राजनीति आतंकवादियों को महिमामंडित करती अरुंधती राय June 4, 2010 / December 23, 2011 by गिरीश पंकज | 44 Comments on आतंकवादियों को महिमामंडित करती अरुंधती राय -गिरीश पंकज अरुंधति राय जैसी पश्चिमोन्मुखी (और कुछ अर्थों में पतनोन्मुखी भी) लेखिकाओं को यह पता है कि अगर मीडिया में बने रहना है तो हथकंडे क्या हो सकते हैं। और वह अकसर सफल रहती हैं। अरुंधति के बहुत-से लटके-झटके मैं देखता रहा हूँ, सबका जवाब देने का कोई मतलब भी नहीं, लेकिन इस बार […] Read more » Naxalism अरुंधती राय नक्सलवाद माओवाद
राजनीति राइटर्स बिल्डिंग से तृणमूल की हो गयी सगाई June 3, 2010 / December 23, 2011 by प्रकाश चण्डालिया | 2 Comments on राइटर्स बिल्डिंग से तृणमूल की हो गयी सगाई -प्रकाश चण्डालिया तृणमूल से राइटर्स बिल्डिंग की सगाई की रस्म 2 जून 2010 को बाकायदा हो चुकी है और उनकी कुड़माई को अब कोई रोक नहीं सकता, यह तय है। राइटर्स बिल्डिंग की मंगेतर बन चुकी ममता बनर्जी की पार्टी ने सत्ता का सेमीफाइनल जीत कर वाममोर्चा के कोफिन की आखिरी कील का इंतजाम कर […] Read more » Mamta Benarji तृणमूल कांग्रेस ममता बनर्जी
राजनीति पश्चिम बंगाल में जनता द्वारा लिखी गई इबारत के मायने? June 3, 2010 / December 23, 2011 by निर्मल रानी | Leave a Comment -निर्मल रानी पश्चिम बंगाल में गत् दिनों स्थानीय निकायों के चुनावों के नतीजे घोषित हो चुके हैं। जैसी कि अपेक्षा की जा रही थी, राज्य के अधिकांश नगर निगमों पर ममता बैनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने अपना कब्जा जमा लिया है। यहां तक कि कोलकाता महानगर निगम के चुनाव में भी तृणमूल कांग्रेस […] Read more » West Bengal तृणमूल कांग्रेस ममता बनर्जी
राजनीति शुक्र है! ये कौम मुर्दा नहीं…. June 3, 2010 / December 23, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment -आशीष तिवारी देश में लोकतंत्र बेहद मजबूत हो गया है लेकिन लोगों की बातें इस तंत्र में नहीं सुनी जाती। लोग बोलते बोलते थक चुके हैं और अब तो मुर्दई ख़ामोशी ओढ़ कर चुप बैठे हैं। लोकतंत्र का उत्सव मनाया जाता है लेकिन शवों के साथ। कौम सांस लेती तो है लेकिन है मुर्दा। ऐसे में […] Read more » Bal Panchayat बाल पंचायत
राजनीति राजनीति में नैतिकता का बाजारभाव June 2, 2010 / December 23, 2011 by संजय द्विवेदी | 4 Comments on राजनीति में नैतिकता का बाजारभाव -संजय द्विवेदी झारखंड में पिछले दिनो से जो कुछ हो रहा है उसके बाद तो यह मान लीजिए कि राजनीति में नैतिकता की उम्मीदें पालना एक ऐसा सपना है जो कभी पूरा नहीं होगा। झारखंड में एक क्षेत्रीय दल के नेता शिबू सोरेन ने आखिरकार यह साबित कर दिया कि भारतीय जनता पार्टी और उनके […] Read more » Bhajpa भाजपा
राजनीति झारखंड में भाजपा : बोये पेड़ बबूल का June 2, 2010 / December 23, 2011 by पंकज झा | 2 Comments on झारखंड में भाजपा : बोये पेड़ बबूल का – पंकज झा अब अंततः जब झारखंड में महीनों की छीछालेदर के बाद राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है तो इस लेखक को उस प्रदेश के चुनाव परिणाम आने से पहले की शाम की याद आ रही है. रायपुर का माना विमान स्थल. अगले दिन झारखंड विधानसभा का परिणाम आने वाला है. संयोग से वहां […] Read more » Jharkhand झारखंड
राजनीति बेकाबू माओवादी-घबराई सरकार:फिर कैसे हो समाधान May 31, 2010 / December 23, 2011 by तनवीर जाफरी | Leave a Comment -तनवीर जाफरी माओवादी अथवा नक्सली हिंसा के विरुद्ध केंद्र सरकार का कुछ राज्य सरकारों के सहयोग से चलाया जाने वाला आप्रेशन ग्रीन हंट जारी है। इस आप्रेशन ग्रीन हंट के परिणाम अप्रत्याशित रूप से जो सामने आ रहे हैं वह आश्चर्यचकित कर देने वाले हैं। आप्रेशन ग्रीन हंट का संचालन करने वाला केंद्रीय गृह मंत्रालय […] Read more » Naxalism नक्सलवाद माओवाद
राजनीति नक्सलवाद : उफ! कोई इन्हें भी फांसी दे दे May 31, 2010 / December 23, 2011 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | 3 Comments on नक्सलवाद : उफ! कोई इन्हें भी फांसी दे दे -लोकेन्द्र सिंह या तो हमारी सरकार का खून सूख गया है या फिर उसकी नक्सलियों से कोई गुप्त संधि है। वरना इतने बेगुनाहों का खून सड़कों पर, रेल की पटरियों पर और छोटे से घर के बाहर बने नाले में बहते देख सरकार का हृदय पिघलता जरूर। वह सिर्फ बातें नहीं करती, कुछ कड़े कदम भी […] Read more » Naxalism नक्सलवाद माओवाद
राजनीति भारत में लोकतंत्र – सफलता का रहस्य May 29, 2010 / December 23, 2011 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | 4 Comments on भारत में लोकतंत्र – सफलता का रहस्य – डॉ0 कुलदीप चन्द अग्निहोत्री द्वितीय विश्वयुद्व के बाद जब भारत से ब्रिटिश साम्राज्यवाद का अन्त हुआ तो उसका प्रभाव एशिया और अफ्रिका के अन्य देशों पर भी पडा और एक के बाद एक देश यूरोपीय साम्राज्यवादी शक्तियों के शिकंजे से मुक्त होने लगे। साम्राज्यवाद से मुक्ति के बाद प्राय अधिकांश देशों ने लोकतांत्रिक शासन […] Read more » Democracy लोकतंत्र
राजनीति ‘इमोशनल अत्याचार’ के फिर शिकार हुए अमर सिंह May 28, 2010 / December 23, 2011 by निर्मल रानी | Leave a Comment -निर्मल रानी अमर सिंह का अपना जनाधार हो या न हो, राजनैतिक कौशल भी चाहे कुछ न रहा हो परंतु इसके बावजूद मीडिया की नारें उन पर बराबर बनी देखी जा सकती हैं। इसे महा अमर सिंह का मीडिया मैनेजमेंट ही माना जा सकता है। निश्चित रूप से वे अपने को राष्ट्रीय स्तर पर ‘हाईलाईट’ […] Read more » Amar Singh अमर सिंह
राजनीति यूं ही गुजरा साल May 24, 2010 / December 23, 2011 by संजय द्विवेदी | 2 Comments on यूं ही गुजरा साल -संजय द्विवेदी डा. मनमोहन सिंह की सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा करने जा रही है किंतु बताने के लिए उसके पास क्या उपलब्धियां हैं। उसके पहले कार्यकाल की परिपक्वता भी इस एक साल से गायब दिखती है। महंगाई एक ऐसा मुद्दा है जिस पर सरकार का घुटनाटेक रवैया और मंत्रियों के लापरवाही […] Read more » UPA यूपीए-2 का एक साल
राजनीति संसदीय सत्रों के कार्य-कलापों का भी अंकेक्षण होना चाहिए May 24, 2010 / December 23, 2011 by सतीश सिंह | 1 Comment on संसदीय सत्रों के कार्य-कलापों का भी अंकेक्षण होना चाहिए -सतीश सिंह आज भारत में ऐसा कोई भी संस्थान नहीं है जिसके कार्य-कलापों का एक निश्चित अवधि में अंकेक्षण न किया जाता हो। अंकेक्षण समय की मांग और जरुरत दोनों है। यही वह हथियार है जिसके माध्यम से हम किसी भी संस्थान की खामियों या कमियों का पता लगा सकते हैं और साथ में उसका […] Read more » Parliament संसद