कविता साहित्य दिल्ली चुनाव और भाजपा (2020) February 16, 2020 / February 16, 2020 by मुकेश चन्द्र मिश्र | Leave a Comment पिच पर अपनी खींच रहे थे, कट्टरता से सींच रहे थे। हिन्दू मुस्लिम और गद्दारी, पर तलवारें खींच रहे थे॥ किन्तु केजरी भी सातिर है, वो जन्मा सत्ता की खातिर है॥ राजनीति का एड्स जिसे, अपने कुमार जी कहते हैं॥ पर मोदी के महारथी, खांसी बस उसे समझते हैं॥ धोका जिसकी फितरत ही हो, उससे […] Read more » दिल्ली चुनाव और भाजपा
लेख शख्सियत समाज रामकृष्ण परमहंस : परमहंसी साधना एवं सिद्धि के अलौकिक संत February 16, 2020 / February 16, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग- भारत की रत्नगर्भा वसुंधरा माटी में कई संत और महान व्यक्ति हुए हंै जिन्हें उनके कर्म, ज्ञान और महानता के लिए आज भी याद किया जाता है। जिन्होंने अपने व्यक्तित्व और कर्तृत्व से न सिर्फ स्वयं को प्रतिष्ठित किया वरन् उनके अवतरण से समग्र विश्व मानवता धन्य हुई है। इसी संतपुरुषों, गुरुओं […] Read more » Ramakrishna Paramahamsa Supernatural saint of spiritual practice and accomplishment रामकृष्ण परमहंस
कविता मैं तो हूं केवल अक्षर February 16, 2020 / February 16, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment मैं तो हूं केवल अक्षर तुम चाहो शब्दकोश बना दो लगता वीराना मुझको अब तो ये सारा शहर याद तू आये मुझको हर दिन आठों पहर जब चाहे छू ले साहिल वो लहर सरफ़रोश बना दो अगर दे साथ तू मेरा गाऊं मैं गीत झूम के बुझेगी प्यास तेरी भी प्यासे लबों को चूम के […] Read more » मैं तो हूं केवल अक्षर
टॉप स्टोरी लेख भारतीय जीवन बीमा निगम का जीवन ही संकट में! February 16, 2020 / February 16, 2020 by लिमटी खरे | Leave a Comment लिमटी खरे लगभग 64 साल पुराने भारतीय जीवन बीमा निगम अर्थात एलआईसी ऑफ इंडिया का जीवन अब संकट में दिख रहा है। भारत सरकार के नियंत्रण वाले जीवन बीमा निगम की अपनी कुछ हिस्सेदारी को बेचने की बात कही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा यह बात सदन में कही गई है। उनका तर्क […] Read more » LIC LICF Life insurance corporation of India Life insurance corporation of India is in trouble भारतीय जीवन बीमा निगम
दोहे पीली सरसों चन्द्रमुखी संग ! February 16, 2020 / February 16, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment पीली सरसों चन्द्रमुखी संग, मन बगिया में खिलती देखी; अद्भुत सुन्दर मन मोहक छवि, स्वप्न खेत बिच भायी नीकी! आए चले संग पगडंडी, वाहन किसी अजब बहुरंगी; स्वैटर पहन बान्द्री निकली, जंगल ओर गई वो टहली ! अभिनव दुर्लभ शोभा लख कर, अति आनन्द रहा मन छाई; खींचन चाहा चित्र फ़ोन से, तभी गई निद्रा […] Read more » पीली सरसों पीली सरसों चन्द्रमुखी संग !
दोहे काल चक्र घूमता है February 14, 2020 / February 14, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment काल चक्र घूमता है, केन्द्र शिव को देखलो;भाव लहरी व्याप्त अगणित, परम धाम परख लो! कितने आए कितने गए, राज कितने कर गए;इस धरा की धूल में हैं, बह के धधके दह गए ! सत्यनिष्ठ जो नहीं हैं, स्वार्थ लिप्त जो मही;ताण्डवों की चाप सहके, ध्वस्त होते शीघ्र ही ! पार्थ सूक्ष्म पथ हैं चलते, […] Read more » काल चक्र घूमता है
महिला-जगत लेख समाज स्वास्थ्य-योग जानिए किराए की कोख अर्थात सरोगेसी आखिर क्या है बला! February 14, 2020 / February 14, 2020 by लिमटी खरे | Leave a Comment लिमटी खरे दुनिया भर में हर प्राणी, चाहे वह मनुष्य हो, जलचर हों, नभचर हों या धरती पर रहने वाले जीव, सभी के द्वारा अपने अपने तौर तरीकों से संतानोत्पत्ति की अभिलाषा रखी जाती है। इन सभी में मनुष्य ही इकलौता ऐसा जीव है जो वंश बढ़ाने के अलावा आनंद के लिए संसर्ग करता है। […] Read more » Know what the hell is for surrogacy surrogacy सरोगेसी
लेख समाज संकट आदर्श जीवनशैली के बिखरने का February 14, 2020 / February 14, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग –हमारे देश की सांस्कृतिक परंपराएँ और आदर्श जीवन-मूल्य समृद्ध एवं सुदृढ़ रहे हैं। किंतु अंग्रेजों की हम पर गुलामी की पूरी एक सदी ने, पश्चिमी हवाओं ने हमारे जन-मानस में जहर घोलकर हमारे रहन-सहन और आचार-विचार को विकृत किया है, और इससे हमारी संयुक्त परिवार, आदर्श जीवनशैली एवं प्रेरक संस्कृति की परंपरा बिखर […] Read more » Crisis of the ideal lifestyle
व्यंग्य ट्रेन और टॉयलट…!! February 14, 2020 / February 14, 2020 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझाट्रेन के टॉयलट्स और यात्रियों में बिल्कुल सास – बहू सा संबंध हैं। पतानहीं लोग कौन सा फ्रस्ट्रेशन इन टॉयलट्स पर निकालते हैं। आजादी के इतनेसालों बाद भी देश में चुनाव शौचालय के मुद्दे पर लड़े जाते हैं। किसनेकितने शौचालय बनवाए और किसने नहीं बनवाए , इस पर सियासी रार छिड़ी रहतीहै। देश […] Read more » sattire on toilets in train ट्रेन और टॉयलट
व्यंग्य अंकल कम्यूनलिज्म February 13, 2020 / February 13, 2020 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment “वो सादगी कुछ भी ना करे तो अदा ही लगे वो भोलापन है कि बेबाकी भी हया ही लगे अजीब शख्स है नाराज हो के हँसता है मैं चाहता हूँ कि वो खफा हो तो खफा ही लगे” पोस्ट ट्रुथ के बाद ये फिलहॉल एक नया फैंसी शब्द है जो अपने को डिफेंड करते हुए […] Read more » communalism कम्यूनलिज्म
कविता है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन ! February 13, 2020 / February 13, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment वो पल वो क्षण हमारे नयनों का मिलन जब था मूक मेरा जीवन तब हुआ था तेरा आगमन कलियों में हुआ प्रस्फुटन भंवरों ने किया गुंजन है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन ! तेरा रूप तेरा यौवन जैसे खिला हुआ चमन चांद सा रौशन आनन चांदनी में नहाया बदन झूम के बरसा सावन फूलों में […] Read more » है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन
कविता बच्चों का पन्ना साहित्य छूना है सूरज के कान February 13, 2020 / February 13, 2020 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment तीन साल के गुल्लू राजा, हैं कितने दिलदार दबंग। जब रोना चालू करते हैं, रोते रहते बुक्का फाड़। उन्हें देखकर मुस्काते हैं, आँगन के पौधे और झाड़। जब मरजी कपड़ों में रहते, जब जी चाहे रहें निहंग। नहीं चाँद से डरते हैं वे, तारों की तो क्या औकात। डाँट डपट कर कह देते हैं, नहीं […] Read more » छूना है सूरज के कान