मित्र के नाम पत्र 2
गंगानन्द झा तुम्हारे पास से पत्र का पाना मेरे लिए दुर्लभ कोटि का हुआ करता…
गंगानन्द झा तुम्हारे पास से पत्र का पाना मेरे लिए दुर्लभ कोटि का हुआ करता…
गंगानन्द झा तब हम पाँच-छः साल के रहे होंगे। पिता के साथ मैं दुमका गया…
गंगानन्द झा तुम्हारे साथ बातें करना उकसावे में पड़ने जैसा होता है। उसमें एक प्रकार…
विजय कुमार, शर्मा जी बड़े आदमी हैं। इसलिए वे दूसरों के यहां नहीं जाते।…
गोपाल बघेल ‘मधु’ आज आया लाँघता मैं, ज़िन्दगी में कुछ दीवारें ; खोलता मैं कुछ किबाड़ें, झाँकता जग की कगारें ! मिले थे कितने नज़ारे, पास कितने आए द्वारे; डोलती नैया किनारे, बैठ पाते कुछ ही प्यारे ! खोजते सब हैं सहारे, रहे हैं जगती निहारे; देख पर कब पा रहे हैं, वे खड़े द्रष्टि पसारे ! क्षुब्ध क्यों हैं रुद्ध क्यों हैं, व्यर्थ ही उद्विग्न क्यों हैं;…
ललित गर्ग कहते हैं कि जिसके सिर पर कुछ कर गुजरने का जुनून सवार होता…
डॉ मनोज चतुर्वेदी आकांक्षा को शाम से ही एक सौ तीन डिग्री बुखार था .उसके…
मनोज कुमार मन आज व्याकुल है। ऐसा लग रहा है कि एक बुर्जुग का साया…
गंगानन्द झा वह शाम खास थी। राजशेखर अपने शिक्षक और गुरु रामकृष्ण महाराज के…
वेद एवं वैदिक साहित्य के वैदुष्य से सम्पन्न पं. राजवीर शास्त्री की शिक्षा-दीक्षा एवं शिक्षण आदि…
बात का सिलसिला सन 1971 ई से शुरु होता है। मेरा बड़ा बेटा हाई स्कूल…
एक मेजर के नेतृत्व में 15 जवानो की एक टुकड़ी हिमालय पर्वत में अपने रास्ते…