व्यंग्य साहित्य नेता जी कहिन, अबकी बार, गाय हमार, October 20, 2015 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment देश में एक मौसम सदाबहार रहता हैं. जाने का नाम ही नही लेता है. वो है चुनावी मौसम. कभी इस राज्य में तो कभी उस राज्य में. जहां भी ये मौसम शुरू होता है. वहां तो जैसे चार चांद लग जाते हैं.गली मोहल्लों में चहल-पहल बहुत बढ़ जाती है. चाय की दुकानों पर दो चुस्की […] Read more » अबकी बार गाय हमार नेता जी कहिन
व्यंग्य संघर्ष की शक्ल….!! October 14, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा मैं जीवन में एक बार फिर अपमानित हुआ था। मुझे उसे फाइव स्टार होटल नुमा भवन से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया था, जहां तथाकथित संघर्षशीलों पर धारावहिक तैयार किए जाने की घोषणा की गई थी। इसे किसी चैनल पर भी दिखाया जाना था। पहली बार सुन कर मुझे लगा […] Read more » संघर्ष की शक्ल....!!
व्यंग्य साहित्य गधे ने जब मुंह खोला October 10, 2015 by अशोक गौतम | Leave a Comment मैंने रोज की तरह लाला दयाराम की बरसों से बन रही हवेली के लिए सूरज निकलने से पहले अपने पुश्तैनी गधे के पोते के पड़पोते पर रेत ढोना शुरू कर दिया था। जहां तक मेरी नालिज है न गधे के पुरखों ने मेरे पुरखों से इस रिश्ते के बाबत कोई शिकायत की थी और न […] Read more » गधे ने जब मुंह खोला
राजनीति व्यंग्य कानून अपना – अपना ..!! October 6, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा मुझे पुलिस ढूंढ रही थी। पता चला एक महिला ने मेरे खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज करा दी है। मुझे लगा जब मैने अपराध किया ही नही तो फिर डर किस बात का। लिहाजा मैने थानेदार को फोन लगाया। दूसरी ओर से कड़कते हुए जवाब मिला… तुम हो कहां … हम तुम्हारी खातिरदारी […] Read more » Featured
व्यंग्य साहित्य पी ले, पी ले, ओ मोरी जनता September 27, 2015 by रवि श्रीवास्तव | 2 Comments on पी ले, पी ले, ओ मोरी जनता देश के युवाओं में नशा का दौर लगातार बढ़ता जा रहा है. किसी को शौक है तो कोई इसका आदी बन चुका है. छोटी खुशी हो या बड़ी बस बहाना चाहिए पार्टी करने का. चलो पार्टी करते है और जाम छलकाते है. गिलास को टकराकर चेयर्स करते हैं. और टल्ली होकर हंगामा. वाह क्या खूबी […] Read more » ओ मोरी जनता पी ले
व्यंग्य साहित्य अथ ‘श्री मच्छर कथायाम’ September 19, 2015 by श्रीराम तिवारी | Leave a Comment जिस किसी ने संस्कृत नीति कथा ‘पुनर्मूषको- भव:’ नहीं पढ़ी होगी ,उसे मेरी यह नव -उत्तरआधुनिक ‘मच्छरकथा’ शायद ही रुचिकर लगेगी ! किन्तु लोक कल्याण के लिए ‘स्वच्छ भारत’ एवं स्वश्थ भारत के निर्माण के लिए यह सद्यरचित स्वरचित मच्छरकथा -फेसबुक ,ट्विटर ,गूगल्र ,वॉट्सएप समर्पयामि :! ++++ ===++++==अथ मच्छर कथा प्रारम्भ ====+======+===++++ यद्द्पि मैं कोई […] Read more » मच्छर
व्यंग्य साहित्य सजा का मजा…!! September 16, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा मैने कई बार महसूस किया है कि बेहद सामान्य व छोटा लगने वाला कार्य करने के बाद मुझे लगा जैसे आज मैने कोई अश्विसनीय कार्य कर डाला है। वैसे सुना है कि भीषण रक्तपात के बाद चक्रवर्ती सम्राट बनने वाले कई राजा – महाराजा इसकी उपलब्धि के बाद मायूस हो गए। यह […] Read more » सजा का मजा
राजनीति व्यंग्य मोर्चे पर मोर्चा …!! September 8, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा बचपन में मैने ऐसी कई फिल्में देखी है जिसकी शुरूआत से ही यह पता लगने लगता था कि अब आगे क्या होने वाला है। मसलन दो भाईयों का बिछुड़ना और मिलना, किसी पर पहले अत्याचार तो बाद में बदला , दो जोड़ों का प्रेम और विलेनों की फौज… लेकिन अंत […] Read more » Featured मोर्चा मोर्चे पर मोर्चा ...!!
विविधा व्यंग्य खास को यूं आम मत बन बनाओ …प्लीज…!! August 30, 2015 / August 30, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | 1 Comment on खास को यूं आम मत बन बनाओ …प्लीज…!! बचपन में अपने हमउम्र बिगड़ैल रईसजादों को देख कर मुझे उनसे भारी ईष्या होती थी। क्योंकि मेरा ताल्लुक किसी प्रभावशाली नहीं बल्कि प्रभावहीन परिवार से था। मैं गहरी सांस लेते हुए सोचता रहता … काश मैं भी किसी बड़े बाप का बेटा होता , या एट लिस्ट किसी नामचीन मामा का भांजा अथवा किसी बड़े […] Read more » Featured
विविधा व्यंग्य प्याज का मारा इक दुखिया बेचारा August 24, 2015 by अशोक गौतम | Leave a Comment जबसे मैंने अपने दोस्त का चेहरा देखा है, अपने सा बेरंग ही देखा है। हो सकता है कभी उनके चेहरे पर नूर रहा हो, जब वे अविवाहित रहे हों। असल में वे मेरे जिगरी दोस्त विवाह के बाद ही हुए हैं। जो मैं विवाहित न होता, वे विवाहित न होते शायद ही हम एक […] Read more »
पर्यावरण राजनीति व्यंग्य डिपेन्डेन्स वाया वल्र्ड वाटर लीग-2020 August 23, 2015 by अरुण तिवारी | 1 Comment on डिपेन्डेन्स वाया वल्र्ड वाटर लीग-2020 उल्लेखनीय है कि भारत के पानी के प्रति दुनिया के कर्जदाता देशों के नजरिये और नतीजे बता रहे हैं कि भारत का पानी उनके बिजनेस खेल का शिकार बन चुका है। इसे सहज ही समझाने की दृष्टि से सीधे संवाद शैली में लिखा एक व्यंग्य लेख डियर इंडि ! मैं, दुनिया के रेगुलेटर्स के प्रतिनिधि […] Read more »
विविधा व्यंग्य सर का शौर्य, साहब का शोक….!! August 20, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा आज का अखबार पढ़ा तो दो परस्पर विरोधाभासी खबरें मानों एक दूसरे को मुंह चिढ़ा रही थी। पहली खबर में एक बड़ा राजनेता अपनी बिरादरी का दुख – दर्द बयां कर रहा था। उसे दुख था कि जनता के लिए रात – दिन खटने वाले राजनेताओं को लोग धूर्त और बेईमान समझते […] Read more » सर का शौर्य साहब का शोक