व्यंग्य चलो हम पेड़ लगाएं और वे कैमरा चमकाएं July 8, 2022 / July 8, 2022 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल हमारे देश में बरसात का मौसम हरियाली उगाने का मौसम होता है। पूरे चौमासा में हरियाली उत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसमें सरकारों की दिलचस्पी अधिक होती है। हरियाली उत्सव के इश्तहार बड़े अच्छे लगते हैं। माननीयों का पवित्र […] Read more » Let's plant trees चलो हम पेड़ लगाएं
व्यंग्य तोता बोले मालिक की भाषा․․․ April 20, 2022 / April 20, 2022 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव जब तोता पालतू है तो मालिक की ही तो भाषा बोलेगा। कई मालिक हो तो तोते की भाषा भी भ्रामक हो जाती है। उन्हें जब मंसूरी की हरियाली से आच्छादित वादियों में आईएएस की एबीसीडी सिखाई जाती है तो उसके मायने होते हैं, ‘ए’ यानी ‘अवॉइड’ मसलन आम भाषा में टालना। ‘बी’ यानी […] Read more » तोता बोले मालिक की भाषा․․․
व्यंग्य कुछ व्यंग्य पर बिल्कुल सच February 3, 2022 / February 3, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment बाप के कपड़े उतर गए,बेटी को कपड़े पहनाने में।बेटी के कपड़े उतर गए,फॉलोअर्स को बढ़ाने में।। बाप बेचारा थक गया,रोटी दाल कमाने में।बेटा अभी थका नही,मस्ती मौज मनाने में।। बाप गर्मी में जलता है,मां चूल्हे में जलती है।तब कही मुश्किल सेघर की रोटी चलती है।। बाप तन ना ढक पाया,बेचारा मर गया सर्दी में।बच्चे ए […] Read more » Absolutely true on some sarcasm कुछ व्यंग्य पर बिल्कुल सच
व्यंग्य दलबदल का बासंती मौसम आयो रे February 1, 2022 / February 1, 2022 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल मौसम और राजनीति के जीन में कोई फर्क नहीं है। दोनों में काफी समानता है। तभी तो दोनों गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं। कभी -कभी दोनों अपनी वफादारी को कूड़ेदान में डालकर बेईमान हो जाते हैं। तभी तो हिंदी के […] Read more » defection season of the politicians have come दलबदल का बासंती मौसम
व्यंग्य देश में कपकपाती ठंड पर विभिन्न दलों व नेताओ के विचार ( एक व्यंग) January 20, 2022 / January 20, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment भाजपा:– ये कंपकपाती ठण्ड सबका साथ, सबका विश्वास का अद्भुत उदाहरण है। ये ठण्ड बिना किसी जाति, धर्म के भेदभाव किए बिना सभी पर समान रूप से पड़ रही है। हम इस सद्भावनापूर्ण ठण्ड का स्वागत करते हैं। भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं। कांग्रेस:– ऐसा नहीं हैं कि ये ठण्ड हमारी सरकार में नहीं पड़ती थी, […] Read more » Views of various parties and leaders on the cold winter in the country (a satire) देश में कपकपाती ठंड पर विभिन्न दलों व नेताओ के विचार
व्यंग्य गुटखा ब्वॉय : बोलो जुबाँ केसरी December 27, 2021 / December 27, 2021 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment ‘कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे जाने कैसे लोग वो होंगे जो उसको भाते होंगे “ जी हाँ उसको गुटखा बहुत भाता था ,वो गुटखे के बिना न तो रह सकता था और न गुटखे के बिना वो कहीं जा सकता था। इसलिये अपने गर्व ,अपने ब्रांड को लेकर वो क्रिकेट के हरे […] Read more » Bolo Jubaan Kesari Gutkha Boy गुटखा ब्वॉय बोलो जुबाँ केसरी
राजनीति व्यंग्य पर-भारी; मन-तरी ‘ December 11, 2021 / December 11, 2021 by कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल | Leave a Comment ~कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटलसूबे में हुजूर की सरकार है,और जब हुजूर की सरकार है तो उन्हीं के हाथों में सारे अधिकार है। चाहे बढ़ा दें विकास की रफ्तार या वे दिखला दें अपने पॉवर का चमत्कार। सबकुछ उनके ही वश में है। ऊपर से जब सत्ता की पहरेदारी के लिए इस जिले से उस जिले तक […] Read more »
व्यंग्य अंधेर नगरी प्लेब्वॉय राजा October 12, 2021 / October 12, 2021 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment कहते हैं कि अगर आप ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी तालीम पूरी कर लें तो दुनिया भर की सबसे टॉप पोस्ट्स के दरवाजे आपके लिए खुल जाते हैं। तमाम मुल्कों के सदर ऑक्सफ़ोर्ड के ही पढ़े होते हैं। ऑक्सफ़ोर्ड भी अपनी इस विरासत पर गर्व करता रहा है ,लेकिन पाकिस्तानी सदर इमरान खान के बयानों को […] Read more »
व्यंग्य हे कागदेव ! सद्बुद्धि दीजिए October 3, 2021 / October 3, 2021 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल हे ! कलयुग के पितृदेव। हम आपकी श्रेष्ठता को नमन करते हैं। हम समदर्शी सृष्टि का भी अभिनंदन करते हैं जिसने आपको पखवारे भर के लिए श्रेष्ठ माना है। लेकिन आपका सम्मान देख इहलोकवासी पिताम्हों को ईर्ष्या होती है। कागदेव आप नाराज मत होइएगा। लेकिन धरती पर जीवित उन लाखों पिताम्हों की […] Read more » कागदेव
राजनीति व्यंग्य सवा अरब यह पूछ रहा है September 23, 2021 / September 23, 2021 by मनोहर पुरी | Leave a Comment व्यंग्य— मनोहर पुरी —कनछेदी, घर से भागी युवा कन्या के पिता की भांति, बहुत परेशान इधर उधर टहल रहा था। पतिव्रता पत्नी से भी नहीं बहल रहा था। कभी अपने हाथ मलने लगता और कभी बाल नोंचने लगता। उसकी हालत उस जेलर जैसी थी जिसे जेल तोड़ कर कैदियों के भागने का समाचार अभी अभी […] Read more » सवा अरब यह पूछ रहा है
कविता व्यंग्य राहुल की रामलीला September 23, 2021 / September 23, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment राहुल धरे है राम का रूप,कौशल्या किसे बनायेगे ?सोनिया जी तो घर में,कौशल्या उन्हें ही बनायेगे। लक्ष्मण जी किसकी नाक काटेगे सूपनखा किसे बनायेगे ?कांग्रेस की नाक कटेगी,या राहुल अपनी नाक कटवायेंगे। राहुल जी तो अभी तक कुवाँरे है,सीता बिन कैसे बन जायेगे ?गठबंधन में काफी सीता है,किसी एक को ब्याह कर ले जायेगे। कैकयी […] Read more » Rahul's Ramleela राहुल की रामलीला
व्यंग्य बार्टर सिस्टम September 14, 2021 / September 14, 2021 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment बरसों पहले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने एक नारा दिया था “तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा “। अच्छी पहल थी देश में इस नारे को आज भी बहुत इज्जत दी जाती है ।लोग नेता जी के एक आह्वान पर अपना घर -बार त्याग कर अपना जीवन दांव पर लगाकर आजादी हासिल करने […] Read more » बार्टर सिस्टम