Category: धर्म-अध्यात्म

धर्म-अध्यात्म

“मनुष्य का कर्तव्य सृष्टि के अनादि पदार्थों के सत्यस्वरूप एवं अपने कर्तव्यों को जानना है”

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मनमोहन कुमार आर्य,  मनुष्य जन्म लेकर माता-पिता व आचार्यों से विद्या ग्रहण करता है। विद्या का अर्थ है कि सृष्टि में विद्यमान अभौतिक व भौतिक पदार्थों के सत्यस्वरूप को यथार्थरूप में जानना और साथ ही अपने कर्तव्य कर्मों को जानकर उनका आचरण करना। संसार में मनुष्यों की जनसंख्या 7 अरब से अधिक बताई जाती है। […]

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‘नित्य पठनीय एवं आचरणीय सर्वतोमहान धर्मग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश’

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मनमोहन कुमार आर्य,  परमात्मा ने इस सृष्टि और मनुष्य आदि प्राणियों को बनाया है। परमात्मा, जीवात्मा और प्रकृति का अखिल विश्व में स्वतन्त्र अस्तित्व है। यह तीनों सत्तायें मौलिक, अनादि, नित्य, अनुत्पन्न, अविनाशी गुणों वाली हैं। परमात्मा ने यह सृष्टि जीवों के कर्मों के सुख व दुःख रूपी फल प्रदान करने के लिये बनाई है। […]

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“पं. देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय संग्रहीत बंगला सामग्री के आधार पर ऋषि जीवन का अनुवाद व सम्पादन करने वाले विद्वान पं. घासीराम”

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मनमोहन कुमार आर्य,  आर्यसमाज के संस्थापक ऋषि दयानन्द के जीवन विषयक इतिहास सामग्री के संग्रह में पं. लेखराम एवं पं. देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय का स्थान सर्वोपरि है। इन दोनों ऋषि भक्तों ने ऋषि दयानन्द के जीवन विषयक सामग्री का संग्रह कर उनके जो जीवन चरित्र लिखे हैं वह आर्यसमाज साहित्य में उच्च स्थान रखते हैं। यह […]

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“ऋषि दयानन्द के एक जीवनीकार बाबू देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय”

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मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) की अनुसंधानपूर्ण मौलिक जीवनी लेखकों में बंगाल निवासी बाबू देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय का नाम सम्मिलित है। आपने 10 वर्षों तक देश भर में घूम कर ऋषि जीवन की सामग्री का संग्रह किया था। उन्होंने ही ऋषि दयानन्द के जन्म स्थान टंकारा की खोज की और ऋषि दयानन्द के बाल्यकाल […]

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