व्यंग्य व्यंग्य: क्या करें, ये मास्टर मानते ही नहीं… September 11, 2009 / December 23, 2011 by पंकज व्यास | Leave a Comment क्या करें साब! ये लोग तो ऐसे नाक-भौं सिंकोड़ रहे हैं, जैसे बहुत बड़ी बात हो गई हो। शिक्षक दिवस के दिन शिक्षकों पर लाठी चार्ज क्या कर दिया, मानो पहाड़ टूट गया, आसमान फट गया, जिसको देखो वो सरकार की आलोचना करने में लगा है। कोई ताने कस रहा है, तो कोई व्यंग्य कर […] Read more » satire by pankaj vyas क्या करें ये मास्टर मानते ही नहीं
व्यंग्य व्यंग्य/कुछ कहिए प्लीज!! September 10, 2009 / December 23, 2011 by अशोक गौतम | 2 Comments on व्यंग्य/कुछ कहिए प्लीज!! भाई जी, अब आप से छुपाना क्या! हम तो ठहरे जन्मजात दुर्बल! शादी से पहले और शादी के बाद बहुत कोशिश की कि दुर्बलता से छुटकारा मिले। पता नहीं कितने दावा करने वालों की गोलियां खाई, कभी बाप के पैसों की तो कभी ससुराल के पैसों की। अपने हाथों में और तो हर तरह की […] Read more » gव्यंग्य/कुछ कहिए प्लीजam!! satire by Ashok Gautam
व्यंग्य व्यंग्य/ बस यार बस!! September 4, 2009 / December 26, 2011 by अशोक गौतम | 2 Comments on व्यंग्य/ बस यार बस!! सुबह के साढ़े की दस बजे का टाइम हुआ होगा। मिसेज को दफ्तर रवाना करने के बाद लगे हाथ बरतन धो जरा धूप देखने के लिए दरवाजा खोल सीढ़ियों पर आराम फरमाने निकलने की सोच ही रहा था कि दरवाजे पर बेल हुई। कहीं श्रीमती दफ्तर से लौट तो नहीं आई! अरे अभी तो झाड़ू […] Read more » vyangya व्यंग्य
प्रवक्ता न्यूज़ व्यंग्य समाज बुद्ध सेक्स के पहरेदार के रूप में August 17, 2009 / December 27, 2011 by कनिष्क कश्यप | 3 Comments on बुद्ध सेक्स के पहरेदार के रूप में मैं लाफिंग बुद्धा से वाकिफ़ नही था। दिल्ली में मुलाकात हुई, एक माल मे सजे हुए थे। मैने सोचा धर्म का बाज़ार बुद्ध से कैसे सुशोभित हो रहा है। वह तो आकांक्षाओं को लगाम देने पर जोड़ देते थे और बाज़ार आकांक्षाओं पर आश्रित व्यवस्था है। बाज़ार एक कदम आगे बढ़ कर फ्यूचर ट्रेडिंग की […] Read more » Laughing Buddha मीडिया मॉनिटर
व्यंग्य व्यंग्य/बाल भोगी महाराज की जय!! August 8, 2009 / December 27, 2011 by अशोक गौतम | 1 Comment on व्यंग्य/बाल भोगी महाराज की जय!! समाज के तमाम सज्जनों की मानसिक कमजोरियों की वजह से, आपकी जेब, हैसियत और असंतोष के प्रति आपका अथाह प्रेम देखकर बाल भोगी जी महाराज आपका खराब हुआ वर्तमान सुधारने चौथी बार आपके शहर में पधार चुके हैं। तमाम मानसिक भोगियों को यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता होगी कि हम बाल भोगी हर भोग विद्या के […] Read more » vyangya व्यंग्य
व्यंग्य व्यंग्य/कुकुरमुत्ते का उगना ……। August 7, 2009 / August 7, 2009 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment हम अपने दडबे में बैठे इस बात पर सोच को एकाग्र करने का सार्थक प्रयास कर रहे थे कि हमारे यहां पर आखिर एक कुकुरमुत्ता उग आने का हरसम्भव प्रयास क्यों कर रहा है? जबकि हमने ना ही तो कभी उसका बीजारोपण किया और ना ही ऐसा वातावरण बनाया कि वह हमारे यहां पर उगे […] Read more »
व्यंग्य व्यंग/रसोई घर में बनती सौ दिन की कार्य योजना August 6, 2009 / December 27, 2011 by रामस्वरूप रावतसरे | 1 Comment on व्यंग/रसोई घर में बनती सौ दिन की कार्य योजना हम कमरे में बैठे टकटकी लगाये बाहर देख रहे थे कि कब गृहलक्ष्मी अपने कामों से फ्री हो और हमें भोजन मिले। पर गृहलक्ष्मी की स्थिति यह थी कि वह क्या कर रही है? किस कार्य में लगी है। मालूम ही नहीं चल रहा था। हमने उसे बार-बार पूछा कि आज क्या बात है, वह […] Read more » vyangya व्यंग
व्यंग्य व्यंग्य : हे कुत्ते, तुझे सलाम!! July 26, 2009 / December 27, 2011 by अशोक गौतम | 1 Comment on व्यंग्य : हे कुत्ते, तुझे सलाम!! वे मेरे परमादरणीय पड़ोसी हैं। मेरे लिए रोल माडल हैं। परमादरणीय इसलिए कि उन्होंने मुझे दुनियादारी की बहुत सी बातें सिखाई हैं। उनके ही आशीर्वाद से मैं यहां तक मक्खन लगाने की कला में निपुण हो पाया हूं। वे न होते तो कसम खाकर कहता हूं कि आज मैं एक अच्छे पद पर होने के […] Read more » vyangya व्यंग्य
व्यंग्य व्यंग्य/ तालियां! तलियां!! तलियां!!! July 21, 2009 / December 27, 2011 by अशोक गौतम | 2 Comments on व्यंग्य/ तालियां! तलियां!! तलियां!!! पहाड़ पर एक गांव था। गांव में सबकुछ था। पर पानी न था। कई बार चुनाव आए। वहां के लोगों से भरे पूरे मुंह मंत्रियों ने वोट के बदले पानी पहुंचाने के वादे किए और वोट ले रफूचक्कर होते रहे। और वे बेचारे पहाड़ पर से कोसों नीचे बहती नदी को देख अपनी प्यास बुझाते […] Read more » vyangya व्यंग्य
व्यंग्य व्यंग्य : यार, लौट आओ!! – डॉ. अशोक गौतम July 19, 2009 / December 27, 2011 by अशोक गौतम | 2 Comments on व्यंग्य : यार, लौट आओ!! – डॉ. अशोक गौतम इस इश्तहार के माध्यम से सर्व साधारण को एक बार फिर सूचित किया जाता है कि हमारे मुहल्ले का पिछले कई महीनों से गुम हुआ प्रेम अभी भी गुम है। इस बारे मैं कई बार देश के प्रमुख समाचार पत्रों के माध्यम से इश्तहार भी दे चुका हूं। पर आज तक न तो सूचना पढ़कर […] Read more » vyangya व्यंग्य
व्यंग्य व्यंग्य/ बिन जूते सब सून/ अशोक गौतम July 17, 2009 / December 27, 2011 by अशोक गौतम | Leave a Comment विश्व आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा हो तो गुजरता रहे भाई साहब! मुझे विश्व की आर्थिक मंदी से कोई लेना देना नहीं। विश्व को परेशान होते देख पत्नी ने मुझसे कहा, ‘जब तक मैं चाय बनाती हूं, विश्व को ढांढस बंधा आओ।’ ‘मेरे अपने रोने ही क्या कम है जो विश्व के रोने […] Read more » vyangya व्यंग्य
व्यंग्य चुंबन की आवाज़ और चांटा ! July 16, 2009 / December 27, 2011 by जयराम 'विप्लव' | 2 Comments on चुंबन की आवाज़ और चांटा ! मुशर्रफ, मनमोहन, ऐश्वर्या राय और सोनिया एक ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं। ट्रेन एक सुरंग से निकलती है ट्रेन में अंधेरा हो जाता है। अचानक वहां एक चुंबन ध्वनि और फिर एक थप्पड़ की आवाज आती है। Read more » Slap आवाज़ चांटा