महत्वपूर्ण लेख मीडिया संवाद करें और साथ चलें October 21, 2012 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 3 Comments on संवाद करें और साथ चलें संजीव कुमार सिन्हा सन् 2006 में मैं कंप्यूटर, कहते हैं आग और पहिया के बाद इसी ने मानव सभ्यता को बदलने में सबसे उल्लेखनीय भूमिका निभाई है, की संगति में आया। हिंदी में सर्च के दौरान मशहूर ब्लॉगर रवि रतलामी के ब्लॉग पर पहुंच गया और खेल-खेल में अपना ब्लॉग भी बना लिया। (अभी थोड़ी देर […] Read more » वेब पत्रकारिता वेब मीडिया
मीडिया अरविन्द केजरीवाल एंड कंपनी का न्यूज रियलिटी शो और फेसबुक सवाल October 19, 2012 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on अरविन्द केजरीवाल एंड कंपनी का न्यूज रियलिटी शो और फेसबुक सवाल जगदीश्वर चतुर्वेदी मजेदार मीडियागेम चल रहा है अरविन्द केजरीवाल एंड कंपनी के आरोपों पर खुर्शीद जांच को तैयार हैं,आज गडकरी भी तैयार हैं। असल में परंपरागत दलों में इतनी समझदारी विकसित हो गयी है कि जांच से उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा। केजरीवाल भी जानते हैं आरोपों से इन नेताओं का कुछ नहीं बिगड़ेगा। क्योंकि मीडिया-मीडियागेम […] Read more »
महत्वपूर्ण लेख मीडिया कुछ मीत मिले एक मीट हुई October 17, 2012 / October 20, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on कुछ मीत मिले एक मीट हुई संजय तिवारी आखिरीबार कब इस तरह से दो चार नेटीजन मित्रों से मुलाकात हुई थी, याद नहीं है. इस बार संजीव सिन्हा का फोन आया कि प्रवक्ता के चार साल पूरे हो रहे हैं इस मौके पर हम लोग कांस्टीट्यूशन क्लब में मिलना चाहते हैं. आप आइये. फिर एसएमएस भी आया. फिर फोन भी आया. […] Read more » वेब मीडिया
मीडिया विज्ञापन जुटाने का मस्त ‘अभियान’ October 13, 2012 by लीना | Leave a Comment लीना बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की राज्य सरकार की केंद्र से मांग और उससे जुड़ा अभियान- इनका राजनीतिक तौर पर क्या औचित्य है, यह सही है या गलत- यह एक अलग मुद्दा है। इससे कोई सहमत या असहमत हो सकता है। लेकिन इस अभियान से जुड़कर राज्य के एक प्रमुख दैनिक हिन्दी […] Read more » बिहार विज्ञापन
मीडिया ये इश्क नही आसा बस इतना समझ लिजे………. October 8, 2012 / October 8, 2012 by शादाब जाफर 'शादाब' | 1 Comment on ये इश्क नही आसा बस इतना समझ लिजे………. शादाब जफर ‘‘शादाब’’ पीपीपी यानि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी कल तक शायद इस का ये ही मतलब था पर बांग्लादेशी अखबार ‘‘बिल्ट्ज़’’ ने हिना और बिलावल की प्रेम कहानी जब से छापी है तब से पीपीपी का मतलब पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी से प्यार, प्यार, प्यार हो गया है जिससे पाक राष्ट्रपति जरदारी बेहद नाराज़ हैं और […] Read more » bilawal & hina rabbani
मीडिया राजनीति थोरियम घोटाला : पड़ताल एक कदम आगे : भाग-1 October 7, 2012 / October 7, 2012 by अभिनव शंकर | Leave a Comment अभिनव शंकर पिछले लेख में मुख्यतः इस घोटाले की “परिकल्पना” बतायी गयी थी, पृष्ठभूमि समझाई गयी थी,बताया गया की कैसे एक बेहद सुनियोजित,सामरिक रूप से बेहद संवेदनशील एवं राष्ट्र-कल्याणकारी योजना अन्तराष्ट्रीय साजिशों का शिकार बनी.अब इस साजिश को अमल में कैसे लाया गया इसकी बात करते हैं. लेकिन इससे पहले इस घोटाले के अर्थशास्त्र पर […] Read more » थोरियम घोटाला
मीडिया वर्तमान पत्रकारिता को बाजारवाद से बचाना होगा October 2, 2012 / September 30, 2012 by अविनाश वाचस्पति | Leave a Comment अविनाश वाचस्पति महात्मा गांधी की पत्रकारिता अच्छाई, सच्चाई और अहिंसा की रही है। उसी के जरिए देश को आजाद कराया गया और वो सिर्फ आजाद ही नहीं हुआ, कुछ मामलों में अधिक ही आजाद हो गया परंतु उस स्थिति के दोषी गांधी जी नहीं हैं। कुछ परिस्थितियों को सुधारना किसी के बस में नहीं होता […] Read more »
जन-जागरण मीडिया भारतीय संप्रभुता पर संकट: एक विवेचन October 1, 2012 / September 30, 2012 by सिद्धार्थ मिश्र “स्वतंत्र” | Leave a Comment सिद्धार्थ मिश्र‘स्वतंत्र’ विकीलिक्स के खुलासों ने रातांे रात पूरी दुनिया की रंगत बदल कर रख दी है । इसका सीधा सा असर अमेरिका पर पड़ता दिख रहा है । वास्तव में इस रिपोर्ट ने वैश्विक साजिशों को बेनकाब कर डाला है । ऐसे में इस संगठन के प्रति अमेरिका की आक्रामकता को समझा जा सकता […] Read more » भारतीय संप्रभुता पर संकट
मीडिया मीडिया का स्वनियंत्रण बनाम बाह्यनियंत्रण और सर्वोच्च न्यायालय के दो निर्णय September 25, 2012 by रवि शंकर | Leave a Comment रवि शंकर पिछले कुछ दिनों से मीडिया यानी कि पत्रकारिता पर अंकुश लगाए जाने की खबरें काफी चर्चा में रही हैं। सरकार जहां एक ओर इस मामले में कानून बनाए जाने की बात कह रही थी तो मीडिया इसका पुरजोर विरोध करने और आत्मानुशासन की बातें कह रहा था। इसी बीच सर्वोच्च न्यायालय के दो […] Read more » मीडिया का स्वनियंत्रण
महत्वपूर्ण लेख मीडिया ‘अ’सत्यमेव जयते! September 25, 2012 / September 25, 2012 by हिमांशु शेखर | Leave a Comment हिमांशु शेखर लोकप्रिय फिल्म अभिनेता आमिर खान ‘सत्यमेव जयते’ के जब छोटे पर्दे पर आए तो यहां भी वे बेहद सफल रहे और उनके कार्यक्रम को हर तरफ जमकर सराहा गया. सामाजिक मसलों को उठाने वाले उनके इस कार्यक्रम की पहली कड़ी में कन्या भ्रूण हत्या के मामले को उठाया गया और बड़ी मजबूती से […] Read more » aamir klhan show satyamev jayate mukesh ambani and satyamev jayate
मीडिया स्त्री के वस्तुकरण में विज्ञापन की भूमिका September 19, 2012 by सारदा बनर्जी | 2 Comments on स्त्री के वस्तुकरण में विज्ञापन की भूमिका सारदा बनर्जी स्त्री के वस्तुकरण में जितनी मदद विज्ञापन ने की है उतना किसी और माध्यम ने नहीं। विज्ञापन ने स्त्री के इमेज को वस्तु में तब्दील करके उसे लोकप्रिय बनाने में गहरी भूमिका अदा की है।यही वजह है कि आज स्त्री घर में प्रयोग होने वाली सामान्य वस्तुओं से लेकर खास किस्म के प्रोडक्ट […] Read more » स्त्री विज्ञापन
मीडिया ‘अवांछित सामग्री’ से बचे मीडिया September 13, 2012 / September 13, 2012 by निर्मल रानी | Leave a Comment निर्मल रानी हमारे देश में प्रेस अथवा मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ स्वीकार किया जाता है। ज़ाहिर है इतने बड़े अलंकरण के बाद मीडिया की जि़म्मेदारी उतनी ही बढ़ जाती है जितनी कि लोकतंत्र के शेष तीन स्तंभों की है। यानी न्यायपालिका,कार्यपालिका व संसदीय व्यवस्था के बराबर की जि़म्मेदारी। यहां इस प्रकार की तुलनात्मक […] Read more » अवांछित सामग्री' मीडिया