गजल दिल की दवा भी तुम्हे मिल जायेगी August 23, 2019 / August 23, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment दिल को भी करार तुम्हे आने लगेगा |जब कोई प्यार से तुम्हे बुलाने लगेगा || दिल की दवा भी तुम्हे मिल जायेगी |जब कोई दर्द तुम्हारा समझने लगेगा || भेज दो ऐसी खबर उसके घर पर तुम |तुम्हारा दिल,उनके दिल को सताने लगेगा || जब लगी है आग दिल में दोनों तरफ से |फिर तुममें […] Read more » heart medecine of heart
गजल हिंदी गजल -रक्षाबधन पर August 16, 2019 / August 16, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment रिश्ते है कई दुनिया में,बहन का रिश्ता खास हैबाँधती है जो धागा बहन,वह धागा कोई खास है लगाये रखती है बहन टकटकी,रक्षाबंधन के पर्व परआयेगा उसका भाई जरुर,उसका यह एक विश्वास है सजाती है बहन जब थाली,राखी रोली और मिठाई सेलगाती है जब प्यार से टीका,वह प्यार भी खास है खा लेती है रूखा-सूखा,भले ही […] Read more » hindi gazal on rakshabandhan
गजल हिंदी ग़ज़ल August 13, 2019 / August 13, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment उपदा केवल खाम खयाली है। सियासत में मंत्री मवाली है।। अभिनन्दन जहाँ होना चाहिए, माहौल ने ताना दुनाली है। अटैची नोटों की है मिल गई, देखा तो हर रुपया जाली है। मंत्र मुग्ध हो गया वातावरण, है कीर्तन या फिर कव्वाली है। महानगर की किस्मत को देखो, उखड़ी सड़क औ बदहाली है। उबरे न जबकि […] Read more » hindi hindi gazal
गजल हिंदी ग़ज़ल August 6, 2019 / August 6, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment जुल्फ लगा घनेरी है। रात ज्यों अंधेरी है।। ठीक सब कुछ हम समझे, जबकि हेरा फेरी है। हम समझे गुलजाफरी, हालाँकि झरबेरी है। लाल लाल बंगाल में, हुआ गंदुम खेरी है। पंछी का दल पेड़ पर, जाल लिए अहेरी है। किस्से औ कहानी में, दीनार की ढेरी है। भूख कुलाँचे गर भरे, खाना तब महेरी […] Read more » hindi hindi gazal
गजल हिंदी ग़ज़ल August 5, 2019 / August 5, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment है दुनिया पर नहीं भरोसा। पानी पी पी कर है कोसा।। घर में इतनी चहल पहल है, औ कुढ़ कर बैठा है गोशा। आफिस की मीटिंग में मिला, आलू बंडा और समोसा। वे ही नमक हराम हुए हैं, जिनको हमनें पाला पोसा। कयामत देखो ले रही है, लोगों की खुशियों का बोसा। अनवरत यात्रा हुई […] Read more » hindi hindi gazal
गजल हिंदी गजल July 30, 2019 / July 30, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment हवा बहुत बदगोई है। रात कलप कर रोई है।। उनने अपने जीवन में, केवल कटुता बोई है। गर तुम हो जर्किन पहने, वह भी ओढ़े लोई है। साला हूं मै भी गर तो, वह मेरा बहनोई है। जब जब आड़ा वक्त पड़ा, यहाँ न मिलता कोई है। हमनें बस उम्मीदें की, उसने इज्जत धोई है। […] Read more » hindi gazal hindi literature wind
गजल हिंदी गजल July 25, 2019 / July 25, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अविनाश ब्यौहार देश का नहीं उनका विकास है। जिनके तन पर महँगा लिबास है।। रहजनी रात के अंधेरे में, दिन में उनकी इज्जत झकास है। वे बैठे मिले तनहाईयों में, क्यों लगा कि कोई आस पास है। दफ्तर ज्यों पीपल का पेड़ हुआ, देव नहीं बल्कि जिन का वास है। आज वक्त इस तरह बदला […] Read more » gazal hindi hindi gazal
गजल हिंदी गजल July 24, 2019 / July 24, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अविनाश ब्यौहार नेताजी हो गए अजागर। जनतंत्र है देश का नागर।। उफना रही सरिता अगर है, ढूंढ़ो यहाँ सुरक्षित बागर। तुम सदियों की प्यास बनो तो, मै भी अब हो जाऊँ छागर। जीवन है इक नाव सरीखा, ठौर ठिकाना होता पागर। तन्हा तन्हा इस कस्बे से, चला गया सुख का सौदागर। अविनाश ब्यौहार रायल एस्टेट […] Read more » hindi hindi gazal hindi literature literature
गजल हिंदी गजल July 22, 2019 / July 22, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अपराध हुआ पर सजा नहीं। जरूरी बात पर रजा नहीं।। बन गए जो महान हस्तियाँ, उनका प्रयाण पर कजा नहीं। नृत्य देख शोख सुंदरी का, हुई बेरुखी पर मजा नहीं। गद्दी मिल गई रहनुमा को, मिलते सब सुख पर प्रजा नहीं। गर वहशत फैली तो मानो, अमन जरूरी पर गजा नहीं। अविनाश ब्यौहार जबलपुर Read more » hindi hindi gazal
गजल एक गजल -वादा करके भी तुम मुकर जाते हो July 12, 2019 / July 12, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment वादा करके भी तुम मुकर जाते हो |सच सच बताओ,तुम किधर जाते हो || करती हूँ तुम्हारा इन्तजार,बैचेन रहती हूँ |साथ मुझको भी ले जाओ,जिधर जाते हो || उमर नहीं है तुम्हारी,इधर उधर घूमने की |मेरा भी ख्याल रखो,क्यों नहीं सुधर जाते हो || बदनामी हो रही,लोगो की उँगलियाँ उठ रही |जहाँ जाना नहीं चाहिए […] Read more » form of hindi literature gazal hindi gazal
गजल हिंदी ग़ज़ल July 11, 2019 / July 11, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment शहर तो है नींद से जागा। मुंडेरों पर बोले कागा।। दिनचर्या चालू होते ही, वो दफ्तर को सरपट भागा। होने लगी मुनादी गर तो, पीट रहा है डुग्गी डागा। आपस में अनबन होते ही, टूट गया रिश्तों का तागा। न खाए परसी हुई थाली, उससे बड़ा कौन दोहागा। अविनाश ब्यौहार रायल एस्टेट कटंगी रोड जबलपुर Read more » hindi hindi gazal literature
गजल हिंदी ग़ज़ल July 10, 2019 / July 10, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment कितने रहे अभागे हैं। उलझे उलझे धागे हैं।। छोटी खुशियों के खातिर, रात रात भर जागे हैं। जिन्हें हम मसीहा समझे, वे मर्यादा लाँघे हैं। जितने होते कार्यदिवस, उतने उनके नागे हैं। कछुआ गति से जो चलते, खरगोशों से आगे हैं। अविनाश ब्यौहार रायल एस्टेट कटंगी रोड जबलपुर ReplyForward Read more » hindi hindi gazal