समाज गांधी क्यों लौट-लौट आते हैं? – रविकान्त March 3, 2009 / December 24, 2011 by रविकान्त | 1 Comment on गांधी क्यों लौट-लौट आते हैं? – रविकान्त आशिस नंदी ने अपने एक मशहूर लेख में बताया था कि गांधी को मारनेवाला सिर्फ़ वही नहीँ था जिसकी पिस्तौल से गोली चली थी, बल्कि इस साज़िश को हिन्दुस्तानियोँ के... Read more » mahatama Gandhi गांधी
समाज शिक्षा का गोरखधंधा – हिमांशु शेखर February 23, 2009 / December 24, 2011 by हिमांशु शेखर | 2 Comments on शिक्षा का गोरखधंधा – हिमांशु शेखर देश में शिक्षा के क्षेत्र में चल रहे गोरखधंधे को जानना और समझना हो तो इस दृष्टि से इंदौर के इंस्टीटयूट आफ मैनेजमंेट स्टडीज यानी आईएमएस के एमबीए... Read more » educational business शिक्षा का गोरखधंधा
समाज ये हंगामा है क्यों बरपा … – आशीष कुमार ‘अंशु’ February 21, 2009 / December 24, 2011 by आशीष कुमार ‘अंशु’ | 2 Comments on ये हंगामा है क्यों बरपा … – आशीष कुमार ‘अंशु’ आज से छह महीने पहले लोग जिस श्रीराम सेना को जानते भी नहीं थे, आज मीडिया की मेहरबानी से एक जाना पहचाना नाम बन गया है। जरा सोचिए श्रीराम सेना के... Read more » sri ram sena
समाज वैलेंटाइन का जादू – ब्रजेश कुमार झा February 15, 2009 / December 24, 2011 by ब्रजेश कुमार झा | Leave a Comment हिन्दी सिनेमा में मजाज़ी इश्क़ (सांसारिक प्रेम) पर लिखे गीतों के रुतबे को तो सभी महसूस करते ही होंगे ! इधर मैं कुछ दिनों से इश्क़-विश्क के उन गीतों को ढूंढ रहा था... Read more » Valentine Day celebration वैलेंटाइन का जादू
समाज वैलन्टाइन डे के लिये चाहिये एक बड़ा दिल February 14, 2009 / December 24, 2011 by अम्बा चरण वशिष्ठ | 2 Comments on वैलन्टाइन डे के लिये चाहिये एक बड़ा दिल मैं एक सम्भ्रान्त परिवार से सम्बन्ध रखता हूं। हम दकियानूसी नहीं है। उदारवादिता और आधुनिकता हमारी पहचान है। Read more » Valentine Day celebration in India वैलन्टाइन डे
समाज सुरा पर फिदा तहजीब – ब्रजेश झा February 4, 2009 / December 22, 2011 by ब्रजेश कुमार झा | 1 Comment on सुरा पर फिदा तहजीब – ब्रजेश झा पब संस्कृति को खत्म करने के नाम पर श्रीराम सेना के लोगों ने बड़ा उत्पात मचाया। इस दौरान युवतियों के साथ जो बेअदबी हुई, उससे भारतीय संस्कृति से जुड़े कई गहरे सवाल.. Read more » alcohol and attiquets सुरा पर फिदा तहजीब
समाज वैयक्तिक अधिकार व पब कल्चर के बीच पिसता समाज व शालीनता February 3, 2009 / December 22, 2011 by अम्बा चरण वशिष्ठ | 3 Comments on वैयक्तिक अधिकार व पब कल्चर के बीच पिसता समाज व शालीनता भारतीय संस्कृति के समुद्र में अनेक संस्कृतियां समाहित हैं। भारत की धरती पर अब एक नई संस्कृति उभर रही है पब कलचर। इस नई संस्कृति के उदगम में समाज नहीं वाणिज्य और बाज़ारभाव का योगदान अमूल्य है। पर मंगलौर में एक पब में जिस प्रकार से महिलाओं और लड़कियों पर हाथ उठाया गया वह तो […] Read more » pub culture पब कल्चर वैयक्तिक अधिकार शालीनता समाज
समाज गंगाजल आपरेशन का सच – ब्रजेश झा February 1, 2009 / December 22, 2011 by ब्रजेश कुमार झा | 1 Comment on गंगाजल आपरेशन का सच – ब्रजेश झा डिब्रूगढ़ (असम) से हाल ही में दिल्ली आए एक व्यक्ति से मुलाकात हुई। वे हिन्दी सिनेमा बड़े चाव से देखते हैं। उन्होंने कहा, डिब्रूगढ़ आते-जाते जब भी ट्रेन भागलपुर स्टेशन पहुंचती है तो फिल्म- ‘गंगाजल-द हौली वैपन ‘ की खूब याद आती है। यह फिल्म शहर में हुई अंखफोड़वा कांड (गंगाजल आपरेशन) घटना पर आधारित […] Read more » truth behind gangajal operation गंगाजल आपरेशन का सच
समाज आटो के पीछे क्या है? February 1, 2009 / December 22, 2011 by ब्रजेश कुमार झा | 1 Comment on आटो के पीछे क्या है? सुबह-सबेरे दिल्ली की सड़कों पर चलते वक्त यदि आटो रिक्शा के पीछे लिखा दिख जाय बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला तो अन्यथा न लें बल्कि गौर करें। क्या ये चुटकीली पंक्तियां शहरी समाज के एक तबके को मुंह नहीं चिढ़ा रही हैं? गौरतलब है कि ऐसी सैकड़ों पंक्तियां तमाम आटो रिक्शा व अन्य गाडि़यों […] Read more » backside of auto rickshaw आटो के पीछे क्या है
समाज पिछड़े नहीं हैं भारत के मुसलमान December 5, 2008 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on पिछड़े नहीं हैं भारत के मुसलमान लेखक- दिलीप मिश्राहमारे देश के ही नहीं बल्कि दुनिया के मुसलमानों को आर्थिक, शैक्षणिक व सामाजिक रूप से पिछड़ा माना जाता है। क्योंकि मुसलमान आर्थिक रूप से कमजोर और शैक्षणिक रूप से अशिक्षित हैं, इस कारण वह आतंकवादी बने या मजबूरी में बनाए जा रहे हैं। जबकि आज की वर्तमान स्थिति के अनुसार न तो […] Read more » Indian muslims मुसलमान
समाज सब ‘सभ्य’ – हम, हमारा समाज और मीडिया November 12, 2008 / December 22, 2011 by अम्बा चरण वशिष्ठ | 2 Comments on सब ‘सभ्य’ – हम, हमारा समाज और मीडिया लेखक- अम्बा चरण वशिष्ठ ठीक ही तो कहते हैं कि किसी सभ्य समाज में फांसी की सज़ा उस समाज के नाम पर एक कलंक है। पर साथ ही यह कोई नहीं कहता कि यदि वह समाज सभ्य है तो उस में हत्या केलिये भी कोई स्थान नहीं है। जब हत्या नहीं होगी तो फांसी की […] Read more » media terrorism आतंकवाद मीडिया समाज
महत्वपूर्ण लेख समाज आरक्षण का सामाजिक जीवन में महत्व October 25, 2008 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 25 Comments on आरक्षण का सामाजिक जीवन में महत्व रमेश पतंगे समता के विषय में इसाप की एक सुंदर कथा है। एक बार जंगल में शेर, सियार, भेड़िया और जंगली गधा इन चारों ने मिलकर सामूहिक शिकार करने का निर्णय लिया। शिकार के लिए वो चले गए। चारों ने मिलकर एक जंगली भैंसे की शिकार की। शिकार करने के बाद भक्ष्य को चार समान […] Read more » importance of reservation आरक्षण का सामाजिक जीवन में महत्व