प्रवक्ता न्यूज़ महत्वपूर्ण लेख मीडिया ‘प्रवक्ता स्मारिका’ के लिए आपके संस्मरण आमंत्रित….. October 9, 2013 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 1 Comment on ‘प्रवक्ता स्मारिका’ के लिए आपके संस्मरण आमंत्रित….. ‘प्रवक्ता डॉट कॉम’ के पांच वर्ष पूरे होने के अवसर पर 18 अक्टूबर 2013 को सायं 4 बजे से सायं 7 बजे तक स्पीकर हॉल, कांस्टिट्यूशन क्लब, नई दिल्ली में ‘न्यू मीडिया एवं जन-संवाद’ विषयक संगोष्ठी आयोजित की जा रही है। गत 29 सितम्बर को इस कार्यक्रम को लेकर द्वितीय व्यवस्था–बैठक ‘प्रवक्ता’ कार्यालय में संपन्न […] Read more »
महत्वपूर्ण लेख ‘प्रवक्ता डॉट कॉम’ के 5 साल पूरे होने पर 18 अक्टूबर को भव्य कार्यक्रम October 9, 2013 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 7 Comments on ‘प्रवक्ता डॉट कॉम’ के 5 साल पूरे होने पर 18 अक्टूबर को भव्य कार्यक्रम गत 29 सितम्बर 2013 को ‘प्रवक्ता डॉट कॉम’ से जुड़े कुछ युवा लेखकों की बैठक नई दिल्ली स्थित ‘प्रवक्ता’ कार्यालय में संपन्न हुई। यह दूसरी व्यस्था बैठक थी। विदित हो कि प्रथम बैठक इंडियन कॉफी हाऊस, नई दिल्ली में हो चुकी है। गौरतलब है कि ‘प्रवक्ता डॉट कॉम’ के 5 साल पूरे होने के अवसर […] Read more »
महत्वपूर्ण लेख हिंद स्वराज हमें भारतीयों की दिग्विजयों से परिचित नही कराया जाता October 7, 2013 / October 7, 2013 by राकेश कुमार आर्य | 9 Comments on हमें भारतीयों की दिग्विजयों से परिचित नही कराया जाता भारतीय इतिहास को अत्यंत दुर्बल और कायर हिंदू जाति का इतिहास सिद्घ करने के लिए तथा यहां 1235 वर्ष तक चले स्वतंत्रता संघर्ष को उपेक्षित करने के लिए हमें भारतीय शासकों के विश्व विजयी अभियानों से अथवा उत्सवों से परिचित नही कराया जाता है। देश की महानता के मापदण्ड जब आप किसी जाति के […] Read more » हमें भारतीयों की दिग्विजयों से परिचित नही कराया जाता
जन-जागरण महत्वपूर्ण लेख आदि शंकराचार्य और मंदिर संस्कृति ने पढ़ाया एकता का पाठ October 4, 2013 / October 4, 2013 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment छोटे-छोटे राज्य व्यक्ति की सोच को संकीर्ण बनाते हैं। व्यक्ति अपने राज्य के लोगों को ही अपना मानता है, और बाहरी लोगों ‘परदेशी’ मानता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए इसीलिए संपूर्ण भूमंडल को ‘एक देश’ या एक परिवार बनाने हेतु आर्यावर्त्तीय राजाओं ने चक्रवर्ती साम्राज्य स्थापित करने का आदर्श लक्षित किया। व्यक्ति […] Read more » आदि शंकराचार्य और मंदिर संस्कृति ने पढ़ाया एकता का पाठ
प्रवक्ता न्यूज़ महत्वपूर्ण लेख मीडिया हिंदी चिट्ठाकारिता को मिला नवजीवन September 26, 2013 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 12 Comments on हिंदी चिट्ठाकारिता को मिला नवजीवन म.गां.अं.हिं.वि.वि., वर्धा में 20 एवं 21 सितम्बर 2013 को ‘हिंदी ब्लॉगिंग एवं सोशल मीडिया’ संगोष्ठी संपन्न संजीव कुमार सिन्हा की रपट पिछले महीने जब इंटरनेट पर विचर रहा था तो अचानक ‘हिंदी ब्लॉगिंग और सोशल मीडिया’ विषयक संगोष्ठी का संदर्भ आया। मैं रूक गया। दिलचस्पी जगी। पूरी पोस्ट पढ़ गया। फिर दूसरी पोस्ट भी संदर्भित […] Read more » हिंदी ब्लॉगिंग और सोशल मीडिया
जन-जागरण जरूर पढ़ें धर्म-अध्यात्म महत्वपूर्ण लेख धर्मचिन्तन से उद्भूत राष्ट्रचिंतन सदा प्रबल रहा September 21, 2013 / September 23, 2013 by राकेश कुमार आर्य | 6 Comments on धर्मचिन्तन से उद्भूत राष्ट्रचिंतन सदा प्रबल रहा राकेश कुमार आर्य वेद का पुरूष सूक्त बड़ा ही आनंददायक है। वहां क्षर पुरूष प्रकृति जो कि नाशवान है, अक्षर पुरूष-जीव, जिसकी जीवन लीला प्रकृति पर निर्भर है, और जो इसका भोक्ता है, और अव्यय पुरूष पुरूषोत्तम-ईश्वर के परस्पर संबंध का मनोहारी वर्णन है। इसी वर्णन में कहीं राष्ट्र का ‘बीज तत्व’ छिपा है। वेद […] Read more » धर्मचिन्तन से उद्भूत राष्टट्रचिंतन सदा प्रबल रहा
आर्थिकी महत्वपूर्ण लेख वैश्विक उन्नति का मापदण्ड और उसके प्रभावक पहलु। September 18, 2013 / September 18, 2013 by डॉ. मधुसूदन | 19 Comments on वैश्विक उन्नति का मापदण्ड और उसके प्रभावक पहलु। डॉ. मधुसूदन (एक) प्रवेश: शीर्षक देने में, कुछ कठिनाई, अनुभव कर रहा हूँ। यदि प्रश्न उठाए जाएंगे, तो और उत्तर ढूंढने का प्रामाणिक प्रयास किया जाएगा।वैसे यह विषय एक से अधिक आलेखों के लिए उचित है। आ.गङ्गानन्द जी के,अनुरोध पर , इस आलेख में, “पश्चिमी सभ्यता (संस्कृति?) के उन पहलुओं पर रोशनी डालनेका प्रयास किया […] Read more » वैश्विक उन्नति का मापदण्ड
जरूर पढ़ें प्रवक्ता न्यूज़ महत्वपूर्ण लेख मीडिया राष्ट्रीय मीडिया चौपाल–2013 : एक अवलोकन September 18, 2013 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 7 Comments on राष्ट्रीय मीडिया चौपाल–2013 : एक अवलोकन मीडिया के सभी माध्यमों में ‘वेब मीडिया’ सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है कि इसने पत्रकारिता का लोकतांत्रिकरण किया है। मुख्यधारा के मीडिया से लोग हताश और निराश हैं। सो, बड़े पैमाने पर लोग सोशल साइट्स, ब्लॉग और वेबसाइट के जरिए अपने विचार अभिव्यक्त कर रहे हैं। यहां वे […] Read more » भोपाल मीडिया चौपाल राष्ट्रीय मीडिया चौपाल–2013
महत्वपूर्ण लेख “पश्चिमी चिंतन की मर्यादाएँ” September 6, 2013 / September 6, 2013 by डॉ. मधुसूदन | 9 Comments on “पश्चिमी चिंतन की मर्यादाएँ” डॉ. मधुसूदन सूचना: विषय कुछ कठिन लग सकता है, पर भारतीय चिंतकों को सामान्य रीति से इस विषय का, पता नहीं है; ऐसी मेरी धारणा है। इस लिए आज का आलेख प्रस्तुत किया है। सूक्ष्मताएं न भी समझ में आएँ, तो भी सार समझना पर्याप्त और भारत की अस्मिता के, हित में मानता हूँ। (एक) […] Read more »
जरूर पढ़ें महत्वपूर्ण लेख विश्व को विश्वगुरू (भारत) ने दिया था राष्ट्र का वैज्ञानिक स्वरूप:भाग-2 September 3, 2013 by राकेश कुमार आर्य | 2 Comments on विश्व को विश्वगुरू (भारत) ने दिया था राष्ट्र का वैज्ञानिक स्वरूप:भाग-2 गतांक से आगे….. राकेश कुमार आर्य इसीलिए महाभारत (अ. 145) में कहा गया है कि शासक को चाहिए कि भयातुर मनुष्यों की भय से रक्षा करे, दीन दुखियों पर अनुग्रह करे, कर्त्तव्य अकर्त्तव्य को विशेष रूप से समझे, तथा राष्ट्र हित में संलग्न रहे। सबको यह कामना करनी चाहिए कि राष्ट्र में पवित्र आचरण वाले […] Read more » राष्ट्र का वैज्ञानिक स्वरूप
महत्वपूर्ण लेख विश्व को विश्वगुरू (भारत) ने दिया था राष्ट्र का वैज्ञानिक स्वरूप August 25, 2013 by राकेश कुमार आर्य | 8 Comments on विश्व को विश्वगुरू (भारत) ने दिया था राष्ट्र का वैज्ञानिक स्वरूप डा. संपूर्णानंद का कथन है कि-‘विज्ञान के नाम पर अपनी ज्ञान धरोहर को एकदम खारिज कर दिया जाए यह भी अंधविश्वास का ही एक प्रकार है, क्योंकि सही विज्ञान को परीक्षण के अनंतर ही निष्कर्ष निकालता है। अपनी वैदिक परंपरा तो जांच की परंपरा रही है, उसे जांचें और उस जांच में कुछ त्याज्य पायें […] Read more » राष्ट्र का वैज्ञानिक स्वरूप
महत्वपूर्ण लेख भारत को सदियों से आलोकित रखा है बप्पारावल की देशभक्ति ने August 21, 2013 / August 21, 2013 by राकेश कुमार आर्य | 5 Comments on भारत को सदियों से आलोकित रखा है बप्पारावल की देशभक्ति ने राकेश कुमार आर्य भारत की जनता या भारत के नरेश जितने बड़े स्तर पर किसी विदेशी अक्रांता को चुनौती देते थे, उतने ही बड़े स्तर पर विजयी होने पर विदेशी अक्रांता यहां नरसंहार, लूट, डकैती और बलात्कार की घटनाओं को अंजाम दिया करता था। महमूद ने भी वहीं-वहीं अधिक नरसंहार कराया जहां-जहां उसे अधिक चुनौती […] Read more » बप्पारावल की देशभक्ति