राजनीति शख्सियत जेटली की जिंदगी का राजनीतिक मायाजाल December 31, 2016 by निरंजन परिहार | Leave a Comment निरंजन परिहार- अरुण जेटली का अतीत दुनियादारी के अंदाज में काफी सफल रहा है। दिल्ली युनिवर्सिटी में जब वे पढ़ते थे, तब भले ही बस के पैसे भी उनके पास नहीं हुआ करते थे, लेकिन आज सैकंड के हिसाब से वकालात की फीस की गणना करनेवाले देश के शिखर के वकीलों में जेटली नंबर वन […] Read more » Featured अरुण जेटली का राजनीतिक मायाजाल अरुण जेटली की जिंदगी जेटली की जिंदगी का राजनीतिक मायाजाल
राजनीति देश मजहब-प्रेम से ऊपर है December 31, 2016 / December 31, 2016 by अनुश्री मुखर्जी | Leave a Comment दीदी का मुस्लिम प्रेम ही था कि उन्होंने 30000 मदरसों को 2500 रुपये और 1500 मस्जिदों को 1500 रुपए प्रतिमाह देने का फैसला कर लिया था, जिसकी भविष्य में गंभीरता को देखते हुए माननीय कोलकाता हाईकोर्ट ने उस फैसले को ही खारिज कर दिया था। मां, माटी और मानुष की राजनीति के नारे की उस वक्त भी पोल खुली, जब मालदा हमले के ठीक पहले एक मदरसे के प्रधानाध्यापक काजी मसूम अख्तर पर इसलिए हमला कर दिया गया क्योंकि काजी छात्रों से राष्ट्रीय गान सुनना चाहते थे। यही नहीं सरकार ने कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा आपत्ति जताने के बाद बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन द्वारा लिखी गई पटकथा वाले नाटक सीरीज के प्रसारण पर भी रोक लगा दी और सलमान रुश्दी को कोलकाता आने पर प्रतिबंध लगा दिया। Read more » communal riots communal riots in Dhulagarh communal riots in west bengal Featured Muslim atrocity on Hindus in Mamta's West Bengal कोलकाता हाईकोर्ट तृणमूल कांग्रेस धुलागढ़ धुलागढ़ सांप्रदायिक हिंसा पश्चिम बंगाल पश्चिम बंगाल का धुलागढ़ सांप्रदायिक हिंसा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मुस्लिम-प्रेम सांप्रदायिक हिंसा
राजनीति आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा तक पर एतराज क्यों ..? December 29, 2016 / December 29, 2016 by संदीप त्यागी | 1 Comment on आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा तक पर एतराज क्यों ..? धीरे-धीरे ही सही लेकिन चीजें बदलनी शुरू हुई हैं। दलित और पिछड़े समाज का शहरी युवा भी राजनैतिक दलों के इस गोरखधंधे को बखूबी समझने लगा है और समझने लगा है, कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रतियोगिता से ही पार पाया जा सकेगा। यही नहीं आरक्षण के बूते दलित और पिछड़े समाज के राजनैतिक मठाधीशों को लेकर भी समाज में माहौल अब बदल रहा है। लोग मानने लगें कि आरक्षण का यह लाभ जरूरतमंदों तक न पहँुचकर कुछ लोगों की जागीर बन रहा है। दलित और पिछड़े समाज के जागरूक युवाओं में भी यह धारणा बन रही है, कि आरक्षण व्यवस्था का लाभ जातिगत न होकर जरूरतमंदों को मिले तो समाज की तस्वीर ज्यादा तेजी के साथ बदलेगी। Read more » Featured Reservation System आरक्षण व्यवस्था आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा
राजनीति बेनकाब मायावती December 29, 2016 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment ८ नवंबर की रात के बाद मोदी द्वारा नोटबन्दी किए जाने के बाद लगभग सभी विपक्षी दल विक्षिप्त हो गए। अब उन्होंने खुद ही प्रमाण देना शुरु कर दिया है कि उनकी यह दशा क्यों हुई। कल दिनांक २६ दिसंबर को प्रवर्तन निर्देशालय द्वारा जारी की गई सूचना में यह खुलासा हुआ है कि बसपा […] Read more » Featured बसपा प्रमुख मायावती बेनकाब मायावती मायावती
राजनीति यूपी की चर्तुभुज सियासत ! December 29, 2016 by संजय सक्सेना | Leave a Comment कहने को कांगे्रस ने ब्राहमण नेता और दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित को यूपी का भावी सीएम प्रोजेक्ट कर दिया है,लेकिन शीला जी को यही नहीं पता है कि अगर कांगे्रस का सपा से चुनावी तालमेल हो जायेगा तो चुनाव में उनकी क्या हैसियत रहेगी। इसके अलावा राहुल गांधी पीएम मोदी को भ्रष्टाचारी साबित करने के लिये कथित तौर पर जो कागज लिये घूम रहे हैं,उसमें शीला दीक्षित का भी नाम है, इससे भी शीला असहज महसूस कर रही है। Read more » Featured UP election 2017 उत्तर प्रदेश चुनाव उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव उप्र विधान सभा चुनाव
राजनीति सपा में फिर बढ़ी अंदरुनी कलह December 28, 2016 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment सुरेश हिन्दुस्थानी उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी में कोहराम थमने का नाम नहीं ले रहा है, प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव अपने राजनीतिक अस्तित्व का प्रदर्शन यदाकदा करते हुए दिखाई देते हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चाहते हैं कि प्रदेश की जनता सपा सरकार के प्रदर्शन के आधार पर ही विरोध या समर्थन करेंगे। ऐसे में एक […] Read more » Featured upelection विधानसभा चुनाव
राजनीति चुनावी चंदे में पारदर्शिता का सवाल December 28, 2016 / December 28, 2016 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on चुनावी चंदे में पारदर्शिता का सवाल जिस ब्रिटेन से हमने संसदीय सरंचना उधार ली है,उस बिट्रेन में परिपाटी है कि संसद का नया कार्यकाल शुरू होने पर सरकार मंत्री और संासदो की संपति की जानकारी और उनके व्यावसायिक हितों को सार्वजानिक करती है। अमेरिका में तो राजनेता हरेक तरह के प्रलोभन से दूर रहें, इस दृष्टि से और मजबूत कानून है। वहां सीनेटर बनने के बाद व्यक्ति को अपना व्यावसायिक हित छोड़ना बाघ्यकारी होता है। जबकि भारत में यह पारिपाटी उलटबांसी के रूप में देखने में आती है। यहां सांसद और विधायाक बनने के बाद राजनीति धंधे में तब्दील होने लगती है। ये धंधे भी प्रकृतिक संपदा के दोहन, भवन निर्माण, सरकारी ठेके, टोल टैक्स, शराब ठेके और सार्वजानिक वितरण प्रणाली के राशन का गोलमाल कर देने जैसे गोरखधंधो से जुड़े होते है। Read more » Featured transparency in election funds आॅनलाइन भुगतान व्यवस्था केंद्र सरकार केन्द्रीय सूचना आयोग चंदे में पारदर्शिता चल- अचल संपति का खुलासा राज्यसभा सचिवालय विमुद्रीकरण
राजनीति आगामी चुनाव जीतने के लिये समाजवादियों का सबसे बड़ा दांव December 28, 2016 by मृत्युंजय दीक्षित | Leave a Comment मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुनावों से ठीक पहले बसपा , भाजपा और कांग्रेस को परेशान करने के लिये 17 अति पिछड़ी जातियों कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निशाद, कुम्हार,प्रजापति,धीवर, बिंद,भर,राजभर,धीमर, बाथम, तुरहा, गोडिंया, मांझी व मछुआ को एस सी का दर्जा देने का ऐलान किया है। अब यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के विचाराधीन भेजा जायेगा। सपा सरकार ने यह फैसला करके एक तीर से कई निशाने लगाने का अनोखा प्रयास किया है। Read more » UP election 2017 UP vidhansabha election in 2017 vidhaan sabha election in 2017 एस सी का दर्जा विधानसभा चुनाव समाजवादियों का सबसे बड़ा दांव
राजनीति उ.प्र. चुनाव : सपा की रणनीति से विरोधी होगें चित्त ! December 28, 2016 by जगदीश वर्मा ‘समन्दर’ | Leave a Comment बसपा की बात करें तो नोटबंदी के चलते बहनजी चर्चा में रही हैं । आम जनता को नोटबंदी से हुई परेशानी के लिये मायावती ने आवाज उठाई तो भाजपा ने चुनाव में नोट लेकर टिकिट देने की छवि प्रचारित कर इस आवाज को दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी । बसपा सपा को अराजकतावादी और भाजपा को साम्प्रदायिक घोषित करते हुये कानून व्यवस्था के मुद्दे पर चुनाव लड़ने जा रही है । विकास की नित नई योजनाओं से अखिलेश अपना पल्लू साफ करके मायावती की इस कोशिश को असफल करने में लगे हैं । कांग्रेस और लोकदल के जनसमर्थन के साथ आने से भी इस काले धब्बे को नकारने में सपा को मदद मिल जायेगी । ऐसे में बसपा का सीधा सामना इस महागठबंधन से होगा । Read more » Featured up election UP election 2017 उ.प्र. चुनाव विरोधी होगें चित्त ! सपा की रणनीति
राजनीति कश्मीरियत को कलंकित करते अलगाववादी December 28, 2016 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भ- हिंदू शरणार्थियों को नागरिक पहचान-पत्र देने पर बवाल- प्रमोद भार्गव दुनिया में ऐसे अलोकतांत्रिक देश बहुत हैं, जहां फैसला लेने और लोगों पर थोपने से पहले सरकारें जरा भी मानव-समुदायों की परवाह नहीं करती हैं। किंतु यह भारतीय व्यवस्था की अर्से से चली आ रही उदारता ही है कि अलगाववादियों की बेलगाम अतिवादिता पर […] Read more » Featured कश्मीरियत को कलंकित करते अलगाववादी हिंदू शरणार्थि हिंदू शरणार्थियों को नागरिक पहचान-पत्र
राजनीति शख्सियत मदनमोहन मालवीय जी का सामाजिक एवम् धार्मिक चिंतन December 26, 2016 by डॉ. शुभ्रता मिश्रा | Leave a Comment डॉ. शुभ्रता मिश्रा यूरोप में फ्रांस की राज्यक्रांति के बाद प्रायः सभी यूरोपीय देश स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सैद्धांतिक आधार पर राजशाहियों से मुक्त होने लगे थे। इस मुक्तनाद का स्वर ऊँचा करने वाले पश्चिमी विचारकों और नेताओं ने अपने चिंतन की दिशा राजनैतिक संघर्षों से हटकर सामाजिक चिंतन की ओर उन्मुख की। प्लेटो, […] Read more » Featured मदनमोहन मालवीय जी
राजनीति राहुल गांधी पर अपने भाषणों में बहुत क्रूर हैं मोदी ! December 26, 2016 by निरंजन परिहार | Leave a Comment देखा जाए तो, मोदी को इस क्रूर अंदाज में लाने का श्रेय भी कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी और उनकी माता सोनिया गांधी को ही जाता है, जिन्होंने मोदी को 'लाशों का सौदागर' से लेकर 'शहीदों के खून का दलाल'... और न जाने क्या क्या कहा। फिर वैसे देखा जाए, तो लोकतंत्र में अपनी ताकत को ज्यादा लंबे वक्त तक जमाए रखने के लिए कुछ हद तक क्रूर और अत्यंत आक्रामक होना भी आज मोदी की सबसे पहली जरूरत है। Read more » Featured Narendra Modi Rahul Gandhi राहुल गांधी