कहानी कहानी/ फ़ैसला June 1, 2011 / December 12, 2011 by दिव्या माथुर | Leave a Comment दिव्या माथुर सोफ़े पर अधलेटा सा सन्नी मेज़ पर अपनी टांगे पसारे टी वी पर समाचार देख रहा था. जेड गूडि की आकस्मिक मृत्यु की ख़बर सुन कर वह मन ही मन कलपने लगा कि वह कहाँ रेचल मूर से ब्याह रचा के फंस गया. जेड का इक्कीस साल का ब्वाय फ़्रैंड उसके बच्चों को […] Read more »
कहानी डम्पू हुआ घायल May 29, 2011 / December 12, 2011 by जीतेन्द्र कुमार नामदेव | Leave a Comment सुबह सवेरे बच्चे डम्पू के साथ खेल रहे थे कि डम्पू अचानक दूसरे माले से नीचे जा गिरा। घटना में डम्पू की हालत बहुत गंभीर हो गयी। रामनाथ जी डम्पू की इस हालत को देखकर परेशान हो गये और तुरंत ही भागते दौड़ते डम्पू के उपचार के लिए गये। गांव में डम्पू का इलाज करने […] Read more » डम्पू हुआ घायल
कहानी कहानी/पतंग May 28, 2011 / December 12, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment जितेन्द्र कुमार नामदेव शाम के 6 बजते-बजते सभी लोग आफिस छोड़ कर अपने-अपने घर को निकल गये थे। गर्मी का मौसम था, दिन भर की गर्मी के बाद शाम को आंधी चलने लगी थी जिसकी वजह से मौसम काफी सुहाना हो चुका था। मैं भी अपना काम खत्म करके आफिस की छत पर पहुंचकर मौसम […] Read more »
कहानी ’’ खिलोना माटी का ’’ May 27, 2011 / December 12, 2011 by जोली अंकल | 4 Comments on ’’ खिलोना माटी का ’’ एक लड़की मरने के बाद भगवान के द्वार पर पहुंची तो प्रभु उसे देख कर हैरान हो गये कि तुम इतनी जल्दी स्वर्गलोक में कैसे आ गई हो? तुम्हारी आयु के मुताबिक तो तुम्हें अभी बहुत उम्र तक धरती पर जीना था। उस लड़की ने प्रभु परमेश्वर को बताया कि वो किसी दूसरी जाति के […] Read more » खिलोना माटी का ’’
कहानी मिसेज बेरी May 22, 2011 / December 12, 2011 by आर. सिंह | 1 Comment on मिसेज बेरी मिसेज बेरी को आज फिर घर से निकलने में देर हो गयी थी.उनकी कोशिश तो यही रहती थी कि वह इसके पहले वाली बस पकड लें.उसके दो लाभ थे.एक तो वे समय पर आफिस पहुँच जाती थी,दूसरे उस बस में उनके मनपसंद की जगह मिल जाती थी,क्योंकि वह बस उनके घर से कुछ ही पहले […] Read more » मिसेज बेरी
कहानी ये जो अदृश्य है May 19, 2011 / December 13, 2011 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव ऊं भूर्भव: तत्सवितुवरेण्यं भर्गोदेवस्य… ”ओह ! माँ का फिर फोन…” बकुल गुड़गाँव जाने के लिए तैयार होते हुए चहकी। माँ की तीन साल से बरकरार वही चिरंतन चिंता…, ‘उम्र फिसल रही है। पीयूष यदि पसंद है तो उसकी रजामंदी लेकर अंतिम फैसला ले…। अन्यथा वे कहीं और लड़का देखें। साथ ही वे अपनी […] Read more »
कहानी कहानी/ वह लड़की May 16, 2011 / December 13, 2011 by आर. सिंह | Leave a Comment आर. सिंह राज दफ्तर जाने के लिये जिस स्टाप से मिनी बस पकडता था, वहाँ वह करीब करीब खाली होती थी. मुश्किल से तीन या चार सवारियाँ होती थी उसमें. फिर भी राज एक खास सीट पर हीं बैठता था. मिनी बस आगे जाती और उसमें सवारियाँ भरती जाती. जब तक वह लडकी बस में चढ़ती […] Read more »
कहानी संस्मरणात्मक कहानी : वे दिन April 26, 2011 / December 13, 2011 by आर. सिंह | 3 Comments on संस्मरणात्मक कहानी : वे दिन जिन्दगी के पथ पर चलते हुए बहुत सी एैसी घटनाएं घटित हो जाती हैं जो यादगार ही बनकर नहीं रह जाती,वल्कि हमेशा कुरेदती भी रहती है दिलों दिमाग को.क्या उम्र रही होगी मेरी उस समय?यही तेरह या चौदह वर्ष की.वयःसन्धि के उस मोड पर मन की उमंगें आसमान छूने की तम्मना रखती हैं.आज फिर जब […] Read more » कहानी संस्मरण
कहानी कहानी / रंजन April 19, 2011 / December 13, 2011 by आर. सिंह | Leave a Comment आर. सिंह ‘रंजन मुझे प्यार करता है पापा.’ ‘यह कैसे हो सकता है?’ प्रोफेसर साहब सोंच में पड गये. ‘बेटी तुम पागल तो नही हो गयी हो? ‘नही पापा, उसने स्वयं मुझसे कहा कि वह मुझे प्यार करता है.’ ‘बेटी तुम पढी लिखी हो.एक वैज्ञानिक की बेटी ही नही,तुम स्वयं एक कम्प्युटर साइंटिस्ट हो.तुम एैसा सोच […] Read more »
कहानी कहानी/ सैलाब April 18, 2011 / December 13, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment -सन्तोष गोयल तुलसी भाभी, उस दिन मुझे सपने में दीखीं थी…रोती-बिलखती…हाथ पसार …मानो कुछ मांग रही हों…शायद कुछ पकड़ना चाहती हों। क्यों आया मुझे तुलसी भाभी का सपना ? इसका कारण कौन बताये ? कौन व्याख्या करे ? अगले दिन सुबह-सवेरे चौक बुहारते हुए मैंने अम्मां से तुलसिया भाभी के बारे में जानना चाहा। बाबा […] Read more »
कहानी प्रेम, दाढी और धडकनें March 27, 2011 / December 14, 2011 by अखिल कुमार (शोधार्थी) | 3 Comments on प्रेम, दाढी और धडकनें आज रास्ते में रमेश मिला था. चेहरे पर चार इंच की उगी झाड़ियों में से झांकते चेहरे को मैं नहीं पहचान पाया किन्तु मेरा उन्नत ललाट उसकी समझ से दूर नहीं रहा. अचानक उसने मुझे पुकारा तब मैंने आवाज़ के आधार पर कद-काठी देखकर कयास लगाया कि यह तो रमेश होना चाहिए और वो रमेश ही निकला. कोई सफाचट गाल वाला यदि चेहरे पर अचानक दाढ़ी कि खेती करने लगे तो इसके दो ही कारण हो सकते हैं- ‘या तो वह प्रेम में खुद को घायल रूप में […] Read more »
कहानी बच्चों का पन्ना एकलव्य प्रसंग : आधुनिक पुनर्पाठ March 16, 2011 / December 14, 2011 by अखिल कुमार (शोधार्थी) | 1 Comment on एकलव्य प्रसंग : आधुनिक पुनर्पाठ एक राजा का लड़का था जो इतने के बावजूद राजपूत नहीं था। चूँकि उसका पिता जन्म से क्षत्रप न होकर निशाद था अतः वह राजपूत होने की न्यूनतम अर्हता पूरी करके भी वांछनीयताओं में पिछड़ जाता था। तत्कालीन पूर्ण पक्के राज पुत्रों के समान उसने भी िक्षित होने का मन बनाया। हालांकि उसके पिता ने […] Read more »