गुरु विरजानन्द जी ने स्वामी दयानन्द को वेद एवं ऋषियों के बनाये सद्ग्रन्थों का प्रचार और सद्ज्ञान विरुद्ध मिथ्या मतों, […] Read more » “ऋषि दयानन्द ने अवैदिक मतों की समीक्षा व खण्डन क्यों किया?” अर्थ धर्म बुद्धि मनुष्यों
धर्म-अध्यात्म “मनुष्य का कर्तव्य सृष्टि के अनादि पदार्थों के सत्यस्वरूप एवं अपने कर्तव्यों को जानना है” November 29, 2018 / November 29, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य जन्म लेकर माता-पिता व आचार्यों से विद्या ग्रहण करता है। विद्या का अर्थ है कि सृष्टि में विद्यमान अभौतिक व भौतिक पदार्थों के सत्यस्वरूप को यथार्थरूप में जानना और साथ ही अपने कर्तव्य कर्मों को जानकर उनका आचरण करना। संसार में मनुष्यों की जनसंख्या 7 अरब से अधिक बताई जाती है। […] Read more » अग्निहोत्र यज्ञ अजन्मा अनन्त उपासना दयालु धर्त्ता निराकार न्यायकारी माता पिता सब सृष्टि का कर्त्ता सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान् हर्त्ता
धर्म-अध्यात्म ‘नित्य पठनीय एवं आचरणीय सर्वतोमहान धर्मग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश’ November 28, 2018 / November 28, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, परमात्मा ने इस सृष्टि और मनुष्य आदि प्राणियों को बनाया है। परमात्मा, जीवात्मा और प्रकृति का अखिल विश्व में स्वतन्त्र अस्तित्व है। यह तीनों सत्तायें मौलिक, अनादि, नित्य, अनुत्पन्न, अविनाशी गुणों वाली हैं। परमात्मा ने यह सृष्टि जीवों के कर्मों के सुख व दुःख रूपी फल प्रदान करने के लिये बनाई है। […] Read more » ‘नित्य पठनीय एवं आचरणीय सर्वतोमहान धर्मग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश’ अध्ययन-अध्यापन अर्थ उपाय काम बन्धन भक्ष्य व अभक्ष्य मनुष्य धर्म मोक्ष शिक्षा
धर्म-अध्यात्म “पं. देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय संग्रहीत बंगला सामग्री के आधार पर ऋषि जीवन का अनुवाद व सम्पादन करने वाले विद्वान पं. घासीराम” November 26, 2018 / November 26, 2018 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on “पं. देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय संग्रहीत बंगला सामग्री के आधार पर ऋषि जीवन का अनुवाद व सम्पादन करने वाले विद्वान पं. घासीराम” मनमोहन कुमार आर्य, आर्यसमाज के संस्थापक ऋषि दयानन्द के जीवन विषयक इतिहास सामग्री के संग्रह में पं. लेखराम एवं पं. देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय का स्थान सर्वोपरि है। इन दोनों ऋषि भक्तों ने ऋषि दयानन्द के जीवन विषयक सामग्री का संग्रह कर उनके जो जीवन चरित्र लिखे हैं वह आर्यसमाज साहित्य में उच्च स्थान रखते हैं। यह […] Read more » ऋग्वेदादिभाष्य ऋषि दयानन्द घासीराम जी देवेन्द्र बाबू पं. उर्दू पद्यानुवाद
धर्म-अध्यात्म “महनीय विस्मृत जीवन अथर्ववेद भाष्यकार पं. क्षेमकरणदास त्रिवेदी” November 23, 2018 / November 23, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, वेद ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है जो सृष्टि के अनुकूल व ज्ञान-विज्ञान पर भी सत्य सिद्ध है। महाभारतकाल तक देश में ऋषियों की परम्परा विद्यमान रही जिससे सर्वत्र वेदों व उनके सत्य अर्थों का प्रचार था। महाभारत युद्ध के बाद देश व संसार में अज्ञान का अन्धकार फैल गया। लोगों में वेदों के […] Read more » “महनीय विस्मृत जीवन अथर्ववेद भाष्यकार पं. क्षेमकरणदास त्रिवेदी” अवतारवाद ऊंच-नीच छुआछूत पाषाण मूर्तिपूजा फलित ज्योतिष मृतक श्राद्ध
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द के एक जीवनीकार बाबू देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय” November 22, 2018 / November 22, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on “ऋषि दयानन्द के एक जीवनीकार बाबू देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय” मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) की अनुसंधानपूर्ण मौलिक जीवनी लेखकों में बंगाल निवासी बाबू देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय का नाम सम्मिलित है। आपने 10 वर्षों तक देश भर में घूम कर ऋषि जीवन की सामग्री का संग्रह किया था। उन्होंने ही ऋषि दयानन्द के जन्म स्थान टंकारा की खोज की और ऋषि दयानन्द के बाल्यकाल […] Read more » ‘आर्य लेखक कोश “ऋषि दयानन्द के एक जीवनीकार बाबू देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय” आर्यसमाजी महर्षि दयानन्द सरस्वती मैसर्स विजयकुमार गोविन्दराम हासानन्द
धर्म-अध्यात्म ‘भारत में उत्पन्न सब लोगों को देश की उन्नति तन, मन व धन से करनी चाहिये’ November 21, 2018 / November 21, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, हम बहुधा देखते कि कुछ स्वदेशवासियों व संस्थाओं में स्वदेश भक्ति कम है अथवा नहीं है। देश और मातृभूमि को सबसे ऊंचा व बड़ा नहीं माना जाता। ऐसे भी लोग हैं जो विदेशी मत-मतान्तरों व उनके अनुसार जीवन जीने में ही अपने को गौरवान्वित अनुभव करते हैं। ऐसे लोगों का आचार, विचार […] Read more » आर्याभिविनय उपनिषद ऋग्वेदादिभाष्य दर्शन प्रक्षेपरहित वेद सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द लिखित राजा भोज के जीवन की कुछ विशेष बातें” November 20, 2018 / November 20, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, महर्षि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) जी ने अपने विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश के ग्यारहवें समुल्लास में राजा भोज (1010-1055) के समय पुराणों की रचना एवं महाभारत व इसके प्रक्षेपों की चर्चा की है। उन्होंने राजा भोज के समय में विद्यमान कुछ वैज्ञानिक आविष्कारों व उपकरणों का भी उल्लेख किया है। ऋषि दयानन्द वेद, […] Read more » अन्धविश्वासों ऋषि दयानन्द वेद भेदभाव महर्षि दयानन्द सरस्वती मिथ्यापूजा वैदिक विज्ञान वैदिक साहित्य सामाजिक