व्यंग्य मेरा गुरु महान November 18, 2014 by बीनू भटनागर | 13 Comments on मेरा गुरु महान मेरे देश मे गुरु घंटालों का, मेला लगा है। कहीं बाबा निर्मल, कहीं आसाराम तो, कहीं रामपाल हैं। कहीं आनन्दमयी तो, तो कहीं निर्मला मां हैं। सबने लोगों के मन पर, झाडू लगाई हैं । साबुन से घिसा,निचोड़ा, दिमाग़ की कर दी धुलाई। अब कोरा काग़ज़, जो चाहें लिख दो, भक्त जयकारा ही करेंगे। […] Read more » मेरा गुरु महान
व्यंग्य Be practical Mama November 13, 2014 by विपिन किशोर सिन्हा | 5 Comments on Be practical Mama मेरी भांजी हैदराबाद विश्वविद्यालय में हिन्दी की प्रोफ़ेसर है। कभी-कभी बनारस आती है, मुझसे मिलने। उसे लेने और छोड़ने कभी मैं बाबतपुर हवाई अड्डे और कभी रेलवे स्टेशन जरुर जाता हूं। उसने कई बार मुझसे हैदराबाद आने का आग्रह किया, सो सेवा से अवकाश प्राप्ति के बाद पिछली ९ तारीख को मैं हैदराबाद गया। […] Read more » Be practical Mama
व्यंग्य ‘दिल्ली का चुनावी दंगल ‘फिल्मी’ स्टाइल मे’ November 13, 2014 / November 15, 2014 by रोहित श्रीवास्तव | Leave a Comment भारत की राजनीति मे जो गर्मजोशी और दिलचस्पी अब दिखाई पड़ती है वो संभवतः आज से 10 वर्ष पूर्व शायद बिलकुल नी’रस’ थी। कालांतर प्रति पाँच साल बाद चुनाव तो होते थे पर ‘चुनावी-एहसास’ का आभास तनिक भी नहीं होता था। मीडिया का बढ़ता दायरा कहो या फिर केजरी जी का ‘रायता’ भारत मे तुलनात्मक […] Read more » ‘दिल्ली का चुनावी दंगल election in delhi in filmy style
व्यंग्य गड़पने का अहिंसात्मक नुस्खा November 12, 2014 / November 15, 2014 by अशोक गौतम | 6 Comments on गड़पने का अहिंसात्मक नुस्खा शहर के बीचो- बीच भगवान का जर्जर मंदिर। भगवान का मंदिर जितना जर्जर हो रहा था उनके कारदार उतने ही अमीर। पर भगवान तब भी मस्त थे। यह जानते हुए भी कि उनके भक्तों को उनकी रत्ती भर परवाह नहीं। परवाह थी तो बस अपनी कि जो वे भगवान से रूप्या, दो रूप्या चढ़ा मांगें, […] Read more » simplest way of aquisition गड़पने का अहिंसात्मक नुस्खा
व्यंग्य व्यंग्य बाण : पार्टी उत्थान योजना November 10, 2014 / November 15, 2014 by विजय कुमार | Leave a Comment चिरदुखी शर्मा जी इन दिनों कुछ ज्यादा ही दुखी थे। अधिकांश लोगों का दुख आंखों से टपकता है; पर उनका दुख स्पंज की तरह शरीर के हर अंग से टपकता रहता था। इस चक्कर में उनका रक्तचाप सोने और चांदी के दामों की तरह लगातार गिरने लगा। दिल की धड़कन मुंबई के स्टॉक एक्सचेंज की […] Read more » party uthan yojna sattire on party uthan yojna पार्टी उत्थान योजना
व्यंग्य भैंस को सताना बंद करो….रहम करो जी रहम करो November 10, 2014 / November 15, 2014 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment जिसने ये कहावत बनाई अकल बड़ी है या भैंस वह जरूर भैंस का सताया हुआ रहा होगा। कदाचित उसे किसी गुस्साई भैंस ने पटखनी मार दी होगी। पर सदियों पुरानी इस कहावत के कारण भोली भाली भैंसों को बार-बार गुस्सा आता है। और वह कई बार ऐसी हरकतें करती है जिसमें वह ये सिद्ध कर […] Read more » stop harrassing buffaloes भैंस को सताना बंद करो
व्यंग्य ‘जादू की झप्पी ‘ वाला बैग…!! November 9, 2014 / November 15, 2014 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा बदहाल हिंदी पट्टी में दूसरे मोर्चो पर चाहे जितनी विसंगतिया नजर आए लेकिन उत्तर भारत के गांवों में होने वाली शादियों में मुझे विचित्र किस्म का समाजवाद नजर आता है। ‘ अच्छी शादी ‘ हो या ‘जैसे – तैसे ‘ हुई। परिदृश्य में गजब की समानता देखने को मिलती है। वही खेतों में डेरा डाले बाराती और उनकी मेजबानी […] Read more » bag of jadu ki jhappi
व्यंग्य ‘माँ-बच्चे का अद्वितीय रिश्ता’ October 25, 2014 / October 25, 2014 by रोहित श्रीवास्तव | Leave a Comment माँ और ‘बच्चे’ का अटूट-रिश्ता कुछ वैसे ही जैसे :- * चोली का ‘दामन’ से होता है। * चीटी का ‘चीनी’ से होता है। * आग का ‘पानी’ से होता है। * हरे का ‘लाल’ से होता है। * चांटे का ‘गाल’ से होता है। * पेड़ का ‘ड़ाल’ से होता है। * शस्त्र का […] Read more » ‘माँ-बच्चे का अद्वितीय रिश्ता’
व्यंग्य कैटल क्लास की दीवाली October 20, 2014 by एम. अफसर खां सागर | Leave a Comment शाम के वक्त चौपाल सज चुकी थी। रावण दहन के बाद मूर्ति विसर्जित कर लोग धीरे-धीरे चौपाल की जानिब मुखातिब हो रहे थे। दशहरा वाली सुबह ही काका ने जोखन को पूरे गांव में घूमकर मुनादि का हुक्म दे दिया था कि सभी कैटल क्लास के लोग विसर्जन के बाद दीवाली के बाबत चौपाल में […] Read more » कैटल क्लास की दीवाली
व्यंग्य बोल भाई बोल… October 19, 2014 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment बोलना एक कला है, यह तो सभी जानते हैं, लेकिन इसके साथ कई विशेषताएं , विडंबनाएं और विरोधाभास भी जुड़े हैं। जिसकी ओर लोगों का ध्यान कम ही जाता है। मसलन ज्यादातर अच्छे – भले कर्मयोगी अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप अच्छा बोल नहीं पाते। कभी एेसी नौबत आती भी है तो वह कांपते हुए बस […] Read more » बोल भाई बोल
व्यंग्य बां बां Black Buff…… October 14, 2014 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on बां बां Black Buff…… बड़ी इच्छा थी की मेरे जीवनकाल में भी कोई देवता इस पृथ्वी पर अवतरित होते और गूढ़ विषयों का सार समझा देते तो ससुरा ये जीवन सफल हो जाता । बड़ा हर्षित हूँ की जे एन यु के क्रांतिकारियों ने यह इच्छा पूरी करवा ही दी, उन्होंने विश्वविद्यालय प्रांगण में खुर वाले देवता को अवतरित […] Read more » बां बां Black Buff
व्यंग्य तोरई आदमी पार्टी October 13, 2014 by अनुज अग्रवाल | Leave a Comment प्रिय मित्रों , इस बार चुनावों के शुभ अवसर पर समाजसेवा का भूत चढा है | इसीलिए १ नयी पार्टी बनाने जा रहा हूँ | नाम होगा (TAP) | आजकल पार्टियों का नाम फल फ्रूट पर रखे जाने का फार्मूला हिट है फिर हमें तो और भी गरीब लाचार दिखना है इसीलिए हम अपनी पार्टी […] Read more » तोरई आदमी पार्टी