राजनीति अग्निपथ : कुछ अनुत्तरित सवाल July 1, 2022 / July 1, 2022 by मनोज कुमार | Leave a Comment मनोज कुमारकिसी भी समाज की मजबूत नींव उसकी शिक्षा व्यवस्था से होती है. खासतौर पर प्राथमिक शिक्षा में क्या पढ़ाया जा रहा है, यह भविष्य को तय करता है. और जब दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत वर्ष की चर्चा करते हैं तो यह यक्ष प्रश्र की तरह हमारे समक्ष खड़ा रहता है. भारत […] Read more » Agneepath Agneepath: Some Unanswered Questions
राजनीति मदरसों में पढ़ाया जा रहा है ईशनिंदा का पाठ July 1, 2022 / July 1, 2022 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भः उदयपुर में आतंकियों द्वारा कन्हैयालाल साहू की हत्या प्रमोद भार्गव आखिकार उदयपुर में आंतकवादियों द्वारा की गई दर्जी कन्हैयालाल की बर्बर हत्या से जुड़ी जो शंकाएं थीं,वे सही साबित होती लग रही हैं।इस तालिबानी वारदात के तार पाकिस्तान परस्त आंतकी संगठन ‘दावत-ए-इस्लामी’ से तो जुड़े पाए ही गए हैं,हत्यारों में से एक गौस […] Read more » The lesson of blasphemy being taught in madrasas ईशनिंदा का पाठ उदयपुर में आतंकियों द्वारा कन्हैयालाल साहू की हत्या कन्हैयालाल साहू की हत्या
राजनीति आपातकाल – जब राजनीतिक विरोधियों के दमन का हथियार बन गया ‘मीसा कानून’ July 1, 2022 / July 1, 2022 by दीपक कुमार त्यागी | Leave a Comment दीपक कुमार त्यागी देश की आंतरिक सुरक्षा को बेहतर बनाए रखने और उससे जुड़े हुए विभिन्न मामलों के निस्तारण के उद्देश्य से वर्ष 1971 में भारतीय संसद के द्वारा एक कानून ‘मैंनेटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट (मीसा)’ को पारित किया गया था। उस वक्त इस कानून के माध्यम से देश में कानून व्यवस्था को बनाये […] Read more » Emergency - When 'Misa law' became a weapon of suppression of political opponents अटल बिहारी वाजपेयी अरुण जेटली एच डी देवेगौड़ा के.आर. मलकानी ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजयराजे सिंधिया चंद्रशेखर चौधरी चरण सिंह जयपुर राजघराने की राजमाता गायत्री देवी जॉर्ज फर्नांडिस डॉक्टर सुब्रमण्यम स्वामी ताऊ देवीलाल नरेंद्र मोदी नानाजी देशमुख नीतीश कुमार पीलू मोदी बीजू पटनायक भैरों सिंह शेखावत मुलायम सिंह यादव मोरारजी देसाई राज नारायण राम विलास पासवान रामकृष्ण हेगड़े लाल कृष्ण आडवाणी लालू प्रसाद यादव वीपी सिंह शरद यादव
राजनीति भाजपा-शिवसेना सरकार : यही तो मिला था जनादेश July 1, 2022 / July 1, 2022 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment सुरेश हिंदुस्थानीमहाराष्ट्र में लम्बे समय तक चली राजनीतिक लड़ाई के परिणामस्वरूप राज्य में भाजपा-शिवसेना की सरकार बन गई है। शिवसेना किसकी है और भविष्य में शिवसेना पर दावा किसका होगा, इसकी प्रतीक्षा करनी होगी, लेकिन जहां तक मुख्यमंत्री बनाए गए एकनाथ शिंदे की बात है तो वह आज भी अपने आपको शिवसेना का विधायक ही […] Read more » BJP-Shiv Sena government BJP-Shiv Sena government: This is what got the mandate eknath shinde and devendra fadnavis भाजपा-शिवसेना सरकार
राजनीति कोरोना महामारी के बावजूद भारत में आय की असमानता हो रही है कम June 30, 2022 / June 30, 2022 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment कोरोना महामारी के खंडकाल में चूंकि आर्थिक गतिविधियां पूरे विश्व में ही विपरीत रूप से प्रभावित हुई थीं और इससे न केवल कई गरीब परिवारों ने अपना रोजगार खोया था बल्कि मध्यमवर्गीय परिवारों की आय में भी खासी कमी हुई थी। अतः ऐसा आभास होता रहा था कि भारत में इस खंडकाल में आय की […] Read more » Despite the corona epidemic income inequality is decreasing in India कोरोना महामारी के बावजूद भारत में आय की असमानता हो रही है कम
राजनीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोषी ठहराने का दांव उल्टा पड़ा June 29, 2022 / June 29, 2022 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment गुजरात दंगे शीर्ष न्यायालय का फैसला प्रमोद भार्गव आखिरकार गुजरात के सांप्रदायिक दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने का दांव याचिकाकर्ताओं और उसके उत्प्रेरकों को ही उल्टा पड़ गया। अब प्रमुख साजिशकर्ता तीस्ता शीतलवाड़ और आईपीएस आरबी श्रीकुमार पुलिस हिरासत में हैं। जकिया जाफरी ने एसआईटी रिपोर्ट के विरुद्ध शीर्ष न्यायालय में याचिका दायर की थी। दरअसल इन दंगों में जकिया के पति एहसान जाफरी की मौत हो गई थी। इन दंगों के लिए नरेंद्र मोदी को दोषी ठहराने की मांग न्यायालय से की गई थी। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने न केवल इस मांग को खारिज कियाए बल्कि एसआईटी की जांच और एसआईटी द्वारा मोदी को दी गई क्लीन चिट को सही ठहराया। अलबत्ता न्यायालय ने तीखा रुख अपनाते हुए टिप्पणी की कि ष्यह याचिका कड़ाही को खौलाते रहने की मंशा से दायर की गई है। जाहिर है, इसके पीछे का इरादा गलत है। अतएव इस प्रक्रिया में शामिल सभी लोगों को कटघरे में खड़ा करने की जरूरत है। ऐसे लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही जरूरी है।यह टिप्पणी न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अगुवाई वाली पीठ ने 452 पृष्ठ के फैसले में करते हुए कहा है कि जकिया की याचिका किसी दूसरे के निर्देशों से प्रेरित है। जकिया याचिका के बहाने परोक्ष रूप से अदालत में विचाराधीन मामलों में दिए गए फैसलों पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रही हैं। ऐसा क्यों कियाए यह उन्हें पता है। स्पष्ट रूप से उन्होंने किनके इशारे पर ऐसा कियाए यह जांच का विषय है जिसे किया जाना आवश्यक है। 2002 में राजधानी अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार से जुड़े मामले में विशेष जांच दल अदालत ने फैसला सुनाया था। अहमदाबाद में हुए दंगों के 14 साल बाद यह फैसला आया था। यह मामला कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी समेत 69 लोगों की हत्या से जुड़ा था। बहुचर्चित इस मामले में विशेष जांच दल ने 66 आरोपियों को नामजद किया था। इनमें से 24 आरोपियों को दोषी और 36 को निर्दोष करार दिया गया था। 24 में से 11 को अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या का दोषी पाया। बांकी 13 को इससे कमतर अपराधों का दोषी माना था। कुल आरोपियों में से 6 की मौत फैसला आने से पहले ही हो चुकी थी। इस फैसले की सबसे अहम बात यह रही कि किसी भी आरोपी को धारा 120.बी के तहत पूर्व नियोजित साजिश का दोषी नहीं पाया गया था। अदालत ने इस संदर्भ में स्पष्ट रूप से कहा था कि उपद्रवी भीड़ ने जो कुछ भी कियाए वह क्षणिक या तात्कालिक उत्तेजना के चलते किया। दरअसल कांग्रेस समेत जो भी वामपंथी दलए विदेशी धन से पोषित चंद एनजीओ और बौद्विक धड़े थे जिन्होंने अपने बयानों और छद्म लेखन से यह धारणा रचने की पुरजोर कोशिश की थी कि गुजरात.दंगे तात्कालिक सत्तारूढ़ दल के षड्यन्त्र का परिणाम हैं। साफ है ये तथाकथित छद्म धर्मनिरपेक्षतावादी नगरीय बौद्धिक इस मुगालते में थे कि उनकी मन.गढ़ंत धारणाएं नरेंद्र मोदी को संदेह के घेरे में ले लेंगी क्योंकि इस भयावह दंगों के समय नरेंद्र मोदी ही गुजरात के मुख्यमंत्री थे। गुजरात दंगों की पृष्ठ भूमि में गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के कोच एस.6 में सवार 58 कारसेवकों को निमर्मरतापूर्वक जिंदा जलाने की घटना थी। इसकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया के चलते 28 फरवरी 2002 को पूरे गुजरात में सांप्रदायिक माहौल खराब हो गया था। नतीजतन अहमदाबाद के मेघानी नगर क्षेत्र की गुलबर्ग आवासीय सोसायटी की इमारतों पर क्षणिक रूप से उत्तेजित होकर 400 लोगों की भीड़ ने हमला बोल दिया था। हमले में कांग्रेस के पूर्व सांसद जाफरी समेत 69 लोग मारे गए थे। मरे लोगों में 39 लोगों के शव तो मिल गए थे लेकिन बाकी 30 की लाश नहीं मिली थीं। नतीजतन इन्हें सात साल बाद कानूनी परिभाषा के अनुसार मृत मान लिया गया। गुलबर्ग के अलावा नरोदा पटिया, बेस्ट बेकरी और सरदारपुर में भी भीषण हिंसक वारदातें घटी थीं। इन घटनाओं पर नियंत्रण नहीं कर पाने के कारण गुजरात की तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार पर ये आरोप मढ़ने की कोशिशें हुई थीं कि उसने दंगों को उकसाने का काम किया था। दंगों के ठंडे पड़ने के बाद राज्य सरकार पर ये आरोप भी लगे थे कि वह आरोपियों को बचाने के सबूतों को नष्ट करने और कानूनी प्रक्रिया को कमजोर करने में लगी है। यही नहीं 2007 अक्टूबर में एक स्ंिटग ऑपरेशन के जरिए भी यही कोशिश की गई थी कि दंगे पूर्व नियोजित षड्यंत्र का हिस्सा हैं। वहीं आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट और आरबी कुमार ने यह बेबुनियाद फर्जी दावा भी किया कि वे मुख्यमंत्री की उस बैठक में उपस्थित थे, जिसमें कथित तौर पर दंगों का षड्यंत्र रचा गया था। एसआईटी ने इस दावे को अपनी जांच में नितांत झूठा ठहराया है। इसी तरह एक झूठ यह भी गढ़ा गया कि मोदी ने मुख्यमंत्री रहते हुए दंगों को रोकने की दृष्टि से गंभीर प्रयास नहीं किए। इस सिलसिले में शीर्ष न्यायालय ने यह कहकर साफ किया है कि ष्पुलिस की कमी के बावजूद मुख्यमंत्री ने दंगों को रोकने की पूरी कोशिश की और उचित समय पर केंद्रीय सुरक्षा बलों एवं सेना को बुलाने की मांग की। साथ ही शांति बनाए रखने के लिए अनेक बार सद्भाव पूर्ण अपीलें भी की। याद रहे एसआईटी का गठन शीर्ष न्यायालय ने ही किया था। इस कार्यवाही पर आशंका प्रकट करने वालों में राष्ट्रीय मानवाधियकार आयोग भी था। अंत में आयोग सरकारी संगठन सिटिजंस फाॅर जस्टिस एंड पीस और जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने भी अदालत से पुनर्जांच की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं की इस मांग पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने गुलबर्गए नरोदा और सरदारपुर जैसे 10 बड़े नरसंहरों से जुड़े मामलों पर निचली अदालतों में चल रही न्यायिक प्रक्रिया पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। साथ ही राज्य सरकार को निर्देशित […] Read more » Prime Minister Narendra Modi Keeping guilty Battle Upside down नरेंद्र मोदी को दोषी ठहराने का दांव
आर्थिकी राजनीति भारत ने विश्व प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक में लगाई लम्बी छलांग June 29, 2022 / June 29, 2022 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment अभी हाल ही में, 15 जून 2022 को, स्विटजरलैंड स्थित प्रबंधन विकास संस्थान (इन्स्टिटयूट फोर मेनेजमेंट डेवलपमेंट) द्वारा विश्व प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक जारी किया गया है। इस सूचकांक में भारत ने, एशिया के सभी देशों के बीच, सबसे लम्बी छलांग लगाते हुए पिछले वर्ष के 43वें स्थान से इस वर्ष 37वां स्थान प्राप्त किया है। उक्त […] Read more » India made a big jump in the World Competitiveness Index विश्व प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक में छलांग
राजनीति भारत के लिए G7 शिखर सम्मेलन के मायने June 29, 2022 / June 29, 2022 by डॉ. संतोष कुमार | Leave a Comment डॉ. संतोष कुमार भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने G-7 (ग्रुप ऑफ सेवन) के तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन में जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ के विशेष निमंत्रण पर हिस्सा लिया। जर्मनी जो की G-7 का अध्यक्ष होने के नाते इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी भी कर रहा हैं।G-7 शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री को आमंत्रित करना, भारत और जर्मनी के बीच मजबूत […] Read more » G7 शिखर सम्मेलन Meaning of the G7 summit for India भारत के लिए G7 शिखर सम्मेलन के मायने
राजनीति मुर्मू के बहाने आदिवासी विकास का मर्म June 29, 2022 / June 29, 2022 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्गः- आदिवासी लोगों के मूलभूत अधिकारों (जल, जंगल, जमीन) को बढ़ावा देने और उनकी सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और न्यायिक सुरक्षा के लिए द्रौपदी मुर्मू को राजग का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाना एक सराहनीय एवं सूझबूझभरा कदम है। यह प्रशंसनीय एवं सुखद कदम इसलिये है कि आजादी के पचहत्तर वर्षांे के बाद […] Read more » The essence of tribal development on the pretext of Murmu आदिवासी विकास का मर्म
राजनीति अफ़ग़ानिस्तान : कोई देखे या न देखे अल्लाह देख रहा है June 27, 2022 / June 27, 2022 by तनवीर जाफरी | 1 Comment on अफ़ग़ानिस्तान : कोई देखे या न देखे अल्लाह देख रहा है तनवीर जाफ़री तालिबानी अतिवादी व कट्टरपंथी हिंसक गतिविधियों के चलते पूरी दुनिया में कुख्यात अफ़ग़ानिस्तान में विगत मात्र तीन दिनों के भीतर हुये दो हादसों ने विश्व का ध्यान एक बार फिर अफ़ग़ानिस्तान की ओर खींचा है। पहली घटना अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में गत 18 जून शुक्रवार को घटित हुई जहां काबुल के […] Read more » Afghanistan: No one sees or sees Allah is watching earthquake in Afghanistan अफ़ग़ानिस्तान
राजनीति विश्ववार्ता अमेरिका में गर्भपात पर हंगामा June 27, 2022 / June 27, 2022 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डॉ वेदप्रताप वैदिक अमेरिका में इधर दो बड़े फैसलों ने हड़कंप मचा रखा है। एक तो बंदूक रखने पर कुछ नई पाबंदियों के कारण और दूसरा गर्भपात पर प्रतिबंध के कारण। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के इन दोनों फैसलों को लेकर वहां कई प्रांतों में प्रदर्शन हो रहे हैं और उनका डटकर विरोध या समर्थन […] Read more » The uproar over abortion in America अमेरिका में गर्भपात पर हंगामा
राजनीति गर्भपात की आजादी पर अमेरीका फैसले से बरपा हंगामा June 27, 2022 / June 27, 2022 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्गः- गर्भपात पर अमरीकी सुप्रीम कोर्ट के एक चौंकाने वाले फैसले को लेकर अमेरिका में जहां हंगामा बरपा है वहीं समूची दुनिया में बहस का वातावरण छिड़ गया है। फैसला इसलिए चौंकाने वाला है कि अमरीका में नारी स्वतंत्रता एवं उसकी आजादी को मंत्र की तरह जपा जाता है। वहां ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ […] Read more » US decision on freedom of abortion caused uproar गर्भपात की आजादी