धर्म-अध्यात्म ईश्वर के अनेक नाम क्यों? March 31, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर एक है परन्तु उसके नाम अनेक हैं। इसका कारण क्या है? वेदों के विद्वान तो इस रहस्य को जानते हैं परन्तु सामान्य मनुष्य इसे नहीं जानता। मत-मतान्तरों के अधिकांश व अनेक विद्वान भी इस विषय पर यथार्थ ज्ञान नहीं रखते। इस कारण उनके भक्तों व अनुयायियों में भी भ्रम वा […] Read more » God ईश्वर
धर्म-अध्यात्म वेदों की देन है सत्य और अहिंसा का सिद्धान्त March 30, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आजकल सत्य और अहिंसा की बात बहुत की जाती है। वस्तुतः सत्य और अहिंसा क्या है और इनका उद्गम स्थल कहां हैं? इसका उत्तर है कि इन शब्दों का उद्गम स्थल वेद और समस्त वैदिक साहित्य है । वेद वह ग्रन्थ हैं जो सृष्टि की आदि में ईश्वर से मनुष्यों को प्राप्त […] Read more » The principle of truth and non-violence is the responsibility of the Vedas. सत्य और अहिंसा
धर्म-अध्यात्म वैदिक समाज व्यवस्था में शूद्र वर्ण के कर्तव्य एवं अधिकार March 29, 2018 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on वैदिक समाज व्यवस्था में शूद्र वर्ण के कर्तव्य एवं अधिकार मनमोहन कुमार आर्य वैदिक समाज व्यवस्था को वैदिक वर्ण व्यवस्था के नाम से जाना जाता है। वर्ण का अर्थ चुनना या चयन करना होता है। ब्राहमण आदि श्रेष्ठ वर्णों का चयन मनुष्य को अपने गुण, कर्म व स्वभाव सहित अपनी योग्यता के अनुसार ही करना होता है। सभी मनुष्य विद्यालय जाते हैं। एक कक्षा में […] Read more » Featured वैदिक समाज व्यवस्था शूद्र वर्ण शूद्र वर्ण के अधिकार शूद्र वर्ण के कर्तव्य
धर्म-अध्यात्म हनुमान चमत्कारी ही नहीं, योगी भी हैं March 27, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment हनुमान जयन्ती- 31 मार्च 2018 पर विशेष – ललित गर्ग – भगवान हनुमानजी इस कलियुग में महान शक्ति हैं, सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले इष्ट हैं, जो अष्ट सिद्धि और नव निधि के देने वाले हैं। इसलिए उनकी विश्वासपूर्वक जो पूजा करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। उनको हिन्दू देवताआंे में सबसे शक्तिशाली […] Read more » Featured हनुमान जयन्ती हनुमान जयन्ती- 31 मार्च 2018
धर्म-अध्यात्म वैदिक साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ पुरुषार्थ प्रकाश March 27, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य, वैदिक आर्य साहित्य में ‘पुरुषार्थ प्रकाश’ ग्रन्थ का अपना महत्व है। यह ग्रन्थ श्री स्वामी विश्वेश्वरानन्द जी और श्री ब्र. नित्यानन्द जी ने सन् 1914 से पूर्व कभी लिखा था। स्वामी विश्वेश्वरानन्द जी और ब्र. नित्यानन्द जी ने यह ग्रन्थ शाहपुराधीश महाराज नाहरसिंह जी की प्रेरणा से लिखा था। इसका […] Read more » Purushartha Prakash पुरुषार्थ प्रकाश” महत्वपूर्ण ग्रन्थ वैदिक साहित्य
धर्म-अध्यात्म रामराज: आधुनिक भारत की सर्वोपरि आवश्यकता March 26, 2018 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट. ये वाक्य न जानें कहनें वाले ने किन अर्थों में किस आव्हान को करते हुए कहा था किन्तु वर्तमान भारत में यह आव्हान चरितार्थ और सुफलित होता दिखाई पड़ रहा है. तथ्य है कि भारत में जब यहाँ के एक सौ तीस करोड़ लोग बात करतें […] Read more » Featured Ramraj The Most Important Need of Modern India रामराज
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज की स्थापना एवं वेद प्रचार एक दैवीय एवं पुण्य कार्य March 22, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हम ऋषि दयानन्द सरस्वती द्वारा चैत्र शुक्ल पंचमी संवत् 1932 को आर्यसमाज की स्थापना के कार्य को एक दैवीय एवं पुण्य कार्य मानते हैं। इसका कारण यह है कि ऋषि दयानन्द जी का यह कार्य भी हमें सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर द्वारा वेदोत्पत्ति […] Read more » and propagation of Vedas is a divine and virtuous work Establishment of Aryasamaj आर्यसमाज
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज की स्थापना तिथि चैत्र शुक्ल पंचमी है March 21, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आर्यसमाज की स्थापना कब अर्थात् किस दिन हुई थी? इससे सम्बन्धित प्रमाण ऋषि की अपनी लेखनी से लिखा हुआ ही उपलब्ध है। यह प्रमाण ऋषि का वह पत्र है जो उन्होंने 11 अप्रैल, सन् 1875 अर्थात् संवत् 1931 मिती चैत्र शुद्ध 6 रविवार को अपने एक भक्त व अनुयायी श्रीयुत गोपालराव हरि […] Read more » आर्यसमाज आर्यसमाज की स्थापना तिथि चैत्र शुक्ल पंचमी
धर्म-अध्यात्म सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर ने ही वेद के द्वारा मनुष्यों को वाणी एवं ज्ञान दिया March 17, 2018 / March 17, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हमारा आज का संसार 1.96 अरब वर्ष पूर्व तब अस्तित्व में आया था जब सृष्टिकर्ता परमात्मा ने इस सृष्टि में प्रथमवार अमैथुनी सृष्टि में मनुष्यों को उत्पन्न किया था। मनुष्यों की उत्पत्ति से पूर्व परमात्मा अन्न, ओषधियां और वनस्पतियां तथा अन्य प्राणियों को उत्पन्न कर चुके थे। सर्वत्र शुद्ध वायु व […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म ईश्वर सबसे महान है, उससे महान न कोई है और न कभी होगा March 16, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य सबसे बड़े व गुण, कर्म, स्वभाव आदि में सबसे श्रेष्ठ को ‘‘महान्” कहते हैं। ऐसी सत्ता यदि कोई है तो वह केवल ईश्वर ही है। ऐसा कौन सा गुण है जिसकी ईश्वर में पराकाष्ठा न हो? अर्थात् ऐसा कोई गुण नहीं है जो ईश्वर में न हो। ईश्वर सर्वज्ञ है और साथ […] Read more » Featured God God is great ईश्वर सबसे महान
धर्म-अध्यात्म इस सृष्टि की रचना करने वाला सर्वव्यापक ईश्वर हम सबका सच्चा मित्र व संसार का स्वामी है March 15, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हम इस संसार में रह रहे हैं जो हमें अपने जन्म से पूर्व से बना बनाया प्राप्त हुआ है। हमें कुछ करना नहीं पड़ा। पुरातन काल से चल रही व्यवस्था के अनुसार हमें माता-पिता का संरक्षण प्राप्त हुआ। उन्होंने एक शिशु के रूप में हमें प्राप्त कर हमारा पालन करते हुए […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म ईश्वर विश्व के मनुष्यादि सभी प्राणियों का महानतम न्यायधीश है March 14, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य इस संसार में तीन शाश्वत सत्तायें हैं जिनके नाम हैं ईश्वर, जीव व प्रकृति। ईश्वर एक सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वव्यापक, सर्वज्ञ, अनादि, अजन्मा, नित्य, अविनाशी, अमर, सृष्टिकर्ता व जीवात्माओं को उनके कर्मानुसार जन्म-मरण आदि के द्वारा भोग अर्थात् सुख व दुःख प्रदान करने वाली निष्पक्ष, सक्षम, न्याय करने वाली व उसका पूर्ण रूप से […] Read more » God is the Supreme Judge ईश्वर