विश्ववार्ता जो मुसलमान इनको कहे वह मेरी नज़रों में इंसान नहीं है May 17, 2020 / May 17, 2020 by तनवीर जाफरी | 1 Comment on जो मुसलमान इनको कहे वह मेरी नज़रों में इंसान नहीं है तनवीर जाफ़री कोरोना वायरस ने पूरे विश्व के समक्ष अस्तित्व का संकट खड़ा कर दिया है। ख़ास तौर पर पिछले दिनों जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साफ़ शब्दों में चेतावनी दे दी कि संभव है कि कोरोना वायरस संसार से कभी ख़त्म ही ना हो,इसकी भयावहतः और भी पुख़्ता हो गयी। इस चेतावनी के आते ही विशेषज्ञों ने यह कहना शुरू कर दिया कि पूरी दुनिया में इस महामारी की वजह से मानसिक स्वास्थ का संकट भी पैदा हो जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानसिक स्वास्थ्य विभाग की एक अन्य रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र को एक और ख़तरनाक संकट को लेकर आगाह किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानसिक स्वास्थ्य विभाग की निदेशक के अनुसार इस समय पूरी दुनिया में छाया अकेलापन, भय, अनिश्चितता तथा आर्थिक रूप से होने वाली उथल-पुथल आदि बातें मनोवैज्ञानिक परेशानी का सबब बन सकती हैं.उन्होंने आगाह किया कि बच्चों, युवाओं यहां तक की स्वास्थ्य कर्मियों में भी मानसिक कमज़ोरी पाई जा सकती है। गोया मानव के समक्ष एक ऐसा प्रलय रुपी संकट आ चुका है कि बड़े से बड़े वैज्ञानिक,रणनीतिकार,शासक,प्रशास अफ़लातून सभी फ़िलहाल असहाय बने हुए है। स्वयंभू भगवान व उनके ईश्वर-अल्लाह के स्वयंभू एजेंट अपनी जानें बचाते फिर रहे हैं। बड़े बड़े ‘धर्मउद्योग ‘ ठप्प पड़े हुए हैं। इसी बीच महामारी की इस घड़ी में सड़कों पर इंसानियत का एक ऐसा जज़्बा उमड़ता दिखाई दे रहा है जो पहले कभी नहीं देखा गया। ग़रीब- अमीर हर शख़्स अपनी सामर्थ्य के अनुसार एक दूसरे की मदद करता नज़र आ रहा है। कोरोना से प्रभावित लगभग सभी देशों में सामुदायिक भोजनालय चल रहे हैं। जगह जगह रक्तदान शिविर लगाकर बीमारों को स्वस्थ करने के प्रयास किये जा रहे हैं। प्रकृतिक क़हर के इस संकट में दुनिया धर्म जाति के भेद भुला कर इंसानियत का प्रदर्शन कर रही है और ईश्वर-अल्लाह से पनाह मांग रही है। परन्तु ठीक इसके विपरीत कुछ शक्तियां ऐसी भी हैं जिन्होंने राक्षस या शैतान होते हुए भी दुर्भाग्यवश मानव का केचुल ओढ़ रखा है। ये स्वयं को अल्लाह वाले और मुसलमान भी बताते हैं। इतना ही नहीं बल्कि सिर्फ़ अपनी विचारधारा को ही इस्लामी विचारधारा बताते हैं। शरीया का स्वयंभू रूप से ठेका भी इन्हीं राक्षसों ने लिया हुआ है। वैसे तो कभी तालिबान तो कभी अलक़ायदा तो कभी आई एस व इन जैसे कई चरमपंथी संगठनों ने बर्बरता के कई ऐसे अध्याय लिखे हैं जिनसे मानवता कांपती रही है। परन्तु गत 12 मई मंगलवार को अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी क़ाबुल में चरमपंथियों द्वारा बर्बरता की वह भयानक इबारत लिखी गयी जिसे युद्ध अपराध का दर्जा देना भी पर्याप्त नहीं। रमज़ान के पवित्र महीने में इन दरिंदों ने काबुल के एक मैटरनिटी हॉस्पिटल पर ऐसा हमला किया जिसमें 24 लोगों की जानें चली गयीं । मरने वालों में ज़्यादातर नवजात बच्चे प्रसूता माताएं और अस्पताल की डॉक्टर व नर्सों समेत कई अन्य लोग शामिल हैं। जिस समय ये राक्षस इन निहत्थे बेगुनाहों पर गोलीबारी कर रहे थे ठीक उसी समय एक मां अपने बच्चे को जन्म दे रही थी। उस मां की मनोस्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। जिनके नवजात बच्चे इस दुनिया में साँस लेते ही चरमपंथियों की गोलियों का शिकार होकर चिथड़े चिथड़े हो गए उनपर क्या बीती होगी ? इसके पहले भी यह निर्दयी विचारधारा स्कूलों अस्पतालों पर हमले चुकी है। पढाई लिखाई,आत्मनिर्भरता,जागरूकता,जैसी बातें तो इन धर्मांधों को तो रास आतीं। मस्जिदों में नमाज़ियों व दरगाहों व धार्मिक जुलूसों में अक़ीदतमंदों पर हमले करना तो मानो इनकी फ़ितरत में शामिल हो चुका है। कुछ समय तक इन ख़बीसों की अफ़ग़ानिस्तान में हुकूमत का वह दौर पूरी दुनिया ने देखा है जब यह इंसानी दुशमन मनमाने तरीक़े से लोगों को सार्वजनिक रूप से सज़ाएं देकर समाज में दहशत का माहौल पैदा करते थे।आज अफ़ग़ानिस्तान सहित कई जगहों पर इन चरमपंथियों के चलते आम नागरिकों को जिन हालात का सामना करना पड़ रहा है वह बेहद चिंतनीय है। पूरे उदारवादी मुस्लिम जगत को किसी भी दशा में इनका न केवल मुक़ाबला करना होगा बल्कि इनके संरक्षकों,इनके स्रोतों व इनके हमदर्दों सभी को बेनक़ाब करना होगा। मैटरनिटी हॉस्पिटल पर हमला कर महिलाओं और नवजात बच्चों का क़त्ल करना इससे निर्दयी व दुखदायी घटना और क्या हो सकती है? कौन सा धर्म किस धर्म का अल्लाह या ईश्वर कौन सा धर्मग्रन्थ उन बच्चों की हत्या को सही ठहरा सकता है कि जो मासूम हैं और जिन्होंने अभी अपने जीवन की चंद साँसें ही ली हैं ? आज इन्हीं कमबख़्तों की वजह से इस्लाम से जन्मज़ात नफ़रत करने वाले लोग इस्लाम का मज़ाक़ ऐसी ही घटनाओं का हवाला देकर यही कहकर उड़ाते हैं कि क्या यही है ‘ शांति और अमन का मज़हब’? इन सपोलों ने यह भी नहीं सोचा कि एक तो यह रमज़ान का पवित्र महीना था दूसरे हमले का दिन हज़रत अली की शहादत का दिन था।हज़रत अली को तो ये राक्षस अपना चौथा ख़लीफ़ा मानते हैं। कम से कम हमले के दिन हज़रत अली की शहादत और उनके चरित्र को ही याद कर लेते? हज़रत अली के सामने जब उनके हत्यारे को पेश किया गया था तो उन्होंने अपने बेटे से कहा कि था ‘कि यह प्यासा है,इसे पानी पिलाओ’। इस्लामी महापुरुषों के जीवन की कोई कारगुज़ारी ऐसे हमलों को जाएज़ नहीं ठहरा सकती। यह नीतियां साफ़ तौर से हज़रत अली के हत्यारे इब्ने मुल्जिम व करबला के बदकिरदार यज़ीद से प्रेरित नज़र आती हैं ।क्योंकि वे सभी नमाज़ी भी थे,ला इलाह के झंडाबरदार भी थे और कलमागो भी थे। आज ख़ून की होलियां खेलने वाले ये राक्षस भी उन्हीं का अनुसरण करते दिखाई दे रहे हैं। बेशक यह भी अपने को मुसलमान भी कहते हैं,और शरिया की बातें भी करते हैं। परन्तु दरअसल ये शक्तियां यज़ीद की ही तरह दहशत का साम्राज्य स्थापित करना चाहती हैं। अफ़ीम की कमाई से हथियार ख़रीद कर अपने द्वारा परिभाषित इस्लाम धर्म का ताक़त के बल पर विस्तार करना चाहती हैं। संभव है इनकी मानसिकता की श्रेणी के कुछ लोग इनको मुसलमान कहते या समझते हों परन्तु मेरी लिए इनको मुसलमान क्या कहना बल्कि -‘जो मुसलमान इनको कहे वह,मेरी नज़रों में इंसान नहीं है। तनवीर जाफ़री Read more » क़ाबुल में चरमपंथियों द्वारा बर्बरता
विश्ववार्ता बारूद के ढेर पर बैठी है दुनिया : कोई भी एक चिंगारी विश्वयुद्ध भड़का सकती है May 17, 2020 / May 17, 2020 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment दुनिया की शक्ति कहे जाने वाले देश जिस प्रकार इस समय परस्पर भिड़ने की तैयारियों में लगे हुए हैं उससे लगता है कि दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की ओर तेजी से बढ़ रही है । अमेरिका और चीन तेजी से अपने साथियों को अपने साथ जोड़ने और तीसरे विश्व युद्ध के लिए शक्तियों का ध्रुवीकरण करने […] Read more » any spark can spark a world war The world is sitting on a pile of gunpowder एक चिंगारी विश्वयुद्ध भड़का सकती है कोई भी एक चिंगारी विश्वयुद्ध भड़का सकती है बारूद के ढेर पर दुनिया
विश्ववार्ता कोरोना नही वरन् भविष्य की चिंता मे प्रवासी भारतीय May 15, 2020 / May 15, 2020 by डॉ. अजय पाण्डेय | Leave a Comment मानव प्रवास कोई नयी घटना नही है शदियों से देश दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लोग कई पीढ़ियों से पलायन करते रहे हैं। ब्रिटेन में रह रही 30 प्रतिशत आबादी रोमन काल के दौरान विदेशों से पलायन करके आई थी। प्रवास के कारण समय-समय पर अलग-अलग रहे है आजप्रवासी मजदूरो का पलायन कोरोना महामारी और […] Read more » migrant labourers प्रवासी भारतीय
विश्ववार्ता उपयोग की सभी वस्तुओं का उत्पादन व उपयोग ही देशोन्नति का मूल है May 15, 2020 / May 15, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, भारत विश्व का सबसे प्राचीन राष्ट्र है। भारत ने ही सृष्टि के आरम्भ से विश्व के लोगों को भाषा एवं ज्ञान दिया है। विश्व के प्राचीनतम ग्रन्थों में प्रमुख मनुस्मृति के अनुसार भारत वा आर्यावर्त देश ही विश्व में विद्वान, चरित्रवान व गुणी लोगों को उत्पन्न करने वाला देश है। यहां […] Read more » उपयोग की सभी वस्तुओं का उत्पादन व उपयोग
विविधा विश्ववार्ता एनसीआर में आ रहे बार-बार के भूकम्प के झटके कहीं किसी महाविनाश का संकेत तो नहीं May 15, 2020 / May 15, 2020 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment देश की राजधानी दिल्ली में पिछले 30 दिनों में चार बार भूकंप के झटके अनुभव किए गए हैं । भूगर्भीय हलचलों के विशेषज्ञ इस प्रकार के बार-बार के झटकों को किसी बड़ी आपदा का संकेत भी माना करते हैं । जहां तक दिल्ली की बात है तो यह भूकंप संभावित क्षेत्रों के सबसे अधिक खतरनाक […] Read more » एनसीआर में बार-बार के भूकम्प के झटके भूकम्प के झटके महाविनाश का संकेत
विविधा विश्ववार्ता कोरोना मुक्ति के लिये मंत्र-साधना अनुष्ठान May 15, 2020 / May 15, 2020 by आचार्य डाॅ. लोकेशमुनि | Leave a Comment – आचार्य डाॅ.लोकेशमुनि-कोरोना महामारी से मुक्ति एवं विश्व शांति के लिये मंत्र साधना एक कारगर उपक्रम है। भारतीय संस्कृति में मंत्र शक्ति का विशिष्ट स्थान है। मंत्र साधना के द्वारा न केवल आत्मिक जागरण किया जा सकता है बल्कि कोरोना प्रकोप एवं कहर पर भी नियंत्रित स्थापित किया जाना भी संभव है। यही कारण है कि […] Read more » corona salvation Mantra-cultivation rituals Mantra-cultivation rituals for corona salvation कोरोना मुक्ति मंत्र-साधना अनुष्ठान
विश्ववार्ता जीवन के सबक सिखाता कोरोना काल May 9, 2020 / May 9, 2020 by दीपक कुमार त्यागी | Leave a Comment दीपक कुमार त्यागीकोरोना से बचाव के लिए देश में लॉकडाउन 3 का समय चल रहा है, भयानक वैश्विक आपदा के तौर पर पूरी दुनिया के सामने एकाएक आए कोरोना वायरस संक्रमण ने आज हम लोगों को जिंदगी के बेहद कटु व अच्छे अनमोल सबक सीखने पर मजबूर कर दिया है। कोरोना वायरस के संक्रमण से […] Read more »
विश्ववार्ता “भूख और भय से भागे हैं – भुखमरी और मजबूरी से बापसी होगी “ May 8, 2020 / May 8, 2020 by डॉ देशबंधु त्यागी | 1 Comment on “भूख और भय से भागे हैं – भुखमरी और मजबूरी से बापसी होगी “ ओद्योगिक नगरो और महानगरों से मजदूर अपने मूल घरों और स्थानों को क्यों भाग रहे हैं ? प्रथम लॉक डाउन के आरंभ में एक हिंदी डेली में मैंने लिखा था कि ” भारत कोरोना से भी जीत सकता है बशर्ते…। देश सामान्य खाद्यान सप्लाई सेना के हाथ में दे दे। मध्य्यम वर्ग 15 दिन और […] Read more » भुखमरी और मजबूरी
विश्ववार्ता वर्ण व्यवस्था, योग साधना व विश्व प्रबंधन! May 4, 2020 / May 4, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment यदि हम अष्टांग या राजाधिराज योग का पालनकरें और आध्यात्मिक साधना करें तो कर्म काण्ड कीआवश्यकता नहीं पड़ेगी। जो जीवन गुण-धर्म तब हम अपनाएँगे वह सहज, सामयिक, ज्ञान विज्ञान युक्त वतर्क संगत होंगे। कुछ नया होने लगेगा या जो सही हो रहा था वह युक्ति पूर्ण लगने लगेगा! तब हम वर्ण व्यवस्था के व्यूह से निकल ध्यान कर ‘द्विज’(द्वितीय या पुन: जन्मे) अवस्था में आजाएँगे। समाधिसे परे जाकर हम ‘सद्विप्र’ (सद्+विप्र = सच्चे विशुद्ध प्रिय= आध्यात्मिक व्यक्ति) बन जाएँगे। तब ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय व शूद्र एवं समस्त विश्व वासी मानव, जीव जन्तु व वनस्पति ही नहीं पंचभूत भी हमेंअनायास गद् गद् हो विशुद्ध स्नेह करने लगेंगे और हम उन्हें! उस मनःस्थिति में पहुँच हम अपनी तथा-कथित स्वनिर्मित सीमाओं से परे जाकर समस्त मानव व भूमा समाजको अन्त: करण से प्रेम करपाएँगे और तत्क्षण उनका भी भरपूर सहयोग व समर्पण हम अपने इन्हीं चक्षुओं सेदेख व चख सकेंगे! ज़रूरत है अपने चित्त को साध दृष्टि भाव ब्रहत्, महत व ब्रह्म-भाव वत कर लेने की! वर्ण व्यवस्था से प्रत्येक वर्ण पीड़ित व शोषित है। पर यह सब संघर्ष हमारे अपने मन की जड़ताया मोहावस्थाके कारण ही है। यदि हम योग, तंत्र व समाधि से ऊपर की अपनी ईश्वरीय अवस्थाओं में पहुँच जाएँगे तो हमेंसृष्टि प्रबंधन का अधिकार व उत्तरदायित्व मिल जाएगा। तब हमारी सारी सोच, झेंप, झिझक, शिकायत यादोषारोपण की प्रवृत्ति अथवा अकड़, अहंकार व पर-पीड़न की वृत्ति हमारे मन में में ठहर नहीं पाएगी। तब सब व्यक्ति, वर्ण व व्यवस्थाएँ और उनकी अवस्थाएँ व सीमाएँ हमें व्यथित व आहत नहीं करेंगी! हम उनकीसेवा व सहभागिता करने दौड़ पड़ेंगे। तब उनके लड़खड़ाते चरण हम कृष्ण बन उन्हें सुदामा-सरिस मित्र समझचूमना चाहेंगे! मानव व जीव समाज के विकसित, व्यवस्थित व तरंगित होने में लाखों वर्ष लग गए हैं! उनके इतिहास का एकएक पल यद्यपि उल्लेखनीय, गौरवपूर्ण व संग्रहण योग्य है पर उस इतिहास की पीड़ा, क्रीड़ा व संवेदना मेंसबको सब समय उलझना उचित नहीं होगा! उससे सीख समझ कर आगे बढ़ हमें अपना इतिहास बनाना उचितव उपयोगी होगा! हमारे साथ जो अच्छा हुआ उसे याद रखें। जो कोई अज्ञान वश या संकुचित भाव वश कुछ समुचित नहीं करपाए, उन्हें अपने ईश्वरीय भाव सेक्षमा करते हुए आगे बढ़ जाएँ। सम्भव है अब वभी वैसे नहीं रहे जैसे पहले थे! हम भी तो प्रति पल बदल रहे हैं। अब हम अपने उत्क्रष्ट भाव से उन्हें आध्यात्मिक भाव तरंग दे बदल भी सकतेहैं! आवश्यक हो तो परम पुरुष से ध्यान में शिकवे शिकायत भी कर सकते हैं! जब हम सद्विप्र होगए तो उनके भी वरेण्य होगएऔर वे भी हमें पूज्य भाव से देखने लगे! तब द्वैतव द्वेष कहाँरहा! वस्तुतः यह परिवर्तन, परिमार्जन व परिष्कार हमारे अन्त:करण में हुआ या होना है और जगत (जोहमारे आसपास चल रहा है या परिलक्षित है) हमारी छाया मात्र है! जैसे हम होंगे वैसा ही जग हमारे इर्द गिर्द निर्मितहोगा। हम बदल जाएँ तो वह भी वैसा नहीं रहेगा! हमारा मन छोटा है तो हमारा सोच, विचार, परिकल्पना, धारणा, योजना, कार्य प्रणाली, व्यवहार, आकाँक्षा, अभिलाषा, अपेक्षा, आदि सब क्षत विक्षत, दीन हीन, संकीर्ण व सीमित हैं! यदि आत्म ईश्वरीय स्वरूप इख़्तियार कर ले तोसारा विश्व उसके आधीन हो कार्य करने लगता है! पर तब हमअपने ब्रह्माण्ड के हर पिण्ड व अण्ड की सेवा करने, सृष्टि प्रबंधन करने व सब कुछ अर्पण समर्पण कर अपनेपूरे मनोयोग व आत्म- योग से युक्त जहाँ कहीं हैं वहीं से ओत प्रोत योग में समाहित हुए व्यस्त हो जाते हैं! यह मात्र सिद्धान्त या दर्शन की बात नहीं है। प्रयोगात्मक सार्वभौमिक सत्य है। अनन्त ईश्वरीयसत्ता से संभूतप्राण हर काल, हर देश में, हर पात्र के साथ विश्व रंगमंच पर लीला करते रहे हैं, कर रहे हैं व करते रहेंगे! आवश्यकता है उन्हें समझने की, उनके जैसे बनने व उनसे भी बेहतर कार्य करने की! बस छोटा सा काम करना है, योग साधना व ध्यान सीख उसका अभ्यास करना है! इसके लिए मात्र मानव देहहोना पर्याप्त है और कुछ नहीं चाहिए! वैसे अन्य प्राणी भी साधना करते हैं पर मनुज रूप में यह करना ज़्यादाआसान है। हम अपना मन बनायें तो दीक्षा देने वाले स्वयं आ जाएँगे! तो बात बस अपना मन बनाने की है। शेषसब हो जाएगा! वे हर घड़ी अपनी विश्व व्यवस्था हमारे हाथ में थमा हमें निदेशक, व्यवस्थापक, प्रबंधक, परिचालक, इत्यादिपदों पर प्रतिष्ठित व सुशोभित करना चाहते हैं! हम सबका सदा स्वागत है! ✍? गोपाल बघेल ‘मधु’ Read more » Varna system yoga practice and world management
विश्ववार्ता कोरोना के दौरान राक्षसी आतंक May 4, 2020 / May 4, 2020 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डॉ. वेदप्रताप वैदिक कोरोना महामारी से सारी दुनिया के साथ-साथ भारत और पाकिस्तान भी, दोनों ही परेशान हैं लेकिन इस भयंकर संकट के दौरान कश्मीर के हंडवाड़ा में जो आतंकवादी घटना हुई है, उससे अधिक शर्मनाक और दुखद क्या हो सकता है ? हमारे टीवी चैनल बता रहे हैं कि इन आतंकियों का सरगना हैदर […] Read more » Demonic terror attack during corona आतंक
विश्ववार्ता हास्य कोरोना मुक्ति का सशक्त माध्यम May 2, 2020 / May 2, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment विश्व हास्य दिवस- 3 मई 2020 पर विशेष-ललित गर्ग –विश्व हास्य दिवस विश्व भर में मई महीने के पहले रविवार को मनाया जाता है और इस वर्ष कोरोना महामारी के बीच जन-जन में व्याप्त तनाव, परेशानी एवं मानसिक असंतुलन के बीच इस दिवस का विशेष महत्व है। हास्य सकारात्मक और शक्तिशाली भावना है जिसमें व्यक्ति […] Read more » Humorous Corona is a powerful medium of liberation कोरोना मुक्ति
विश्ववार्ता कहां है गांधीजी के ‘सर्वांगीण विकास’ का सपना? May 2, 2020 / May 2, 2020 by केवल कृष्ण पनगोत्रा | Leave a Comment शिक्षा व्यवस्था: *केवल कृष्ण पनगोत्रा शिक्षा क्या है? महात्मा गांधी ने शिक्षा को लेकर अपनी परिभाषा में मनुष्य के ‘सर्वांगीण विकास’ पर विशेष तौर पर बल दिया है। सच भी है, मानव का सर्वांगीण विकास ही उसे मात्र भौतिक, आर्थिक तथा औपचारिक प्रगति से तनिक हट कर बंधुत्व भाव, क्षमा, त्याग, परोपकार जैसी भावनाओं से […] Read more » Where is Gandhijis dream of all-round development गांधीजी सर्वांगीण विकास का सपना