लेख अन्ना को बदनाम करने से क्या होगा? December 27, 2011 / December 27, 2011 by सिद्धार्थ शंकर गौतम | 2 Comments on अन्ना को बदनाम करने से क्या होगा? जबसे अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त लोकपाल के गठन हेतु सरकार सहित कांग्रेस को चुनौती दी है, उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एजेंट साबित करने की होड़ सी लग गई है| उनके रामलीला मैदान पर हुए अनशन को भी संघ की सोची-समझी रणनीति कहा गया और अब नए बयानवीर की भूमिका में रमते […] Read more » why to embarrass Anna अन्ना को बदनाम करने से क्या होगा
लेख फ़तवा जारी करना उनका काम है मानना ना मानना आपका हक़? December 26, 2011 / December 26, 2011 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 1 Comment on फ़तवा जारी करना उनका काम है मानना ना मानना आपका हक़? इक़बाल हिंदुस्तानी इस्लामी उलेमाओं के मुंह से निकली हर बात फ़तवा नहीं होती! दुनिया के साथ साथ आज का मुसलमान भी अन्य सम्प्रदायों की तरह काफी बदल रहा है लेकिन यह बात सच है कि वह और वर्गों की तरह तेजी से नहीं बदल रहा है। यह भी सही है कि मुसलमान अपने धर्म को […] Read more » Fatwa muslims फ़तवा फ़तवा जारी करना उनका काम
लेख लोकपाल में अल्पसंख्यक आरक्षण का सियासी पेंच December 26, 2011 / December 26, 2011 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on लोकपाल में अल्पसंख्यक आरक्षण का सियासी पेंच प्रमोद भार्गव लोकपाल में अल्पसंख्यक आरक्षण का पेंच डालकर कांग्रेस ने खासतौर से मुस्लिम वोट रिझाने का एक सियासी दांव खेला है। जबकि धर्म के आधार पर लोकपाल-पीठ में अल्पसंख्यकों को आरक्षण देना संविधान की मूल अवधारणा के खिलाफ है। संविधान धर्म आधारित आरक्षण की इजाजत नहीं देता। ऐसा नहीं है कि कानूनी मसौदा तैयार […] Read more » RESERVATION IN LOKPAL लोकपाल में अल्पसंख्यक आरक्षण का सियासी पेंच
लेख हनुमान बने श्रद्धानन्द December 26, 2011 / July 5, 2012 by विनोद बंसल | 1 Comment on हनुमान बने श्रद्धानन्द विनोद बंसल उन महापुरुषों में से एक थे जिनका जन्म ऊंचे कुल में होने के बावजूद प्रारंभिक जीवन की बुरी लतों के कारण बहुत ही निक्रस्ट किस्म का था। मुंशी राम से स्वामी श्रद्धानन्द तक का सफ़र पूरे विश्व के लिए प्रेरणा दायी है। स्वामी दयानंद सरस्वती से हुई एक भेंट तथा पत्नि के पातिव्रत […] Read more » swami shraddhanand स्वामी श्रद्धानन्द हनुमान बने श्रद्धानन्द
लेख कोई शादी करे या ना करे इससे समाज को क्या प्रोब्लम है ? December 26, 2011 / December 26, 2011 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी महान गौतबुध्द, स्वामी विवेकानंद, अटल बिहारी, एपीजे कलाम, मायावती, जयललिता और ममता की कामयाबी का राज़ यह भी है। कहते हैं शादी वह लड्डू है जो इसको खाता है वह पछताता है और इसको नहीं खाता वह भी पछताता है। शायद इसका मतलब यह है कि इसके कुछ फायदे हैं तो कुछ नुक़सान […] Read more » unmarried people अविवाहित कोई शादी करे या ना करे इससे समाज को क्या प्रोब्लम है
लेख गृह युद्ध की भेंट चढऩे तो नहीं जा रहा है इराक़ ? December 26, 2011 / December 26, 2011 by तनवीर जाफरी | Leave a Comment तनवीर जाफरी इराक़ के हालात पूर्वानुमान व आशंकाओं के अनुरूप बिगड़ते दिखाई दे रहे हैं। अप्रैल 2003 में सद्दाम हुसैन के सत्ता से बेदखल होने के बाद से ही इस बात का अंदाज़ा लगने लगा था कि अब भविष्य में इराक़ की सत्ता की जंग स्थानीय शिया व सुन्नी समुदायों के मध्य अवश्य छिड़ेगी। गौरतलब […] Read more » civil war in इराक़ गृह युद्ध
लेख गाँव की फिक्र किसी को नहीं December 25, 2011 / December 25, 2011 by डॉ0 आशीष वशिष्ठ | Leave a Comment डॉ0 आशीष वशिष्ठ देश की लगभग 65 फीसदी आबादी गांवों में निवास करती है। गांधी जी भी कहा करते थे कि भारत की आत्मा गांवों में निवास करती है। दुर्भाग्य से आजादी के 64 सालों बाद भी गांवों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। सरकार और सरकारी मशीनरी शहरों को चमकाने और आधुनिक बनाने में […] Read more » carelessness about villages गाँव की फिक्र किसी को नहीं
लेख भ्रष्टाचार की गंगोत्री कहां है? December 25, 2011 / December 25, 2011 by सुशान्त सिंहल | 1 Comment on भ्रष्टाचार की गंगोत्री कहां है? सुशान्त सिंहल जब से भ्रष्टाचार को लेकर देश में व्यापक बहस छिड़ी है, एक बात बार-बार कही जा रही है कि देश में भ्रष्टाचार बहुत गहराई तक जड़ें जमा चुका है, इसे मिटा पाना संभव नहीं है। कुछ लोगों का तो स्पष्ट मत है कि भ्रष्टाचार हमारे खून में शामिल है और हम भारतीय ऐसे […] Read more » emergence of corruption भ्रष्टाचार की गंगोत्री
लेख सरकारी लोकपाल से क्या उम्मीद करे देश की जनता? December 25, 2011 / December 25, 2011 by सिद्धार्थ शंकर गौतम | Leave a Comment केंद्र सरकार ने जिस तरह का सरकारी लोकपाल विधेयक संसद में पेश किया है उससे देश को बहुत अधिक उम्मीदें नहीं होना चाहिए| अव्वल तो लोकपाल विधेयक का राज्यसभा में पास हो पाना मुश्किल है क्योंकि सरकार की मौजूदा सदस्य संख्या यहाँ कम है| फिर यदि लोकपाल विधेयक किसी तरह पास हो भी गया तो […] Read more » Lokpal Bill सरकारी लोकपाल
लेख सरकार डाटा लीकेज को न रोककर अभिव्यक्ति के पीछे पड़ी है? December 24, 2011 / December 24, 2011 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी टेलिफोन कम्पनियां खुलकर उड़ा रही हैं निजता की ध्ज्जियां! सरकार सोशल नेटवर्किंग साइटों पर सेन्सरशिप लगाने की अपनी क़वायद से पीछे हटने का तैयार नहीं है। अब उसके दूरसंचार मंत्री खुलेआम इसके लिये कार्यवाही न कर गूगल को इसके लिये अपने कार्यालय में बुलाकर मजबूर कर रहे हैं। सरकार ने आर्कुट और यू […] Read more » banning social networking data leakage to other companies अभिव्यक्ति के पीछे डाटा लीकेज
लेख मीडिया में भ्रष्टाचार उसके मिशन से धंधा बन जाने की वजह से! December 23, 2011 / December 23, 2011 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी जहां पॉवर होगी उसका दुरूपयोग भी होना तय है? लिब्रल, प्राइवेट और ग्लोबल यानी एलपीजी की नीतियों के दौर में मीडिया आज मिशन से पूरी तरह उद्योग यानी धंधा वह भी गंदा बन चुका है। इसमें पाठक और दर्शक उपभोक्ता माने जाते हैं। किसी कानून और नियम को हम अभिव्यक्ति की आज़ादी के […] Read more » corruption in fhe media obscenity in the media मीडिया में भ्रष्टाचार
लेख फतवों में घुटता मुस्लिम समाज December 23, 2011 / December 23, 2011 by शादाब जाफर 'शादाब' | 5 Comments on फतवों में घुटता मुस्लिम समाज शादाब जफर शादाब आज हिन्दुस्तान की हर सियासी पार्टी मुसलमान के आरक्षण, तालीम,उन के रहन सहन, उन के जिंदगी जीने के गिरते स्तर पर चिंतित दिखाई दे रह है। पर मेरा मानना और सोचने के साथ ही देश की तमाम सियासी पार्टियो से ये भी कहना है कि अरे भाई मुस्लिमो को कोई आरक्षण वारक्षण […] Read more » fatwa and muslim फतवो में घुटता मुस्लिम समाज