कविता चाहे किसी धर्म की हो माता सबकी मुखाकृति मां श्रद्धा सरीखी April 29, 2022 / April 29, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकजीवों का जन्म माता से होता,पिता बीजों का विसर्जन करता,मां से मैं को अस्तित्व मिलता,जीवों को पहचान देता है पिता! माता से ममत्व का संज्ञान होता,पिता जीव को जातीय नाम देता,पिता से ही अहम का भान होता,माता भूमि उगाती बीज पिता का,मां से मिले मम में होती ममता! पितृत्व अहम से अहंकार में […] Read more » चाहे किसी धर्म की हो माता सबकी मुखाकृति मां श्रद्धा सरीखी
कविता साहित्य आ लौट कर आजा मेरे हसबैंड, नही तो तेरा वही बैंड बजा दूंगी। April 21, 2022 / April 21, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आ लौट कर आजा मेरे हसबैंड,नही तो तेरा वही बैंड बजा दूंगी। तूने समझा मुझे होगा कमजोर,ऐसी गलती न करना कोई औरनही तो वही आकर मैतेरा बैंड बजा दूंगी।आ लौट कर आजा मेरे हसबैंड,,, तूने साड़ी अभी तक मुझे दिलाई,उसकी मैचिंग सैंडल भी न दिलाईनही तो वही आकर मैपुराने सैंडल से बजा दूंगी।आ लौट कर […] Read more »
कविता चंदा मामा का झिंगोला April 20, 2022 / April 20, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment चंदा मामा पहन पायजामा,पहुंचे एक दिन वे सुसराल।बड़ी साली ने पलंग बिछाया,डाला उस पर मखमली शाल।। छोटी साली नमकीन है लाई,सलज मिठाई लेकर है आई।सासू मां ने तुलसी चाय बनामेज पर है उसे खूब सजाई।। चंदा मामा बड़े ही खुश थे,देखा कर अपनी ये अगुवाई।फूले वे समा नही रहे थे,ले रहे थे वे खूब अंगड़ाई।। […] Read more »
कविता महावीर ने कहा आत्मा समय स्थान की जीवंत स्थिति April 19, 2022 / April 19, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकवर्धमान महावीर ने कहा थाआत्मा समय स्थान की जीवंत स्थितिआत्मा समयबद्ध सम्यकस्थानीय टाइम स्पेस की सक्रिय अवस्थाआत्मा की किसी समय मेंखाली स्थान में होती सशरीर उपस्थितिआज यहां कल वहांआत्मा की अवस्थिति बदलती रहतीसमय के साथ आत्मा की स्थिति जहां नहीं होतीवहां आत्मवान जीव जन्तु नहींनिष्प्राण और शरीरी वस्तु जड़वत मृतप्राय होतीभगवान महावीर का […] Read more » Mahavir said the living condition of soul time space महावीर ने कहा आत्मा समय स्थान की जीवंत स्थिति
कविता कब गीता ने ये कहा, बोली कहाँ कुरान । – April 17, 2022 / April 17, 2022 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment जातिवाद और धर्म का, ये कैसा है दौर ।जय भारत,जय हिन्द में, गूँज रहा कुछ और ।। कब गीता ने ये कहा, बोली कहाँ कुरान ।करो धर्म के नाम पर, धरती लहूलुहान ।। गैया हिन्दू हो गई, औ’ बकरा इस्लाम ।पशुओं के भी हो गए, जाति-धर्म से नाम ।। जात-धर्म की फूट कर, बदल दिया […] Read more » When Geeta said this where did the Qur'an speak? कब गीता ने ये कहा बोली कहाँ कुरान । -
कविता चलो गांव की ओर April 17, 2022 / April 17, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment चलते है शहर छोड़ अपने गांवों की हम ओर।यहां न मिलेगा शहरों जैसा उच्चा हमको शोर।। मिलेगी ठंडी स्वच्छ हवा गांवों में ही हमको।कोई भी डर न होगा प्रदूषण का यहां हमको।। मिलेगा पूरा बिग बाजार गांवों में भी हमको।दर्जी,मोची,लुहार सब मिलेगा यहां हमको।। खाने की कमी नही,पेट भर कर यहां खायेंगे।आम अनार संतरा जी […] Read more » let's go to the village चलो गांव की ओर
कविता मन के पार उतर कर आत्मचेतना परम तत्व को पाना April 16, 2022 / April 16, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमनुष्य की उत्पत्ति मन से होतीमनुष्य मन की गति से विचरण करतामनुष्य मन ही मन मनन करतामनुष्य जहां ध्यान धरता वहां पहुंच जाता! मनुष्य के मन से अधिक गतिशीलभौतिक जगत में कोई पदार्थ नहीं होतामगर मन वहीं तक जा सकताजहां तक आप जा चुके हैं, देख चुके हैंमन के विचरण की गति सीमित […] Read more » मन के पार उतर कर आत्मचेतना परम तत्व को पाना
कविता नींबू के मन के वेदना April 16, 2022 / April 16, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment कब तक तुम मुझको दरवाज़े पर लटकाओगे।मेरे भी कुछ अरमान है,कब तक मुझे सताओगे।। मैने किए बहुत उपकार बुरी नजरों से बचाया है।खुद लटक कर मैने ही आज तक बचाया है।। मै ही था जो मिरचो के संग भी मिल जाता था।सबको ही मै बुरी नजरो से हर दम बचाता था।। मैने क्या गुनाह किए […] Read more » नींबू के मन के वेदना
कविता हनुमान जयंती April 16, 2022 / April 16, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment हाथ में गदा रखते है हनुमान,लाल लंगोट पहनते है हनुमान।जो उनकी पूजा सदैव है करता,उनका कल्याण करते है हनुमान। अष्ट सिद्धि के दाता है हनुमाननौ निधियों के दाता है हनुमान।जो इनको भय में स्मरण करता,उसकी रक्षा करते है हनुमान।। राम के भक्त कहलाते हनुमान,राम के काज संवारते हनुमान।जब रावण ने सीता को चुराया,उनका खोज किन्ही […] Read more » हनुमान जयंती
कविता मै हूं एक मिट्टी का घड़ा April 15, 2022 / April 15, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मै हूं एक मिट्टी का घड़ा,सड़क किनारे मै हूं पड़ा।बुझाता हूं मै सबकी प्यास,कुम्हार मुझे लिए है खड़ा।। खुदाने से खोदकर मिट्टी लाता है,तब कहीं कुम्हार मुझे बनाता है।बड़ी मेहनत से सुखा तपा कर,तब कही वह मुझे बाजार लाता है बुझाता हूं प्यासे की प्यास मै ही,कुम्हार के बच्चो का पेट पालता हूं।कहता नहीं मै […] Read more » I am an earthen pot मै हूं एक मिट्टी का घड़ा
कविता नींबू की चाह April 15, 2022 / April 15, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment चाह नहीं मेरी,मिर्ची की साथ मै गूंथा जाऊं।चाह नहीं मेरी,दरवाजे पर लटकाया जाऊं।। चाह नहीं मेरी,नमक चीनी के साथ में घुल जाऊं।चाह नहीं मेरी,मटर की चाट का स्वाद बन जाऊं।। चाह नहीं मेरी,भूत प्रेत से मै पीछा छुड़वाऊं।चाह नहीं मेरी,सबको बुरी नजरों से बचाऊं।। चाह नहीं मेरी,सब्जी वालो को मैं अमीर बनाऊं।चाह नहीं मेरी,नींबू के […] Read more » नींबू की चाह
कविता बहन के लिए भाई कल्पतरु शुभकामना April 11, 2022 / April 11, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकसुनो मेरी प्यारी बहनाकोई गम हो तो, अकेले नहीं सहना!भाई से चुपके से कहनारक्षाबंधन की सौगात में इसे गिनना!कुछ कम हो आंखें नम होतो कभी हरगिज चुपचाप नहीं रहना!बहन हो भाई को कभी भीअलग-अलग जाति-वर्ग का ना समझना!एक बगिया की एक डाली पेदो फूल उगते जैसे वैसे भाई और बहना!जो भी मन में […] Read more » बहन के लिए भाई कल्पतरु शुभकामना