पर्व - त्यौहार लेख वर्त-त्यौहार होली खुशियों को मिल-बांटने का अपूर्व अवसर March 20, 2021 / March 20, 2021 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग –होली प्रेम, आपसी सद्भाव और मस्ती के रंगों में सराबोर हो जाने का अनूठा त्यौहार है। कोरोना महामारी के कारण इस त्यौहार के रंग भले ही फीके पड़े हैं या मेरेे-तेरे की भावना, भागदौड़, स्वार्थ एवं संकीर्णता से होली की परम्परा में बदलाव आया है। परिस्थितियों के थपेड़ों ने होली की खुशी को […] Read more » A unique opportunity to share Holi happiness होली- 28 मार्च
कला-संस्कृति लेख वर्त-त्यौहार शिवत्व की प्रतिष्ठा में ही विश्व मानव का कल्याण संभव है March 10, 2021 / March 10, 2021 by डाॅ. कृष्णगोपाल मिश्र | Leave a Comment Read more » shivaratri शिव शिवत्व की प्रतिष्ठा
पर्व - त्यौहार लेख वर्त-त्यौहार सृजन एवं समभाव के स्वामी हैं शिव March 5, 2021 / March 5, 2021 by ललित गर्ग | Leave a Comment महाशिवरात्रि-11 मार्च, 2021 पर विशेष-ललित गर्ग- सत्य ही शिव हैं और शिव ही सुंदर है। भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने का ही महापर्व है महाशिवरात्रि। इस दिन भक्त जप, तप और व्रत रखते हैं और भगवान के शिवलिंग रूप के दर्शन करते हैं। शिवलिंग शिव एवं सृष्टि का प्रतीक है। […] Read more » mahashivaratri Shiva is the master of creation and equality महाशिवरात्रि-11 मार्च
वर्त-त्यौहार ज्ञान की देवी की पूजा का पर्व ‘वसंत पंचमी’ February 15, 2021 / February 15, 2021 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment – योगेश कुमार गोयलमाघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी ‘वसंत पंचमी’ के रूप में देशभर में धूमधाम से मनाई जाती रही है। माना जाता है कि यह दिन वसंत ऋतु के आगमन का सूचक है। शरद ऋतु की विदाई और वसंत के आगमन के साथ समस्त प्राणीजगत में नवजीवन एवं नवचेतना का संचार होता […] Read more » Basant Panchami वसंत पंचमी
ज्योतिष मनोरंजन लेख अंग्रेजी नववर्ष की भेंडचाल और हिन्दू- ‘काल-गणना’ का कमाल January 3, 2021 / January 3, 2021 by मनोज ज्वाला | 1 Comment on अंग्रेजी नववर्ष की भेंडचाल और हिन्दू- ‘काल-गणना’ का कमाल मनोज ज्वाला एक जनवरी से प्रारंभ होने वाली अभारतीय पश्चिमी काल गणना को हमईस्वी संवत (सन्) के नाम से जानते हैं जिसका सम्बन्ध ईसाई मजहब व ईसामसीह से है । इसे रोम […] Read more » काल-गणना
ज्योतिष लेख भारत की प्राचीनतम काल गणना की आधुनिकता और वैज्ञानिकता का संबंध January 3, 2021 / January 3, 2021 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment कालगणना की युगपद्धति अथवा कल्पपद्धति हमारे देश के व्यावहारिक जगत् में बहुप्रचलित एवं सर्वमान्य थी। तब प्रश्न यह उठता है कि मानव के पृथ्वी पर प्रादुर्भाव के इतने पूर्व की कालगणना का आधार क्या था? कल्पारंभ से गणना करना अथवा उसका हिसाब रखना संभव न हो सकने के कारण युगपद्धति की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाये […] Read more » Relation of modernity and scientificness of India's oldest period काल गणना की आधुनिकता काल गणना की आधुनिकता और वैज्ञानिकता कालगणना की युगपद्धति
ज्योतिष मनोरंजन राशिफल लेख वर्ष 2022 का वार्षिक राशिफल January 1, 2021 / January 5, 2022 by ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव | Leave a Comment मेश रशि – वार्षिक राशिफल इस वर्ष 13 अप्रैल को गुरु मीन राशि में द्वदश भाव में और 17 मार्च को राहु मेष राशि में प्रथम भाव में प्रवेश करेंगे। 29 अप्रैल को शनि कुम्भ राशि में एकादश भाव में प्रवेश करेंगे और वक्री होकर 12 जुलाई को मकर राशि में दशम भाव में आ जाएंगे। 30 सितम्बर से 21 नवम्बर तक […] Read more » rashi fal of kanya rahi 2022 rashifal of all rashi rashifal of mesh rashi 2022 कन्या वार्षिक राशिफल २०२२ कर्क राशि वार्षिक राशिफल २०२२ कुम्भ राशि वार्षिक राशिफल २०२२ तुला राशि वार्षिक राशिफल २०२२ धनु राशि वार्षिक राशिफल २०२२ मकर राशि वार्षिक राशिफल २०२२ मीन राशि वार्षिक राशिफल २०२२ मेश रशि - वार्षिक राशिफल वार्षिक राशिफल मिथुन राशि २०२२ वार्षिक राशिफल वॄषभ राशि २०२२ वृश्चिक राशि वार्षिक राशिफल २०२२ सिंह राशि वार्षिक राशिफल २०२२
पर्व - त्यौहार लेख वर्त-त्यौहार मांगलिक कार्य आरम्भ होने का दिन है ‘‘देवोत्थान एकादशी’’ November 25, 2020 / November 25, 2020 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment देवोत्थान एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहते हैं। दीपावली के ग्यारह दिन बाद आने वाली एकादशी को ही प्रबोधिनी एकादशी अथवा देवोत्थान एकादशी या देव-उठनी एकादशी कहा जाता है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव चार मास के लिए शयन करते हैं। इस बीच हिन्दू धर्म में कोई भी मांगलिक कार्य शादी, विवाह आदि नहीं होते। देव चार महीने शयन करने के बाद कार्तिक, शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं। इसीलिए इसे देवोत्थान (देव-उठनी) एकादशी कहा जाता है। देवोत्थान एकादशी तुलसी विवाह एवं भीष्म पंचक एकादशी के रूप में भी मनाई जाती है। इस दिन लोग तुलसी और सालिग्राम का विवाह कराते हैं और मांगलिक कार्यों की शुरुआत करते हैं। हिन्दू धर्म में प्रबोधिनी एकादशी अथवा देवोत्थान एकादशी का अपना ही महत्त्व है। इस दिन जो व्यक्ति व्रत करता है उसको दिव्य फल प्राप्त होता है। उत्तर भारत में कुंवारी और विवाहित स्त्रियां एक परम्परा के रूप में कार्तिक मास में स्नान करती हैं। ऐसा करने से भगवान् विष्णु उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। जब कार्तिक मास में देवोत्थान एकादशी आती है, तब कार्तिक स्नान करने वाली स्त्रियाँ शालिग्राम और तुलसी का विवाह रचाती है। पूरे विधि विधान पूर्वक गाजे बाजे के साथ एक सुन्दर मण्डप के नीचे यह कार्य सम्पन्न होता है। विवाह के समय स्त्रियाँ मंगल गीत तथा भजन गाती है। कहा जाता है कि ऐसा करने से भगवान् विष्णु प्रसन्न होते हैं और कार्तिक स्नान करने वाली स्त्रियों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। हिन्दू धर्म के शास्त्रों में कहा गया है कि जिन दंपत्तियों के संतान नहीं होती, वे जीवन में एक बार तुलसी का विवाह करके कन्यादान का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। अर्थात जिन लोगों के कन्या नहीं होती उनकी देहरी सूनी रह जाती है। क्योंकि देहरी पर कन्या का विवाह होना अत्यधिक शुभ होता है। इसलिए लोग तुलसी को बेटी मानकर उसका विवाह सालिगराम के साथ करते हैं और अपनी देहरी का सूनापन दूर करते हैं। प्रबोधिनी एकादशी अथवा देवोत्थान एकादशी के दिन भीष्म पंचक व्रत भी शुरू होता है, जो कि देवोत्थान एकादशी से शुरू होकर पांचवें दिन पूर्णिमा तक चलता है। इसलिए इसे इसे भीष्म पंचक कहा जाता है। कार्तिक स्नान करने वाली स्त्रियाँ या पुरूष बिना आहार के रहकर यह व्रत पूरे विधि विधान से करते हैं। इस व्रत के पीछे मान्यता है कि युधिष्ठर के कहने पर भीष्म पितामह ने पाँच दिनो तक (देवोत्थान एकादशी से लेकर पांचवें दिन पूर्णिमा तक) राज धर्म, वर्णधर्म मोक्षधर्म आदि पर उपदेश दिया था। इसकी स्मृति में भगवान् श्रीकृष्ण ने भीष्म पितामह के नाम पर भीष्म पंचक व्रत स्थापित किया था। मान्यता है कि जो लोग इस व्रत को करते हैं वो जीवन भर विविध सुख भोगकर अन्त में मोक्ष को प्राप्त करते हैं। देवोत्थान एकादशी की कथा एक समय भगवान विष्णु से लक्ष्मी जी ने कहा- हे प्रभु ! अब आप दिन-रात जागा करते हैं और सोते हैं तो लाखों-करोड़ों वर्ष तक को सो जाते हैं तथा उस समय समस्त चराचर का नाश भी कर डालते हैं। अत: आप नियम से प्रतिवर्ष निद्रा लिया करें। […] Read more » Devotthan Ekadashi देवोत्थान एकादशी
पर्व - त्यौहार लेख वर्त-त्यौहार दीवाली का बदलता ट्रैंड November 11, 2020 / November 11, 2020 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment – योगेश कुमार गोयल समाज में ज्यों-ज्यों आधुनिकता का समावेश हो रहा है, वैसे-वैसे हमारे तीज-त्यौहारों पर भी आधुनिकता का प्रभाव स्पष्ट देखा जा रहा है। दीवाली जैसा हमारा पारम्परिक त्यौहार भी आधुनिकता की चपेट से नहीं बच पाया है। पहले लोग दीवाली के दिन श्रद्धापूर्वक अपने घर के अंदर व बाहर सरसों तेल अथवा […] Read more » Diwali changing trend giving gifts on diwali दीवाली का बदलता ट्रैंड
लेख वर्त-त्यौहार गुणात्मक समृद्धि की कामना का महापर्व : धनतेरस November 10, 2020 / November 10, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment धनतेरस- 13 नवम्बर 2020 पर विशेष-ललित गर्ग- धनतेरस अर्थव्यवस्था का महापर्व है। अर्थ से अर्थ-व्यवस्था का सम्यक् एवं गुणात्मक संधान। इस दिन घर एवं बाजारों में आशा के दीप सजते हैं, मुद्रा का आदान-प्रदान होता है। मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई चीजों में कई गुना वृद्धि हो जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि […] Read more » Dhanteras Mahaparva to wish for qualitative prosperity धनतेरस- 13 नवम्बर 2020
मनोरंजन वर्त-त्यौहार कब और कैसे करें इन शारदीय नवरात्रि में कन्या पुजन को October 16, 2020 / October 16, 2020 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment शास्त्रों में कहा गया है कि नवरात्र के दिनों में हर दिन 1, 3, 5, 9, 11 विषम संख्या में अपनी क्षमता के अनुसार कन्या का पूजन करना चाहिए। अगर हर दिन संभव ना हो तो अष्टमी, नवमी को भी कन्या पूजन कर सकते हैं। लेकिन इस समय सभी व्रतियों के लिए समस्या है कि […] Read more » Kanya Pujan in Sharadiya Navratri When and how to do Kanya Pujan in Sharadiya Navratri शारदीय नवरात्रि में कन्या पुजन
ज्योतिष मनोरंजन आपका बेड रूम या शयन कक्ष वास्तु सम्मत किस दिशा में होना चाहिए ?? October 4, 2020 / October 4, 2020 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment भवन में बेड रूम व शयन कक्ष का महत्वपूर्ण स्थान होता हैं । शयन कक्ष बनाते समय वास्तु के नियमों का पालन करने से उस शयन कक्ष में शयन करने वाले के साथ साथ गृह-स्वामी और परिवार के सभी सदस्य सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करते हैं। वास्तु अनुरूप शयन कक्ष होने पर जातक को नींद अच्छी […] Read more » Which direction should your bed room or bedroom be held in Vastu? शयन कक्ष वास्तु सम्मत