राजनीति “अभी तो पिक्चर बाकी है मेरे दोस्त…!” February 21, 2014 by आलोक कुमार | Leave a Comment -आलोक कुमार- नीतीश जी ने कल कहा “मिट्टी में मिल जाऊंगा पर फिर भाजपा का साथ नहीं लूंगा।” इनकी कथनी और करनी में सदैव ही विरोधाभास रहा है। बीते वर्ष बस एक ही वाकया काफी है इसे साबित करने के लिए “ये सर्वविदित है कि नीतीश जी कांग्रेस विरोधी आंदोलन की उपज हैं और राजनीति की […] Read more » “अभी तो पिक्चर बाकी है मेरे दोस्त...!” Bihar chief Minister Nitish Kumar
राजनीति नरेंद्र मोदी का विजन, घर तक पहुंचे मिशन February 21, 2014 / February 21, 2014 by दानसिंह देवांगन | 3 Comments on नरेंद्र मोदी का विजन, घर तक पहुंचे मिशन करप्शन फ्री इंडिया के लिए रामबाण साबित हो सकती है यह सोच -दानसिंह देवांगन- रायपुर। पिछले दिनों मुझे घर बनाने के लिए हाउसिंग लोन की जरूरत थी। मैंने एक प्रतिष्ठित बैंक में फोन घुमाया, आधे घंटे में बैंक का एक्जिक्यूटिव मेरे सामने बैठा था। उसने 15 मिनट के भीतर बता दिया कि कितना लोन […] Read more » Narendra Modi vision and mission घर तक पहुंचे मिशन नरेंद्र मोदी का विजन
राजनीति दया का राजनीतिकरण February 21, 2014 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment -प्रमोद भार्गव- दया का राजनीतिकरण कानून की मर्यादाओं पर अतिक्रमण करता दिखाई दे रहा है। बेशरमी की यह हद संविधान, संसद और न्यायालय को एक साथ ठेंगा दिखा रही है। केंद्र के कड़े रुख के बावजूद तमिलनाडू की जयललिता सरकार राजीव गांधी के सातों हत्यारों को रिहाई देने के फैसले पर अड़ी है। […] Read more » politics for pity दया का राजनीतिकरण
राजनीति “यथा राजा तथा प्रजा” February 21, 2014 by आलोक कुमार | Leave a Comment -आलोक कुमार- राजनीति में सुधार के लिए नागरिकों को कर्तव्य-अधिकार और संवैधानिक व्यवस्था की जानकारी जरूरी है। किसी भी प्रणाली या व्यवस्था में सुधार की बात करने से पूर्व हमें उन समस्याओं पर भी विचार करना आवश्यक है, जिनके कारण तंत्र रोगग्रस्त होता है। संसदीय लोकतंत्र प्रणाली में चुनाव का ही महत्व है। […] Read more » "यथा राजा तथा प्रजा" political system in India politics in India
राजनीति नहीं धुलेंगे दस वर्ष के पाप February 21, 2014 by प्रवीण दुबे | Leave a Comment -प्रवीण दुबे- क्या दस वर्षों के पाप कुछ थोड़े से पुण्य या यूं कहें कि थोड़ा सा लालच देकर धोए जा सकते हैं? मनमोहन सरकार का अंतिम बजट देखने के साथ ही यह सवाल रह-रहकर दिमाग में कौंध रहा है। इसके साथ ही यह बात भी मस्तिष्क में कौंध रही है कि वास्तव में […] Read more » Lok sabha election UPA 10 years governence नहीं धुलेंगे दस वर्ष के पाप
राजनीति मैं और हम February 21, 2014 by विजय कुमार | Leave a Comment -विजय कुमार- लोकसभा चुनाव निकट होने के कारण प्रचार, प्रसार और विज्ञापन-युद्ध प्रारम्भ हो गया है। कुछ दिन पूर्व समाचार पत्रों में सोनिया कांग्रेस की ओर से राहुल बाबा के चित्र वाला एक विज्ञापन ‘मैं नहीं, हम’ प्रकाशित हुआ था। इसके द्वारा भाजपा और नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाकर यह कहा गया कि वहां […] Read more » Lok sabha election Pandit Deendayal Upadyay मैं और हम
राजनीति अरविन्द केजरीवाल का इस्तीफ़ा, उनकी कमज़ोरी या सीनाज़ोरी ? February 19, 2014 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | 10 Comments on अरविन्द केजरीवाल का इस्तीफ़ा, उनकी कमज़ोरी या सीनाज़ोरी ? -डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने १४ फ़रवरी को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था । दरअसल, सोनिया गान्धी की पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया ही त्यागपत्र देने के लिये था। होमियोपैथी में किसी दवाई की ताक़त बढ़ाने के लिये उसकी पोटेन्सी बढ़ानी पड़ती है, तभी वह मरीज़ […] Read more » Arvind Kejrivaal resign अरविन्द केजरीवाल का इस्तीफ़ा उनकी कमज़ोरी या सीनाज़ोरी ?
राजनीति आरक्षणः राजनीतिक सत्ता में सामाजिक सहभागिता का टुल्स February 17, 2014 / February 17, 2014 by देवेन्द्र कुमार | Leave a Comment -देवेन्द्र कुमार- आरक्षण का जिन्न एक बार फिर बाहर निकलता दिख रहा है । इस बार इसे बाहर निकालने का श्रेय जाता है कांग्रेसी प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी को । अपने हालिया व्यक्तव में जनार्दन द्विवेदी ने इसको आर्थिक आधार पर लागू करने का सुक्षाव दिया है। लगे हाथ योग -संतई छोड़ राजनीति में अपनी […] Read more » Reservation and politics आरक्षण राजनीतिक सत्ता में सामाजिक सहभागिता का टुल्स
राजनीति धूल झोंकने का खेल कब तक ? February 17, 2014 by अतुल तारे | 1 Comment on धूल झोंकने का खेल कब तक ? -अतुल तारे- देशवासी अपनी आंखों का क्या करें? क्या अब इन आंखों को खुद ही फोड़ लें या फिर पिछले छह दशक से देश की आंखों में धूल, मिर्ची और न जाने क्या-क्या झोंक रहे इन माननीयों की ही ‘आंखें’ निकाल लें, तय करना मुश्किल है। आखिर कब तक? आक्रोश के लिए शब्दकोश में […] Read more » Problems with indian politics धूल झोंकने का खेल कब तक ?
राजनीति राजनैतिक दलों को नसीहत February 17, 2014 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on राजनैतिक दलों को नसीहत संदर्भ:- सर्वोच्च न्यायालय की नीतिगत वादों को पूरी करने की नसीहत -प्रमोद भार्गव- केरल सरकार किए नीतिगत वादों को पूरा न करने पर सर्वोच्च न्यायालय ने राजनैतिक दलों को नसीहत दी है न्यायालय का कहना है कि दल और सरकारें वहीं वादे करें, जिन्हें यर्था के धरातल पर पूरा किया जा सके। न्यायाधीश एआर दवे […] Read more » supreme court on political parties राजनैतिक दलों को नसीहत
राजनीति सरकार केजरीवाल की- तब आंखों की एक बूंद से, सातों सागर हारे होंगे February 17, 2014 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | 6 Comments on सरकार केजरीवाल की- तब आंखों की एक बूंद से, सातों सागर हारे होंगे -डॉ. अरविंद कुमार सिंह – इंसान की विश्वसनियता उसकी बातों से नहीं, उसके कामो से होती है। राजनीति की विडम्बना यह है यहा बाते ज्यादा और काम आनुपातिक रूप से कम है। देश की आजादी के वक्त से जो सिलसिला शुरू हुआ वो आजतक बादस्तूर जिन्दा है। दिल्ली की वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम इसी दिशा में […] Read more » Arvind Kejrival Delhi politics सरकार केजरीवाल की- तब आंखों की एक बूंद से सातों सागर हारे होंगे
राजनीति … और नेहरू बोले-‘जला डालो इन्हें’ February 17, 2014 by राकेश कुमार आर्य | 1 Comment on … और नेहरू बोले-‘जला डालो इन्हें’ -राकेश कुमार आर्य- शहरों में हम जहां एक ओर मानवता के संपूर्ण विकास का सपना संजोते हैं और उसे धरती पर उतारने का प्रयास करते हैं, वहीं मानव समाज को एक पाशविक समाज की भांति रहने के लिए अभिशप्त हुआ भी देखते हैं। इसे मानवता की घोर विडंबना ही कहा जाएगा कि एक ओर […] Read more » ... और नेहरू बोले-'जला डालो इन्हें' problems in India