राजनीति गुजरात एक “शत्रु” राज्य है, क्योंकि… August 6, 2010 / December 22, 2011 by सुरेश चिपलूनकर | 11 Comments on गुजरात एक “शत्रु” राज्य है, क्योंकि… नरेन्द्र भाई मोदी… यदि आपको यह लगता है कि केन्द्र की निगाह में गुजरात एक "शत्रु राज्य" है, तो सही ही होगा, क्योंकि मुम्बई-भिवण्डी-मालेगाँव के दंगों के बावजूद सुधाकरराव नाईक या शरद पवार को कभी "हत्यारा" नहीं कहा गया… एक पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा दिल्ली में चुन-चुनकर मारे गये हजारों सिखों को कभी भी "नरसंहार" नहीं कहा गया… हमारे टैक्स के पैसों पर पलने वाले कश्मीर और वहाँ से हिन्दुओं के पलायन को कभी "Genocide" (जातीय सफ़ाया) नहीं कहा जाता… वारेन एण्डरसन को भागने में मदद करने वाले भी "मासूम" कहलाते हैं… यह सूची अनन्त है। Read more » Amit Shah Gujrat Encounter Case Sohrabuddin गुजरात
राजनीति सिनेमा माओवादियों की ओवर ग्राउंड आर्मी व ओडिया फिल्म अभिनेता सिद्धांत महापात्र August 4, 2010 / December 22, 2011 by समन्वय नंद | 9 Comments on माओवादियों की ओवर ग्राउंड आर्मी व ओडिया फिल्म अभिनेता सिद्धांत महापात्र -समन्वय नंद ओडिया फिल्म के सुपर स्टार तथा बीजू जनता दल से लोकसभा सांसद सिद्धांत महापात्र इन दिनों विवादों में फंसे हैं। ओडिया सिनेमा में एक हाई बजट के फिल्म का निर्माण किया जा रहा है जिसमें माओवादियों का महिमामंडम किया गया है। इस फिल्म में सांसद सिद्धांत ने नक्सलियों के एरिया कमांडर की भूमिका […] Read more » Maoist नक्सलवाद माओवाद
राजनीति इंद्रेश कुमार : संघ का उदारवादी चेहरा! August 3, 2010 / December 22, 2011 by फ़िरदौस ख़ान | 13 Comments on इंद्रेश कुमार : संघ का उदारवादी चेहरा! -फ़िरदौस ख़ान मुसलमानों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पैठ बढ़ाने की कवायद में जुटे आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। हाल ही में हेडलाइंस टुडे के स्टिंग ऑपरेशन में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने […] Read more » RSS इन्द्रेश कुमार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राजनीति डिजिटल मनमोहन के डिजिटल शत्रु August 3, 2010 / December 22, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on डिजिटल मनमोहन के डिजिटल शत्रु -जगदीश्वर चतुर्वेदी मनमोहन सिंह जब से प्रधानमंत्री बने हैं। वे मीडिया और विशेषज्ञों की आलोचना में नहीं आते। उन्हें प्रधानमंत्री बने 6 साल से ज्यादा समय हो गया है। मीडिया में ममता बनर्जी, शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल, डी.राजा, कांग्रेस के क्षेत्रीय नेताओं, कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों आदि की आलोचना दिखेगी लेकिन मनमोहन सिंह की आलोचना नहीं […] Read more » Manmohan Singh मनमोहन सिंह
राजनीति मनमोहन के डिजिटल विभ्रम में चमकती गरीबी August 3, 2010 / December 22, 2011 by चिन्मय मिश्र | 1 Comment on मनमोहन के डिजिटल विभ्रम में चमकती गरीबी -जगदीश्वर चतुर्वेदी मनमोहन सिंह का दावा है कि वह विकास पुरूष हैं। विकासपुरूष का उनका विभ्रम सबको आकर्षित कर रहा है। विकास के नाम पर उन्होंने भौतिक आकांक्षाओं का विभ्रम पैदा किया है। कारपोरेट मीडिया को विकास के विभ्रम में कहीं कोई खोट नजर नहीं आ रहा। यदि कोई खोट दिखाने की कोशिश करता है […] Read more » Manmohan Singh मनमोहन सिंह
राजनीति लोकतंत्र का गद्दार कौन? August 3, 2010 / December 22, 2011 by गोपाल सामंतो | 10 Comments on लोकतंत्र का गद्दार कौन? -गोपाल सामंतो आज एक चैनल पर आ रहे कार्यक्रम ‘लोकतंत्र के गद्दार’ को देखने के बाद मेरे मन में एक सवाल बार बार आया कि आखिर लोकतंत्र का गद्दार है कौन? कुछ दिनों पूर्व रायपुर में हुए एक सेमिनार में मैंने स्वामी अग्निवेश के साथ कुछ और बुद्धिजिवियो को सुना था तब भी मेरे मन […] Read more » Democracy लोकतंत्र
राजनीति लोकतन्त्र खतरे में??? वोटिंग मशीनों, उनकी वैधता और हैकिंग पर एक शानदार पुस्तक… July 30, 2010 / December 22, 2011 by सुरेश चिपलूनकर | 7 Comments on लोकतन्त्र खतरे में??? वोटिंग मशीनों, उनकी वैधता और हैकिंग पर एक शानदार पुस्तक… कई पाठकों को यह पता नहीं होगा कि वोटिंग मशीनों की निर्माता कम्पनियों BEL (भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड) और ECIL (इलेक्ट्रॉनिक्स कार्पोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड) ने EVM के माइक्रोचिप में किये जाने वाले सीक्रेट सोर्स कोड (Secret Source Code) का काम विदेशी कम्पनियों को आउटसोर्स किया। लेखक ने सवाल उठाया है कि जब हमारे देश में ही योग्य और प्रतिभावान सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हैं तो यह महत्वपूर्ण काम आउटसोर्स क्यों किया गया? Read more » Democracy of India and EVMs Election Commission of India EVM Hacking
राजनीति संघ और भाजपा : वर्चस्व के लिए टकराव July 29, 2010 / December 22, 2011 by फ़िरदौस ख़ान | 9 Comments on संघ और भाजपा : वर्चस्व के लिए टकराव -फ़िरदौस ख़ान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने हिन्दू राष्ट्र के सपने को साकार करने के लिए अपने सियासी संगठन भारतीय जनता पार्टी को देश की सियासत में स्थापित किया, लेकिन सत्ता की लालसा में इसी भाजपा ने संघ की विचारधारा को किनारे कर दिया, भले ही इसकी वजह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का दबाव ही […] Read more » RSS भाजपा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राजनीति नक्सली आतंक : अब कारण नहीं, निदान पर बात हो July 29, 2010 / December 23, 2011 by पंकज झा | 3 Comments on नक्सली आतंक : अब कारण नहीं, निदान पर बात हो -पंकज झा लोकतंत्र और आंतरिक सुरक्षा के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती नक्सल आतंकियों का सफाया या इस समस्या के समाधान हेतु सतत ज़रूरी विमर्श की शृंखला में पिछले दिनों रायपुर एक समाचार चैनल द्वारा एक परिचर्चा आयोजित की गयी. अफ़सोस महज़ इतना है कि आज भी इस मुद्दे पर हर तरह का विमर्श, नक्सलियों के […] Read more » Naxalism नक्सलवाद माओवाद
राजनीति हमारा प्रतिरोध, देशद्रोह, तुम्हारी हिंसा, विकास July 29, 2010 / December 23, 2011 by पीयूष पंत | Leave a Comment -पीयूष पंत लगता है ‘राजकीय हिंसा हिंसा न भवति’ की घुट्टी पिलाने पर आमादा केंद्र की यूपीए और छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकारें विकास से जुड़े असली सवालों का समाधान हिंसा के बूते निकालने में ही विश्वास रखती हैं। ऐसा न होता तो सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश की मध्यस्थता में सरकार से बातचीत का प्रस्ताव […] Read more » Maoist नक्सलवाद माओवाद
राजनीति पाटलीपुत्र में इतिहास की पुनरावृत्ति की आहट July 29, 2010 / December 23, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 5 Comments on पाटलीपुत्र में इतिहास की पुनरावृत्ति की आहट – डॉ. विनोद बब्बर इतिहास केवल सजावट की वस्तु नहीं होती क्योंकि वह अनुभव और सुखद स्मृतियों ही नहीं, खून और चित्कारों से लथपथ ऐसा दस्तावेज होता है जिसकी उपेक्षा की भारी कीमत चुकानी ही पड़ती है। यह भी सत्य है कि इतिहास अपने आपको दोहराता है। जो इतिहास के श्याह-सफेद अध्यायों से सबक नहीं […] Read more » history Patliputra इतिहास
राजनीति प्रतिबंध की मांग की नई राजनीति July 29, 2010 / December 23, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on प्रतिबंध की मांग की नई राजनीति – हरिकृष्ण निगम आज से लगभग चार वर्ष पूर्व मुंबई विद्यापीठ के कालीना परिसर में वर्षीय वयोवृद्ध एवं वरिष्ठ अधिवक्ता की अस्वतंत्रता पर इस लेखक को उनका संवैधानिक प्रावधानों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर इस लेखक को उनका तर्कपूर्ण एवं विवेचनात्मक भाषण सुनने का अवसर मिला था। इस बात का उस समय अनुमान नहीं था […] Read more » politics राजनीति