जन-जागरण उत्तर प्रदेश बनाम उल्टा प्रदेश August 10, 2011 / December 7, 2011 by सुरेन्द्र अग्निहोत्री | Leave a Comment सुरेन्द्र अग्निहोत्री देश का हृदय प्रदेश के रूप में पहचाने जाने वाला उत्तर प्रदेश कभी गंगा और यमुना और गोमती की चंचल लहरों के बीच उपजाऊ और औद्योगिक प्रदेश कें रूप में जाना जाता था। आजादी के 64 वर्ष के बाद जब हम लोकतान्ति्रत रूप से परिपक्वता की ओर है, लेकिन ऐसे समय में उत्तर […] Read more » uttar pradesh उत्तर प्रदेश
जन-जागरण सबसे बड़ा डंडा खुद का चरित्र है…..क़ानून नहीं August 7, 2011 / December 7, 2011 by राजीव थेप्रा | Leave a Comment राजीव थेप्रा हम रोज-ब-रोज तरह-तरह के अपराधों के बारे में पढ़ते हैं,सुनते हैं और साथ ही बड़े लोगों के अपराधों के बारे या अपराधियों को सज़ा देने के लिए तरह-तरह के आयोग या कमीशन बैठाए जाने के बारे सुना करते हैं,मगर बाद में यह भी देखते हैं कि दरअसल कुछ भी होता जाता नहीं है […] Read more » crime अपराधों
जन-जागरण बड़बोलापन छोड़ें बाबा रामदेव July 30, 2011 / December 7, 2011 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 7 Comments on बड़बोलापन छोड़ें बाबा रामदेव इसमे कोई दो मत नहीं हो सकते की बाबा रामदेव ने एक अभियान चलाकर भ्रष्टाचार के विरुद्ध खुला युद्ध छेड़ दिया है|इस कार्य में उन्हें देश के कोने कोने से समर्थन मिल रहा है|भ्रष्टाचार का नाग भारतीय सस्कृति,सामाजिक सरोकारों एवं मानव मूल्यों को डसने पर तुला हुआ है|बाबा रामदेव की पहल निश्चित ही भ्रष्टाचार उन्मूलन […] Read more » Baba Ramdev बाबा रामदेव
जन-जागरण अपनी हीं जमीं पर ज़ंग July 21, 2011 / December 8, 2011 by कुशल सचेती | Leave a Comment कुशल सचेती ” नाकाम खुफिया तंत्र, पिलपिला नेतृत्व, कमजोर राष्ट्र, लचर सुरक्षा व्यवस्था, आतंकवादियों के लिए साफ्ट टारगेट, सपनों की नगरी मुम्बई दहशत के साये में | ” देश की आर्थिक राजधानी को आंतकवादेयों ने जिस तरह निशाना बनाया और जिस तरह भारतीय सेना, नॉसेना और एनएसजी के कमांडो ने अपना आपरेशन किया, उससे स्पस्ट […] Read more » War अपनी जमीं ज़ंग
जन-जागरण सोशल ऑडिट बनाम मनरेगा July 19, 2011 / December 8, 2011 by सतीश सिंह | Leave a Comment सतीश सिंह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के तहत लटेरी तहसील के मुरवास गाँव में उजड़े जंगल को फिर से आबाद करने के लिए पेड़ लगाने का कार्य जोरशोर से चल रहा है। नाटू मियाँ, हलीम खान, वीरेन्द्र जैन, अखिलेश कुशवाहा जैसे भूमिहीन खेतिहर मजदूरों के घरों में खुशी का माहौल है। आखिर […] Read more » Manrega मनरेगा सोशल ऑडिट
जन-जागरण शिक्षा के अधिकार कानून की हकीकत July 17, 2011 / December 8, 2011 by महेश दत्त शर्मा | Leave a Comment महेश दत्त शर्मा शिक्षा किसी भी सभ्य समाज की मूलभूत आवश्यकता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि शिक्षा से समाज को सभ्य बनाया जा सकता है। शिक्षा समाज के विकास, आर्थिक उन्नति और सार्वभौमिक सम्मान के लिए एक आवश्यक घटक है। हर नागरिक का यह मौलिक अधिकार होना चाहिए कि उसे जीने […] Read more » Education अधिकार कानून शिक्षा हकीकत
जन-जागरण आरक्षण July 16, 2011 / December 8, 2011 by राजीव गुप्ता | 6 Comments on आरक्षण राजीव गुप्ता संविधान निर्माताओं ने बड़ी ही सूझबूझ एवं अपनी दूरदर्शिता का परिचय देते हुए संविधान की प्रस्तावना में ही सभी नागरिकों को सामान आधिकार देने की बात कही है , चाहे वह सामाजिक आधार हो , राजनीतिक आधार हो या फिर आर्थिक आधार ! वैसे भी हम सभी जानते है कि न्याय की बात […] Read more » Reservation आरक्षण
जन-जागरण आतंकवाद : आखिर सबक किससे लें ? July 15, 2011 / July 15, 2011 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on आतंकवाद : आखिर सबक किससे लें ? प्रमोद भार्गव मुंबई में ताजा श्रंखलाबद्ध आंतकी हमले के बाद जिस तरह से हमारे नेतृत्वकत्तार्ओं के अनर्गल बयानों की फेहरिश्त जारी हुई है, उससे जाहिर होता है कि वे जख्मों पर मरहम लगाने की बजाय नमक छिड़कने वाली बेदर्द दलीलें दे रहे हैं। इन दलीलों से सा्फ हो गया है कि हम उस अमेरिका से […] Read more » आतंकवाद आंतकी हमले
जन-जागरण तंबाकू की मौत न मरें! July 15, 2011 / December 8, 2011 by महेश दत्त शर्मा | 2 Comments on तंबाकू की मौत न मरें! महेश दत्त शर्मा काली स्याह रात में मि. कमल सोफे पर बैठे सिगरेटपर-सिगरेट पिए चले जा रहे हैं। उनके माथे पर चिंता की रेखाएँ खिंची हुई हैं। उनका मानना है कि सिगरेट पीने से दिमाग तेज काम करने लगता है, चिंताएँ मिट जाती हैं। बहुत से लोग ऐसा ही मानते हैं। लेकिन यहाँ तो उलटा […] Read more » Tobaco तंबाकू की मौत
जन-जागरण जर्जर व्यवस्था और बूढ़े गार्ड बाघों की कैसे रक्षा करे July 12, 2011 / December 9, 2011 by शादाब जाफर 'शादाब' | Leave a Comment जिस तरह से इन्सान बदल गया है ठीक उसी प्रकार से प्राकृति ने भी खुद को बदल लिया है। अब न तो वो गर्मी पडती है और न सर्दी। कोई मौसम कोई त्यौहार अब हमारे लिये उल्लास लेकर नही आता। आज सारे मौसम सारे त्यौहार पछताते से आते है और रस्म अदा कर बीत जाते […] Read more » Protection जर्जर व्यवस्था बाघों बूढ़े गार्ड रक्षा
जन-जागरण विश्व जंनसख्या दिवश पर- बढ्ती आबादी-बढ्ती मुसीबतें July 8, 2011 / December 9, 2011 by पुनीता सिंह | Leave a Comment १९८९ में संयुक्त राष्ट विकास कार्यक्रम के अंतर्गत विश्व की बढ्ती आबादी की पड्ताल करने के लिये विश्व ज़नसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत हुई।इसका मुख्य उद्देश्य विश्व भर के देशों को ज़नमत द्वारा यह स्पष्ट करना था कि कौन-कौन से देश आबादी को बढाने में सबसे ज्यादा आगे हैं और इससे विश्व भर को भारी […] Read more » World Population Day बढ्ती आबादी बढ्ती मुसीबतें विश्व जंनसख्या दिवश
जन-जागरण जिम के प्रति बढ़ता रूझान July 8, 2011 / December 9, 2011 by रहीम खान | Leave a Comment यह सर्वविदित है कि समय के साथ व्यक्ति की रूचिया भी परिवर्तित होती है। परिवर्तन एक शाश्वत सत्य भी है । हर चीच तब तक आकर्षक या लुभाती नही जब तक कि उसे सही रूप से तराशा ना जाये। यही कुछ इंसान के जिस्म के साथ भी है। कोई व्यक्ति तब तक फिट और अच्छा […] Read more » jim जिम रूझान