कविता साहित्य सिर पर मेरे हाथ धर,यूं ही बढ़ाते रहना मान September 4, 2020 / September 4, 2020 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment चरण वंदन करता आज मैं, कर गुरु गुणगान, सिर पर मेरे हाथ धर,यूं ही बढ़ाते रहना मान। क्या वर्ण और क्या वर्णमाला, रह जाता मैं अनजान, ‘अ’ से अनार,’ए’ से एपल की न हो पाती पहचान। गिनती, पहाड़े, जोड़-घटा, न कभी हो पाती गुणा-भाग, एक-एक क्यों बनें अनेक, बोध न हो पाता कभी ये ज्ञान। […] Read more » poem on teachers day गुरु
कविता आओ भारत को आत्मनिर्भर बनाए September 3, 2020 / September 3, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आओ भारत को आत्मनिर्भर बनाए,हर दृष्टि से इसे शक्तिशाली बनाए,जों इसके विकास में रोड़ा अटकाए,उसे हर तरीके से हम उसे समझाए। आओ भारत को ऐसा देश बनाए,सुंदर,सजग,सशक्त व सरल बनाए,जो देखे इस देश को कुदृष्टि से,उसको सब मिलकर दृष्टिहीन बनाए। आओ हिंदी को सबकी भाषा बनाए,इसे बोलचाल की हम भाषा बनाए,जिनको नहीं आती हो हिंदी […] Read more » Come make India self-reliant आत्मनिर्भर भारत
कविता बच्चों का पन्ना पैदल मेरे साथ चलो September 2, 2020 / September 2, 2020 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment Read more » पैदल मेरे साथ चलो
कविता तीन लोग September 1, 2020 / September 1, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment तीन लोगसंसद के बाहरप्रदर्शन कर रहे थेऔर नारे लगा रहे थे एक कह रहा थाहमें मंदिर चाहिएदूसरा कह रहा थाहमें मस्जिद चाहिएऔर तीसरा कह रहा थाहमें रोटी चाहिए कुछ वर्षों के बादमंदिर वाला और मस्जिद वालासंसद के भीतर दिखने लगाऔर रोटी वालासंघर्ष करता हुआअपनी रोटी के लिए Read more » तीन लोग
कविता सुबह से शाम तक September 1, 2020 / September 1, 2020 by पंडित विनय कुमार | Leave a Comment सुबह से शाम तकसूर्य की रक्ताभ किरणेंफैली -पसरी रही धरा परजीवन का सुख- दुखहर क्षण हम आत्मसात करते रहेकेवल नहीं मिली हमें प्रेम कलिकाएं…वह प्रेमजिसको पाने के लिए भ्रमर दिन भर गुंजार करता हैचातक देखता रहता है चंद्रमा के आने की राह…वह प्रेम, जो नश्वर है सचमुचजो बिंथा है /बिंधा है स्वार्थ के सांसारिक डोर […] Read more » sunrise to sunset सुबह से शाम तक
कविता बूढा पीपल हैं कहाँ,गई कहाँ चौपाल !! August 31, 2020 / August 31, 2020 by डॉ. सत्यवान सौरभ | 1 Comment on बूढा पीपल हैं कहाँ,गई कहाँ चौपाल !! — डॉo सत्यवान सौरभ, अपने प्यारे गाँव से, बस है यही सवाल !बूढा पीपल हैं कहाँ,गई कहाँ चौपाल !! रही नहीं चौपाल में, पहले जैसी बात !नस्लें शहरी हो गई, बदल गई देहात !! जब से आई गाँव में, ये शहरी सौगात !मेड़ करें ना खेत से, आपस में अब बात !! चिठ्ठी लाई गाँव […] Read more » गई कहाँ चौपाल बूढा पीपल हैं कहाँ
कविता हे सांड़ देवता नमस्कार! August 30, 2020 / August 30, 2020 by अजय एहसास | Leave a Comment हे सांड़ देवता नमस्कार !हे सांड़ देवता नमस्कार!नित दर्शन दे करते उद्धार, हे सांड़ देवता नमस्कार! खेतों में रात भर पड़े रहे, सब लाठी लेकर खड़े रहेपत्ती सब आप ग्रास करते, भूमि में बस जड़ पड़े रहेक्यों इतना लेते हो आहार , हे सांड़ देवता नमस्कार! जब मार्ग कोई अवरुद्घ किये ,तो आप भी उसके […] Read more » सांड़ देवता
कविता मै भी हूं तन्हा,तुम भी हो तन्हा August 28, 2020 / August 28, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मैं भी हूं तन्हा,तुम भी हो तन्हा।चले उस जगह,जहा दोनों हो तन्हा।। सूरज भी है तन्हा,चांद भी है तन्हा।करते है सफर आसमां में वे तन्हा।। चलो तन्हाई को रुकसत करे हम दोनों।घर बसाए कहीं चलकर हम दोनों तन्हा।। मेरी जान भी तन्हा,तेरा जहां भी तन्हा।छोड़ कर चल देंगे,इस जहां को तन्हा।। लेकर न जाएंगे कुछ […] Read more » मै भी हूं तन्हा
कविता खबरों की भीड़ में ….!! August 27, 2020 / August 27, 2020 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा खबरों की भीड़ में ,राजनेताओं का रोग है .अभिनेताओं के टवीट्स हैं .अभिनेत्रियों का फरेब है .खिलाड़ियों का उमंग हैअमीरों की अमीरी हैं .कोरिया – चीन हैतो अमेरिका और पाकिस्तान भी है .लेकिन इस भीड़ से गायब है वो आम आदमीजो चौराहे पर हतप्रभ खड़ा है .जो कोरोना से डरा हुआ तो […] Read more » खबरों की भीड़ में
कविता मां और मौसी August 27, 2020 / August 27, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मां पर सभी कवि लिखते हैं,मौसी पर कभी नहीं लिखते है।मौसी भी तो मां जैसी है पर ,उस पर क्यो नहीं हम लिखते है ? मौसी भी तो मां के समान है,उसका भी तुम सम्मान करो।देखो उनमें कितना प्यार है,उस पर तुम अभिमान करो।। मां मरती है तो मौसी पालती है,अपने बच्चो को छोड़ तुम्हे […] Read more » मां और मौसी
कविता देश ही सर्वोच्च है। August 27, 2020 / August 27, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment जिस देश में हमने जन्म लिया,उस देश पर हम बलिदान हो जाए।जो निर्बल है पिछड़े है इस देश में,उनको तारे हम पहले फिर खुद तर जाए।। रहे ध्यान निज मान मर्यादा का,उसका हनन हम कभी न होने दे।जो करे हनन हमारी मर्यादाओं का,उनको देश में कभी हम बढ़ने न दे।। करे देश की रक्षा हम […] Read more » The country is supreme. देश ही सर्वोच्च है।
कविता सावन और साजन August 25, 2020 / August 25, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment घोर घटाएं जब घिरने लगती है,तुम्हारी याद मुझे आने लगती है।रिम झिम रिम झिम जब बादल बरसे,मिलन की आस सताने लगती हैं।। साथ न हो सावन में साजन का,दिल में घुटन सी होने लगती है।बिन साजन सावन की भीगी राते,मुझको दुश्मन सी लगने लगती है।। दमकती है दामिनी जब नभ में,मुझको डर लगने लगता है।कही […] Read more » सावन और साजन