Category: व्यंग्य

व्यंग्य साहित्‍य

नयेपन की डिमांड और अलग तरह की राजनीती

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आम आदमी के नाम पर बनी पार्टी ने मतदाता के एंटरटेनमेंट का पूरा ख्याल रखा है । आम आदमी पार्टी ("आप") ने लोकतंत्र की नीरसता को ना केवल दूर करने का काम किया है बल्कि दूरदर्शी राजनैतिक मूल्यों की स्थापना करने में भी महती भूमिका निभाई है। आप पर कोई भ्रष्टाचार का आरोप लगाए उससे पहले ही आप सबको भ्रष्टाचारी घोषित कर स्वयं को ईमानदारी का एकमात्र मसीहा घोषित कर दो। इससे ना तो आप की ईमानदारी साबित होती है और ना ही दूसरे की बेईमानी लेकिन टाइमपास अच्छा हो जाता है और मुँह बाए खड़ी सैंकड़ो समस्याओ के बावजूद सबका मूड फ्रेश रहता है।

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व्यंग्य साहित्‍य

अब चुहे बने शराबी : वाह रे बिहार पुलिस

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इन चूहों ने रात के घोर अंधेरे का फायदा उठाया, योजना बनाई तथा बड़ी चतुराई पूर्वक सभी बिन्दुओं पर गंभीरता पूर्वक विचार किया तथा योजना बद्ध तरीके से इस बड़े कार्य को सफलता पूर्वक अंजाम दिया। क्योंकि यह मामला पुलिस विभाग से संबंधित था, अत: इस संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए बड़ी चतुराई के साथ रात के घोर अंधेरे का फायदा उठाते हुए थानों के पिछले द्वार से प्रवेश किया क्योंकि थाने के मुख्य द्वार पर एक पुलिस वाला पहरा दे रहा था, जो संगीन के साथ पूरी मजबूती से खड़ा हुआ था, इसी कारण चूहों ने पिछले द्वार से प्रवेश की योजना बनाई, जिसके सहारे शराब के भंडार गृह तक योजना बद्ध तरीके से पहुंच गए।

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व्यंग्य साहित्‍य

मोबाइल की माया, बना इंसानी हमसाया

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हर हाथ के पास काम हो या ना हो लेकिन हर हाथ के पास मोबाइल ज़रूर है। आदमी को अपने वर्क की इतनी चिंता नहीं होती है जितनी मोबाइल नेटवर्क की होती है। फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम जैसे एप्स से आम आदमी टाइम-पास कर बहुत कुछ फेल करना सीख गया है। गूगल प्ले-स्टोर में जाकर दिमाग पर ज़्यादा लोड लिए कुछ भी डाउनलोड करना आसान है। गूगल स्टोर उस गोदाम की तरह की तरह हो गया है जहाँ उचित दाम पर सब वस्तु आसानी से मिल जाती है। वह दिन दूर नहीं जब गूगल स्टोर इतना "यूजर-फ्रैंडली" हो जाएगा की राशन की सारी चीज़े भी पंसारी की तरह उपलब्ध करवाएगा। ज़्यादा व्यस्तता होने आपातकाल में गूगल स्टोर सुलभता से सुलभ शौचालय का रूप लेकर हल्का करने वाला एप भी ला सकता है। हल्का होना इंसान के बहुत ज़रूरी है क्योंकि जितना हल्कापन होगा सफलता की उड़ान उतनी ही ऊँची होगी।

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लालबत्ती का फ्यूज हो जाना

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लालबत्ती हटाकर सरकार न केवल उस महान वीआईपी परंपरा ,जिसे कई नेताओ और अधिकारियों ने अपनी कार और अहंकार से सजाकर इस मुकाम तक पहुँचाया है, को लांछित करने का प्रयास कर रही है बल्कि आम आदमी की छवि को धूमिल करने का प्रयास भी कर रही है। क्योंकि जब तक समाज में वीआईपी रहेंगे तब तक आम आदमी उनको देखकर अपने को छोटा महसूस करता रहेगा और सरकारे उसके उत्थान हेतु कदम उठाती रहेगी। अगर समाज से वीआईपी सभ्यता ख़त्म होकर सभी आम आदमी हो गए तो सरकारे आम आदमी के कल्याण के लिए कहाँ से प्रेरणा लेगी। असली समाजवाद लाने के लिए देश में विशिष्ट और विशिष्टता का रहना अत्यंत आवश्यक है। विशिष्टता का शिष्टता में बदल जाना लोकतांत्रिक और सामाजिक मूल्यों के लिए खतरा है।

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सफ़र के हमसफ़र

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माता-पिता और गुरुओ के बाद मुझे बस कंडक्टर ही सबसे प्रेरणास्पद व्यक्तित्व लगता है क्योंकि वो भी तमाम कठिनाईयो के बावजूद आपको हमेशा "आगे बढ़ने" की प्रेरणा देता है। मुझे हमेशा से ही कंडक्टर नाम का व्यक्तित्व असामान्य और अद्भुत लगता रहा है क्योंकि जब रजनीकांत जैसा "महामानव असल ज़िंदगी में "कंडक्टर" की भूमिका निभा चुका हो तो कंडक्टर एक सामान्य व्यक्ति भला कैसे हो सकता है! मेरी राय में कंडक्टर किसी पार्टी हाई-कमान से कम हैसियत नहीं रखता है क्योंकि पार्टी हाई-कमान के बाद कंडक्टर ही एक ऐसा ऐसा व्यक्ति है जो "टिकट"देने में सबसे ज़्यादा आनाकानी करता है। विज्ञान के लिए टच-स्क्रीन पद्धति भले ही नई हो लेकिन कंडक्टर तो सदियो से "टच-पद्धति" का उपयोग कर खचाखच भरी बस में भी किसी भी कोने सेे किसी भी कोने तक पहुँचते रहे है। कंडक्टर के पास समय और "छुट्टे" की हमेशा किल्लत रहती है।

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