राजनीति शख्सियत समाज साक्षात्कार आदिवासी अस्मिता के प्रतीक दिशोम गुरु – शिबू सोरेन August 5, 2025 / August 5, 2025 by कुमार कृष्णन | Leave a Comment कुमार कृष्णन शिबू सोरेन के निधन के बाद झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत हो गया है। उनके समर्थक प्यार से उन्हें ‘दिशोम गुरु’ यानी ‘देश के गुरु’ कहते थे। उनका जीवन आदिवासी अधिकारों की लड़ाई, संघर्ष और झारखंड को अलग राज्य बनाने के आंदोलन से जुड़ा रहा है। उनका जन्म 11 जनवरी […] Read more » a symbol of tribal identity - Shibu Soren Dishom Guru शिबू सोरेन
शख्सियत समाज साक्षात्कार शिबू सोरेन: जंगल से संसद तक —दिशोम गुरु की राजनीतिक दास्तान August 5, 2025 / August 5, 2025 by ओंकारेश्वर पांडेय | Leave a Comment ओंकारेश्वर पांडेय दिशोम गुरु शिबू सोरेन चले गए। 10 बार सांसद, 3 बार मुख्यमंत्री और उससे भी बढ़कर—वो शख्स जिसने तीर-कमान से नहीं बल्कि संघर्ष और अपनी सियासी चालों से बिहार के आदिवासियों को उनका हक दिलाया। अलग झारखंड का सपना उठाने वाले कई थे पर उसे सच करने वाला सिर्फ एक नाम था—दिशोम गुरु।लोग […] Read more » Shibu soren Shibu Soren: From Jungle to Parliament Shibu Soren: From Jungle to Parliament - Dishom Guru's political saga शिबू सोरेन
बच्चों का पन्ना लेख समाज स्कूल छोड़ती बेटियाँ: संसाधनों की कमी या सामाजिक चूक? August 4, 2025 / August 4, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment (“बेटियाँ क्यों छोड़ रही हैं स्कूल? सवाल सड़कों, शौचालयों और सोच का है” “39% लड़कियाँ स्कूल से बाहर: किसकी जिम्मेदारी?” “‘बेटी पढ़ाओ’ का सच: किताबों से पहले रास्ते चाहिए”) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट ने चौंकाने वाला सच उजागर किया है कि 15 से 18 वर्ष की उम्र की लगभग 39.4% लड़कियाँ स्कूल से बाहर […] Read more » स्कूल छोड़ती बेटियाँ
राजनीति समाज साक्षात्कार उधम सिंह: लंदन की अदालत में भारत की गरिमा का नाम July 30, 2025 / July 30, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment उधम सिंह केवल एक क्रांतिकारी नहीं थे, बल्कि एक विचार थे—संयम, संकल्प और सत्य का प्रतीक। जलियांवाला बाग़ के नरसंहार का प्रत्यक्षदर्शी यह वीर 21 वर्षों तक चुपचाप अपने मिशन की तैयारी करता रहा और लंदन जाकर ओ’डायर को गोली मारकर भारत का प्रतिशोध पूरा किया। उनकी चुप्पी न्याय की गर्जना थी, जो आज भी […] Read more » Udham Singh: The name of India's dignity in London court उधम सिंह
लेख समाज दीवारों से घिरे लोग July 25, 2025 / July 25, 2025 by डॉ. नीरज भारद्वाज | Leave a Comment डॉ. नीरज भारद्वाज सिनेमा, साहित्य और समाज सभी हमें अलग-अलग पक्षों पर अलग-अलग शिक्षा देते हैं। सिनेमा और साहित्य दोनों ही समाज का अंग हैं। इस दृष्टि से समझे तो समाज सबसे बड़ी शक्ति है, इसमें सभी कुछ दिखाई देता है। व्यक्ति समाज में जीवन यापन करता है और समाज के साथ ही रहता है। जो समाज […] Read more » people surrounded by walls दीवारों से घिरे लोग
लेख समाज दुनिया की लाखों जिन्दगियां में जहर घोलता अकेलापन July 22, 2025 / July 25, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग-‘हर छठा व्यक्ति अकेला है’-यह निष्कर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ताज़ा रिपोर्ट का है, जिसने पूरी दुनिया को चिन्ता में डाला है एवं सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर हम कैसी समाज-संरचना कर रहे हैं, जो इंसान को अकेला बना रही है। निश्चित ही बढ़ता अकेलापन कोई साधारण सामाजिक, पारिवारिक एवं […] Read more » Loneliness poisons millions of lives around the world
लेख समाज मायका July 22, 2025 / July 25, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment – प्रियंका सौरभ तेरहवीं की भीड़ अब छँट चुकी थी। जो रिश्तेदार आए थे, वे अब लौट चुके थे। दीवारों पर अब भी माँ की तस्वीर के नीचे टिमटिमाता दीया जल रहा था। अगरबत्ती की धीमी महक अब पूरे घर में उदासी की तरह फैल रही थी। घर के हर कोने में एक सन्नाटा […] Read more » maayaka
शख्सियत समाज साक्षात्कार मंगल पांडे : भारतीय स्वाधीनता संग्राम के “अग्रदूत” July 18, 2025 / July 18, 2025 by प्रदीप कुमार वर्मा | Leave a Comment स्वाधीनता सेनानी मंगल पांडे की जयंती 19 जुलाई पर विशेष….. प्रदीप कुमार वर्मा “शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले, वतन पर मिटने वालों का यही आखरी निशां होगा…” मां भारती की आन,बान और शान की खातिर मर मिटने तथा उसे गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने वाले शहीदों का अब यही फलसफा बाकी है। आज से करीब दो सौ साल पहले जन्मे महान स्वाधीनता सेनानी मंगल पांडे की आज जयंती है। शहीद मंगल पांडे का नाम भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में एक ऐसे अमर सेनानी के रूप में दर्ज है, जिसने ब्रिटिश फ़ौज में शामिल रहते हुए देशभक्ति का जज्बा बुलंद किया और यूनियन जैक के सामने एक चुनौती पेश की। महान शहीद मंगल पांडे ने ब्रिटिश हुकूमत के निर्देशों को मानने से इनकार कर दिया और सैन्य छावनी में ही कई अंग्रेज अफसर को मौत के घाट उतार दिया। मंगल पांडे के इस कदम से ब्रिटिश सेना भौचक्की रह गई और उन पर मुकदमा चला। इसके बाद उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया। लेकिन एक अमर सेनानी और प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत के रूप में मंगल पांडे आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं। गुलामी की वीडियो से मां भारती को आजाद कराने की लड़ाई में भागीदारी करने वाले क्रांतिकारी मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को यूपी के बलिया जिले के नगवा गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता दिवाकर पांडे तथा माता का नाम अभय रानी था। वर्ष 1849 में मंगल पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए और बैरकपुर की सैनिक छावनी में बंगाल नेटिव इन्फैंट्री यानी बीएनआई की 34 वीं रेजीमेंट के पैदल सेना के सिपाही रहे। मंगल पांडे के मन में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्वार्थी एवं भारत विरोधी नीतियों के कारण अंग्रेजी हुकुमत के प्रति पहले ही नफरत थी। उस दौरान ब्रिटिश सेना की बंगाल यूनिट में ‘ पी.-53’ राइफल आई। जिसमें कारतूसों को राइफल में डालने से पहले मुंह से खोलना पड़ता था। उस जमाने में सैनिकों के बीच ऐसी खबर फैल गई कि इन कारतूसों को बनाने में गाय तथा सूअर की चर्बी का प्रयोग किया गया है। ऐसे में हिन्दू और मुसलमानों में प्रचलित धार्मिक मान्यताओं के चलते दोनों धर्मों के सैनिकों के मन में अंग्रजों के खिलाफ आक्रोश पैदा हो गया। फिर आई वह 9 फरवरी 1857 की तारीख, जब यह कारतूस पैदल सेना को बांटा गया। तब मंगल पांडेय ने उसे न लेने को लेकर विद्रोह के अपने इरादे जता दिए। इस बात से गुस्साए अंग्रेजी अफसर द्वारा मंगल पांडे से उनके हथियार छीन लेने और वर्दी उतरवाने का आदेश दिया, जिसे मानने से मंगल पांडे ने इनकार कर दिया। आज़ादी की खातिर मर-मिटने का जज्बा दिल में लिए मंगल पांडे ने रायफल छीनने आगे बढ़ रहे अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन पर आक्रमण किया तथा उसे मौत के घाट उतार दिया। यही नहीं उनके रास्ते में आए दूसरे एक और अंग्रेज अधिकारी लेफ्टिनेंट बॉग को भी मौत के घाट उतार दिया। और इस तरह मंगल पांडे ने ब्रिटिश सेना की बैरकपुर छावनी में 29 मार्च 1857 को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल बजा दिया। यही वजह है कि भारतीय स्वाधीनता संग्राम की गाथा लिखने वाले इतिहासकार मंगल पांडे को आजादी की लड़ाई का “अगदूत” मानते हैं। भारतीय इतिहास में इस घटना को ‘1857 का गदर’ नाम दिया गया है। इस घटना के बाद मंगल पांडे को अंग्रेजी सेना के सिपाहियों ने गिरफ्तार किया। उन पर कोर्ट मार्शल द्वारा मुकदमा चलाया और फांसी की सजा सुना दी गई। कोर्ट के फैसले के अनुसार उन्हें 18 अप्रैल 1857 को फांसी दी जानी थी। अंग्रेजी हुकूमत को इस बात का अंदेशा था कि मंगल पांडे को फांसी की सजा दिए जाने वाले दिन कोई बड़ा विद्रोह और जनता में आक्रोश हो सकता है। इस बात को भांपते हुए अंग्रेजों द्वारा 10 दिन पूर्व ही यानि 8 अप्रैल सन 1857 को ही मंगल पांडे को फांसी दे दी गई। इस घटना ने भारतीय सैनिकों में असंतोष को और बढ़ाया और मेरठ में 10 मई 1857 को विद्रोह की चिंगारी भड़की, जिससे पूरे उत्तर भारत में विद्रोह फैल गया। मंगल पांडे का बलिदान और विद्रोह ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी और देशवासियों को अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट होने के लिए प्रेरित किया। ब्रिटिश सेवा में माया सिपाही होने के बावजूद उन्होंने देशभक्ति की खातिर यूनियन जैक को ललकारा था। अमर शहीद मंगल पांडे ने भारत में ब्रिटिश उपनिवेश को उखाड़ फेंकने का आगाज कर दिया था। मंगल पांडे द्वारा लगायी गयी विद्रोह की यह चिंगारी बुझी नहीं। करीब एक महीने बाद ही 10 मई सन 1857 को मेरठ की छावनी में कोतवाल धनसिंह गुर्जर के नेतृत्व में बगावत हो गयी। मेरठ में भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश अधिकारियों को मार डाला। इसके बाद विद्रोही सैनिक दिल्ली की ओर बढ़े और बहादुर शाह जफर को अपना नेता घोषित किया। इसके बाद लखनऊ में भीषण संघर्ष हुआ, जहां भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश रेजीडेंसी पर हमला किया। इस दौरान बेगम हज़रत महल और अन्य नेताओं ने विद्रोह का नेतृत्व किया। मेरठ और लखनऊ के बाद विद्रोह की आज कानपुर तक आ पहुंची ,जहां नाना साहेब ने कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व किया और ब्रिटिश सैनिकों पर हमला किया। यह विद्रोह अत्यधिक हिंसक था और इसमें कई ब्रिटिश नागरिक भी मारे गए। महान स्वाधीनता सेनानी रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी में विद्रोह का नेतृत्व किया। इसके बाद आजादी की लड़ाई का दायरा पूरे बुंदेलखंड तक पहुंच गया। इस विद्रोह को कुचलना के लिए अंग्रेजी सेना ने झांसी पर हमला कर दिया जहां रानी लक्ष्मीबाई ने बहादुरी से ब्रिटिश सेना का सामना किया और अंततः लड़ते हुए शहीद हो गईं। प्रथम स्वाधीनता संग्राम के दौरान देश के कई हिस्सों में हुए इस विद्रोह के बाद अंग्रेजों को स्पष्ट संदेश मिल गया कि अब भारत पर राज्य करना उतना आसान नहीं है। देश की आजादी के लिए क्रांति की ज्वाला को प्रज्वलित करने वाले मां भारती के इस वीर सपूत मंगल पांडे की आज जयंती है। भारत में पांडे को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है। अमर शहीद मंगल पांडे की स्मृति में बैरकपुर में उनके नाम पर एक पार्क है। यही नहीं वर्ष 1984 में भारत सरकार द्वारा उनकी छवि वाला एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया गया था। इसके अलावा वर्ष 2005 में मंगल पांडे के जीवन और उनकी शहादत पर आधारित फिल्म मंगल पांडे : ” द राइजिंग” भी बनी,जिसमें आमिर खान ने मंगल पांडे की भूमिका निभाई। Read more » मंगल पांडे स्वाधीनता सेनानी मंगल पांडे की जयंती 19 जुलाई
समाज साक्षात्कार सार्थक पहल ‘संस्कृत’ का रक्षक बना कर्नाटक का एक गाँव July 18, 2025 / July 18, 2025 by रमेश ठाकुर | Leave a Comment डॉ. रमेश ठाकुर एकाध दशकों से पश्चिमी भाषा इस कदर हावी हुई है जिससे हम अपनी पारंपरिक भाषाएं और सभ्यताओं को पीछे छोड़ दिया है जिसमें ‘संस्कृत भाषा’ अव्वल स्थान पर है। कड़वी सच्चाई ये है कि समूचे भारत में मात्र एक प्रतिशत भी संस्कृत का प्रचार-प्रसार, बोलचाल और पठन-पाठन नहीं नहीं बचा? ऐसे में […] Read more » ‘संस्कृत’ का रक्षक बना कर्नाटक का एक गाँव A village in Karnataka became the protector of 'Sanskrit' मत्तूरु गांव
लेख विधि-कानून समाज यौन हिंसा पर सख्त कानून के बावजूद आखिर अपराधों में कमी क्यों नहीं आ रही ? July 18, 2025 / July 18, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment हाल ही में ओडिशा के बालेश्वर जिले के एक कॉलेज में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार यौन उत्पीड़न से परेशान होकर बी.एड की एक छात्रा ने खुद को आग लगा ली थी और बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस घटना से पूरे राज्य […] Read more »
लेख समाज कोख में कत्ल होती बेटियाँ: हरियाणा की घुटती संवेदना July 15, 2025 / July 15, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment हरियाणा में केवल तीन महीनों में एक हज़ार एक सौ चौवन गर्भपात। कारण – कन्या भ्रूण हत्या की आशंका। छप्पन आशा कार्यकर्ताओं को कारण बताओ नोटिस। निगरानी प्रणाली में चूक। पश्च परीक्षण प्रणाली और पुलिस के सहयोग से कठोर कार्यवाही की तैयारी। किन्तु क्या यह सख़्ती पर्याप्त है? जब तक समाज की सोच, पारिवारिक मानसिकता […] Read more » Daughters murdered in the womb: Haryana's stifling sentiments कन्या भ्रूण हत्या
राजनीति शख्सियत समाज सादगी की सियासत: मनोहर लाल की राजनीति और परछाइयाँ July 11, 2025 / July 11, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment मनोहर लाल खट्टर हरियाणा की राजनीति में सादगी, ईमानदारी और पारदर्शिता के प्रतीक बनकर उभरे हैं। जहाँ अधिकतर नेता सत्ता से वैभव कमाते हैं, वहीं खट्टर जी ने जनता का भरोसा कमाया। उनके शासन में लाखों नौकरियाँ बिना सिफारिश और रिश्वत के दी गईं। निजी संपत्ति की बजाय उन्होंने मेहनती युवाओं की दुआएँ कमाईं। स्वयंसेवक […] Read more » मनोहर लाल