राजनीति धारा 370: जम्मू-कश्मीर के विकास और देश की एकता में बाधक December 27, 2013 / December 27, 2013 by कन्हैया झा | Leave a Comment -कन्हैया झा- भारत पाकिस्तान के बीच कश्मीर ब्रिटेन के अंतर्राष्ट्रीय स्वार्थों की वजह से एक विवाद बना। अमरीका मध्य-पूर्व एशिया में वहां के मुस्लिम राष्ट्रों को सोवियत संघ के विरुद्ध एकजुट कर रहा था। ब्रिटेन भी दोनों नए राष्ट्रों को सोवियत संघ के प्रभाव में नहीं जाने देना चाहता था। अन्य राजाओं की ही तरह […] Read more » Jammu Kashmir obstacle in the unity of india and jammu kashmir developement धारा 370: जम्मू-कश्मीर के विकास और देश की एकता में बाधक
राजनीति किश्तवाड दंगे का दूसरा सरकारी अध्याय/सज्जाद अहमद किचलू की बहाली December 26, 2013 / December 28, 2013 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | 1 Comment on किश्तवाड दंगे का दूसरा सरकारी अध्याय/सज्जाद अहमद किचलू की बहाली डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री सुनियोजित दंगों में दो चीज़ें बहुत ही ज़रुरी होती हैं । पहला दंगे का उद्देश्य और दूसरा उस उद्देश्य को प्राप्त करने का तरीक़ा । 9 अगस्त २०१३ को ईद के दिन किश्तवाड में हुये दंगों को इसी पृष्ठभूमि में समझना होगा । उस दंगे में हिन्दुओं का जान माल का […] Read more » किश्तवाड दंगे का दूसरा सरकारी अध्याय सज्जाद अहमद किचलू की बहाली
राजनीति आशा और विश्वास का नूतन पर्व December 25, 2013 by विजय कुमार | Leave a Comment ऐसा कहते हैं कि शेर छलांग लगाने के बाद क्षण भर के लिए पीछे मुड़कर देखता है कि वह कितनी दूर कूदा है। इसे ही ‘सिंहावलोकन’ कहते हैं। प्राचीन भारतीय युद्धशास्त्र में इसी आधार पर ‘सिंहध्वज’ नामक एक प्रयोग है। इसमें योद्धा शस्त्र चलाते हुए एक बार, और फिर पीछे देखकर दूसरी बार आगे कूदता […] Read more » आशा और विश्वास का नूतन पर्व
राजनीति “बांटों और राज करों” की नीति और झाड़ू-पंजा प्रेम संबंध December 25, 2013 / December 25, 2013 by अभिषेक रंजन | 22 Comments on “बांटों और राज करों” की नीति और झाड़ू-पंजा प्रेम संबंध बधाई हो! झाड़ू-हाथ हुए अब एक साथ! ढेर सारे तमाशे करने के बाद अंततः झाड़ू और हाथ के अवैध प्रेम संबंधों को नई ऊँचाई मिल ही गई. लंबी जुदाई और लुका-छुपी के बाद दोनों ने अब खुल्लमखुल्ला प्यार का इजहार कर दिया है जिसके उपहार स्वरूप दिल्ली में जन समर्थन न होने के बाद भी […] Read more » “बांटों और राज करों” की नीति और झाड़ू-पंजा प्रेम संबंध
राजनीति लोकतंत्र, अधिकार और “आप” की सरकार December 25, 2013 / December 25, 2013 by सिद्धार्थ मिश्र “स्वतंत्र” | Leave a Comment – सिद्धार्थ मिश्र – इतिहास सदैव अपने आपको दोहराता है। इस दोहराव की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं जनआंदोलन। ये आंदोलन ही कहीं न कहीं नये चेहरों की ताजपोशी की सियासी पृष्ठभूमि भी तैयार करते हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की अप्रत्याशित सफलता आज इस बात का सबसे जीवंत प्रमाण है। तमाम उहापोह के बीच […] Read more » Democracy right and AAP government अधिकार और “आप” की सरकार लोकतंत्र
राजनीति अपेक्षाओं और आशंकाओं के बीच ‘आप’ की सरकार December 25, 2013 / December 25, 2013 by हिमकर श्याम | Leave a Comment -हिमकर श्याम- देश का जनमानस बदल रहा है। हाल के चुनाव नतीजों और उसके बाद के राजनीतिक परिदृश्य इस बदलाव की ओर इशारा करते हैं। दिल्ली की जनता ने जहां 15 सालों से शासन कर रही कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया वहीं बीजेपी को सरकार लायक बहुमत न देकर सबक सिखाया। सत्ता की राजनीति […] Read more » Hopes with 'AAP' government अपेक्षाओं और आशंकाओं के बीच 'आप' की सरकार
राजनीति अन्ना को अंग्रेजी नहीं आती December 24, 2013 / December 24, 2013 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | 6 Comments on अन्ना को अंग्रेजी नहीं आती – डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री – लोकपाल बिल लोक सभा और राज्य सभा दोनों में पारित हो गया है । रालेगन सिद्धी में अन्ना हज़ारे इसको पारित करवाने के लिये अनशन पर बैठे थे । बिल पारित होने पर उन्होंने अपना अनशन समाप्त कर दिया । लेकिन बिल पारित होने पर अरविन्द केजरीवाल प्रसन्न नहीं […] Read more » Anna does not know English Arvind kejriwal opinion on Anna अन्ना को अंग्रेजी नहीं आती
राजनीति ‘आप’ और केजरीवाल का भविष्य December 22, 2013 by सिद्धार्थ शंकर गौतम | Leave a Comment आम आदमी पार्टी की दिल्ली विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित जीत ने राजनीति में प्रयोग और शुचिता की बहस को बढ़ा दिया है| ‘आप’ की जीत से सवाल तो उठता ही है कि वे क्या कारण रहे जिनसे कांग्रेस-भाजपा जैसे स्थापित राजनीतिक दलों से आम आदमी का मोह भंग हुआ? मोदी-राहुल जैसे स्थापित और आकर्षक राजनीतिज्ञों […] Read more » 'आप' और केजरीवाल का भविष्य
राजनीति व्यंग्य एक पाती राहुल बबुआ के नाम December 22, 2013 by विपिन किशोर सिन्हा | 3 Comments on एक पाती राहुल बबुआ के नाम स्वस्ति श्री लिखीं चाचा बनारसी के तरफ़ से राहुल बबुआ को ढेर सारा प्यार, दुलार, चुम्मा। इहां हम राजी-खुशी हैं और उम्मीद करते हैं कि तुम भी अरविन्द-नमो के झटके से उबरने की कोशिश कर रहे होगे। बचवा, राजनीति में हार-जीत तो लगी ही रहती है। तुम्हारी दादी को भी राजनारायण ने […] Read more » एक पाती राहुल बबुआ के नाम
राजनीति अब ड्रामेबाजी बंद करिए “आप” “फर्जीवाल जी” December 20, 2013 by अभिषेक रंजन | 9 Comments on अब ड्रामेबाजी बंद करिए “आप” “फर्जीवाल जी” “ना-ना करते प्यार, तुम्हीं से कर बैठे, करना था इंकार, लेकिन इकरार, तुम्ही से कर बैठे” कुछ ऐसा ही हाल आजकल अन्ना के लोकपाल मुहीम से जन्मे “आआपा” का है. पहले राजनीती को ना, फिर कांग्रेस-भाजपा से समर्थन लेने से ना, अब अन्ना के लोकपाल को ना. लेकिन बदलते हालात में सबको गले लगाने को […] Read more »
महत्वपूर्ण लेख राजनीति ‘आप’, आप और बस ‘आप’ !!! December 19, 2013 / December 22, 2013 by नरेश भारतीय | 5 Comments on ‘आप’, आप और बस ‘आप’ !!! नरेश भारतीय “ व्यवस्थित संसदीय लोकतन्त्र की बजाए ‘आप’ यदि हर मामले पर ‘जनमतसंग्रह’ के लिए ही अड़ती चली जाएगी तो देश में मुद्दों के समाधान कम और नए मुद्दों को अधिक जन्म मिलेगा. व्यवस्था परिवर्तन के दावे के साथ मैदान में उतरी है ‘आप’ तो फिर वर्तमान व्यवस्था को पूरी तरह समझने और समझाने […] Read more »
राजनीति विधि-कानून अनुच्छेद तीन सौ सत्तर पर नई बहस छेडऩे में सफल रहे मोदी December 18, 2013 / December 18, 2013 by वीरेन्द्र सिंह चौहान | 1 Comment on अनुच्छेद तीन सौ सत्तर पर नई बहस छेडऩे में सफल रहे मोदी वीरेन्द्र सिंह चौहान भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी अपनी हालिया जम्मू रैली के बहाने संविधान के अस्थायी प्रावधान अनुच्छेद तीन सौ सत्तर पर एक नई बहस छेडऩे में कामयाब रहे। दरअसल संविधान के इस भेदभावपूर्ण प्रावधान पर चर्चा और बहस तो संसद के भीतर और बाहर पचास के दशक से […] Read more » अनुच्छेद तीन सौ सत्तर पर नई बहस छेडऩे में सफल रहे मोदी