कविता जिंदगी बेहाल है, बहुत बुरा हाल है September 17, 2020 / September 17, 2020 by अशोक बजाज | Leave a Comment यह कोरोना काल है, दुनिया में भूचाल है,घर से बाहर ना निकलें, जी का जंजाल है।पर किसने किसकी मानी है, घर में रहने की ठानी है,जब फैल गया कोरोना तो, हर बस्ती में वीरानी है।चारों ओर हाहाकार है, मरीजों की चीत्कार है,दवा नहीं बनेगी, तब तक डॉक्टर भी लाचार हैं।सूना सूना बाज़ार है, ऑनलाइन व्यापार […] Read more » कोरोना काल जिंदगी बेहाल है
कविता हिन्दी दिवस September 14, 2020 / September 14, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आओ सब मिलकर हिन्दी दिवस मनाए।इसे अपना कर भारत की शान बढ़ाए।। हिन्दी ही मां की बिंदी है ,आओ इसकी शान बढ़ाए।इसका प्रचार प्रसार के लिएतन मन और धन लगाए।। हिन्दी है मातृ भाषा हमारी,सब भाषाओं की भाषा है।यही एक भाषा है जो भारतकी जनजन की भाषा है।। हिन्दी ही देश की शान है ,हिन्दी […] Read more » Hindi Diwas poem on hindi diwas हिन्दी दिवस
कविता प्रेम परिधि September 13, 2020 / September 13, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment बिंदु और रेखा में परस्पर आकर्षण हुआतत्पश्चात् आकर्षण प्रेम में परिणतधीरे-धीरे रेखा की लंबाई बढ़ती गईऔर वह वृत्त में रूपांतरित हो गयीउसने अपनी परिधि में बिंदु को घेर लिया अब वह बिंदु उस वृत्त को हीसंपूर्ण संसार समझने लगाक्योंकि उसकी दृष्टिप्रेम परिधि से परे देख पाने मेंअसमर्थ हो गई थी कुछ समय बादसहसा एक दिनवृत […] Read more » प्रेम परिधि
कविता साहित्य कंगना के मन की पीड़ा September 12, 2020 / September 12, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे,हां,तुम मुझे भुला ना पाओगे।पंगा लिया है तुमने मुझसेउसका खामियाजा तो उठाओगे। यह देश है सभी वासियों काअकेला नहीं हैं ये तुम्हारा।महाराष्ट्र है उसका एक हिस्साक्यो बनाते हो अलग किनारा सारा देश मेरे साथ खड़ा है,तुम्हारे साथ कौन खड़ा है ?चन्द गुंडों को साथ लिया हैये काम न कोई बडा […] Read more » कंगना के मन की पीड़ा
कविता है हिंदी यूं हीन ।। September 12, 2020 / September 12, 2020 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment बोल-तोल बदले सभी, बदली सबकी चाल ।परभाषा से देश का, हाल हुआ बेहाल ।। जल में रहकर ज्यों सदा, प्यासी रहती मीन ।होकर भाषा राज की, है हिंदी यूं हीन ।। अपनी भाषा साधना, गूढ ज्ञान का सार ।खुद की भाषा से बने, निराकार, साकार ।। हो जाते हैं हल सभी, यक्ष प्रश्न तब मीत […] Read more » है हिंदी यूं हीन
कविता सच व झूठ में अन्तर September 11, 2020 / September 11, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment सच सच ही रहेगा,एक दिन अवश्य आयेगा।झूठ झूठ ही रहेगा,वह कभी भी न आयेगा।।झूठ के पैर होते नहीं,वह कभी न चल पायेगा लगता हैं समय सच को साबित करने के लिए।झूठ लेता है झूठ का सहारा कदम चलने के लिए।बोलने पड़ते हैं सौ झूठ,एक झूठ छिपाने के लिए।। सच को साक्ष्य की जरूरत नहीं खुद […] Read more »
कविता यह अचानक…… September 10, 2020 / September 10, 2020 by मनु शर्मा | Leave a Comment यह अचानक हुआ क्याविकास की इस तेज की दौड़ मेंहमने क्या खोया और क्या पायासमझ ही न पायेसुविधाओं को विकास मान करचल पड़े नयी राह परकब जाने किस मोड़ पर बदल गया सब कुछजाने कब धड़े और सुराही का पानी पीते पीतेबोतल का पानी पीना सीख गये यह अचानक हुआ क्याविकास की इस तेज होती […] Read more » यह अचानक
कविता बरगद की छांव ….!! September 10, 2020 / September 10, 2020 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा बुलाती है गलियों की यादें मगर ,अब अपनेपन से कोई नहीं बुलाता ।इमारतें तो बुलंद हैं अब भी लेकिन ,छत पर सोने को कोई बिस्तर नहीं लगाता ।बेरौनक नहीं है चौक – चौराहेपर अब कहां लगता है दोस्तों का जमावड़ा ।मिलते – मिलाते तो कई हैं मगरहाथ के साथ दिल भी मिले […] Read more » Banyan shade बरगद की छांव
कविता कंगना के मन की पीड़ा September 10, 2020 / September 10, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आहत है आज सारा संसार तेरी करतूतों से,पता लगेगा तुझको,जब स्वागत होगा जूतों से। वर्षों लग जाते है एक आशियाना बनाने में,तुझे चंद घंटे लगे मेरा आशियाना तुड़वाने में। क्या मिला तुझको एक नारी को करके बेदखल,पता लगे तुझको जब सत्ता से होगा तू बेदखल। बदले की भावना थी उसे तुम क्यो छिपाते हो,सत्ता से […] Read more » कंगना के मन की पीड़ा
कविता विभिन्न पत्नियों के विभिन्न वार्तालाप अपने पतियों से September 7, 2020 / September 7, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment पायलट की पत्नी बोली अपने पति से,ज्यादा हवा में मत उडो,मै तुम्हे तो ही उड़ा दूंगीज्यादा तीन दो पांच मत करोतुम्हे तो मुंह से सीटी बजाकरहवा में उड़ा दूंगी। अध्यापक की पत्नी बोलीमुझे ज्यादा मत पढ़ाओ,मै तो पढ़ी पढ़ाई आईं हूंतुम जैसे मास्टरों की तोहेड मास्टरनी बनकर आई हूं। पेंटर की बीबी बोलीज्यादा रंग मत […] Read more » poem on husband and wife talks वार्तालाप
कविता शिक्षा दिवस September 5, 2020 / September 5, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment रहे न अशिक्षित भारत में कोई,ऐसी योजनाएं हमे बनाना है।घर घर शिक्षा का दीपक भी,देश के हर कोने में जलाना है।। शिक्षा दिवस भी एक पर्व है,इसे भी और पर्वो की तरह मनाना है।रहे ने कोई देश में अशिक्षित,भारत को अब महान बनाना है।। होती जा रही महंगी शिक्षा,इसको अब सस्ती करनी है।पढ़ सके हर […] Read more » शिक्षा दिवस
कविता बच्चों का पन्ना चीटा है यह September 5, 2020 / September 5, 2020 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment प्रभुदयाल श्रीवास्तव Read more »