लेख साहित्य धर्मपालन के आदर्श प्रतिमान हैं – श्रीराम March 26, 2018 by डाॅ. कृष्णगोपाल मिश्र | Leave a Comment रामचरित के प्रथम गायक आदिकवि वाल्मीकि ने राम को धर्म की प्रतिमूर्ति कहा है। उनके अनुसार -‘रामो विग्रहवान धर्मः।’ अर्थात राम धर्म का साक्षात श्री-विग्रह हैं। धर्म को मनीषियों ने विविध प्रकार से व्याख्यिायित किया है। महाराज मनु के अनुसार -धृति, क्षमा, दमन (दुष्टों का दमन), अस्तेय (चोरी न करना), शुचिता, इन्द्रिय-निग्रह (समाज विरोधी, परपीड़नकारी […] Read more » श्रीराम
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-76 March 26, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का चौदहवां अध्याय और विश्व समाज श्रीकृष्णजी कहते हैं कि प्रकृति से उत्पन्न होने वाले सत्व, रज, तम-गुण इस अविनाशी देही को अर्थात आत्मा को शरीर में या क्षेत्र में बांध लेते हैं। इससे एक बात स्पष्ट होती है कि संसार की हर वस्तु में ब्रह्म का बीज है। […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का चौदहवां अध्याय
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-75 March 26, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का चौदहवां अध्याय और विश्व समाज गीता निष्कामता और फलासक्ति के त्याग को अपना प्रतिपाद्य विषय लेकर चल रही है। हर अध्याय का निचोड़ गीता के इसी प्रतिपाद्य विषय के आसपास ही आकर ठहरता है। अब जो विषय चल रहा है, वह यही है कि- रूह अलग है देह से देह […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का चौदहवां अध्याय
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-74 March 21, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य    गीता का तेरहवां अध्याय और विश्व समाज संसार के जितने भर भी चमकते हुए पदार्थ हैं-उनमें वह परमपिता परमेश्वर ज्योति की ज्योति अर्थात परम-ज्योति बनकर विराजमान है। यही वेद कहता है -‘ज्योतिषां ज्योतिरेकम्।’ वह अंधकार से परे है-वेद भी कहता है-‘तम स: परस्तात्’- श्रीकृष्ण जी भी उस ‘ज्ञेय’ का […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-73 March 21, 2018 / March 21, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य    गीता का तेरहवां अध्याय और विश्व समाज ब्रहमाण्ड का क्षेत्रज्ञ कौन है? अब श्रीकृष्णजी कहते हैं कि अर्जुन! अब मैं तुझे यह बतलाऊं कि ‘ज्ञेय’ क्या है? अर्थात जानने योग्य क्या है? वह क्या है जिसे जान लेने पर अमृत की प्राप्ति की जाती है? इस ‘ज्ञेय’ के विषय […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-71 March 19, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का तेरहवां अध्याय और विश्व समाज जैसे एक खेत का स्वामी अपने खेत के कोने-कोने से परिचित होता है कि खेत में कहां कुंआ है? कहां उसमें ऊंचाई है? कहां नीचा है? उसकी मिट्टी कैसी है? उसमें कौन सी फसल बोयी जानी उचित होगी?-इत्यादि। वैसे ही हममें से अधिकांश […] Read more » Featured आज का विश्व गीता का कर्मयोग गीता का तेरहवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-70 March 16, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य    गीता का तेरहवां अध्याय और विश्व समाज श्री अरविन्द का कहना है कि कर्म को और ज्ञान को हम अपनी इच्छा से चलायें या इन्हें भगवान की इच्छा में लीन कर दें? -गीता ने इस प्रश्न को उठाकर इसका उत्तर दिया है। हमारा कर्म, हमारा ज्ञान कितना संकुचित है, […] Read more »  गीता का कर्मयोग आज का विश्व  गीता का तेरहवां अध्याय Featured आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग गीता का बारहवां अध्याय विश्व विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-69 March 16, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का बारहवां अध्याय और विश्व समाज यहां पर गीता के 12वें अध्याय के जिस श्लोक का अर्थ हमने ऊपर दिया है-उसमें ‘सर्वारम्भ परित्यागी’ शब्द आया है। इसके विषय में सत्यव्रत सिद्घान्तालंकार जी बड़ी तार्किक बात कहते हैं :-”सर्वारम्भ त्यागी का अर्थ कुछ लोग यह करते हैं कि जो किसी […] Read more »  गीता का बारहवां अध्याय Featured आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग विश्व विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-68 March 13, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का बारहवां अध्याय और विश्व समाज गीता का उद्देश्य है कि हे संसार के लोगों! चाहे तुम जिस रास्ते को भी अपनाओ उसे अपना लो, पर मेरी एक शर्त है कि बनो धार्मिक। तुम्हारी धार्मिकता ही तुम्हें संसार के लिए उपयोगी बनाये रखेगी। यदि बहुत ऊंची और गहरे ज्ञान […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का बारहवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-67 March 13, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य    गीता का बारहवां अध्याय और विश्व समाज यह जो अव्यक्त है ना, इसके ओर-छोर का पता तो प्रकाश की गति से दौडक़र भी नहंी लगाया जा सकता। इसके उपासक होने का अर्थ भी उतना ही व्यापक है जितना अव्यक्त स्वयं में व्यापक है, विशाल है, विस्तृत है। आप अनुमान […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का बारहवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-66 March 10, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  गीता का ग्यारह अध्याय और विश्व समाज श्रीकृष्णजी को यह स्पष्ट हो गया था कि अब युद्घ अनिवार्य है और अर्जुन ने गांडीव की डींगें हांकते हुए कौरवों को समाप्त करने का संकल्प भी ले लिया पर जब युद्घ की घड़ी आयी तो अर्जुन की मति मारी गयी। अब वह ‘किंकत्र्तव्यविमूढ़’ […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग गीता का ग्यारह अध्याय विश्व समाज
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-65 March 10, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य    गीता का ग्यारह अध्याय और विश्व समाज श्रीकृष्ण जी कह रहे हैं कि अर्जुन अब जो कुछ होने जा रहा है उससे क्यारियों में नये फूल खिलने वाले हैं। इन पौधों का समय पूर्ण हो गया है। ये अपने कर्मों का फल पाने के लिए अब अपने आप ही मृत्यु के […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग