कविता श्राद्ध पर कुंडलिया September 28, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment जब तक श्रद्धा न हो,श्राद्ध करना है बेकार किसी ने हाल न पुछा,जब था बाँप बीमार जब था बीमार,किसी ने दवाई को न पूछा मर गया बेचारा बाँप,पहने हुए एक कच्छा कह रस्तोगी कविराय,रिवाज ऐसे बनाओ श्राद्ध मत करो तुम,जीते जी खाना खिलाओ जीते जी बाँप के साथ करते दंगम दंगा मरने पर सारे बेटे […] Read more » दवाई बाँप बेटे श्राद्ध पर कुंडलिया
कविता दर्द भी दिया अपनों ने September 28, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ भी दिया अपनों ने उम्मीद भी अपनों से जाएँ कहा बिना उनके अपने तो अपने होते हैं। वो दूर चले गए कितने या हम पास न रह पाए कहने को तो बहुत है पर अपने तो अपने होते हैं। गिला-शिकवा अपनों से आस लगा के छोड़ देना आख़िर भुलाएँ तो कैसे अपने तो अपने होते हैं। Read more » दर्द भी दिया अपनों ने
कविता दुआ-ए-सलामती September 27, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | 3 Comments on दुआ-ए-सलामती डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ रखता हूँ हर कदम ख़ुशी का ख़याल अपनी डरता हूँ फिर ग़म लौट के न आ जाए अब भुला दी हैं रंज से वाबस्ता यादें यूँ आके ज़िंदगी में ज़हर न घोल जाएँ इक बार जो गयी तो फिर न आएगी यहाँ शौक महँगा है लबों पे हँसी रखने का अपनी आबरू का ख़याल […] Read more » कश्ती साहिल जहर हँसी
कविता हुनरमंद है वो September 26, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment विनोद सिल्ला वो भिगो लेता है शब्दों को स्वार्थ की चाशनी में रंग जाता है अक्सर अवसरवादिता के रंग में वो धार लेता है मौकाप्रसती के आभूषण ओढ़ लेता है आवरण आडम्बरों का नहीं होता विचलित रोज नया रंग बदलने में आगे बढ़ने के लिए रख सकता है पाँव अपने से अगले के गले पर […] Read more » रंग हुनरमंद है वो
कविता माँ का स्थान कोई नहीं ले सकता — September 25, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी माँ का स्थान कोई नहीं ले सकता माँ का ऋण कोई चुका नहीं सकता कितने भी लाख करो दान व तीर्थ माँ के बिना उद्धार नहीं हो सकता माँ के बैगेर कोई तुम्हे जन्म नहीं दे सकता माँ के बैगेर कोई कोख में रख नहीं सकता लेती है माँ,कितनी प्रसव पीड़ा जन्म […] Read more » माँ माँ बाँप शिक्षक स्वर्ग
कविता सबसे अच्छा खिलौना September 25, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment विनोद सिल्ला बचपन में मेरे मित्र थोड़ी सी अनबन होने पर दुखाने के लिए मेरा दिल मेरे मिट्टी के खेल-खिलौने तोड़ देते थे लेकिन आजकल के मित्र थोड़ी सी अनबन में दिल ही तोड़ते हैं शायद आजकल यही सबसे अच्छा खिलौना है Read more » सबसे अच्छा खिलौना
कविता हिंदी की मुहावरे,बड़े ही बावरे है September 25, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment हिन्दी के मुहावरे,बड़े ही खरे है खाने पीने की चीजो से भरे है कही पर फल है कही पर आटा दाले है कही पर मिठाई है तो कही मसाले है चलो फलो से शुरू कर देते है उनका ही स्वाद चख लेते है कही आम के आम गुठली के दाम होते है जब अँगूर मिलते […] Read more » गुलगुले दूध नमक मुहावरे
कविता जीवन के कुछ कटु अनुभव September 25, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment पैर की मोच और छोटी सोच हमे आगे बढ़ने नहीं देती टूटी कलम दूसरो से जलन खुद को लिखने नहीं देती आलस्य और पैसो का लालच हमे महान बनने नहीं देता हम है उच्च दूसरे है नीच ये हमे इंसान नहीं बनने देता मिल जाती है दुनिया की सब चीजे पर अपनी गलती नहीं मिलती […] Read more » जीवन के कुछ कटु अनुभव शरीर साँसों
कविता एक दिन तो मुस्कुरा ले September 24, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment राकेश कुमार पटेल एक दिन तो मुस्कुरा ले कब तक याद रखेगा। इस गम को, कभी तो भुला ले एक दिन तो मुस्कुरा ले। देखी है ,कभी तूने दुनिया कितनी खुबसूरत है। कभी तो अपने आखों को जगा ले एक दिन तो मुस्कुरा ले। भटकता रहता है प्यार की चाह में तेरे अंदर ही प्यार […] Read more » इस गम को एक दिन तो मुस्कुरा ले कभी तो भुला ले
कविता जिन्दगी की कुछ सच्चाईयां September 22, 2018 / September 22, 2018 by आर के रस्तोगी | 1 Comment on जिन्दगी की कुछ सच्चाईयां तू कल की फिकर में ऐ बन्दे ! आज की हंसी बर्बाद न कर हंस मरते हुए भी गाता है मोर नाचते हुए भी रोता है ये जिन्दगी का फंडा है दोस्त ! इसको हमेशा तू याद रखना दुखों वाली रात को भी नींद नहीं आती सुखो वाली रात को भी नींद नहीं आती ईश्वर […] Read more » आँख में आँसू ईश्वर जिन्दगी की कुछ सच्चाईयां फकीरों
कविता कब तक तुम भारत माँ के सपूतो के सिर कटवाते जाओगे September 21, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment कब तक तुम भारत माँ के सपूतो के सिर कटवाते जाओगे कब तक तुम दुल्हनो की मांग के सिन्दूर पुछ्वाते जाओगे उठो जवानो अब तुमको गोली का जबाब गोली से देना होगा वर्ना तुमको खून के आँसुओ को पीकर भारत में रहना होगा कब तक तुम कितनी माँओ की गोदी सूनी करवाते जाओगे कब तक […] Read more » पाक भारत माँ राखी के धागो सिन्दूर
कविता अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आयेगा September 20, 2018 by आर के रस्तोगी | 1 Comment on अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आयेगा बंद कर दिया है सांपों को सपेरे ने यह कह कर अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आयेगा पल्ला झाड़ लेती है पुलिस जनता को यह कह कर अब गुंडा ही गुंडों को पकड़ने के काम आयेगा तोड़ लिये जाते है कच्चे फ्लो को यह कह कर कोई केमिकल ही उनके पकने के […] Read more » अब इंसान ही इंसान डसने के काम आयेगा