व्यंग्य साहित्य पता नहीं साहब…. January 26, 2016 by विजय कुमार | 1 Comment on पता नहीं साहब…. बचपन में एक कहानी पढ़ी थी। शायद आपने भी पढ़ी या सुनी होगी। कहानी इस प्रकार है। एक विदेशी पर्यटक भारत घूमने के लिए आया। दिल्ली में उसने लालकिला देखकर तांगे वाले से पूछा, ‘‘इसे किसने बनाया ?’’ तांगे वाले ने कहा, ‘‘पता नहीं साहब।’’ इसके बाद वह कुतुबमीनार और बिड़ला मंदिर देखने गया। […] Read more » पता नहीं साहब....
व्यंग्य साहित्य ‘सर ‘ का डर …!! January 26, 2016 by तारकेश कुमार ओझा | 1 Comment on ‘सर ‘ का डर …!! जल्दी -जल्दी खाना खा… डर लगे तो गाना गा…। तब हनुमान चालिसा के बाद डर दूर करने का यही सबसे आसान तरीका माना जाता था।क्योंकि गांव – देहात की कौन कहे, शहरों में भी बिजली की सुविधा खुशनसीबों को ही हासिल थी। लिहाजा शाम ढलने के बाद शहर के शहर अंधेरे के आगोश में चले […] Read more » 'सर ' का डर ...!!
राजनीति व्यंग्य खोई ताकत की तलाश में January 18, 2016 by विजय कुमार | Leave a Comment आप इस शीर्षक से भ्रमित न हों। मैं किसी खानदानी शफाखाने का एजेंट नहीं हूं, जो खोई ताकत की कुछ दिन या कुछ महीनों में वापसी का दावा करूं। हुआ यों कि कल शर्मा जी पार्क में आये और सबको मिठाई बांटने लगे। पूछने पर बोले कि राहुल बाबा नये वर्ष की छुट्टी विदेश में […] Read more » Featured satire on rahul gandhi's foreign trip खोई ताकत की तलाश में
व्यंग्य दुनिया के रिश्वतखोरों! एक हो January 12, 2016 by अशोक मिश्र | Leave a Comment अशोक मिश्र काफी दिनों बाद उस्ताद गुनाहगार से भेट नहीं हुई थी। सोचा कि उनसे मुलाकात कर लिया जाए। सो, एक दिन उनके दौलतखाने पर पहुंच गया। हां, दौलतखाना शब्द पर याद आया। लखनऊ की नजाकत-नफासत के किस्से तो सभी जानते हैं, लेकिन दौलतखाना और गरीब खाना शब्द का एक अजीब घालमेल है। लखनउवा जब […] Read more » रिश्वतखोरों
राजनीति व्यंग्य साहित्य किस्सा-ए-बुलेट ट्रेन January 7, 2016 by शिवेन्दु राय | 2 Comments on किस्सा-ए-बुलेट ट्रेन शिवेन्दु राय मोदी सरकार के आने से अच्छी बात देश में यह हुई है कि विश्व के सभी देश मान गए हैं कि व्यापार के अनन्त अवसर यहां है | इसी बात को लेकर उत्तर भारत के एक छोटे से गाँव में चर्चा हो रही थी | आखिर क्या बात है कि जापान का प्रधानमंत्री […] Read more » satire on bullet train किस्सा-ए-बुलेट ट्रेन
व्यंग्य साहित्य ‘प्रभु जी! यात्रियों की आदत मत बिगाडि़ए… January 4, 2016 by अशोक मिश्र | Leave a Comment अशोक मिश्र हद हो गई यार! हमारे रेलमंत्री को लोगों ने क्या पैंट्री कार का इंचार्ज, गब्बर सिंह या सखी हातिमताई समझ रखा है? जिसे देखो, वही ट्वीट कर रहा है, ‘प्रभु जी! मैं फलां गाड़ी से सफर कर रही हूं। गाड़ी में मेरे बच्चे ने गंदगी फैला दी है। जरा अपने किसी सफाई कर्मचारी […] Read more » 'प्रभु जी! यात्रियों की आदत मत बिगाडि़ए... prabhu ji dont spoil the habits of indians प्रभु यात्रियों की आदत
राजनीति व्यंग्य मुखर – मुखिया, मजबूर मार्गदर्शक …!! January 1, 2016 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तेज – तर्रार उदीयमान नेताजी का परिवार वैसे था तो हर तरफ से खुशहाल, लेकिन गांव के पट्टीदार की नापाक हरकतें समूचे कुनबे को सांसत में डाले था। कभी गाय – बैल के खेत में घुस जाने को लेकर तो कभी सिंचाई का पानी रोक लेने आदि मुद्दे पर पटीदार तनाव पैदा करते रहते। इन […] Read more » Featured मजबूर मार्गदर्शक ...!! मुखर - मुखिया
व्यंग्य क्या वीआईपी की गाड़ी प्रदूषण नहीं फैलाती December 27, 2015 by एल. आर गान्धी | Leave a Comment सही पकड़े है। क्या वीआईपी की गाड़ी प्रदूषण नहीं फैलाती, सबसे ज़्यादा प्रदूषण तो अति -विशिष्ट बिरादरी ही फैलाती है जी ! जीजा जी से ज्यादा कौन जानता है ! उनसे ज़्यादा वीआईपी के मज़े किसने लुटे हैं जी ! जीजा जी ! बोले तो ! रॉबर्ट जी वाड्रा ने फ़रमाया है कि आड -इवन […] Read more » क्या वीआईपी की गाड़ी प्रदूषण नहीं फैलाती
व्यंग्य साहित्य नए वर्ष में व्यंग्यकारों के तारे-सितारे December 26, 2015 by अशोक मिश्र | Leave a Comment अशोक मिश्र नया साल व्यंग्यकारों के लिए बड़ा चौचक रहने वाला है। नए वर्ष में व्यंग्यकारों की कुंडली के सातवें घर में बैठा राहु पांचवें घर के बुध से राजनीतिक गठबंधन कर रहा है। अत: संभव है कि प्रधानमंत्री और देश के 66 फीसदी राज्यों के मुख्यमंत्री व्यंग्यकार हो जाएं या फिर राजनीतिक उठापटक के […] Read more » नए वर्ष में व्यंग्यकारों के तारे-सितारे
कविता व्यंग्य प्रेमिका के साइड इफेक्ट्स December 19, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment प्रशांत मिश्रा ओ मेरी प्रिय संगिनी,अष्ट भुजंगिनी,लड़ाकू दंगिनी, नमन करता हूँ तुमको अपने ह्रदय के अंतर्मन से, और खुदको समर्पित करता हूँ तुम्हे अपने तन मन से, मत मारी गयी थी मेरी जब तुम्हे प्रेम का प्रस्ताव दिया था, और किस मनहूस घडी में तुमने वो स्वीकार किया था, मेरे दोस्त मुझे जोरू का […] Read more » Featured प्रेमिका के साइड इफेक्ट्स
व्यंग्य साहित्य गम खा – खूब गा…!! December 16, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा कड़की के दिनों में मिठाई खाने की तीव्र इच्छा होने पर मैं चाय की फीकी चुस्कियां लेते हुए मिठाई की ओर निहारता रहता हूं। इससे मुझे लगता है मानो मेरे गले के नीचे चाय के घुंट नहीं बल्कि तर मिठाई उतर रही है।धन्ना सेठों के भोज में जीमने से ज्यादा आनंद […] Read more » गम खा - खूब गा...!!
व्यंग्य साहित्य क्यों रें अज्जू!!! December 15, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment क्यों रें अज्जू!!! क्या हो रिया हैं आजकल । अज्जू- कुछ नहीं हो रिया यार पीके,बस फेसबुकिया बन एक दुसरे को गरिया रहै हैं । पीके- गरिया रहै हो??किसे गरिया रहै हो बे! तुम कब से गरियाना शुरूकर दिये हो!! अरे कुछ नहीं भाई बस ऐसे ही अब जकरबर्ग ने फेसबुकिया बनाई है तो बकैती […] Read more » क्यों रें अज्जू!!!