कहानी साहित्य स्टेशन के कानून May 6, 2016 by विजय कुमार | 1 Comment on स्टेशन के कानून रामलाल रेलवे स्टेशन पर फलों की ठेली लगाता था। बिहार के अपने गांव से बारह साल पहले जब वह यहां आया था, तब उसकी उम्र खेलने-खाने की थी; पर पेट की भूख क्या नहीं करा लेती ? शुरू मंे तो उसने स्टेशन के बाहर एक होटल में बरतन साफ किये। फिर स्टेशन पर फल बेचने […] Read more » स्टेशन के कानून
कहानी साहित्य मन की गांठ April 27, 2016 by विजय कुमार | 3 Comments on मन की गांठ पिछले दिनों मैं रेलगाड़ी से हरिद्वार से दिल्ली आ रहा था। सर्दी के दिन थे। मेरे साथ बैठे यात्री के मफलर पर ‘नवभारत उद्योग, हरिद्वार’ का लेबल लगा था, जबकि मेरे मफलर पर ‘भारत उद्योग, हरिद्वार’ का। इस सुखद संयोग पर बात छिड़ी, तो उन्होंने ‘भारत’ और ‘नवभारत उद्योग’ की कहानी सुनायी। इसके मुख्य पात्र […] Read more » मन की गांठ
कहानी साहित्य इतिहास की पुनरावृत्ति April 7, 2016 by विजय कुमार | Leave a Comment कहते हैं कि ‘इतिहास खुद को दोहराता है।’ यद्यपि मेरा इतिहास का अध्ययन बस वहीं तक है, जहां तक कक्षा आठ में पढ़ाया गया था; पर अपने कुछ प्रसंगों को देखकर लगता है कि शायद यह कहावत सच ही है। पिछले दिनों मोदीनगर से मेरे पुराने मित्र आनंद का फोन आया। वहां के मुख्य बाजार […] Read more » इतिहास की पुनरावृत्ति
कहानी साहित्य दर्द March 30, 2016 by विजय कुमार | Leave a Comment मैं दिल्ली के पास एक छोटे से नगर का रहने वाला हूं। वहां आसपास के लोग खेती के काम से खाली होकर दोपहर में खरीदारी करने आते हैं। शाम होते तक वहां का जनजीवन शांत हो जाता है। यद्यपि बिजली, सड़क, सिनेमा, वाहनों की उपलब्धता आदि से अब वहां का स्वरूप काफी बदल गया है। […] Read more » दर्द
कहानी साहित्य हरम March 15, 2016 by अमित राजपूत | Leave a Comment अमित राजपूत कष्ट था उसे, जो उसको अंदर तक द्रवित कर रहा था। लेकिन उसके आंसुओं की भरी-मोटी बूंदों को देखकर लग रहा था कि ये कष्ट उसके द्वारा मजबूरी में किये गये किसी न्यौछावर के हैं। अजीब तो लग ही रहा था मुझे उसका इस तरह से झुंझलाकर ऑडीटोरियम से बाहर आना और आकर […] Read more » haram story on writer हरम
कहानी साहित्य वर का शिकार March 14, 2016 by विजय कुमार | 1 Comment on वर का शिकार कुछ लोग कहते हैं कि रिश्ते ऊपर से ही बनकर आते हैं। फिर भी विवाह के विज्ञापनों का कारोबार खूब फल-फूल रहा है। किसी समय उत्तर भारत में हर रेलमार्ग के किनारे दीवारों पर ‘रिश्ते ही रिश्ते’ जैसे विज्ञापन लिखे मिलते थे; पर अब इनकी जगह पत्र-पत्रिकाओं और इंटरनेट ने ले ली है। आजकल […] Read more »
कहानी साहित्य एक नंबर March 7, 2016 by विजय कुमार | Leave a Comment छात्रों के लिए एक नंबर का बड़ा महत्व है। कोई एक नंबर से पास हो जाता है, तो कोई फेल। किसी को एक नंबर की महिमा से छात्रवृत्ति मिल जाती है, तो किसी को नौकरी; पर एक नंबर के चक्कर में किसी को पत्नी मिली हो, ऐसी बात शायद आपने नहीं सुनी होगी; पर मेरे […] Read more » एक नंबर
कहानी साहित्य देवी की लीला March 1, 2016 by विजय कुमार | 1 Comment on देवी की लीला परसों मेरा एक मित्र रामपुर से आया। उसके पास जो अखबार था, उसमें ‘मां लीलावती निराश्रित कन्या आश्रम’ के ‘दीवाली मिलन’ का समाचार छपा था। उससे पता लगा कि इन दिनों आश्रम के अध्यक्ष मेरे मामाजी हैं। मामाजी के इस आश्रम से जुड़ने की कहानी बड़ी रोचक है; पर इसके लिए हमें लगभग दस […] Read more » देवी की लीला
कहानी साहित्य प्रेम की जीत !! February 29, 2016 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment बिहार के दरभंगा जिले के दो परिवार है . एक है भूमिहार और दूसरा क्षत्रिय. दोनों के परिवार एक दुसरे से अपरिचित है . दो अलग अलग जगहों में रहते है . दोनों के बच्चे शहर में जाकर एक ही कॉलेज में एडमिशन लेते है . भूमिहार परिवार का पुत्र का नाम राजेश है और […] Read more » प्रेम की जीत !!
कहानी साहित्य बेटी February 29, 2016 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment आज शर्मा जी के घर में बड़ी रौनक थी, उनकीएकलौतीबेटी ममता की शादी जो थी. बहुत से मेहमानों से घर भरा हुआ था, दरवाजे पर शहनाई बज रही थी, खुशियों का दौर था. शर्मा जी बड़े व्यस्त थे. फेरे हो रहे थे.बेटी की विदाई के बारे में सोच सोच कर ही शर्मा दम्पति […] Read more » बेटी
कहानी साहित्य दंगा February 29, 2016 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment कल से इस छोटे से शहर में दंगे हो रहे थे. कर्फ्यू लगा हुआ था. घर, दूकान सब कुछ बंद थे. लोग अपने अपने घरो में दुबके हुए थे. किसी की हिम्मत नहीं थी कि बाहर निकले. पुलिससडको पर थी. ये शहरछोटा सा था, पर हर ६ – ८ महीने में शहर में दंगा […] Read more » short story on riots दंगा
कहानी साहित्य माँ February 29, 2016 / February 29, 2016 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment मैंने रेडसिग्नल पर अपनी स्कूटर रोकी . ये सिग्नल सरकारी हॉस्पिटल के पास था . उस जगह हमेशाबहुत भीड़ रहती थी.मरीज , बीमार, उनके रिश्तेदार और भी हर किस्म के लोगो की भीड़ हमेशा वहां रहती थी, अब चूँकि सरकारी हॉस्पिटल था तो गरीब लोग ही वहां ज्यादा दिखाई देते थे. अमीर किसी और […] Read more » short story on mother मां