कविता भारत की खासियत है ऐसी May 12, 2021 / May 12, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकभारत की खासियत है ऐसीकि अनेक जातियों को मिलाकरएक जाति बना देती भारत की अच्छाई है ऐसीकि अनेक धर्म को घोंटकरसर्वग्राह्य एक धर्म खड़ा कर देती! भारत की प्रवृत्ति है ऐसीकि अनेक संस्कृतियों को मिश्रितकरएक समेकित संस्कृति बना देती! ऐसे ही नीग्रो,औष्ट्रिक,द्रविड़,आर्य मिलकरएक महान संस्कृति हिन्दू का बन जाना! कभी कोई जाति नाम […] Read more » भारत की खासियत है ऐसी
कविता कोरोना त्रासदी : अपनों को खोने का गम May 12, 2021 / May 12, 2021 by प्रभात पाण्डेय | Leave a Comment अंधेरे में डूबा है यादों का गुलशनकहीं टूट जाता है जैसे कोई दर्पणकई दर्द सीने में अब जग रहे हैंहमारे अपने ,हमसे बिछड़ रहे हैंन जाने ये कैसी हवा बह रही हैज़िन्दगी भी थोड़ी सहम सी गई हैहवाओं में आजकल ,कुछ तल्खियां हैंराहों में आजकल ,कुछ पाबंदियां लग गई हैं ||आंखों का है धोखा या […] Read more » Corona tragedy कोरोना त्रासदी
कविता व्यंग्य टीके का असर May 12, 2021 / May 13, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment एक सहेली ने फोन उठाया,अपनी दूसरी सहेली को फोन लगाया,बोली,”बहन तुमने टीका लगवाया,अगर लगवाया तो क्या असर पाया”। दूसरी सहेली तपाक से बोली,“मैंने अपने ही नहीं,अपने पति को भी टीका लगवाया,जिसका बहुत भयंकर असर पाया”। पहले तो उनसे लडने मे मेरापांच मिनिट मे सांस फूल जाता था,और उनका भी सांस फूल जाता थाअब तो पांच […] Read more » टीके का असर
कविता बचपन की यादों को यारो मत भूलाना May 8, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment शाम होते ही छतो पर चढ़ जाना,छतो पर चढ़कर पानी छिड़कना,पानी छिड़का कर गद्दे बिछानागद्दे बिछाकर उसपर चादर बिछाना।बचपन की यादों यारो मत भुलाना।। आधी रात को बरसात का आ जानागद्दे चादर उठाकर नीचे भाग जाना,भाग कर फिर से मुंह ढक कर सो जाना,मम्मी ने सुबह डंडे मारकर जगाना,बचपन की यादों को यारो मत भूलाना […] Read more » बचपन की यादों को यारो मत भूलाना
कविता माँ (हैपी मदर्स डे ) May 8, 2021 / May 12, 2021 by प्रभात पाण्डेय | Leave a Comment माँ के जीवन की सब साँसेबच्चों के ही हित होती हैंचोट लगे जब बालक के तन कोआँखें तो माँ की रोती हैंख़ुशी में हमारी ,वो खुश हो जाती हैदुःख में हमारे ,वो आंसू बहाती हैनिभाएं न निभाएं हमअपना वो फ़र्ज़ निभाती हैऐसे ही नहीं वो ,करुणामयी कहलाती हैप्रेम के सागर में माँ ,अमृत रूपी गागर […] Read more » mothers day मदर्स डे
कविता गांधार में भगवान गौतम बुद्ध May 7, 2021 / May 7, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकगांधार अफगानिस्तान के बामियान मेंअहिंसा के अवतार,दया के सागर,करुणा की मूर्ति, ईसा, पैगम्बर, नानक,गोविंद,गांधी के प्रेरणा स्रोत,भगवान बुद्ध की रेशम मार्ग में स्थितबामियान के हिन्दूकुश पर्वत श्रृंखला में निर्मितप्रस्तर मूर्ति और प्रतिमाओं कोतोप मोर्टार के गोलों से ध्वस्त किया जाना,ईसा को पुनः सलीब पर लटकाना,सुकरात को पुनः जहर पिला देना,गांधी को पुनः मौत […] Read more » गांधार में भगवान गौतम बुद्ध
कविता हम उस देश के वासी हैं May 7, 2021 / May 7, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायककिसी ने कहा हैहम उस देश के वासी हैंजिस देश में गंगा बहती हैकिन्तु मैं नहीं कहतानोनिआए ईंटों पर प्लास्टरीमुल्लमायुक्त बातें! बल्कि मैं कहता हूंहम उस देश के वासी हैंजहां बहुत ही दंगा होता हैहम धर्म के नाम पर मरते हैंअबलाएं खून के आंसू रोती हैहम सदा कर्म की आहें भरते हैंहम नसीब […] Read more » We are residents of that country हम उस देश के वासी हैं
कविता मेरे जाने के बाद May 7, 2021 / May 7, 2021 by आलोक कौशिक | Leave a Comment मैं जानता हूँमेरे जाने के बादकौन किस तरह सेकरेगा मुझे याद कोई मन-ही-मन मुस्कुराएगाकोई ठहाके भी लगाएगाकुछ को अफ़सोस होगातो कोई बहुत पछताएगा कोई ढूँढ़ेगा मुझे मेरी ग़ज़लों मेंकोई प्रेम के पर्यायवाची शब्दों मेंपढ़ने मेरी एक और किताबरब से करेगा कोई फ़रियाद मैं जानता हूँमेरे जाने के बादकौन किस तरह सेकरेगा मुझे याद कुछ कहेंगे […] Read more » मेरे जाने के बाद
कविता कलचुरी: हैहय यदुवंशी क्षत्रियों की ऐतिहासिक गाथा May 6, 2021 / May 6, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकये ऐतिहासिक गाथा,कलचुरी हैहय यदुवंशी क्षत्रियों की,चन्द्र, बुध,पुरुरवा,आयु, नहुष,ययाति, यदु, हैहयवंश की,सोम शीतलम्,बुद्ध पूर्व,आयुष्मान,ययातिवंशी यादों की! ये सच है कि इस भू की जो चीजें धरा में उपलब्ध है,उसकी नाश कभी नहीं होती, चाहे वो धन हो या वंश,न जाने कितनी बार यहां आए राम-रावण, कृष्ण-कंश! जमाना लाख बुरा चाहे,किसी का यहां बुरा […] Read more » Kalachuri: Historical Saga of Haihay Yaduvanshi Kshatriyas
कविता सृष्टि के नियम May 5, 2021 / May 5, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment किये है जो कर्म हमने,उन्हीं का फल पा रहे हैं,बोए है जो पेड़ हमने,उन्हीं के फल खा रहे है।चला आ रहा है यह नियम सृष्टि का सदियों से,उसी को सब लोग संसार में निभाते जा रहे है।। आवागमन का नियम सृष्टि का चला आ रहा है,जो आया है यहां वह यहां से चला जा रहा […] Read more » सृष्टि के नियम
कविता हिन्दी उर्दू एक सिर दो धड़ है May 5, 2021 / May 5, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकजवाहरलाल नेहरू का कहना है,हिन्दी उर्दू एक सिर दो धड़ है! इससे सटीक परिभाषा हो नहींसकती हिन्दी व उर्दू भाषा की! हिन्दी वाक्य रचना में संस्कृत,औ’कुछ देशी-विदेशी शब्द होते! इन विदेशी शब्दों में अरबी एवंफारसी सायास मिलाई जाती है! उर्दू जबतक विदेशी लिपी में है,तब तक जनता नहीं चाहती है! नस्तालीक उर्दू की […] Read more » हिन्दी उर्दू
कविता कोरोना त्रासदी(अपनों को खोने का गम ) May 4, 2021 / May 4, 2021 by प्रभात पाण्डेय | Leave a Comment अंधेरे में डूबा है यादों का गुलशनकहीं टूट जाता है जैसे कोई दर्पणकई दर्द सीने में अब जग रहे हैंहमारे अपने ,हमसे बिछड़ रहे हैंन जाने ये कैसी हवा बह रही हैज़िन्दगी भी थोड़ी सहम सी गई हैहवाओं में आजकल ,कुछ तल्खियां हैंराहों में आजकल ,कुछ पाबंदियां लग गई हैं ||आंखों का है धोखा या […] Read more » कोरोना त्रासदी