गजल मुखलिसी– निस्वार्थता September 26, 2012 / September 25, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment तीर ने ना तलवार ने मारा – हमको तो ऐतबार ने मारा ! जिसको निशाने पर रखा था – उसके ही पलटवार ने मारा ! दुश्मन के जब गले लगे हम – फिर तो हमको प्यार ने मारा ! पहले दिल था मान जाता था – अब उसकी ही पुकार ने मारा ! कांच से […] Read more » gazal Satyendra Gupta
गजल हज़ार बहानो से बेरुख़ी अच्छी September 25, 2012 / September 25, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment हज़ार बहानो से बेरुख़ी अच्छी – हज़ार कोशिशों से बेबसी अच्छी ! आबरू पर आंच आने लगे तो – हज़ार जवाबों से खामुशी अच्छी ! रौशनी ग़र आँख में चुभने लगे – उजालों से फिर तीरगी अच्छी ! ताजमहल देख कर गुमां होता है – है प्यार की मिसाल कितनी अच्छी ! क्या जज्बा था […] Read more » gazal by satyendra gupta
गजल मेरी ग़ल्ती में छिपा है मेरा इंसां होना….. September 24, 2012 / September 24, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी हर किसी के लिये जो आदमी अच्छा होगा, इसका मतलब है वो सच कहने से डरता होगा। मेरे आमाल ही मालिक हैं मेरी क़िस्मत के, उसको लिखना था जो क़िस्मत में लिक्खा होगा। सिर्फ़ चेहरे को नहीं दिल को भी पढ़ना सीखो, वर्ना एक रोज़ भयंकर सा धमाका होगा। मेरी […] Read more » gazal by iqbal hindustani
गजल रहबर सुनेगा बात ज़रा सब्र तो करो….. September 18, 2012 / September 18, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी बीतेगी काली रात ज़रा सब्र तो करो, बदलेंगे ये हालात ज़रा सब्र तो करो। जिनके दिमाग़ हैं आजकल आसमान पर, कल को पड़ेगी लात ज़रा सब्र तो करो । नौसीखिये हैं चाल तो चल बैठें हैं लेकिन, खानी पड़ेगी मात ज़रा सब्र तो करो। वोटर जो अपने वोट की क़ीमत […] Read more » रहबर सुनेगा बात ज़रा सब्र तो करो.....
गजल जो कह चूका गीत उसे भी न भूल जाओ September 11, 2012 / September 11, 2012 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment जो कह चूका गीत उसे भी न भूल जाओ तुम्हे मेरे सपनो में अब भी देखा करता हूँ कभी भी यहाँ वहाँ पहले की ही तरह अब भी भटका करता हूँ .. नहीं होते हैं चलती साँसों मैं पेंच अब उस तरह के पर हर साँस से मैं गिरते फूलो को थामा करता हूँ.. साँसों […] Read more » gazal by praveen gugnani
गजल आंख नम होगी तो लोग बचेंगे तुमसे….. September 10, 2012 / September 10, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 1 Comment on आंख नम होगी तो लोग बचेंगे तुमसे….. इक़बाल हिंदुस्तानी सिर्फ़ हाथों को नहीं दिल भी मिलाये रखना, वर्ना मुमकिन नहीं यारी को निभाये रखना। ये उनपे छोड़िये क्या करते हैं ज़मानेवाले, ठीक है या नहीं अहसास दिलाये रखना । हमने धोखा दिया पर हमको ना धोखा देना, मैं हूं ममता मेरी सरकार चलाये रखना। आंख नम होगी तो […] Read more » gazal by iqbal hindustani
गजल अपनी ग़ज़ल समाज का तू आईना बना….. September 4, 2012 / September 4, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 1 Comment on अपनी ग़ज़ल समाज का तू आईना बना….. इक़बाल हिंदुस्तानी वो शख़्स है मक्कार कहूं या ना कहूं मैं, छिपकर करेगा वार कहूं या ना कहूं मैं। रोटी ना अमन चैन पढ़ाई ना दवाई, ग़ायब सी है सरकार कहूं या ना कहूं मैं । जिसने हमारे बीच में दीवार खड़ी की, होगा ही बहिष्कार कहूं या ना कहूं मैं। ताक़त […] Read more » अपनी ग़ज़ल समाज का तू आईना बना.....
गजल देखकर आंसू मेरी आंखों में घबराते हैं लोग….. August 28, 2012 / August 28, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी रात में चुपके से आकर आग सुलगाते हैं लोग, बाद में हमदर्द बनके पानी बरसाते हैं लोग। जानते हैं ज़िंदगी पानी का है एक बुलबुला, फिर भी इस नाचीज़ पर कितना इतराते हैं लोग । पहले दौलत के लिये अपनों से नज़रे फेर लीं, फिर उन्हीं अपनों की ख़ातिर खूब पछताते […] Read more » देखकर आंसू मेरी आंखों में घबराते हैं लोग.....
गजल देख दौलत की खनक हम भी फिसल सकते थे….. August 13, 2012 / August 13, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 4 Comments on देख दौलत की खनक हम भी फिसल सकते थे….. इक़बाल हिंदुस्तानी सबको संग लेके बड़ी दूर निकल सकते थे, तूने चाहा ही नहीं हालात बदल सकते थे। तुम तो उलझे रहे वंदना में वतन की ख़ालिस, सेवा करते तो नतीजे भी बदल सकते थे। राज करना कोई बच्चो का हंसी खेल नहीं, राज पाने को ज़ेहर हम भी उगल सकते थे। […] Read more »
गजल गजल:रात भर तेरी याद आती रही August 9, 2012 / August 8, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment रात भर तेरी याद आती रही बेवज़ह क़रार दिलाती रही। जैसे सहरा में चले बादे सबा सफ़र में धूप काम आती रही। दमकता रहा चाँद आसमां पे चांदनी दर खटखटाती रही। ऊंघता बिस्तर कुनमुनाता रहा तेरी ख़ुश्बू नखरे दिखाती रही। कितना मैं अधूरा रह गया था इसकी भी याद दिलाती रही। Read more » gazal Satyendra Gupta गजल:रात भर तेरी याद आती रही
गजल गजल:उबाल ने कुछ बवाल ने तोड़ दिया August 8, 2012 / August 7, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment उबाल ने कुछ बवाल ने तोड़ दिया कुछ दिल के मलाल ने तोड़ दिया। जो कमाता था वो ही खाता था वो । एक दिन की हड़ताल ने तोड़ दिया। उमीदों ने पंख नए खरीद लिए थे पर बेतरतीब उछाल ने तोड़ दिया। सिखाई थी अदाकारीहालात ने तो क्या करें उसी कमाल […] Read more » gazal Satyendra Gupta गजल:उबाल ने कुछ बवाल ने तोड़ दिया
गजल मोहब्बत और रोटी August 7, 2012 / August 7, 2012 by पियूष द्विवेदी 'भारत' | Leave a Comment पियूष द्विवेदी ‘भारत’ एक थी मोहब्बत, और थी एक रोटी! फैसला करो कि कौन बड़ी कौन छोटी? मोहब्बत है बोली, हूं मै खूबसूरत! मेरी इस जहाँ में, है सबको ज़रूरत! मेरी इक अदा पर, लग जाती कतारें! मै हँस जो अगर दूं, आ जाती बहारें! मेरी भौंह हिलती, तो आती क़यामत! मै […] Read more » gazal by piyush मोहब्बत और रोटी