विविधा धनकुबेरों के सामने घुटने टेकती सरकार February 4, 2011 / December 15, 2011 by लिमटी खरे | Leave a Comment लिमटी खरे भारत गणराज्य की सरकारों के लिए इससे अधिक शर्म की बात और क्या होगी कि देश के हर एक आदमी के गाढ़े पसीने की कमाई पर सरेआम डाका डालकर धनपति बने लोगांे ने अपनी अकूत दौलत को देश से बाहर के बैंकों में जमा कर रखा है, और सरकार उनके सामने बौनी ही […] Read more » government falling in front of richest persons धनकुबेरों के सामने घुटने टेकती सरकार
विविधा अंध-आस्था से लेस सांप्रदायिकता ही कट्टरवाद की जननी है….. February 3, 2011 / December 15, 2011 by श्रीराम तिवारी | 2 Comments on अंध-आस्था से लेस सांप्रदायिकता ही कट्टरवाद की जननी है….. श्रीराम तिवारी ईश्वर का नाम लेने में न तो कोई बुराई है और न ही किसी का अनिष्ट होने कि कोई संभावना है.मानव सभ्यता के विभिन्न दौर में प्राकृतिक आपदाओं और वैयक्तिक कष्टों से निज़ात पाने या संघर्ष क्षमता हासिल करने कि चेष्टा में प्रबुद्ध मानवों ने वैज्ञानिक आविष्कारों कि तरह ही मानसिक ,चारित्रिक ,सामाजिक […] Read more » communalism fundamentalism सांप्रदायिकता ही कट्टरवाद की जननी है
विविधा राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का अंतिम दिवस… February 3, 2011 / December 15, 2011 by श्रीराम तिवारी | 2 Comments on राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का अंतिम दिवस… श्रीराम तिवारी “आज नई दिल्ली में शाम के पांच बजकर सत्रह मिनिट पर , राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या हो गई ” उनका हत्यारा एक हिन्दू है ‘ वह एक ब्राम्हण है ‘ उसका नाम नाथूराम गोडसे है ‘ स्थान बिरला हॉउस ……….ये आल इंडिया रेडिओ है ……..{पार्श्व में शोक धुन }…… उस वैश्विक शोक […] Read more » last day of Mahatma Gandhi महात्मा गाँधी
विविधा भोपाल में अटकी इंदौर की मेट्रो February 3, 2011 / December 15, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment विनोद उपाध्याय देवी अहिल्या की नगरी इंदौर का नाम देश के चुनिंदा 18 पर्यटन स्थलों में शुमार हो गया है। शहरवासियों के साथ-साथ प्रदेशवासियों के लिए भी यह खुश-खबर अवश्य है, जिससे नगर को सँवारने वाली संस्थाओं पर जवाबदारी और बढ़ गई है। इंदौर को प्रारंभिक विकास के दौर में जिन कपड़ा उद्योगों व हस्तशिल्प […] Read more » Bhopal indore metro भोपाल में अटकी इंदौर की मेट्रो
विविधा कैसे पड़ा भारत का नाम? February 1, 2011 / December 15, 2011 by सूर्यकांत बाली | 3 Comments on कैसे पड़ा भारत का नाम? सूर्यकांत बाली इस लेख में हम सिर्फ भारत का गुणगान करेंगे। भारत का गुणगान करना तो एक तरह से अपना ही गुणगान करना हुआ। तो भी क्या हर्ज है? गुणगान इसलिए करना है क्योंकि उनको, उन पश्चिमी विद्वानों को जो हमें सिखाने का गरूर लेकर इस देश में आए थे, उनको बताना है कि हमारे […] Read more » naming of India भारत
विविधा बहिर् ने खींचा, अंतर ने सींचा February 1, 2011 / December 15, 2011 by चैतन्य प्रकाश | 1 Comment on बहिर् ने खींचा, अंतर ने सींचा चैतन्य प्रकाश सर्दी में त्वचा के खिचाव का अनुभव किसे नहीं होता? यही अनुभव शायद खिंचाव के संबंध में मनुष्य का प्राथमिक अनुभव है। कहावत ही बन गई है- ‘जाके पैर न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई।’ खिंचाव पीड़ा की उपस्थिति का प्रमाण है। जीवन में भी खिंचाव, तनाव के अर्थ में व्यक्त […] Read more » अंतर ने सींचा बहिर् ने खींचा
विविधा पी. के. रथ को सजा के बदले संरक्षण January 30, 2011 / December 15, 2011 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 2 Comments on पी. के. रथ को सजा के बदले संरक्षण डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ पिछले दिनों प्रिण्ट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने एक खबर खूब बढाचढाकर प्रकाशित एवं प्रसारित किया गया कि सुकना भूमि घोटाले में सैन्य कोर्ट मार्शल ने थल सेना के पूर्व उप प्रमुख मनोनीत लेफ्टिनेंट जनरल पी. के. रथ को दोषी करार देकर कठोर दण्ड से दण्डित किया है। जबकि सच्चाई यह है […] Read more » punishment to P.K.RATH पी. के. रथ को सजा के बदले संरक्षण
विविधा डरपोक थे पंडित नेहरू : प्रो. टेंग January 29, 2011 / December 15, 2011 by पवन कुमार अरविन्द | 7 Comments on डरपोक थे पंडित नेहरू : प्रो. टेंग डॉ. मोहन कृष्ण टेंग कश्मीर विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष हैं। वे दिसम्बर 1991 में विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने जम्मू-कश्मीर समस्या का गहनतम अध्ययन किया है। उनकी कश्मीर मामले पर कई पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं; जिनमें- कश्मीर अनुच्छेद-370, मिथ ऑफ ऑटोनामी, कश्मीर स्पेशल स्टेटस, कश्मीर : कांस्टीट्यूशनल हिस्ट्री एंड […] Read more » Pandit Nehru was timid डरपोक थे पंडित नेहरू पंडित नेहरू
विविधा वर्ष 2011 में क्या मिलेगे यक्ष प्रश्नों के उत्तर? January 29, 2011 / December 15, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment मृत्युंजय दीक्षित समय चलता रहता है वह कभी नहीं रूकता और नहीं किसी यातायात व्यवस्था का इंतजार करता है न ही किसी के भाग्य धर्म, अर्थ और काम की चिंता करता है ।बिना किसी तनाव व अस्वस्थता के वह बराबर चलता रहता है। लेकिन फिर भी समय के अनुसार परिवर्तन होता रहता है। यह समय […] Read more » answer to imp questions in 2011 यक्ष प्रश्नों के उत्तर वर्ष 2011
विविधा गणतंत्र दिवस पर मिलावटखोर तेल माफिया का नंगा नाच January 28, 2011 / December 15, 2011 by निर्मल रानी | 1 Comment on गणतंत्र दिवस पर मिलावटखोर तेल माफिया का नंगा नाच निर्मल रानी गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश की महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल द्वारा राष्ट्र के नाम अपना संदेश प्रसारित किए जाने में अभी कुछ ही घंटे का समय बाकी था कि इसी बीच महाराष्ट्र राज्य के नासिक ज़िले के करीब मनमाड नामक स्थान से एक दिल दहला देने वाला सनसनीखेज समाचार […] Read more » oil orgy on Republic Day गणतंत्र दिवस पर मिलावटखोर तेल माफिया का नंगा नाच यशवंत सोनावणे
विविधा गणतंत्र दिवस के बहाने January 26, 2011 / December 15, 2011 by सतीश सिंह | 1 Comment on गणतंत्र दिवस के बहाने सतीश सिंह राष्ट्रध्वज को फहराने का अधिकार नागरिकों के मूलभूत अधिकार और अभिव्यक्ति के अधिकार का ही एक हिस्सा है। यह अधिकार केवल संसद द्वारा ऐसा परितियों में ही बाधित किया जा सकता है जिनका उल्लेख संविधान की कण्डिका 2, अनुच्छेद 19 में किया गया है। खण्डपीठ में साफ तौर पर कहा गया है कि […] Read more » Democracy republic गणतंत्र लोकतंत्र
विविधा जन-गण-मन में लोकतंत्र कहाँ है? January 26, 2011 / April 1, 2012 by कुन्दन पाण्डेय | 2 Comments on जन-गण-मन में लोकतंत्र कहाँ है? कुन्दन पाण्डेय भारत में लोकतंत्र कहाँ है ? कहीं नहीं लेकिन अराजकता हर कहीं हैं। संसद में, विधानसभाओं में, विधानसभाओं में होने वाली मारपीट में, केन्द्र सरकार में, राज्य सरकार में, मंत्रियों में, नेताओं में, राजनीतिक दलों में, सांसदों में, सांसदों द्वारा संसद में प्रश्न पूछने के लिए पैसा लेने में, विधायकों में, चुनावों में, […] Read more » jan gan man national anthem लोकतंत्र