कविता मगध साम्राज्य राजगृह के सम्राट November 3, 2020 / November 3, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकआरंभ से मगध रहा है आर्य, अनार्य,व्रात्यजन,जैन तीर्थंकर की आदिभूमि,अथर्ववेद की प्रसव स्थली,जादू टोना,वैद्य वैदगी, आयुर्वेद, बुद्ध के दर्शन,बृहद्रथ,हर्यक,शिशुनाग,नन्द,मौर्य,शुंग,कण्व,सातवाहन, गुप्तों की शौर्यभूमि! चेदिराज उपरिचर वसुपुत्र बृहद्रथ थासंस्थापक मगध में एक राजवंश का,माता गिरि के नाम बसाया गिरिव्रज!मगधराज जरासंध था उनका आत्मज,अत्याचारी और नरमेध यज्ञ आकांक्षी,कृष्णयुक्ति से भीमसेन ने किया वध! जरासंध पुत्र सहदेव […] Read more » Emperor of Magadha Empire Rajagriha मगध साम्राज्य राजगृह के सम्राट
कविता कोरोना की करवाचौथ November 3, 2020 / November 3, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मेरे साथ एक घटना घटी,बात बिल्कुल सच्ची है पर अटपटी |करवांचौथ का दिन था ,मेरा मन बड़ा ही खिन्न था ,दफ़्तर में काम ज्यादा था ,काम करने वाला मै ही प्यादा थामेरा पास एक मोबाइल आयामै जरा उस समय घबरायामैंने मोबाइल उठाया और बोला ,“आप कौन साहब बोल है,”दूसरी तरफ से आवाज आई,“मैं बोल रहा […] Read more » कोरोना की करवाचौथ
व्यंग्य नाम ही नहीं, विचारों में भी करना होगा बदलाव November 3, 2020 / November 3, 2020 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment सुशील कुमार ‘नवीन’ मॉर्निंग वॉक में मेरे साथ अजीब किस्से घटते ही रहते हैं। कोशिश करता हूं कि बचा रहूं पर हालात ही ऐसे बन जाते हैं कि बोले और कहे बिना रहा ही नहीं जाता। सुबह-सुबह हमारे एक दुखियारे पड़ोसी श्रीचन्द जी मिल गए। दुखियारे इसलिए कि ये ‘तारक महता का उल्टा चश्मा’ के […] Read more » विचारों में भी करना होगा बदलाव
आलोचना लेख हिन्दी वालों की हिन्दी वालों से हिन्दी के लिए लड़ाई. November 2, 2020 / November 2, 2020 by डॉ. अमरनाथ | Leave a Comment · डॉ. अमरनाथ “पूजनीय बड़े पिता जी और माता जी, आप लोग मुझे माफ कर देना. मैं आपका अच्छा बेटा नहीं बन पाया…… मैं जा रहा हूं. मैं जिन्दगी से परेशान हो गया हूँ. आप लोग मुझे माफ करना.” राजीव के सुसाइट नोट का यह एक अंश है. 11 सितंबर 2020 को यूपी पीसीएस का रिजल्ट आया. […] Read more » Hindi people fight Hindi for Hindi ones. हिन्दी वालों से हिन्दी के लिए लड़ाई
कविता यह गाथा है भगवान बुद्ध की November 2, 2020 / November 2, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकयह गाथा है भगवान बुद्ध की,कपिलवस्तु के इक्ष्वाकु शाक्यक्षत्रिय महाराज शुद्धोधन औरमहारानी महामाया के राजकुंवर,अहिंसा,दया, करुणा निधान की! नेपाल के लुम्बिनीवन में जन्मेई. पू. पांच सौ तिरेसठ वर्ष में,मानव के दु:ख से द्रवित होकर,गृह त्यागी शाक्य मुनि बने जोउस महात्मा के धर्म दर्शन की! नाम था उनका सिद्धार्थ गौतम,मानव के दुःख से दुःखी […] Read more » tale of lord buddha This is the story of Lord Buddha भगवान बुद्ध
लेख लव-जिहाद का बढ़ता चलन एक दूषित मानसिकता का परिचायक November 2, 2020 / November 2, 2020 by सोनम लववंशी | Leave a Comment हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता भारत में लव जिहाद के बढ़ते मामलों से यह साफ पता चल रहा है कि कैसे एक सम्प्रदाय दूसरे धर्म की लड़कियों को अपना शिकार बनाते है। वह भी अपनी विस्तारवादी सोच की वजह से। सब […] Read more » The growing trend of love-jihad The growing trend of love-jihad reflects a vicious mentality लव-जिहाद का बढ़ता चलन
कविता सीखो निषाद को भाई भीलनी को मां बनाना October 31, 2020 / October 31, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | 1 Comment on सीखो निषाद को भाई भीलनी को मां बनाना —विनय कुमार विनायकभारत कभी नहीं हारा है, अरि की सेना से,भारत सर्वदा ही हारा है जातिवादी घृणा से! जबसे हमने जातीय श्रेष्ठता पर दंभ किया,दूसरों को तुच्छ और खुद को महंत किया! दूरियां बढ़ती ही गई भाईयों का भाईयों से,राम ने कहा सद्गुण सीखो अताताईयों से! अग्रज का धर्म नहीं है बड़प्पन पर इतराना,अग्रज का […] Read more » Learn Nishad to make brother Bhilani a mother सीखो निषाद को भाई भीलनी को मां बनाना
कविता बैठा नाक गुरूर !! October 30, 2020 / October 30, 2020 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment नई सदी ने खो दिए, जीवन के विन्यास !सांस-सांस में त्रास है, घायल है विश्वास !! रिश्तों की उपमा गई, गया मनों अनुप्रास !ईर्षित सौरभ हो गए, जीवन के उल्लास !! कहाँ हास-परिहास अब,और बातें जरूर !मिलने ना दे स्वयं से, बैठा नाक गुरूर !! बोये पूरा गाँव जब, नागफनी के खेत !कैसे सौरभ ना […] Read more » बैठा नाक गुरूर
कविता तुर्क सुबुक्तगीन और महमूद गजनवी का आक्रमण October 30, 2020 / October 30, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकतुर्क अब्बासी वंश के महल रक्षक और सैनिक थेजब केंद्रीय शासन की नींव हिली,प्रांतीय शासन कुछ फली फुलीतभी तुर्कों को ‘गाजी’/विजेता बनने की नव प्रेरणा मिली! तब अरबी खिलाफत से होकर खिलाफ बर्बर तुर्क करने लगे खुद हीइस्लाम का माला जाप ट्रांस-ओकि्सयाना, खुरासान और ईरान केभूभाग पर जब था गद्दीनशीन एक सामानी गुलाम […] Read more » Invasion of Turk Subuktagin and Mahmud Ghaznavi तुर्क सुबुक्तगीन महमूद गजनवी का आक्रमण
कविता अब सच कहने का दौर नही है October 30, 2020 / October 30, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकअब सच कहने का दौर नही हैअच्छाई को अब ठौर नही हैअब गालियां, लानत-मलामतउनके सिर पे ठीकरा फोड़ना हैजो यहां के वासिंदे नही हैंयही सच्चे लोकतंत्र की मही हैकल के चोर अब चोर नही हैसच्चाई का अब खैर नही हैअब तो सिर्फ वादे ही वादे हैंअब अच्छे दिन सिर्फ यादें हैंवादों के पुलिंदे […] Read more » Now is not the time to tell the truth अब सच कहने का दौर नही है
पर्यावरण लेख उदासीनता से उमड़ी नई कोरोना एवं प्रदूषण लहर October 30, 2020 / October 30, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग-कोरोनारूपी महामारी एवं महाप्रकोप से जुड़ी हर मुश्किल घड़ी का सामना हमने भले ही मुस्कुराते हुए किया, लेकिन जाता हुआ कोरोना अधिक रूला रहा है, अधिक दुर्गम सार्वजनिक चुनौती बन रहा है। कोरोना को लेकर सरकारी घोषणा एवं आकलन भी चुनावी घोषणा पत्र की तरह लगने लगे हैं। भारत में जब कोरोना के […] Read more » New corona and pollution wave swelled out of apathy उदासीनता से उमड़ी कोरोना कोरोना एवं प्रदूषण लहर
कविता बाप धूप में,माँ चूल्हे में रोज जलती है, October 30, 2020 / October 30, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment बाप धूप में,माँ चूल्हे में रोज जलती है,तब कहीं औलाद मुश्किल से पलती है | बड़े होकर कहे,क्या किया है तुमने हमारा ,यही बात माँ बाप को हमेशा खलती है | करते है काम माँ बाप सुबह से शाम,तब कही गृहस्थी की रोटी चलती है | हो जाती हैअलगऔलाद शादी के बाद,यही बात तो माँ […] Read more » बाप धूप में माँ चूल्हे में रोज जलती है