कहानी गिरहकट December 9, 2024 / December 9, 2024 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment पन्ना, मैक, लंबू,हीरा, छोटू इनके असली नाम नहीं थे लेकिन दुनिया अब इसे ही इनका असली नाम मानती थी। मंगल प्रसाद गुप्ता ही पन्ना था, मथुरादास पांडे मैक बन चुका था। लंबू का असली नाम खलील अहमद था। अब का हीरा कभी हरजिंदर हुआ करता था और आफताब को सब छोटू के नाम से जानते […] Read more »
आर्थिकी लेख ब्याज दरों में अब कमी होनी ही चाहिए December 9, 2024 / December 9, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री शक्तिकांत दास ने अपने वर्तमान कार्यकाल का अंतिम मुद्रा नीति वक्तव्य (मोनेटरी पॉलिसी स्टेट्मेंट) दिनांक 06 दिसम्बर 2024 को प्रातः 10 बजे जारी किया है। इस मुद्रा नीति वक्तव्य में रेपो दर में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं करते हुए इसे पिछले 22 माह से (अर्थात 11 मुद्रा नीति वक्तव्यों से) 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है। यह संभवत: भारतीय रिजर्व बैंक के इतिहास में सबसे अधिक समय तक स्थिर रहने वाली रेपो दर है। इस बढ़ी हुई रेपो दर का भारत के आर्थिक विकास पर अब विपरीत प्रभाव होता हुआ दिखाई दे रहा है क्योंकि वित्तीय वर्ष 2024-25 की द्वितीय तिमाही में भारत में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर घटकर 5.4 प्रतिशत तक नीचे आ गई है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रत्येक दो माह के अंतराल पर मुद्रा नीति वक्तव्य जारी किया जाता है, परंतु पिछले 11 मुद्रा नीति वक्तव्यों में रेपो दर में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया गया है। जबकि, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति की दर कुछ समय तक तो लगातार 6 प्रतिशत के सहनीय स्तर से नीचे बनी रही है। भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित औसत मुद्रा स्फीति के अनुमान को 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया है। इसका आश्य यह है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रा स्फीति की दर संभवत: वित्तीय वर्ष 2024-25 की तृतीय तिमाही में भी अधिक बनी रह सकती है। इसके पीछे खाद्य पदार्थों (विशेष रूप से फल एवं सब्जियों) की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि, एक मुख्य कारण जिम्मेदार हो सकता है। परंतु, क्या ब्याज दरों में वृद्धि कर खाद्य पदार्थों की कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है? उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रा स्फीति की दर को आंकने में खाद्य पदार्थों का भार लगभग 40 प्रतिशत है। यदि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति में से खाद्य पदार्थों के भार को अलग कर दिया जाय तो यह आंकलन बनता है कि कोर पदार्थों की मुद्रा स्फीति की दर नियंत्रण में बनी हुई है। खाद्य पदार्थों की कीमतों को बाजार में फलों एवं सब्जियों की आपूर्ति बढ़ाकर ही नियंत्रित किया जा सकता है, न कि ब्याज दरों में वृद्धि कर। इस वर्ष मानसून का पूरे देश में विस्तार ठीक तरह से नहीं रहा है, कुछ क्षेत्रों में बारिश की मात्रा अत्यधिक रही है एवं कुछ क्षेत्रों बारिश की मात्रा बहुत कम रही है, जिसका प्रभाव खाद्य पदार्थों की उत्पादकता पर भी विपरीत रूप से पड़ा है, जिससे अंततः खाद्य पदार्थों की कीमतों में उच्छाल देखा गया है। बाद के समय में, अच्छे मानसून के पश्चात भारत में आने वाली रबी मौसम की फसल बहुत अच्छी मात्रा में आने की सम्भावना है क्योंकि न केवल फसल के कुल रकबे में वृद्धि दर्ज हुई है बल्कि पानी की पर्याप्त उपलब्धता के चलते फसल की उत्पादकता में भी वृद्धि होने की पर्याप्त सम्भावना है। इन कारकों के चलते आगे आने वाले समय में खाद्य पदार्थों की एवं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रा स्फीति की दर निश्चित ही नियंत्रण के रहने की सम्भावना है। इससे, निश्चित ही रेपो दर को कम करने की स्थिति निर्मित होती हुई दिखाई दे रही है। साथ ही, अमेरिका सहित यूरोप के विभिन्न देशों में भी ब्याज दरों को लगातार कम करने का चक्र प्रारम्भ हो चुका है, जिसका प्रभाव विश्व के अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी पड़े बिना नहीं रहेगा। दूसरी ओर, भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद में होने वाली वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है। क्योंकि, यह वृद्धि दर द्वितीय तिमाही में घटकर 5.4 प्रतिशत की रही है। वित्तीय वर्ष 2024-25 की द्वितीय तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर के कम रहने के कई विशेष कारण रहे हैं। देश में लोकसभा चुनाव के चलते केंद्र सरकार को अपने पूंजीगत खर्चों एवं सामान्य खर्चों में भारी कमी करना पड़ी थी। इसके बाद विभिन्न राज्यों में विधानसभा चुनावों के चलते इन राज्यों द्वारा किए जाने वाले सामान्य खर्चों में अतुलनीय कमी की गई थी। जिससे अंततः नागरिकों के हाथों में खर्च करने लायक राशि में भारी कमी हो गई। दूसरे, इस वर्ष भारत में मानसून भी अनियंत्रित सा रहा है जिससे कृषि क्षेत्र में उत्पादन प्रभावित हुआ एवं ग्रामीण इलाकों में नागरिकों की आय में कमी हो गई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों में अस्थिरता बनी रही, जिसके कारण भारत से विभिन्न उत्पादों के निर्यात प्रभावित हुए। इस अवधि में विनिर्माण के क्षेत्र एवं माइनिंग के क्षेत्र में उत्पादन भी तुलनात्मक रूप से कम रहा। उक्त कारकों के चलते भारत में वित्तीय वर्ष 2024-25 की द्वितीय तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर बहुत कम रही है। इस द्वितीय तिमाही में विभिन्न कम्पनियों के वित्तीय परिणाम भी बहुत उत्साहजनक नहीं रहे हैं। इनकी लाभप्रदता में आच्छानुरूप वृद्धि दर्ज नहीं हुई है। कम्पनियों के वित्तीय परिणाम उत्साहजनक नहीं रहने के चलते विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से सितम्बर, अक्टोबर एवं नवम्बर माह में 1.50 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि निकाली है। जिससे भारतीय शेयर बाजार के निफ्टी सूचकांक में 3000 से अधिक अंकों की गिरावट दर्ज हुई है, निफ्टी सूचकांक अपने उच्चत्तम स्तर 26,400 से गिरकर 23,200 अंकों तक नीचे आ गया था। हालांकि अब यह पुनः बढ़कर 24,700 अंकों पर आ गया है और विदेशी संस्थागत निवेशकों ने एक बार पुनः भारतीय शेयर बाजार पर अपना भरोसा जताते हुए अपने निवेश में वृद्धि करना शुरू कर दिया है। अब देश में कुछ महत्वपूर्ण राज्यों में विधान सभा चुनावों एवं लोक सभा चुनाव के सम्पन्न होने के बाद केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अपने पूंजीगत खर्चों एवं सामान्य खर्चों में वृद्धि की जाएगी। साथ ही, भारत में त्यौहारी मौसम एवं शादियों के मौसम में भारतीय नागरिकों के खर्चों में अपार वृद्धि होने की सम्भावना है। त्यौहारी एवं शादियों का मौसम भी नवम्बर एवं दिसम्बर 2024 माह में प्रारम्भ हो चुका है। एक अनुमान के अनुसार नवम्बर माह में मनाए गए दीपावली एवं अन्य त्यौहारों पर भारतीय नागरिकों ने लगभग 5 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि का व्यय किया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के जनवरी 2025 माह (13 जनवरी) में प्रयागराज में कुंभ मेला भी प्रारम्भ होने जा रहा है जो फरवरी 2025 माह (26 फरवरी) तक चलेगा। यह कुम्भ मेला प्रत्येक 12 वर्षों में एक बार प्रयागराज में लगता है। एक अनुमान के अनुसार इस कुम्भ मेले में प्रतिदिन एक करोड़ नागरिक पहुंच सकते हैं। इससे देश में धार्मिक पर्यटन में भी अपार वृद्धि होगी। उक्त सभी कारणों के चलते, भारत में उपभोक्ता खर्च में भारी भरकम वृद्धि दर्ज होगी जो अंततः सकल घरेलू उत्पाद में पर्याप्त वृद्धि को दर्ज करने के सहायक होगी। साथ ही, अक्टोबर 2024 माह में भारत से विविध उत्पादों एवं सेवा क्षेत्र के निर्यात में भी बहुत अच्छी वृद्धि दर दर्ज हुई है। इससे अंततः भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 7 प्रतिशत से ऊपर बने रहने की प्रबल सम्भावना बनती नजर आ रही है। साथ ही, भारतीय रिजर्व बैंक ने नकदी रिजर्व अनुपात में 50 आधार बिंदुओं की कमी करते हुए इसे 4.5 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है। इससे 1.16 लाख करोड़ रुपए की राशि भारतीय रिजर्व बैंक से बैकों को प्राप्त होगी एवं इस राशि से बैंकिंग क्षेत्र में तरलता में सुधार होगा एवं बैंकों की कर्ज देने की क्षमता में भी वृद्धि होगी। अधिक ऋणराशि की उपलब्धता से व्यापार एवं उद्योग की गतिविधियों को बल मिलेगा जो देश के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि करने में सहायक होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिकी डॉलर के लगातार मजबूत होने से बाजार में रुपए की कीमत लगातार गिर रही है और रुपए की कीमतों को नियंत्रण में रखने के उद्देश्य से भारतीय रिजर्व बैंक को बाजार में डॉलर की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु अमेरिकी डॉलर को बेचना पड़ रहा है। जिससे, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार 70,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर के उच्चत्तम स्तर से नीचे गिरकर 65,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के निचले स्तर पर आ गए हैं। साथ ही, रुपए की कीमत गिरकर 84.63 रुपए प्रति डॉलर के स्तर पर आ गई है। अतः यदि देश में व्यापारिक गतिविधियों में सुधार होता है एवं सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर्ज होती है तो विदेशी निवेश भी भारत में पुनः वृद्धि दर्ज करेगा एवं विदेशी मुद्रा भंडार भी अपने पुराने उच्चत्तम स्तर को प्राप्त कर सकेंगे। कुल मिलाकर भारत में अब ब्याज दरों में कमी करने का समय आ गया है। प्रहलाद सबनानी Read more » Interest rates must be reduced now
महिला-जगत लेख महिलाओं पर बढ़ता बोझ: परिवार नियोजन में पुरुषों की कम भागीदारी December 9, 2024 / December 9, 2024 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment कई पुरुष इसे अपनी “मर्दानगी” पर आघात मानते हैं। वहीं, पारंपरिक धारणाएँ और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की कमी ने भी इस प्रक्रिया को अपनाने में रुकावटें खड़ी की हैं। पुरुष नसबंदी महिलाओं की तुलना में एक सरल और सुरक्षित प्रक्रिया है। इसे अपनाने से न केवल महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ कम […] Read more » Increasing burden on women: Less participation of men in family planning
कविता तब बहुत याद आते हैं पिता December 5, 2024 / December 5, 2024 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकतब बहुत याद आते हैं पिताजब किसी काम के लिए निकलता हूँऔर किसी का साथ नहीं मिलतातब बहुत याद आते हैं पिता! तब बहुत याद आते हैं पिताजब किसी से मदद की उम्मीद करता हूँऔर मदद नहीं मिल पातातब बहुत याद आते हैं पिता तब बहुत याद आते है पिताजब किसी भाई से […] Read more » तब बहुत याद आते हैं पिता
लेख मतांतरण पर सही संदेश, दलितों के हिस्से के अवसर मतांतरित ईसाइयों एवं मुस्लिमों को नहीं दिए जा सकते December 5, 2024 / December 5, 2024 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment मतांतरण वस्तुतः राष्ट्रांतरण होता है। मतांतरित व्यक्ति अपनी जन्मभूमि, इतिहास और संस्कृति से टूट जाता है। भारत ईसाई, इस्लामी जोर जबरदस्ती, लोभ, भय आधारित मतांतरण का भुक्तभोगी है। मद्रास हाई कोर्ट में एक महिला ने ईसाई होने के बावजूद हिंदू दलित होने का प्रमाण पत्र मांगा था। न्यायालय ने टिप्पणी की कि केवल नौकरी के […] Read more » मतांतरण
लेख जटिल विषय है जनसंख्या, संतुलन जरूरी। December 5, 2024 / December 5, 2024 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment सुनील कुमार महला आजकल जनसंख्या के गणित पर देश में बड़ी चर्चा छिड़ी हुई है। कोई आबादी बढ़ाने की बात करते नजर आते हैं तो कोई आबादी घटाने की। हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में देश की घटती आबादी को लेकर चिंता जता दी। उन्होंने यह कहा है कि प्रजनन दर […] Read more » Population is a complex subject जटिल विषय है जनसंख्या जनसंख्या
लेख शख्सियत साक्षात्कार आम्बेडकर, समरसता और संघ December 5, 2024 / December 5, 2024 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment -डॉ.सौरभ मालवीय देश में सामाजिक समता एवं सामाजिक न्याय के लिए प्रमुखता से स्वर मुखर करने वालों में डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर का नाम अग्रणीय है। उन्होंने बाल्यकाल से ही अस्पृश्यता का सामना किया था। विद्यालय से लेकर नौकरी तक उन्होंने भेदभाव का दंश झेला। इससे उनकी आत्मा चीत्कार उठी। उन्होंने अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिए […] Read more » Ambedkar harmony and union आम्बेडकर
लेख समाज साक्षात्कार दिव्यांगों की उपेक्षा मानवता पर कलंक December 4, 2024 / December 4, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment अन्तर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस, 3 दिसंबर, 2024 पर विशेष -ः ललित गर्ग:-हर वर्ष 3 दिसंबर का दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकलांग व्यक्तियों को समर्पित है। वर्ष 1976 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा के द्वारा “विकलांगजनों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष” के रूप में मनाया गया और वर्ष 1981 से अन्तर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस मनाने की विधिवत शुरुआत हुई। साल […] Read more » Ignoring the disabled is a stigma on humanity. दिव्यांगों की उपेक्षा
लेख विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों पर उठते सवाल December 4, 2024 / December 4, 2024 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment -प्रियंका सौरभ भारतीय संस्थानों से एसटीईएम स्नातकों के एक बड़े प्रतिशत में आवश्यक कौशल का अभाव है, जो उद्योग और अनुसंधान प्रगति में बाधा डालता है। संस्थागत रैंकिंग को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान आउटपुट पर ध्यान केंद्रित करने से कई शिक्षण-केंद्रित संस्थानों ने अक्सर निम्न-गुणवत्ता वाले आउटलेट में प्रकाशन पत्र और पेटेंट को प्राथमिकता […] Read more »
लेख संकट में भारतीय ज्ञान परंपरा December 3, 2024 / December 3, 2024 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment यद्यपि हमने 15 अगस्त, 1947 को तत्कालीन औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की, किंतु अंग्रेजों की लगभग 200 वर्षों की दासता का दुष्प्रभाव हमारी संस्थाओं, व्यवस्थाओं, राजनीतिक-सामाजिक प्रतीकों एवं जीवनशैली में विद्यमान है। औपनिवेशिक प्रवृत्ति एवं परंपराओं, हमारी शासन व्यवस्था, भाषा, वास्तुकला एवं जीवन के अन्यान्य क्षेत्रों में अब भी मौजूद हैं। तत्कालीन भौगोलिक परतंत्रता […] Read more »
लेख बुद्धिजीविता बनाम व्यक्ति निर्माण: संघ की दूरगामी दृष्टि December 3, 2024 / December 3, 2024 by शिवेश प्रताप सिंह | Leave a Comment लेखक: शिवेश प्रताप हाल ही में आजतक के साहित्यिक मंच पर पत्रकार राहुल देव और कवि नरेश सक्सेना ने एक गंभीर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “आरएसएस सौ साल से बौद्धिक कर रहा है, किंतु आज तक ऐसा कोई बुद्धिजीवी नहीं पैदा कर पाया, जिसका नाम संघ के बाहर कोई जानता हो।” यह सवाल जितना महत्वपूर्ण […] Read more » बुद्धिजीविता बनाम व्यक्ति निर्माण
लेख निरंतर मजबूत हो रही है भारतीय नौसेना December 3, 2024 / December 3, 2024 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment भारतीय नौसेना दिवस (4 दिसम्बर) पर विशेष Read more » भारतीय नौसेना का इतिहास भारतीय नौसेना दिवस 4 दिसम्बर