कविता
महकें हर नवभोर पर, सुंदर-सुरभित फूल॥
/ by डॉ. सत्यवान सौरभ
बने विजेता वह सदा, ऐसा मुझे यक़ीन।आँखों में आकाश हो, पांवों तले ज़मीन॥●●●तू भी पायेगा कभी, फूलों की सौगात।धुन अपनी मत छोड़ना, सुधरेंगे हालात॥●●●बीते कल को भूलकर, चुग डालें सब शूल।महकें हर नवभोर पर, सुंदर-सुरभित फूल॥●●●तूफानों से मत डरो, कर लो पैनी धार।नाविक बैठे घाट पर, कब उतरें हैं पार॥●●छाले पांवों में पड़े, मान न […]
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