कविता एक नया सबेरा April 1, 2020 / April 1, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment अगर शाखे रही तो,नये पत्ते भी आयेंगे |ये दिन बुरे है तो, अच्छे दिन भी आयेंगे || कुछ दिन कट गये और दिन भी कट जायेंगे |नया सबेरा आयेगा,धुंध के बादल छट जायेंगे || हर अँधेरी रात के बाद आता है नया प्रभात |सूखे पत्ते के बाद आते है तरु पर नये पात || यही […] Read more » एक नया सबेरा
कविता लाक डाउन बला नहीं,ये है सम्पूर्ण कला | April 1, 2020 / April 1, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment लांक डाउन बला नहीं,ये है सम्पूर्ण कला |घर से बाहर न निकले ,ये है मेरी सलाह || हाथ मिलाने की जगह, जोड़ो दोनों हाथ |बार बार धोते रहिये,साबुन से अपने हाथ || पीते रहिये गर्म पानी,ये छोटा सा उपचार |इससे ही कम होगा कोरोना का अधिकार || घर से बाहर न निकलिए, इससे फैलता रोग […] Read more » lock down लाक डाउन
कविता जाने क्यों लोग,घरो से निकला करते है | April 1, 2020 / April 1, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment जाने क्यों लोग,घरो से निकला करते है |मोदी जी की बात को,क्यों अनसुना करते है || ये बीमारी नही महामारी हैजो सारे संसार में फ़ैल रही |इसको देख कर गगन क्याधरती भी है अब दहल रही ||चारो तरफ हाहाकार मचा है ,फिर भी कानो में न जू रंग रही |अपने पैरो कुल्हाड़ी मार रहे हो […] Read more » Know why people leave the house. घरो से निकला करते है | जाने क्यों लोग
कविता साहित्य प्रकृति March 28, 2020 / March 28, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment विध्वंसक धुंध से आच्छादित दिख रहा सृष्टि सर्वत्र किंतु होता नहीं मानव सचेत कभी प्रहार से पूर्वत्र सदियों तक रहकर मौन प्रकृति सहती अत्याचार करके क्षमा अपकर्मों को मानुष से करती प्यार आती जब भी पराकाष्ठा पर मनुज का अभिमान दंडित करती प्रकृति तब अपराध होता दंडमान पशु व पादप को धरा पर देना ही […] Read more » Nature प्रकृति
कविता साहित्य कोरोना पर माननीय मोदी जी के विचार March 26, 2020 / March 26, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment करे सम्मान हम उन सबका,जो हमारी सेवा करते है | अपनी जान जोखिम में डालकर, कोरोना से लड़ते है || रहकर घर में बन्द ही, कोरोना से हम लड़ सकते है | अंत में हमारी विजय होगी,कोरोना को हरा सकते है || नहीं बनी कोई औषधि अभी,कोरोना के इलाज़ की | घर से बाहर न […] Read more » Honorable Modis thoughts on Corona कोरोना पर माननीय मोदी जी
कविता बहन March 26, 2020 / March 26, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment दिखती है जिसमें मां की प्रतिच्छवि वह कोई और नहीं होती है बान्धवि जानती है पढ़ना भ्राता का अंतर्मन अंतर्यामी होती है ममतामयी बहन है जीवन धरा पर जब तक है वेगिनी उत्सवों में उल्लास भर देती है भगिनी आलोक कौशिक Read more »
कविता मै एकान्त हूँ,एकांतवास से बोल रहा हूँ March 25, 2020 / March 25, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मै एकान्त में हूँ,पर किसी के इन्तजार में हूँ |शांत हूँ,पर कल के कोलाहल के इन्तजार में हूँ || डरा नहीं हूँ, इस सन्नाटे को देखकर मै आज |देख रहा हूँ,इसमें भारत के भविष्य का आज || भाग दौड़ के माहौल से अलग एकांत चाहता हूँ मै |अपनी यादो को फिर से जीवन देना चाहता […] Read more » एकांतवास से बोल रहा हूँ मै एकान्त हूँ
कविता दुर्गा माँ से विनती March 25, 2020 / March 25, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment हे ! दुर्गा माता,विनती करते तुमसे आज | कोरोना से बचाईये. भारत को तुम आज || रहे सभी सुखी संसार में, दुखिया रहे न कोय | करे प्रार्थना आप से,कोरोना किसी को न होय || करे सब पूजा घर में ही ,बाहर न जाने कोय | जो घर से बाहर जायेगा,उसकी पूजा न होय || […] Read more »
कविता उठो देश वासियो, कोरोना को देश से अब भगाना है | March 23, 2020 / March 23, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment उठो देश वासियो, कोरोना को देश से अब भगाना है | ये एक ऐसा दुश्मन है, जिसको अब मार भगाना है || ये एक घातक कीटाणु है,जो हमारे शरीर में घुस जाता है | तोप तलवार और गोली से भी, ये कभी नहीं मर पाता है || कोरोना एक संक्रामक बीमारी है,जो फैलता जाता है […] Read more » कोरोना को देश से अब भगाना है
कविता जनता कर्फ़यु की कुछ झलकियाँ March 23, 2020 / March 23, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment सूनी सडके,दुकाने बंद,कोई ग्राहक नहीं आया |देखो भैया,इस कोरोना ने कैसा कहर है ढाया || छिपे हुए है सब अपने घर में,कोई नहीं बोल रहा है |कमीना कोरोना,शिकार की तलाश में डोल रहा है || बच्चे भी घर में मस्त है,खेल रहे है अपने खेल |कोरोना भी खेल रहा है,अब साँप सीडी का खेल || […] Read more » जनता कर्फ़यु जनता कर्फ़यु की कुछ झलकियाँ
कविता गौरैया March 21, 2020 / March 21, 2020 by प्रवेश कुमार सिन्हा | 1 Comment on गौरैया रोज सबेरे मेरे कमरे में खिड़की से आती गौरैया अपनी मीठी आवाजो से मुझको है जगाती गौरैया समय से कोई कार्य करने हमें है सिखलाती गौरैया चहक चहक की बोली से मन मेरा भरमाती गौरैया फुदक फुदक कर परी जैसी घर की रौनक बढ़ाती गौरैया उसी मे खो कर रह जाऊ मैं चुपके से कह […] Read more » गौरैया
कविता तो कोरोना क्यों होय || March 20, 2020 / March 20, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment साबुन से सब धोइये,अपने दोनों हाथ |कोरोना से छूट जायेगा,तुम्हारा साथ || जनता कर्फ़यु लगाईये,आगामी रविवार |कम हो जायेगा तुम पर,कोरोना का वार || डॉक्टर्स,नर्स का करो तुम प्रगट आभार |ये लोग सदा करते ,तुम्हारा ही उपकार || बुजर्गो को मत भेजिए,घर से तुम बाहर |झेल न पात है,ये कोरोना का तीखा वार || करो […] Read more »