कविता
कविता/नई कोंपल
/ by शालिनी मैथु
-शालिनी मैथु नई कोपल हूँ मैं, सब कुछ है नया-नया, नई उमंग, नई तरंग लेकर हूँ आई. माँ के स्पर्श से हुई पुलकित, निर्जीव बोतल में स्नेह देखकर हुई दुखित. चाहिय मुझे पूर्ण, उचित देखभाल, तभी तो लूंगी अपने को सँभाल. हूँ तो मैं नन्ही-मुन्ही ही सी, पर देख रेख से, बन जाउंगी वीरांगना लक्ष्मीबाई […]
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