धर्म-अध्यात्म “आध्यात्मिकता रहित भौतिक सुखों से युक्त जीवन अधूरा व हानिकारक है” September 28, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on “आध्यात्मिकता रहित भौतिक सुखों से युक्त जीवन अधूरा व हानिकारक है” मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य मननशील प्राणी है। मनुष्य अन्नादि से बना भौतिक शरीर मात्र नहीं है अपितु इसमें एक अनादि, नित्य, अविनाशी, अमर, अल्पज्ञ, जन्म-मरण धर्मा, शुभाशुभ कर्मों का कर्ता व भोक्ता जीवात्मा भी है जो इस शरीर का स्वामी है। आश्चर्य है कि अधिकांश शिक्षित व भौतिक विज्ञानी भी अपनी आत्मा के स्वरूप व […] Read more » ईश्वर धार्मिक राजधर्म सच्चिदानन्दस्वरूप सर्वव्यापक सामाजिक
धर्म-अध्यात्म “वेदमार्ग ही मनुष्य को ईश्वर, जीवात्मा व संसार का ज्ञान कराकर मोक्ष में प्रवृत्त कराता है” September 27, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, संसार में मुख्यतः दो प्रकार की जीवन शैली एवं संस्कृतियां हैं। एक त्याग की ओर प्रवृत्त करती हैं तो दूसरी भोग की ओर। वैदिक धर्म व संस्कृति मनुष्य को त्यागपूर्वक जीवन व्यतीत करने का सन्देश देती है। पाश्चात्य एवं अन्य विदेशी संस्कृतियां प्रायः अपने अनुयायियों को भोग करने का संकेत देती हैं। […] Read more » अजर अनादि अमर अविनाशी आत्मा आत्मोन्नति जन्म-मरण धर्मा नित्य पुनर्जन्म पूर्वजन्म शाश्वत् सनातन ससीम
धर्म-अध्यात्म “मनुष्य वही है जो सदा सत्य का आचरण करता है” September 26, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य क्या वास्तव में मनुष्य है? यह प्रश्न इसलिये करना पड़ रहा है कि किसी देश व समाज के जो नियम होते हैं, उनका वर्तमान समय में पालन देखने को नहीं मिल रहा है। वैदिक शिक्षा है कि मनुष्य को सत्य बोलना चाहिये तथा असत्य नहीं बोलना चाहिये। सत्य बोलना धर्म के […] Read more » ईश्वर देश मनुष्य सत्य समाज व न्यायालय
धर्म-अध्यात्म “अग्निहोत्र-यज्ञ क्यों करें?” September 25, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा ने चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य व अंगिरा को वेदों का भाषा व उनके अर्थ सहित ज्ञान दिया था। वेदों में यज्ञ करने का विधान है जिसके आधार पर महर्षि दयानन्द जी ने यज्ञ की पूर्ण विधि पंचमहायज्ञ विधि सहित संस्कार विधि में दी है। यज्ञ क्यों […] Read more » “अग्निहोत्र-यज्ञ क्यों करें?” ऋषि दयानन्द महर्षि दयानन्द माता पिता
धर्म-अध्यात्म समाज -आर्यसमाज धामावाला, देहरादून का साप्ताहिक सत्संग-“माता-पिता व पितरों की सेवा से सन्तानों द्वारा उनका ऋण चुकता होता है : आचार्य वीरेन्द्र शास्त्री” September 24, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आर्यसमाज, धामावाला, देहरादून सन् 1879 में महर्षि दयानन्द जी द्वारा स्थापित आर्यसमाज है जहां उन्होंने विश्व में पहली बार एक मुस्लिम मत के बन्धु मोहम्मद उमर व उसके परिवार को उसकी इच्छानुसार वैदिक धर्म में दीक्षित कर उसे अलखधारी नाम दिया था। आज रविवार के सत्संग में यहां आरम्भ में अग्निहोत्र हुआ […] Read more » आचार्य वीरेन्द्र शास्त्री जी आर्यसमाज ईश्वर याज्ञवल्क्य श्राद्ध श्री वीरेन्द्र शास्त्री
धर्म-अध्यात्म -वैदिक साधन आश्रम तपोवन का परिचय, कार्य एवं कुछ अन्य जानकारियां-‘वैदिक साधन आश्रम तपोवन का 5 दिवसीय शरदुत्सव आगामी 3 अक्तूबर 2018 से आरम्भ हो रहा है’ September 22, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हम विगत कुछ वर्षों से वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून की गतिविधियों मुख्यतः इसके शरदुत्सव तथा ग्रीष्मोत्सवों में आयोजित कार्यक्रमों व प्रवचनों आदि से अपने पाठक मित्रों को जानकारी देते हैं। रहे आश्रम का सौभाग्य है कि यहां स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती एवं आचार्य आशीष दर्शनाचार्य जी निवास करते हैं। इसके प्रधान श्री […] Read more » आर्यसमाज हिण्डोन सिटी ईश्वर व वेद ऋषि उद्यान अजमेर गुरुकुल गौतमनगर गुरुकुल पौंधा टंकारा
धर्म-अध्यात्म “क्या हमें अपना व अपने अतीत और भविष्य का पता है?” September 21, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हम इस जन्म में मनुष्य योनि में उत्पन्न हुए हैं। हम क्या हैं, यह अधिकांश मनुष्यों को ज्ञात नहीं है। कारण यह है कि न तो हमारे माता-पिता और न ही हमारे स्कूलों के आचार्य ही जानते हैं कि मनुष्य की आत्मा का स्वरूप क्या है? स्कूलों में हमें यह विषय पढ़ाया […] Read more » अध्ययन अन्तहीन अमर अविनाशी जन्म चिन्तन ज्ञान नित्य मनन लेखन विचार विद्वानों की संगति
धर्म-अध्यात्म “सृष्टि को बनाने व पालन करने वाला ईश्वर कैसा है?” September 19, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हम इस संसार में उत्पन्न हुए और जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जन्म के समय हमने जब पहली बार आंखे खोली तो हमें अपनी माता, कुछ अन्य लोग व पिता के दर्शन हुए थे। तब हम कुछ जानते व समझते नहीं थे। कुछ समय बाद जब हमें घर से बाहर लाया गया […] Read more » चिन्तन-मनन ध्यान यज्ञ सन्ध्योपासना स्वाध्याय
धर्म-अध्यात्म ‘दिल्ली के पूर्व पुलिस डिपूटी कमिश्नर ऋषिभक्त श्री ज्ञानेन्द्र अवाना का गुरुकुल पौंधा का भ्रमण एवं ब्रह्मचारियों को सम्बोधन’ September 18, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on ‘दिल्ली के पूर्व पुलिस डिपूटी कमिश्नर ऋषिभक्त श्री ज्ञानेन्द्र अवाना का गुरुकुल पौंधा का भ्रमण एवं ब्रह्मचारियों को सम्बोधन’ मनमोहन कुमार आर्य, कल हमारी ऋषिभक्त श्री ज्ञानेन्द्र अवाना जी से देहरादून के प्रसिद्ध गुरुकुल में भेंट हुई। श्री ज्ञानेन्द्र जी दिल्ली पुलिस विभाग में डिपूटी कमिश्नर रहे हैं। वह 1 अगस्त, 2018 को वह सेवानिवृत हुए। कल फेसबुक पर उनका मैसेज मिला की वह देहरादून में हैं और मिलना चाहते हैं। सायं चार बजे […] Read more » आचार्य धनंजय डाॅ. धनंजय बायोमेट्रिक महर्षि दयानन्द सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म ‘ईश्वर की उपासना से लाभ’ September 17, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य को ईश्वर की उपासना करनी चाहिये अथवा नहीं? जो मनुष्य वैदिक परम्पराओं से दूर हैं और पढ़े-लिखे नास्तिकों के सम्पर्क में रहते हंै वह तो वैदिक विद्वानों के न तो तर्कों को सुनते हैं और न ही उनमें सत्यासत्य की परीक्षा करने की योग्यता होती है। जो सज्जन मनुष्य होता है, […] Read more » ‘ईश्वर की उपासना से लाभ’ अनुत्पन्न अमर ऋषि दयानन्द जीवात्मा अनादि नित्य महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म ‘मनुष्यादि समस्त प्राणि ईश्वर का अपना परिवार’ September 17, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हम संसार में मनुष्य व पशु-पक्षी आदि अनेकानेक जीव-जन्तुओं को देखते हैं। इन सब प्राणियों में मनुष्यों की ही भांति एक-एक जीव अर्थात् चेतन सत्ता विद्यमान है। मनुष्य की गणना की अपनी सीमायें हैं। एक सीमा तक तो मनुष्य गणना कर सकते हैं परन्तु उसके बाद गणना तो हो सकती है परन्तु […] Read more » एकदेशी करूणा दया प्रेम मनुष्य अल्पज्ञ सुख-दुख स्नेह
धर्म-अध्यात्म ‘सत्यार्थ प्रकाश के प्रचार में शिथिलतायें दूर होनी चाहियें’ September 14, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, महर्षि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश एक ऐसा ग्रन्थ रचा है जो ‘भूतो न भविष्यति’ कथन को सार्थक सिद्ध करता है। ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना की थी जिसका उद्देश्य वेदों का प्रचार व प्रसार करना था। सत्यार्थप्रकाश वेदों के प्रचार व प्रसार का सबसे अधिक सशक्त माध्यम है। सत्यार्थप्रकाश का प्रचार और […] Read more » ईश्वर ऋग्वेदादिभाष्य ऋषि दयानन्द जीवात्मा सत्यार्थप्रकाश