धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार लेख वर्त-त्यौहार शांति के लिए शक्ति के उपासक बनें October 18, 2023 / October 18, 2023 by विनोद कुमार सर्वोदय | Leave a Comment भारत भूमि के महान सपूत महर्षि अरविन्द ने वर्षों पूर्व जब हम अंग्रेजों के अधीन थे, अपनी एक छोटी रचना ‘भवानी मंदिर’ की भूमिका में लिखा था कि “हमने शक्ति को छोड़ दिया है, इसलिए शक्ति ने भी हमें छोड़ दिया”। अतः पराधीनता में रहना हमारी दुर्बलता का ही परिणाम था। अनेक मनीषियों ने लिखा व […] Read more »
लेख खेलकूद की जगह घर के कामों में उलझा दी गई किशोरियां October 18, 2023 / October 18, 2023 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment सिमरन सहनीमुजफ्फरपुर, बिहार हाल ही में संपन्न हुए एशियाई खेलों में भारत ने पहली बार मेडलों का शतक लगाते हुए नया कीर्तिमान गढ़ दिया. इस एतिहासिक सफलता में पुरुष खिलाड़ियों के साथ साथ भारत की महिला खिलाड़ियों का भी बराबर का योगदान रहा है. गर्व की बात यह है कि घुड़सवारी जैसी प्रतिस्पर्धा में भी […] Read more » Girls got entangled in household chores instead of sports.
लेख विधि-कानून विविधा अजन्मे बच्चे के अधिकारों की रक्षा का बड़ा मानवीय फैसला October 18, 2023 / October 18, 2023 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग-सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर कभी-कभी नैतिक एवं मानवीय मूल्यों से जुड़े मुद्दे भी विचाराधीन आते हैं, भारतीय न्यायालय की विशेषता रही है कि वह ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए अनूठे फैसले लेकर मानवीय एवं नैतिक मूल्यों को मजबूती दी है। ऐसे ही एक मामले में अजन्मे बच्चे की नैतिकता के […] Read more » अजन्मे बच्चे के अधिकारों की रक्षा
लेख जिहाद सदैव शस्त्रविहीन समाज को ही निगलता आया है October 18, 2023 / October 18, 2023 by दिव्य अग्रवाल | Leave a Comment – दिव्य अग्रवाल हमास जैसी गतिविधियां भारत में प्रतिदिन कहीं न कहीं होती रहती हैं बस उनका प्रारूप भिन्न है। हमास द्वारा इजराइल में जब हमला किया गया उस समय नागरिकों के पास हथियार नहीं थे क्योंकि वे सभी नागरिक एक आयोजन में सम्मिलित होने आये थे । अर्थात यदि उन नागरिकों के पास शस्त्र होते तो […] Read more »
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म लेख वर्त-त्यौहार देवी साधना में त्रुटियॉ होती है अमंगलकारी October 18, 2023 / October 18, 2023 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव नवरात्रि में नवदुर्गा के विभिन्न स्वरूपों को 9 दिनों के लिए हरेक नगर, गाँव, मोहल्ले, कसवे आदि हजारो स्थानों पर प्राणप्रतिष्ठित करने का उत्साह दिखाई देता है, उसे हम सृष्टि का संचालन करने वाली जगन्माता के प्रति अपनी भक्ति का स्वरूप ओर माता के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शन के साथ अभिवांछित […] Read more »
लेख महाराजा अग्रसेन समाजवादी व्यवस्था के अग्रदूत थे October 16, 2023 / October 16, 2023 by ललित गर्ग | Leave a Comment अग्रसेन जयन्ती- 15 अक्टूबर, 2023-ः ललित गर्ग:- कुशल शासकों की कीर्ति किसी एक युग तक सीमित नहीं रहती। उनका लोकहितकारी चिन्तन कालजयी होता है और युग-युगों तक समाज का मार्गदर्शन करता है। ऐसे शासकों से न केवल जनता बल्कि सभ्यता और संस्कृति भी समृद्ध और शक्तिशाली बनती है। ऐसे शासकों की दृष्टि में सर्वोपरि हित सत्ता […] Read more » अग्रसेन जयन्ती- 15 अक्टूबर
धर्म-अध्यात्म लेख वर्त-त्यौहार नवरात्रि : नौ शक्तियों का मिलन पर्व October 16, 2023 / October 16, 2023 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment – योगेश कुमार गोयलनौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि पर्व की शुरूआत हो चुकी है। आदि शक्ति दुर्गा की पूजा के इस पावन पर्व का विशेष महत्व माना जाता है। नवरात्रि के ये नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न नौ स्वरूपों की उपासना के लिए निर्धारित हैं और इसीलिए नवरात्रि को नौ शक्तियों के मिलन […] Read more » नवरात्रि : नौ शक्तियों का मिलन पर्व
आर्थिकी लेख भारत में निर्मित होने लगे हैं रोजगार के करोड़ों अवसर October 16, 2023 / October 16, 2023 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment भारतीय सनातन संस्कृति के बारे में विवेचन करते हुए, भारत में रचित वेद, पुराण एवं परम्पराओं के अनुसार, राजा का यह कर्तव्य माना गया है कि उसके राज्य में निवास कर रही प्रजा में प्रत्येक नागरिक को रोजगार उपलब्ध हो, राजा ऐसी व्यवस्था करे। जब तक भारतीय सनातन संस्कृति का भारत में पालन होता रहा, तब तक लगभग समस्त नागरिकों को रोजगार उपलब्ध होता रहा। प्राचीन भारत में विशेष रूप से गावों में ही रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध रहते थे एवं शहरों की ओर पलायन भी बहुत कम होता था। बेरोजगारी की समस्या के बारे में तो भारत के प्राचीन शास्त्रों में वर्णन ही नहीं मिलता है। समस्त नागरिकों को रोजगार उपलब्ध रहता था एवं वे अपने परिवार के समस्त सदस्यों का भरण पोषण करने में सक्षम रहते थे एवं परिवार के समस्त सदस्यों के साथ प्रसन्नत्ता एवं उत्साह के साथ रहते थे। जब कि आज की परिस्थितियों के बीच, वैश्विक स्तर पर, बेरोजगारी की समस्या एक प्रमुख समस्या के रूप में उभर रही है। भारतीय सनातन संस्कृति का पालन करते हुए भारत आज आर्थिक प्रगति के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज भारतीय अर्थव्यवस्था पूरे विश्व की लगभग सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे तेज गति से प्रगति करने वाली अर्थव्यवस्था बन गई है। वर्ष 2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में 10वें स्थान पर थी जो आज 5वें स्थान पर पहुंच गई है एवं भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति को देखते हुए अब उम्मीद की जा रही है कि वर्ष 2027-28 के पूर्व भारत की अर्थव्यवस्था 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगी एवं यह अमेरिका एवं चीन के बाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन जाएगी। भारत में केंद्र सरकार द्वारा लगातार यह प्रयास किया जा रहा है कि न केवल देश की अर्थव्यवस्था तेज गति से आगे बढ़े बल्कि भारत में युवाओं के लिए अधिक से अधिक रोजगार के नए अवसर निर्मित हों। इस दृष्टि से भारत में अब अच्छी खबर आई है। भारत में अगस्त 2023 माह में 46.21 करोड़ नागरिकों को रोजगार मिला हुआ था जबकि अगस्त 2022 में 43.02 करोड़ नागरिकों को ही रोजगार प्राप्त था, इस प्रकार एक वर्ष के दौरान 3.19 करोड़ नागरिकों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। केंद्र सरकार के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा वर्ष 2017 के बाद से प्रतिवर्ष देश में (जुलाई-जून वार्षिक अवधि के बीच) श्रम शक्ति सर्वेक्षण, यह जानने के लिए किया जाता है कि भारत के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी एवं रोजगार की कैसी स्थिति है। हाल ही में जुलाई 2022 से जून 2023 की अवधि के बीच यह सर्वेक्षण कार्य सम्पन्न हुआ है। इस सम्बंध में जारी किए गए प्रतिवेदन में भारत में रोजगार की स्थिति के बारे में कई अच्छे तथ्य उभरकर सामने आए हैं। भारत में 15 वर्ष एवं इससे अधिक की आयु वाले नागरिकों के बीच श्रम शक्ति भागीदारी की दर (Labour Force Participation Rate) में लगातार अतुलनीय रूप से सुधार हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में श्रम शक्ति भागीदारी की दर वर्ष 2017-18 में 50.7 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 60.8 प्रतिशत हो गई है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह वर्ष 2017-18 में 47.6 प्रतिशत से बढ़कर 50.4 प्रतिशत हो गई है। इसी प्रकार, पुरुषों में यह दर वर्ष 2017-18 में 75.8 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 78.5 प्रतिशत एवं महिलाओं में यह दर वर्ष 2017-18 में 23.3 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 37 प्रतिशत हो गई है। इसी प्रकार, भारत में 15 वर्ष एवं अधिक की आयु के नागरिकों के बीच कर्मचारी जनसंख्या अनुपात (Worker Population Ratio) में भी अतुलनीय सुधार दृष्टिगोचर है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कर्मचारी जनसंख्या अनुपात वर्ष 2017-18 के 48.1 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 59.4 प्रतिशत हो गया है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह अनुपात वर्ष 2017-18 के 43.9 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 47.7 प्रतिशत हो गया है। पुरुषों के बीच यह अनुपात वर्ष 2017-18 के 71.2 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 76 प्रतिशत हो गया है और महिलाओं में यह अनुपात वर्ष 2017-18 के 22 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 35.9 प्रतिशत हो गया है। जब देश में श्रम शक्ति भागीदारी की दर एवं कर्मचारी जनसंख्या अनुपात में लगातार सुधार दिखाई दे रहा है तो स्वाभाविक रूप से भारत में बेरोजगारी की दर में भी कमी दृष्टिगोचर हो रही है। उक्त सर्वेक्षण के अनुसार भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की दर वर्ष 2017-18 में 5.3 प्रतिशत थी जो वर्ष 2022-23 में घटकर 2.4 प्रतिशत रह गई है। वहीं शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी की दर वर्ष 2017-18 के 7.7 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2022-23 में 5.4 प्रतिशत पर आ गई है। पुरुषों के बीच बेरोजगारी की दर वर्ष 2017-18 के 6.1 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2022-23 में 3.3 प्रतिशत हो गई है तो वहीं महिलाओं के बीच बेरोजगारी की दर वर्ष 2017-18 के 5.6 प्रतिशत से वर्ष 2022-23 में घटकर 2.9 प्रतिशत हो गई है। भारत में आज भी 60 प्रतिशत से अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। अतः ग्रामीण क्षेत्रों में यदि रोजगार के नए अवसर अधिक मात्रा में निर्मित हो रहे हैं तो यह एक बहुत अच्छा सुधार है। इसी प्रकार, भारत में पुरुषों के बीच यदि बेरोजगारी की दर काफी कम हो रही है तो भारतीय महिलाओं को श्रम बाजार में उतरना ही होगा, और ऐसा होता दिखाई भी दे रहा है, अतः यह भी एक उत्तम सुधार है। भारत में महिला शक्ति यदि श्रम बाजार में उतरती है तो भारत में मजदूरी की दरों को भी संतुलित रखा जा सकता है जिससे उत्पादों की लागत में तेज वृद्धि को रोका जा सकेगा और भारत में निर्मित उत्पाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लम्बे समत तक प्रतिस्पर्धी बने रह सकेंगे। प्रहलाद सबनानी Read more » Crores of employment opportunities have started being created in India
लेख चुनौती एवं गंभीर समस्या बन रहा है ई-कचरा October 14, 2023 / October 14, 2023 by ललित गर्ग | Leave a Comment ई-अपशिष्ट दिवस- 14 अक्टूबर, 2023 ललित गर्ग दुुनिया डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं की ओर तेजी से बढ़ रही है, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी आधारित सेवाएं एवं इलेक्ट्रोनिक क्रांति ने लोगों के जीवन को आसान बना दिया है, लेकिन अर्थव्यवस्था एवं जीवन का डिजिटल अवतार इलेक्ट्रोनिक कचरे की शक्ल में एक नयी चुनौती एवं जटिल समस्या को […] Read more » ई-अपशिष्ट दिवस ई-कचरा
लेख विंड एनेर्जी इंडस्ट्री में 2027 तक भरपूर नौकरियों की उम्मीद October 14, 2023 / October 14, 2023 by निशान्त | Leave a Comment ग्लोबल विंड ऑर्गेनाइजेशन (जीडब्ल्यूओ) और ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल (जीडब्ल्यूईसी) की एक ताजा रिपोर्ट में वर्ष 2027 तक अनुमानित पवन ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण, स्थापना, संचालन और रखरखाव जैसे कार्यों के लिए जरूरी टेक्निशियंस की तादाद के बारे में पूर्वानुमान लगाया गया है। यह रिपोर्ट स्थानीय और राष्ट्रीय सरकारों के सामने अक्षय ऊर्जा के विकास को और बढ़ावा देने के […] Read more » Expected abundance of jobs in wind energy industry by 2027
लेख शादी-ब्याह: बढ़ता दिखावा-घटता अपनापन October 12, 2023 / October 12, 2023 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment भौतिकता की पराकाष्ठा के समय में जिसमें प्रत्येक कार्य व रिश्तों को धन की बुनियाद पर खड़ा किया जाने लगा है और वो सम्पूर्ण मानव जाति के लिये घातक कदम साबित हो रहा हैं सम्प्रति विवाहों में धन का प्रदर्शन किन-किन तरीकों से होने लगा है सब कल्पनातीत है, आज इंसान को अपने धन की बाहुलता […] Read more » शादी-ब्याह
आर्थिकी लेख वैश्विक वित्तीय संस्थान भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमान को बढ़ा रहे हैं October 11, 2023 / October 11, 2023 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment वैश्विक स्तर पर विभिन्न देश आर्थिक समस्याओं से लगातार जूझ रहे हैं। साथ ही, रूस यूक्रेन के बीच युद्ध अभी थमा भी नहीं था कि आतंकवादी संगठन हमास ने इजराईल पर हमला कर दिया, जिससे अब इजराईल एवं हमास के बीच युद्ध छिड़ गया है और अब तो एक तरह से लेबनान भी इस युद्ध में कूद गया है। इन विपरीत परिस्थितियों के बीच, हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत में अप्रैल-जून 2023 तिमाही में उम्मीद से अधिक खपत का हवाला देते हुए वित्त-वर्ष 2023-24 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 6.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है। आईएमएफ की ओर से किया गया यह बदलाव भारत के आंकड़ों में किए गए कई बदलावों में सबसे नया है। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्वानुमानों के अनुसार वित्त-वर्ष 2023-24 के लिए भारत की विकास दर 6.5 प्रतिशत के आसपास रह सकती है। आईएमएफ के अनुसार आने वाले समय में भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। आईएमएफ के पूर्व विश्व बैंक द्वारा भी एक ताजा प्रतिवेदन में यह अनुमान जताया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2023-24 में 6.3 प्रतिशत की दर से विकास करेगी। विकास की वजह देश में लगातार बढ़ रहा निवेश और घरेलू मांग का बढ़ना बताया गया है। विश्व बैंक की इंडिया डेवलपमेंट अपडेट (आईडीयू) प्रतिवेदन में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था में लचीलापन कायम है। इस कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में रफ्तार बनी रहेगी। इसी प्रकार, आर्थिक विकास एवं सहयोग संगठन (ओईसीडी) द्वारा जारी किए गए एक अन्य प्रतिवेदन के अनुसार वर्ष 2023 में भारत की विकास दर 6.3 प्रतिशत एवं वर्ष 2024 में 6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। यह दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले सबसे अधिक वृद्धि दर रहने वाली है। जबकि इसी अवधि के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर क्रमश: 3 प्रतिशत एवं 2.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। जी-20 समूह में शामिल विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर वर्ष 2023 में 1.5 प्रतिशत और वर्ष 2024 में 1.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। एक अन्य वैश्विक निवेश बैंक मार्गन स्टेनली द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में तेज वृद्धि दर के बाद पूरे वित्तीय वर्ष के लिए भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमान को बढ़ाया गया है। मार्गन स्टेनली ने अब पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक विकास दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। इससे पहले मार्गन स्टेनली ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक विकास दर को 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। निवेश बैंक ने कहा है कि मजबूत घरेलू मांग के चलते भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमान में संशोधन किया गया है। अप्रैल-जून 2023 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही है, जो मार्गन स्टेनली के पूर्व अनुमान 7.4 प्रतिशत से अधिक है। चीन की विस्तारवादी नीतियों के चलते अब विश्व के कई देशों का चीन पर विश्वास लगातार कम हो रहा है, जिसके कारण विकसित देशों की कई कम्पनियां चीन से अपनी विनिर्माण इकाईयों को अन्य देशों में स्थानांतरित कर रही हैं। इससे चीन में कई आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो रही है। इस बीच भारत ने बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को भारत में अपनी विनिर्माण इकाईयां स्थापित करने हेतु आकर्षित करने उद्देश्य से उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना लागू की है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अपनी विनिर्माण इकाईयों को अब भारत में स्थापित कर रही हैं। विशेष रूप से ऑटोमोबाइल, स्मार्ट फोन उत्पादन, फार्मा, टेक्सटाइल, सुरक्षा उपकरणों के निर्माण, सूचना प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, जैसे क्षेत्रों में विनिर्माण इकाईयों की स्थापना की जा रही है। भारत की लगातार बढ़ती आर्थिक विकास दर के चलते अब भारत में बेरोजगारी की दर भी कम हो रही है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा जारी आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण वार्षिक प्रतिवेदन 2022-2023 के अनुसार, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के नागरिकों के लिए भारत में बेरोजगारी की दर जुलाई 2022 से जून 2023 के खंडकाल के दौरान छह वर्ष के निचले स्तर अर्थात 3.2 प्रतिशत पर आ गई है। एनएसएसओ के अनुसार, एक वर्ष पहले की समान अवधि में यह 7.6 प्रतिशत थी। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के नागरिकों के लिए वर्तमान साप्ताहिक स्थिति में श्रमबल भागीदारी भी बढ़ी है। अप्रैल-जून 2023 में साप्ताहिक स्थिति में श्रमबल भागीदारी बढ़कर 48.8 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो एक वर्ष पहले 47.5 प्रतिशत थी। हर्ष का विषय यह भी है कि अब भारत में औपचारिक रोजगार की संख्या तुलनात्मक रूप से अधिक तेज गति से बढ़ रही है। औपचारिक रोजगार में कर्मचारियों को सरकारी नियमों के अंतर्गत समस्त प्रकार की सुविधाएं (प्रॉविडेंट फंड, पेंशन, मेडिकल सुविधा, आदि) नियोक्ताओं द्वारा प्रदान की जाती हैं। जबकि अनौपचारिक रोजगार की श्रेणी के कर्मचारियों को केवल मजदूरी अथवा वेतन ही प्रदान किया जाता है। इस प्रकार भारत में अब कर्मचारियों एवं मजदूरों की औसत आय में वृद्धि भी दृष्टिगोचर है। भारत में अब तो त्यौहारी मौसम भी प्रारम्भ होने जा रहा है। नवरात्रि, दशहरा, दीपावली, क्रिसमस दिवस, नव वर्ष, महाशिवरात्रि, होली, आदि जैसे बड़े त्यौहार आने वाले हैं, जिन्हें भारत के नागरिक बड़े ही उत्साह के साथ मानते हैं एवं इन त्यौहारों का भारतीय अर्थव्यवस्था में भारी योगदान रहता है। साथ ही, भारत में अब धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन भी बहुत तेज गति से बढ़ रहा है, जिससे निश्चित ही भारत के आर्थिक विकास को बल मिलेगा। अतः वैश्विक स्तर पर विभिन्न वित्तीय संस्थानों द्वारा भारत के आर्थिक विकास के अनुमान के संदर्भ में जारी किये जा रहे संशोधित अनुमान निश्चित ही सही साबित होंगे। Read more » Global financial institutions are increasing India's economic growth estimates.