राजनीति सेकुलर-वामपंथी बुद्धिजीवी बहुत दुखी हैं अयोध्या निर्णय से… October 4, 2010 / December 21, 2011 by सुरेश चिपलूनकर | 10 Comments on सेकुलर-वामपंथी बुद्धिजीवी बहुत दुखी हैं अयोध्या निर्णय से… अयोध्या पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बहुप्रतीक्षित निर्णय आखिरकार मीडिया की भारी-भरकम काँव-काँव के बाद आ ही गया। अभी निर्णय की स्याही सूखी भी नहीं थी कि सदभावना-भाईचारा-अदालती सम्मान के जो नारे सेकुलर गैंग द्वारा लगाये जा रहे थे, 12 घण्टों के भीतर ही पलटी खा गये। CNN-IBN जैसे सुपर-बिकाऊ चैनल ने अदालत का नतीजा आने […] Read more » Ayodhya Verdiict Communist Intellectuals Ram Janmabhoomi वामपंथी सेकुलर
राजनीति फिर दाढ़ी में हाथ October 3, 2010 / December 22, 2011 by विजय कुमार | 2 Comments on फिर दाढ़ी में हाथ -विजय कुमार जम्मू-कश्मीर में गत 20 सितम्बर को सांसदों का जो सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल गया था, उसके कुछ सदस्यों ने उन्हीं भूलों को दोहराया है, जिससे यह फोड़ा नासूर बना है। इनसे मिलने अनेक दलों और वर्गों के प्रतिनिधि आये थे; पर देशद्रोही नेताओं ने वहां आना उचित नहीं समझा। अच्छा तो यह होता कि इन्हें […] Read more » Jammu Kashmir जम्मू- कश्मीर
राजनीति महात्मा गांधी-शांति के नायक October 2, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on महात्मा गांधी-शांति के नायक -नरेन्द्र देव 2 अक्टूबर का दिन कृतज्ञ राष्ट्र के लिए राष्ट्रपिता की शिक्षाओं को स्मरण करने का एक और अवसर उपलब्ध कराता है। भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में मोहन दास कर्मचंद गांधी का आगमन खुशी प्रकट करने के साथ-साथ हजारों भारतीयों को आकर्षित करने का पर्याप्त कारण उपलब्ध कराता है तथा इसके साथ उनके जीवन-दर्शन के […] Read more » Mahatma Gandhi महात्मा गांधी
राजनीति अचानक सभी को “न्यायालय के सम्मान”(?) की चिंता क्यों सताने लगी है?… September 29, 2010 / December 22, 2011 by सुरेश चिपलूनकर | 16 Comments on अचानक सभी को “न्यायालय के सम्मान”(?) की चिंता क्यों सताने लगी है?… -सुरेश चिपलूनकर पिछले एक-दो महीने से सभी लोगों ने तमाम चैनलों के एंकरों को गला फ़ाड़ते, पैनलिस्ट बने बैठे फ़र्जी बुद्धिजीवियों को बकबकाते और अखबारों के पन्ने रंगे देखे होंगे कि अयोध्या के मामले में फ़ैसला आने वाला है हमें “न्यायालय के निर्णय का सम्मान”(?) करना चाहिये। चारों तरफ़ भारी शोर है, शान्ति बनाये रखो… गंगा-जमनी […] Read more » High Court अयोध्या विवाद सर्वोच्च न्यायालय
राजनीति बाबरी मसजिद प्रकरण- सांप्रदायिक विचारधारा ने असत्य का साथ थामा September 29, 2010 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 13 Comments on बाबरी मसजिद प्रकरण- सांप्रदायिक विचारधारा ने असत्य का साथ थामा -जगदीश्वर चतुर्वेदी बाबरी मस्जिद प्रकरण में उपजी सांप्रदायिक विचारधारा ने जहां एक ओर कानून एवं संविधान को अस्वीकार किया, दूसरी ओर, इतिहास का विद्रूपीकरण किया। इतिहास के तथ्यों की अवैज्ञानिक एवं सांप्रदायिक व्याख्या की गई, इतिहास के चुने हुए अंशों एवं तथ्यों का इस्तेमाल किया। और यह सब किया गया विद्वेष एवं घृणा पैदा करने […] Read more » बाबरी मस्जिद विवाद
राजनीति दोस्तों से वफ़ा की उम्मीदें, किस ज़माने के आदमी तुम हो……! September 29, 2010 / December 22, 2011 by पंकज झा | 1 Comment on दोस्तों से वफ़ा की उम्मीदें, किस ज़माने के आदमी तुम हो……! छत्तीसगढ़ बंधक प्रकरण और राष्ट्रीय मीडिया – पंकज झा. रायपुर से कोलकाता के लिए एक सेमीनार में शामिल होने कुछ पत्रकार मित्रों के साथ जा रहा हूं. मौसम अच्छा है और ट्रेन भी रफ़्तार में. जंगली इलाकों से ट्रेन गुजर रही है. तब-तक मोबाइल का टावर यह बताने लगता है कि हम झारग्राम स्टेशन के […] Read more » Maoist नक्सलवाद माओवाद
राजनीति ये है दिल्ली मेरी जान September 29, 2010 / December 22, 2011 by लिमटी खरे | 1 Comment on ये है दिल्ली मेरी जान -लिमटी खरे चूल्हे में हगें, शनीचर को दोष दें. . . बुंदेलखण्ड की बहुत पुरानी कहावत है -‘‘चूल्हे में हगें, शनीचर को दोष दें. . .। अर्थात पुराने जमाने के शौचालयों के बजाए अलह सुब्बह जाकर चूल्हे में जाकर पॉटी कर दी और सुबह जब देखा तो कहने लगे शनी भारी हो गया है हमारे […] Read more » Delhi
राजनीति गिलानी-मलिक-मीरवायज़ के सामने घिघियाता हुआ सा सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल… September 22, 2010 / December 22, 2011 by सुरेश चिपलूनकर | 8 Comments on गिलानी-मलिक-मीरवायज़ के सामने घिघियाता हुआ सा सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल… प्रतिनिधिमंडल में गये हुए नेताओं की मुखमुद्रा, भावभंगिमा और बोली ऐसी थी, मानो भारत ने कश्मीर में बहुत बड़ा अपराध कर दिया हो। शुरु से आखिर तक अपराधीभाव से गिड़गिड़ाते नज़र आये सभी के सभी। मुझे अभी तक समझ नहीं आया कि अरुण जेटली और सुषमा स्वराज जैसे लोग इस प्रतिनिधिमण्डल में शामिल हुए ही क्यों? रामविलास पासवान और गुरुदास दासगुप्ता जैसे नेताओं की नज़र विशुद्ध रुप से बिहार और पश्चिम बंगाल के आगामी चुनावों के मुस्लिम वोटों पर थी। यह लोग गये तो थे भारत के सर्वदलीय प्रतिनिधिमण्डल के रुप में, लेकिन उधर जाकर भी मुस्लिम वोटरों को लुभाने वाली भाषा से बाज नहीं आये। Read more » Terrorism in Kashmir
राजनीति गांधीवाद के हत्यारे कम्युनिस्ट! September 22, 2010 / December 22, 2011 by रामदास सोनी | 13 Comments on गांधीवाद के हत्यारे कम्युनिस्ट! -रामदास सोनी स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही देश की शिक्षा पद्धति और विभिन्न वैचारिक प्रतिष्ठानों पर वामपंथी विचारधारा से प्रभावित लोगो का वर्चस्व रहा है। भारत के गौरवशाली इतिहास को कायरता का इतिहास बताने वाले वामपंथियों ने भारत को पिछले छ: दशकों में निराशा के गर्त में धकेलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अपने […] Read more » Communist कम्युनिस्ट गांधीवाद
राजनीति स्वायतत्ता तोहफा नहीं, गुलामी की दावत September 21, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 3 Comments on स्वायतत्ता तोहफा नहीं, गुलामी की दावत – भरतचंद्र नायक गत दिनों लोक सभा में जब कश्मीर के बिगड़ते हालात पर चर्चा के दौरान ठोस कदम उठाने की पुरजोर वकालत की जा रही थी, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और केन्द्र सरकार में मंत्री डॉ.फारुख अब्दुल्ला ने फरमाया कि ऐसे वक्त जब भारत सरकार दुनिया की एक बड़ी ताकत है और जम्मू-कश्मीर के […] Read more » Autonomy जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता
राजनीति भाजपा और कमल नाथ में जारी है नूरा कुश्ती September 21, 2010 / December 22, 2011 by लिमटी खरे | 2 Comments on भाजपा और कमल नाथ में जारी है नूरा कुश्ती -लिमटी खरे कांग्रेसनीत केंद्र सरकार में भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ और मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी में नूरा कुश्ती तेज हो गई है। कभी भाजपा की मध्य प्रदेश सरकार के लोक कर्म मंत्री दिल्ली जाकर मध्य प्रदेश को कमल नाथ द्वारा सबसे अधिक राशि देने के चलते कमल नाथ की शान में कसीदे […] Read more » Congress कमलनाथ कांग्रेस भाजपा
राजनीति जब कौआ चले हंस की चाल September 21, 2010 / December 22, 2011 by पंकज झा | 4 Comments on जब कौआ चले हंस की चाल -पंकज झा पौराणिक पक्षी हंस के बारे में मान्यता है कि अगर उसके सामने आप दूध मिला पानी रख दें तो वह पानी को अलग कर ‘दूध’ ग्रहण कर लेता है. शास्त्रों में इसे नीर-क्षीर विवेक कहा गया है. ‘साहित्य’ से भी यही अपेक्षा की जा सकती है वह यदि सर्वजन हिताय काम ना कर […] Read more » Violence हिंसा