विविधा जनसंख्या विस्फोट – गरीबों के मुँह से छिनता निवाला July 14, 2011 / December 9, 2011 by आर.एल. फ्रांसिस | 1 Comment on जनसंख्या विस्फोट – गरीबों के मुँह से छिनता निवाला आर.एल.फ्रांसिस बढ़ती जनसंख्या देश की सबसे गंभीरतम समास्याओं में प्रमुख समास्या है जिस पर चिंता तो अवश्य जताई जाती है पर ठोस समाधान के लिए कोई भी आगे आने को तैयार नहीं है। जनसंख्या को नियंत्रण करने में हमारी सरकारे, समाज और व्यवस्था लगातार असफल होते जा रहे है और इसको नियंत्रण करने के लिए […] Read more » Population Explosion जनसंख्या विस्फोट
विविधा ये खोखले वादे July 14, 2011 / December 9, 2011 by आर. सिंह | Leave a Comment (आर. सिंह जी को पढ़ने-लिखने का शौक है। यही कारण है कि अभियंता की नौकरी से अवकाश प्राप्ति के बाद भी वे रचनाकर्म में जुटे रहते हैं। तमाम समस्याओं पर उनकी लेखनी से उनकी बेचैनी महसूस की जा सकती है। पिछले दिनों जब उन्होंने टाइम्स आफ इंडिया में श्री अरविंद केजरीवाल का लेख पढ़ा तो […] Read more » Corruption भ्रष्टाचार लोकपाल
विविधा भयभीत कांग्रेस और लोकपाल July 14, 2011 / December 9, 2011 by सुरेन्द्र चतुर्वेदी | 2 Comments on भयभीत कांग्रेस और लोकपाल सुरेन्द्र चतुर्वेदी बाबा रामदेव के हरिद्वार लौट जाने और अन्ना हजारे के दिल्ली आ जाने के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता के संघर्ष को एक नया सेनापति मिल गया है। इस बार केन्द्र सरकार के सामने दुनियादारी से दूर रहने वाला बाबा रामदेव नहीं है। अबकी बार उसका मुकाबला अपने आप को दांव पर लगाने […] Read more » Anna Hazare Corruption अन्ना हजारे कांग्रेस भ्रष्टाचार लोकपाल
विविधा शृंखलाबद्ध विस्फोटों ने खोली पुख्ता सुरक्षा प्रबंधों की पोल July 14, 2011 / December 9, 2011 by नीरज कुमार दुबे | 4 Comments on शृंखलाबद्ध विस्फोटों ने खोली पुख्ता सुरक्षा प्रबंधों की पोल नीरज कुमार दुबे आतंकवादियों की ओर से भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई को पुनः दहलाने में सफल होने से हमारी सुरक्षा व्यवस्था पर फिर से सवाल खड़े हो गये हैं। आतंकवादियों ने शहर के भीड़भाड़ वाले झावेरी बाजार, दादर तथा चरनी रोड़ के ओपरा हाउस में सिलसिलेवार विस्फोटों के जरिए 26/11 के आतंकवादी हमले की […] Read more » Mumbai Bomb Blast मुंबई में बम विस्फोट
धर्म-अध्यात्म विविधा गाय को नहीं, मुझे मार गोली July 13, 2011 / December 9, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on गाय को नहीं, मुझे मार गोली सामाजिक व राष्ट्रीय जागरण के अग्रदूत सुविख्यात उपन्यासकार प्रेमचंद उन दिनों गोरखपुर के एक विद्यालय में शिक्षक थे। उन्होंने गाय रखी हुई थी। एक दिन गाय चरते-चरते दूर निकल गई। प्रेमचंद गाय की तलाश करने निकले। उन्होंने देखा कि गाय अंग्रेज कलेक्टर की कोठी की बगीची में खड़ी है तथा अंग्रेज कलेक्टर उसकी ओर बंदूक […] Read more » Cow गाय प्रेमचंद
धर्म-अध्यात्म विविधा धर्म की गुत्थियां खोलीं स्वामी विवेकानंद ने July 13, 2011 / December 9, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on धर्म की गुत्थियां खोलीं स्वामी विवेकानंद ने एम. मजहर सलीम अपनी ओजपूर्ण आवाज से लोगों के दिल को छू लेने वाले स्वामी विवेकानन्द निःसंदेह विश्व-गुरु थे। उनके सुलझे हुए विचारों के उजाले ने धर्म की डगर से भटक रही दुनिया को सही राह दिखाई। निर्विवाद रूप से विश्व में हिन्दुत्व के ध्वजवाहक रहे विवेकानन्द का बौद्धिक तथा आध्यात्मिक शक्ति से भरा व्यक्तित्व […] Read more » Swamy Vivekanand स्वामी विवेकानंद
धर्म-अध्यात्म विविधा एकलव्य- ऋण July 13, 2011 / December 9, 2011 by गंगानन्द झा | Leave a Comment गंगानन्द झा एकलव्य का सपना था कृति धनुर्धर होने का। यह भील बालक के लिए असामान्य सपना था; तत्कालीन व्यवस्था के लिए एक चुनौती; एकलव्य को द्रोणाचार्य ने शिक्षा देने से इनकार कर दिया था। पर वह हताश नहीं हुआ। उसने द्रोण की एक माटी की मूरत बना ली और जंगल में ही कठिन स्वाध्याय […] Read more » Eklavya ऋण एकलव्य
विविधा समाज सामुदायिक सदभाव का सही आधार July 12, 2011 / December 9, 2011 by शंकर शरण | 3 Comments on सामुदायिक सदभाव का सही आधार शंकर शरण दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना वस्तानवी के गुजरात सम्बन्धी बयान को दूसरी तरह भी देखा जा सकता है। अब दो राय नहीं रह गई है कि पिछले नौ वर्ष में उस राज्य की सामाजिक-आर्थिक प्रगति स्पृहणीय है, कि हिन्दू-मुस्लिम दोनों उससे संतुष्ट हैं और अपने-अपने काम-धंधे लगे हैं। सामुदायिक सहयोग की यही […] Read more » Rabindranath Tagore रवीन्द्रनाथ टैगोर सामुदायिक सदभाव
विविधा यूजफुल ईडीयट्स की भूमिका July 11, 2011 / December 9, 2011 by शंकर शरण | 1 Comment on यूजफुल ईडीयट्स की भूमिका शंकर शरण ‘यूजफुल ईडीयट्स’ एक विश्व-विख्यात मुहावरा है। इसी नाम से बीबीसी ने गत वर्ष एक ज्ञानवर्द्धक डॉक्यूमेंटरी भी बनाई है। इस कवित्वमय मुहावरे के जन्मदाता रूसी कम्युनिज्म के संस्थापक लेनिन थे। अर्थ थाः वे बुद्धिजीवी जो अपनी किसी हल्की या भावुक समझ से कम्युनिस्टों की मदद करते थे। ऐसे बुद्धिजीवियों को उपयोगी मूर्ख कहने […] Read more » Communist कम्युनिस्ट यूजफुल ईडीयट्स वामपंथी
विविधा एड्स के जीवाणु हमारे पूर्वज तो नहीं July 11, 2011 / December 9, 2011 by महेश दत्त शर्मा | 2 Comments on एड्स के जीवाणु हमारे पूर्वज तो नहीं महेश दत्त शर्मा पहले एक विनम्र निवेदन : इस लेख में प्रस्तुत विचार मेरी नितांत मौलिक परिकल्पना या कहना होगा अनुभूति हैं। इनसे किसी को ठेस लगे तो मैं क्षमा प्रार्थी हूँ। मेरे घर में बहुत सी चींटियाँ हैं, कॉक्रोच हैं; छिपकलियाँ, चूहे, मकड़ियाँ, दीमक और अनेक छोटे-बड़े कीट-पतंगे हैं जो मेरे परिवार के साथ […] Read more » aids एड्स
विविधा जेएनयू की बौद्धिक संस्कृति July 8, 2011 / December 9, 2011 by शंकर शरण | 16 Comments on जेएनयू की बौद्धिक संस्कृति शंकर शरण जब एक संवाददाता ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की चार दशक की उपलब्धियों के बारे में प्रश्न पूछा, तो वहाँ के रेक्टर का प्रमुख उत्तर था कि अब तक सिविल सर्विस में इतने छात्र वहाँ से चुने गए। दूसरी कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि वे गिना नहीं पाए जो समाचार में स्थान पा सकती। सरसरी […] Read more » JNU जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जेएनयू मार्क्सवाद वामपंथ
विविधा भ्रष्टाचारी का, भ्रष्टाचार के लिए, भ्रष्ट शासन July 7, 2011 / December 9, 2011 by जीतेन्द्र कुमार नामदेव | 1 Comment on भ्रष्टाचारी का, भ्रष्टाचार के लिए, भ्रष्ट शासन जितेन्द्र कुमार नामदेव इतिहास गवाह है जब-जब अति हुई है उसका अंत भी हुआ है। भारत को आजादी के बाद एक सम्पूर्ण लोकतान्त्रिक गणराज्य बनाने का सपना जो देश के महापूरूषों ने देखा था वो पूरा तो हुआ पर एक सपने की तरह। जब आंख खुली तो लोकतान्त्रिक गणराज्य विखरा हुआ पाया जिसका नतीजा आज […] Read more » Corruption भ्रष्टाचार