आर्थिकी गरीबी का इलाज मुट्ठी भर दाना नही है। September 11, 2013 by जावेद उस्मानी | Leave a Comment जावेद उस्मानी भूख और गरीबी राष्ट्रीय चिंता का विषय है। इस बीमारी से मुक्ति के लिए लंबे अर्से से प्रयास जारी है लेकिन जमीनी उपायों के अभाव में यह समस्या मंहगार्इ की तरह दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। भूख एक अति संवेदनशील मसला है जिसके मूल में गरीबी है। […] Read more » गरीबी का इलाज मुट्ठी भर दाना नही है।
आर्थिकी राजनीति कोलगेट गलत नहीं तो फार्इलें गुम क्यों हुर्इं ? September 11, 2013 / September 11, 2013 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव संसद में प्रधानमंत्री डा. मनमोहनसिंह ने ऐसा कुछ कहा ही नहीं जिससे संतुष्ट हुआ जाये। यदि कोयला घोटाले में कुछ गलत नहीं हुआ है तो फार्इलें गुम क्यों हुर्इं ? जाहिर है गायब हुर्इ फार्इलों में कुछ तो ऐसे रहस्य दर्ज हैं जिनके उजागर होने से सरकार में शामिल प्रधानमंत्री से लेकर अन्य […] Read more » कोलगेट गलत नहीं तो फार्इलें गुम क्यों हुर्इं ?
आर्थिकी देश पर आर्थिक संकट…. कैसे निकलें? September 7, 2013 by बीनू भटनागर | 1 Comment on देश पर आर्थिक संकट…. कैसे निकलें? देश की कठिन आर्थिक स्थिति और लगातार कमज़ोर होता रुपया भारत वासियों के लियें चिन्ता का बहुत बड़ा कारण है। मौजूदा सरकार के भ्रष्टचार और घोटालों की वजह से उसकी साख पूरी तरह गिर चुकी है, अगामी चुनाव तक उसपर भरोसा करना हमारी मजबूरी है।विदेशों से काला धन वापिस आजाये तो यह समस्या सुलझ सकती […] Read more » देश पर आर्थिक संकट.... कैसे निकलें?
आर्थिकी अविलम्ब बंद हो तेल के दुरुपयोग का खेल September 7, 2013 by मिलन सिन्हा | 1 Comment on अविलम्ब बंद हो तेल के दुरुपयोग का खेल मिलन सिन्हा डीजल और पेट्रोल के कीमतें निरंतर बढ़ रहीं हैं। रुपये के गिरते मूल्य के कारण खुदरा बाजार में […] Read more »
आर्थिकी रुपये का गिरना : कितना सच, कितना झूठ September 2, 2013 by जगत मोहन | 2 Comments on रुपये का गिरना : कितना सच, कितना झूठ सरकार कंगाल और उधोगपति मालामाल चारों तरफ शोर मचा है रुपया गिर गया। लेकिन क्या वास्तव में रुपया गिर गया है? अगर यह रुपया गिरा है तो किसके लिये गिरा है? क्या इसके बारे में आपको पता है? यदि हाँ, तो क्या जो लोग रुपये के गिरने के कारण बने है उन पर कोर्इ कार्रवार्इ […] Read more » रुपये का गिरना
आर्थिकी धरातल पर आया खाध सुरक्षा कानून September 2, 2013 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव लंबे इंतजार के बाद लोकसभा में पारित होने के बाद सबकी भूख मिटाने का कानून धरातल पर आ गया है। आगे आने वाली अड़चने भी दूर हो जाएगीं। लेकिन अब कांग्रेस के लिए इस महत्वाकांक्षी विधेयक को ठीक से अमल में लाना बड़ी जिम्मेबारी है। अन्यथा इसका हश्र भी शिक्षा अधिकार कानून […] Read more » धरातल पर आया खाध सुरक्षा कानून
आर्थिकी रुपये के अवमूल्यन के पीछे लूट और कूनीति की कहानी August 26, 2013 by विकास कुमार गुप्ता | 2 Comments on रुपये के अवमूल्यन के पीछे लूट और कूनीति की कहानी मौर्य काल के लिए दुःख व्यक्त करते हुए ग्रीक इतिहासकार प्लिनी ने कहा था, ”ऐसा कोई वर्ष नहीं बीतता था जिसमें भारत रोमन राजकोष से दस करोण सेसोस्टियर (रोमन सिक्का) न खींच लेता हो। ऐसा नहीं है कि भारत सिर्फ रोमन से ही मुद्रा कमाता रहा हो, विश्व के अन्य हिस्सों से भी भारत कमाता […] Read more »
आर्थिकी ऋण कृत्वा घृतं पीबेत । August 12, 2013 / August 12, 2013 by जावेद उस्मानी | Leave a Comment जावेद उस्मानी ‘यावज्जजीवेत सुखं जीवेत ऋण कृत्वा घृतं पीबेत । भस्मी भूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुत:”। ‘जब तक जियो सुख से जियो कर्ज लेकर घी पियो शरीर भस्म हो जाने के बाद वापस नही आता है।‘– चार्वाक कर्ज लेकर घी पीने की उकित मशहूर है। सदियो पुराना भोगवादी चार्वाक दर्शन आज आर्थिक नीतियो की […] Read more » ऋण कृत्वा घृतं पीबेत
आर्थिकी महंगाई की चक्की में पीस रहा गरीब August 2, 2013 / August 2, 2013 by विकास कुमार गुप्ता | 1 Comment on महंगाई की चक्की में पीस रहा गरीब विकास कुमार गुप्ता महंगाई दिन-दुनी रात-चैगुनी बढ़ रही है। दूकानों पर एकाएक महंगाई देवता पधार गये। महंगाई अपने नये-नये आयामों को लांघ रहा है। पहले खाद्य तेलें महंगी हुई थी। परती जमीन, फ्लैट, मोबाईल इंटरनेट पर बात करना महंगा हुआ। आये दिन महंगाई बढ़ती ही जा रही है। आजादी पश्चात 90 के दशक से शुरु हुये […] Read more » महंगाई की चक्की में पीस रहा गरीब
आर्थिकी आंकड़ों की जुबानी आंकड़ों का सच July 31, 2013 / July 31, 2013 by राजेश कश्यप | Leave a Comment राजेश कश्यप भारत सरकार ने एक बार फिर गरीबी के नये अप्रत्याशित आंकड़े पेश किए हैं और दावा किया है कि गरीबी 15 फीसदी कम हो गई है और अब गरीब घटकर मात्र 22 प्रतिशत रह गये हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1973-74 में कुल 54.4 प्रतिशत, वर्ष 1977-78 में 51.3 प्रतिशत, वर्ष 1983 […] Read more » आंकड़ों की जुबानी आंकड़ों का सच
आर्थिकी गरीबी को चिढ़ाते आंकड़े July 31, 2013 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भ -योजना आयोग का दावा – प्रमोद भार्गव यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सप्रंग सरकार बीते साढ़े नौ साल में भी गरीबी की रेखा तय नहीं कर पार्इ। इसके विपरीत वह आंकड़ों की बाजीगरी दिखाकर गरीबी घटाकर गरीबों का उपहास जरूर करने में लगी है। योजना आयोग ने दावा किया है कि शहरी गरीब 33.33 और […] Read more » गरीबी को चिढ़ाते आंकड़े
आर्थिकी पूंजी निवेश का उतरता ज्वार July 29, 2013 / July 29, 2013 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव भारत में प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश का ज्वार उतार पर है। इस स्थिति को इस अर्थ में ले सकते है कि प्राकृतिक संपदा के अंधाधुंध दोहन बनाम लूट पर आधारित उदारवादी अर्थव्यस्था का मांडल लड़खड़ाने लगा है और अब इसमें पूंजी निवेश जैसे झटका उपचारों से सिथरता आने वाली नहीं है। क्योंकि निजीकरण […] Read more » पूंजी निवेश का उतरता ज्वार