आर्थिकी सियासत का नकद सब्सिडी हथियार – अरविंद जयतिलक November 14, 2012 by अरविंद जयतिलक | Leave a Comment घपले-घोटालों के चक्रव्यूह में फंसी केंद्र सरकार अपनी सियासी सेहत सुधारने की अचूक औषधि ढूंढ ली है। वह है नकद सब्सिडी योजना। यानी इस योजना के मुताबिक यूपीए सरकार नकद सब्सिडी सीधे जरुरतमंदों के खाते में डालेगी और बदले में अपनी सियासी जमीन को मजबूत करेगी। सरकार की यह योजना सफल रही तो जरुरतमंदों को […] Read more » कैश सब्सिडी
आर्थिकी ‘गैर-बराबरी’ आखिर अर्थशास्त्र का मुद्दा बना November 3, 2012 / November 3, 2012 by अरुण माहेश्वरी | 2 Comments on ‘गैर-बराबरी’ आखिर अर्थशास्त्र का मुद्दा बना अरुण माहेश्वरी नवउदारवाद के लगभग चौथाई सदी के अनुभवों के बाद मुख्यधारा के राजनीतिक अर्थशास्त्र को बुद्ध के अभिनिष्क्रमण के ठीक पहले ‘दुख है’ के अभिज्ञान की तरह अब यह पता चला है कि दुनिया में ‘गैर-बराबरी है’, और, इस गैर-बराबरी से निपटे बिना मुक्ति नहीं, अर्थात लगातार घटती अवधि के आर्थिक-संकटों के आवर्त्तों में […] Read more » Economy
आर्थिकी औधोगिक चिंता बनाम भूमि अधिग्रहण October 26, 2012 / October 26, 2012 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव औधोगिक घरानों के व्यावसायिक हितों के लिए नए भूमि अधिग्रहण कानून के प्रारूप में एक बार फिर खेती किसानी से जुड़े लोगों के हितों को सूली पर चढ़ा दिया। जबकि हाल ही में केंद्र सरकार ने दिल्ली की और कूच कर रहे सत्यग्रहियों के साथ एक लिखित करारनामा करके भरोसा जताया था कि […] Read more » भूमि अधिग्रहण
आर्थिकी राजनीति क्या कारगर होगा जमीन के हक में समझौता ? October 19, 2012 / October 19, 2012 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भ :- केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश का सत्याग्रह के साथ करार । प्रमोद भार्गव महात्मा गांधी ने कहा था जब राज्य की शक्तियां देश के गरीब व वंचितो के हित साघने का काम न करें तो उसे नियंत्रित करने की क्षमता पैदा कर अहिंसक विरोघ किया जाना चाहिए। इसी विरोध का पर्याय था […] Read more » जयराम रमेश का सत्याग्रह
आर्थिकी राजनीति विदेशी पूंजी निवेश और संसदीय गरिमा ? October 9, 2012 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on विदेशी पूंजी निवेश और संसदीय गरिमा ? प्रमोद भार्गव खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष पूंजी निवेश के विरोध की परवाह न करते हुए केंद्र सरकार ने आर्थिक सुधारों के बहाने निवेश के नए दरवाजे भी पूंजीपतियों के लिए खोल दिए। कैबिनेट द्वारा लिए नए फैसलों के तहत बीमा क्षेत्र में एफडीआर्इ की सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दी गर्इ और पेंशन के क्षेत्र […] Read more » FDI
आर्थिकी माटी-मानुष के लिए एफडीआई का विरोध October 5, 2012 / October 5, 2012 by राजीव गुप्ता | 1 Comment on माटी-मानुष के लिए एफडीआई का विरोध राजीव गुप्ता तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी का वर्तमान केंद्र सरकार से समर्थन वापसी का निर्णय अपने आप में न केवल एक अभूतपूर्ण निर्णय था अपितु 1 अक्टूबर को दिल्ली की जंतर-मंतर पर उनके द्वारा की गयी रैली में उमड़ी भीड़ को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है आज भी उनके लिए माटी-मानुष कितना […] Read more » एफडीआई का विरोध
आर्थिकी विधि-कानून भारत के हर ‘संसाधन’ पर हक है मेरा! October 5, 2012 / October 5, 2012 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment अदालती फैसले को सही संदर्भ में समझने की जरूरत संजय द्विवेदी राष्ट्रपति की ओर से भेजे गए संदर्भ पत्र पर उच्चतम न्यायालय की राय को केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी अपनी विजय के रूप में प्रचारित करने में लगी है। जबकि यह मामले को आधा समझना है। ऐसी आधी-अधूरी समझ से ही संकट खड़े होते हैं। […] Read more » भारत के हर ‘संसाधन’ पर हक
आर्थिकी जनता क्लेश में, नेता विदेश में October 3, 2012 / October 3, 2012 by डॉ0 आशीष वशिष्ठ | Leave a Comment डॉ. आशीष वशिष्ठ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेश दौरों पर जनता की गाढ़ी कमाई के 1880 करोड़ रुपए खर्च होने का आरोप लगाकर देश की राजनीति को गरमा दिया है। असलियत चाहे जो भी हो लेकिन सोनिया पर फिजूलखर्ची का आरोप लगाकर नेताओं द्वारा जनता के पैसे […] Read more »
आर्थिकी संवैधानिक संस्थाओं पर हमलावार होती सरकार October 2, 2012 by डॉ0 आशीष वशिष्ठ | Leave a Comment डॉ. आशीष वशिष्ठ संवैधानिक संस्थाओं पर कांग्रेस नीत संप्रग सरकार का लगातार हमलावार होना और उसकी कार्यप्रणाली पर उंगली उठाना सरकार की नीति और नीयत को दर्शाता है। सरकार की उसकी दृष्टि में संविधान और संवैधानिक संस्थाओं के प्रति कितना सम्मान है। टू जी स्पेक्ट्रम से कोल ब्लाक आवंटन तक कैग की रिपोर्ट को सिरे […] Read more » कैग
आर्थिकी आर्थिक-सुधारों की राजनीती और बदहाल जन September 27, 2012 / September 27, 2012 by पियूष द्विवेदी 'भारत' | Leave a Comment पियुष द्विवेदी ‘भारत’ ममता बनर्जी द्वारा किराने में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नीतिगत मतभेद के चलते यूपीए-२ को नमस्कार करने के बाद, आर्थिक-सुधारों के निहितार्थ लिए गए अपने कुछ कड़े फैसलों पर जनविश्वास बहाली की प्रत्याशा में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा देश की जनता के प्रति जो बयान दिया गया, उससे सरकार को क्या नफा-नुकसान […] Read more » आर्थिक-सुधारों की राजनीती
आर्थिकी जब वरिष्ठ कांग्रेसी सांसद ने खुदरा में एफडीआई को राष्ट्र-विरोधी माना September 26, 2012 by लालकृष्ण आडवाणी | Leave a Comment लालकृष्ण आडवाणी एनडीए सरकार के समय एक बार खुदरा में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के (एफडीआई) मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस में तीखा वाद-विवाद हुआ। यह 16 दिसम्बर, 2002 की बात है। कांग्रेस के एक प्रमुख सांसद श्री प्रिय रंजन दासमुंशी ने इकनॉमिक्स टाइम्स में प्रकाशित खुदरा में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश सम्बन्धी एक लेख जिसमें कहा […] Read more »
आर्थिकी राजनीति आखिर क्या हैं पैसे पेड़ पर नहीं उगते के निहितार्थ ? September 24, 2012 / September 24, 2012 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी * अभावपूर्ण मध्यमवर्ग के लिए मनमोहनसिंह का उच्चवर्गीय, निर्मम व भावहीन भाषण * खाद के मूल्य, गरीबी, महंगाई, भ्रष्टाचार जैसे अनेक विषय क्यों दूर रहे मनमोहन सिंह के भाषण से!!! घोर, घनघोर भौतिकता की ओर तेजी से बढती इस दुनिया में भारत ही उन बचे देशों में प्रमुख है जहां भौतिकतावाद के स्थान […] Read more » adress of Manmohan singh to india